जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
श्रीमती सुधा यादव........................................सदस्या
उपभोक्ता वाद संख्या-79/2013
श्रीमती माधुरी सिंह पत्नी श्री षिवकुमार निवासी मकान नं0-81 जे0 ब्लाक, गुजैनी जिला, कानपुर नगर।
................परिवादिनी
बनाम
कानपुर विकास प्राधिकरण द्वारा संयुक्त सचिव, जोन-3, कानपुर विकास प्राधिकरण, कानपुर।
...........विपक्षी
परिवाद दाखिला तिथिः 18.02.2013
निर्णय तिथिः 10.03.2017
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी के हक में तथा विपक्षी के विरूद्ध इस आषय का आदेष पारित किया जाये कि विपक्षी के पास परिवादिनी का कुल जमा रू0 1,93,182.00 मय ब्याज तथा वाद व्यय रू0 8000.00 व अन्य क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 1,00,000.00 कुल रू0 3,01,182.00 दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादिनी द्वारा दबौली वेस्ट एम.आई.जी. द्वितीय योजना के तहत मकान आवंटन हेतु विपक्षी विभाग में प्रार्थनापत्र दिनांक 01.02.99 को दिया गया था, जिसमें विपक्षी द्वारा परिवादिनी को भूखण्ड सं0-46 क्षेत्रफल 112 वर्गमीटर का आवंटन किया गया, जिसमें परिवादिनी द्वारा भूखण्ड के आवंटन के पंजीकरण की धनराषि दिनांक 30.01.99 को रू0 40000.00 जमा की गयी। परिवादिनी को रू0 5817.00 की 24 तिमाही किष्ते बनाई गयी, जिन्हे समय-समय पर जमा करने के लिए कहा गया, जिसके अनुसार परिवादिनी ने अपनी सभी नियमानुसार किष्ते दिनांक 30.01.99 से 6.12.04
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तक कुल रू0 1,39,608.00 तथा विलम्ब षुल्क रू0 13,574.00 व आवंटन का रू0 40,000.00 कुल रू0 1,93,182.00 जमा किया, जिनकी जमा रसीदे परिवादिनी के पास हैं। परिवादिनी ने विपक्षी के पास योजना दबौली वेस्ट एम.आई.जी. द्वितीय कानपुर नगर की स्कीम के तहत भूखण्ड सं0-46 के आवंटन हेतु उसके द्वारा निर्धारित रू0 40,000.00 आवंटन का तथा रू0 5817.00 निर्धारित तिमाही किष्ते जमा कर दी। दिनांक 22.03.05 को आखिरी किष्त जमा करने के बाद भी आज तक विपक्षी द्वारा परिवादिनी को आवंटित भूखण्ड प्रदान नहीं किया गया है और न ही विपक्षी द्वारा कोई संतोशजनक उत्तर दिया जा रहा है। परिवादिनी ने किसी तरह रूपया जोड़कर विपक्षी के पास जमा किया था कि परिवादी के पास भी आवास हो जायेगा और उसकी आवास की समस्या समाप्त हो जायेगी, किन्तु विपक्षी द्वारा उसका पूरा रूपया हड़प लिया गया और न ही भूखण्ड दिया गया और न ही उसका रूपया वापस किया गया। फलस्वरूप विवष होकर परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3. विपक्षी की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादिनी को प्रष्नगत भूखण्ड सं0-46 एम.आई.जी. सेकेण्ड दबौली वेस्ट कानपुर नगर विपक्षी द्वारा आवंटित किया गया। विपक्षी द्वारा पत्रांक-डी/1888/सं0स0 विक्रय जोन-3/2010-11 दिनांकित 20.09.10 परिवादिनी को प्रष्नगत भूखण्ड के सम्बन्ध में प्रेशित करते हुए सूचित किया गया कि आवंटित उपरोक्त भूखण्ड के सम्बन्ध में अभियन्त्रण खण्ड द्वारा निर्गत दबौली वेस्ट योजना के अंतर्गत विभिन्न श्रेणी के विवादित भूखण्डों की सूची के अनुसार परिवादिनी को आवंटित भूखण्ड मा0 उच्च न्यायालय के आदेष से प्रभावित होने के कारण विवादित है। कानपुर विकास प्राधिकरण द्वारा नवश्रजित भूखण्ड मा0 उच्चन्यायालय इलाहाबाद में विचाराधीन अवमानना वाद के निर्णय के अनुपालन में प्रेरणा विहार के विवादित भूखण्डों के सापेक्ष समायोजित किये जा चुके हैं। इस कारण परिवादिनी को आवंटित भूखण्ड
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के बदले वर्तमान में वैकल्पिक भूखण्ड दिया जाना संभव नहीं है। अतः परिवादिनी आवंटन पत्र तथा जमा धन की मूल रसीदें प्रार्थनापत्र के साथ संलग्न कर नियमानुसार रिफण्ड हेतु आवेदन कर रिफण्ड प्राप्त कर सकती है। विपक्षी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। परिवादिनी को विपक्षी ने जान-बूझकर रिफण्ड हेतु पर्याप्त सूचना दी गयी, किन्तु परिवादिनी ने जान बूझकर रिफण्ड हेतु नियमानुसार कोई कार्यवाही नहीं की। रिफण्ड हेतु प्रार्थनापत्र मय आवंटन पत्र व मूल रसीदों के साथ विपक्षी कार्यालय में प्रस्तुत नहीं किया, जिसके लिए वह स्वयं जिम्मेदार है। परिवादिनी किसी प्रकार के ब्याज व क्षतिपूर्ति प्राप्त करने की अधिकारिणी नहीं है, क्यों उसने रिफण्ड हेतु स्वयं कार्यवाही नहीं की है। परिवादिनी ने विपक्षी से अनुचित लाभ प्राप्त करने की नियत से प्रस्तुत परिवाद कारणहीन, आधारहीन एवं विधि विरूद्ध दाखिल किया है। अतः परिवाद सव्यय खारिज किया जाये।
4. परिवादिनी की ओर से जवाबुल जवाब प्रस्तुत करके, विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये जवाब दावा का खण्डन किया गया है और स्वयं के द्वारा प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र की पुनः पुश्टि की गयी है।
परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5. परिवादिनी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 24.01.13, 13.04.15 एवं 26.02.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची के साथ संलग्न कागज सं0-1 लगायत् 27 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6. विपक्षी ने अपने कथन के समर्थन में राकेष कुमार यादव, उपनगर आयुक्त जोन-3 का षपथपत्र दिनांकित 20.05.15 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप परिवादिनी को प्रेशित पत्र दिनांकित 20.09.10 की प्रति तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
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निष्कर्श
7. फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं उभयपक्षों द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादिनी की ओरसे षपथपत्र व अन्य प्रस्तर-5 में जो अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किये गये हैं, वे प्रष्नगत प्लाट के, परिवादिनी के पक्ष में आवंटन से तथा जमा की गयी धनराषि से सम्बन्धित हैं। विपक्षी द्वारा प्रष्नगत प्लाट के परिवादिनी के पक्ष में आवंटन से तथा जम की गयी अभिकथित धनराषि से इंकार नहीं किया गया है। प्रस्तुत मामले में अब यह विनिष्चिन किया जाना है कि क्या परिवादिनी याचित, विपक्षी के यहां स्वयं के द्वारा जमा की गयी धनराषि व अन्य क्षतिपूर्ति प्राप्त करने की अधिकारिणी है। विपक्षी द्वारा परिवादिनी की ओर से जमा की गयी उपरोक्त अभिकथित धनराषि से इंकार नहीं किया गया है। बल्कि यह कहा गया है कि परिवादिनी ने रिफण्ड हेतु प्रार्थनापत्र मय आवंटन पत्र व मूल रसीदों के साथ विपक्षी के कार्यालय में प्रस्तत नहीं किया गया है। विपक्षी द्वारा परिवादिनी को प्रष्नगत प्लाट के सम्बन्ध में मा0 उच्चन्यायालय में मामला विचाराधीन होना बताकर रिफण्ड हेतु सूचना दी गयी थी। इस प्रकार विपक्षी की ओर से सेवा में कोई कमी कारित नहीं की गयी है। परिवादिनी कोई ब्याज व अन्य क्षतिपूर्ति प्राप्त करने की अधिकारिणी नहीं है।
उपरोक्त विशय के सम्बन्ध में पत्रावली के परिषीलन से विदित होता है कि परिवादिनी द्वारा दिनांक 06.12.14 तक रू0 1,93,182.00 मय विलम्ब षुल्क जमा किया जा चुका है। विपक्षी द्वारा अत्यन्त विलम्ब से दिनांक 20.09.10 को परिवादिनी को सूचना पत्र वास्ते रिफण्ड दिया गया है।
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अतः उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों के आलोक में फोरम इस मत का है कि परिवादिनी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से रू0 1,93,182.00 मय 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से, दिनांक 06.12.04 से तायूम वसूली तक तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय के लिए स्वीकार किये जाने योग्य है। जहां तक परिवादिनी की ओर से याचित अन्य उपषम का सम्बन्ध है- उक्त याचित उपषम के लिए परिवादिनी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण परिवादिनी द्वारा याचित अन्य उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःआदेषःःः
9. परिवादिनी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षी, परिवादी को, रू0 1,93,182.00 मय 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से, दिनांक 06.12.04 तायूम वसूली अदा करे तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय भी अदा करे।
(पुरूशोत्तम सिंह) ( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
(पुरूशोत्तम सिंह) ( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर कानपुर नगर।