KANPUR STEEL MART filed a consumer case on 27 Mar 2017 against KDA KANPUR in the Kanpur Nagar Consumer Court. The case no is CC/122/2012 and the judgment uploaded on 29 Jun 2017.
मेसर्स कानपुर स्टीलमार्ट द्वारा प्रोपराइटर अनिल कुमार जैन पुत्र स्व0 एम0सी0जैन, निवासी मकान नं0-77/2, हाल्सीरोड, कानपुर।
................परिवादी
बनाम
कानपुर विकास प्राधिकरण, मोतीझील, कानपुर नगर द्वारा उपाध्यक्ष।
...........विपक्षी
परिवाद दाखिला तिथिः 24.02.2012
निर्णय तिथिः 03.06.2017
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी को उसके पक्ष में आवंटित भूखण्ड सं0-141 ब्लाक-सी योजना पनकी इस्पात नगर, कानपुर की रजिस्ट्री विपक्षी करे तथा बढ़े हुए क्षेत्रफल या कार्नर का मूल्य भी आवंटित मूल्य रू0 165.00 प्रति वर्गमीटर की दर से लेने, परिवादी को हुए मानसिक संताप व क्षतिपूर्ति के लिए रू0 50,000.00 तथा परिवाद व्यय अदा करे।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी विपक्षी द्वारा परिवादी के पक्ष में भूखण्ड सं0-141 ब्लाक-सी योजना पनकी इस्पात नगर, कानपुर दिनांक 02.10.86 को आवंटित किया था। परिवादी ने निर्धारित मूल्य का 1/4 धन यानी रू0 6187.00 अदा कर दिया तथा बकिया रू0 18,563.00 किष्तों में जमा करना था। भूखण्ड 150 वर्गमीटर का था तथा दर रू0 165.00 प्रति वर्गमीटर थी। परिवादी ने संपूर्ण विक्रय धन मय ब्याज रू0 30,700.00 और जमा कर दिये। इस प्रकार संपूर्ण विक्रय धन 1998 में विपक्षी के पास जमा कर दिया। परिवादी निरंतर विपक्षी के पास उक्त भूखण्ड की रजिस्ट्री हेतु प्रयत्नषील रहा, परन्तु विपक्षी ने आज तक परिवादी के पक्ष में रजिस्ट्री नहीं की। संपूर्ण
...........2
...2...
धन जमा करने के बावजूद विपक्षी ने परिवादी का आवंटन दिनांक 18.08.02 को निरस्त कर दिया। जानकारी करने पर ज्ञात हुआ कि विपक्षी ने दिनांक 18.11.02 को पुनः आवंटन बहाल कर दिया तथा विपक्षी ने सूचित किया कि कार्नर का प्लाट है। अतः क्षेत्रफल बढ़ गया है, जिसकी गणना की सूचना से बाद में परिवादी को प्राप्त कराया जायेगा। यह पत्र दिनांक 18.11.02 को विपक्षी ने लिखा। दिनांक 09.05.03 को विपक्षी ने बढ़े हुए क्षेत्रफल का मूल्य रू0 4851.00 वर्गमीटर के अलावा 10 प्रतिषत कार्नर मूल्य अतिरिक्त निर्धारित किया तथा अवषेश धन की मांग की। परिवादी ने अपने पत्र दिनांक 06.06.03 के माध्यम से जवाब दिया कि विपक्षी के पत्र दिनांक 09.05.03 में कहीं भी बढ़े हुए क्षेत्रफल का ब्यौरा नहीं दिया गया तथा आवंटन दर रू0 165.00 प्रति वर्गमीटर से हुआ तथा 17 वर्शों के बाद भी रजिस्ट्री नहीं की गयी और भ्रामक रूप से रू0 4851.00 प्रति वर्गमीटर की मांग की जा रही है। परिवादी ने यह भी कहा कि उसे बढ़े हुए क्षेत्रफल की कीमत न लगाकर प्रष्नगत प्लाट की रजिस्ट्री कर दी जाये। परिवादी ने दिनांक 17.07.03 को पुनः रजिस्ट्री किये जाने की मांग करते हुए इस फोरम द्वारा पारित आदेष दिनांक 24.05.06 रामचन्द्र बनाम के0डी0ए0 परिवाद सं0-576/03 की छायाप्रति भी विपक्षी को प्रस्तुत की, जिसमें मा0 फोरम ने आदेषित किया था कि इस्पातनगर योजना के बढे हुए भाग की कीमत भी आवंटित दर पर की जाये तथा भूखण्ड की रजिस्ट्री किये जाने का आदेष दिया। परिवादी के पक्ष में भूखण्ड की रजिस्ट्री करने के स्थान पर विपक्षी ने दिनांक 22.02.10 को पुनः पत्र लिखकर धन जमा होने का सबूत मांगा। जबकि अपने पिछले पत्राचार में विपक्षी स्वीकार कर चुका था कि संपूर्ण धन जमा है। इस तरह विपक्षी ने सेवा में कमी की है। जिससे परिवादी को अत्यंत मानसिक संताप हुआ है। फलस्वरूप परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3.विपक्षी की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि वास्तविकता यह है कि परिवादी कभी भी
...........3
...3...
विपक्षी उत्तरदाता के कार्यालय नहीं आया। परिवादी डिफाल्टर रहा है। इसलिए परिवादी का आवंटन उपाध्यक्ष विकास प्राधिकरण द्वारा निरस्त किया गया। किन्तु परिवादी द्वारा प्रष्नगत धनराषि जमा करने पर परिवादी के आवंटन रद्द का आदेष वापस लिया गया है। विपक्षी उत्तरदाता द्वारा परिवादी को षासनादेषों एवं आवंटन पत्र में उल्लिखित षर्तों के अनुसार पत्र प्रेशित किया गया। किन्तु परिवादी दिनांक 09.05.03 से आज तक वांछित धनराषि जमा करने में कासिर रहा है। इसलिए विपक्षी उत्तरदाता लीज डीड निश्पादित करने की स्थिति में नहीं हैं प्रस्तुत फोरम स्वयं के द्वारा अन्य परिवाद में पारित निर्णय से प्रस्तुत परिवाद को निर्णीत करने के लिए बाधित नहीं है। विपक्षी की ओर से कोई सेवा में कमी कारित नहीं की गयी है। परिवादी बिना किसी स्वामित्व अधिकार के अतिरिक्त भूमि पर काबिज है, जिसके लिए विपक्षी परिवादी के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही करने जा रहा है। परिवाद अत्यधिक कालबाधित है। परिवादी को कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं हुआ। अतः परिवाद भारी हर्जे पर खारिज किया जाये।
4.परिवादी की ओर से जवाबुल जवाब प्रस्तुत करके, विपक्षी की ओर से प्रस्तुत जवाब दावा में उल्लिखित तथ्यों का खण्डन किया गया है और स्वयं के द्वारा प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों की पुनः पुश्टि की गयी है।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5.परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 18.02.12 एवं 24.07.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में कागज 1 लगायत् 13 दाखिल किया है।
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6.विपक्षी ने अपने कथन के समर्थन में यमंक यादव, साचिव जोन-3 का षपथपत्र दिनांकित 03.06.14 दाखिल किया है।
निष्कर्श
7.फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिषीलन किया गया।
...4...
उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में निम्नलिखित विचारणीय वाद बिन्दु बनते हैंः-
1.क्या परिवादी प्रष्नगत प्लाट बढ़े हुए भाग का मूल्य पूर्व में आवंटित प्लाट में आवंटित मूल्य की बजाय वर्तमान मूल्य अदा करने का उत्तरदायी है, यदि हां तो प्रभाव?
2.क्या परिवादी अवैधानिक ढंग से बढ़े हुए भू-भाग पर अध्यासित है, यदि हां तो प्रभाव?
3.क्या परिवादी का परिवाद कालबाधित है, यदि हां तो प्रभाव?
विचारणीय वाद बिन्दु संख्या-01
8.उपरोक्त विचारणीय वाद बिन्दु के सम्बन्ध में पत्रावली के परिषीलन से विदित होता है कि स्वीकार्य रूप से परिवादी को प्रष्नगत प्लाट विपक्षी के0डी0ए0 द्वारा आवंटित किया गया है। परिवादी द्वारा आवंटित प्लाट का संपूर्ण प्रतिफल जमा किया जा चुका है। परिवादी को भूखण्ड सं0-141 ब्लाक-सी योजना पनकी इस्पात नगर, कानपुर को दिनांक 02.10.86 को विपक्षी के द्वारा आवंटित किया गया है। परिवादी की ओर से प्रस्तुत कागज सं0-7 पत्र द्वारा श्रीमती रेनू पाठक विषेश कार्याधिकारी जोन-3 कानपुर विकास प्राधिकरण वहक परिवादी से स्पश्ट होता है कि परिवादी पूर्व में अवषेश धनराषि जमा करने में डिफाल्टर रहा है। किन्तु अवषेश धनराषि जमा करने पर तत्कालीन उपाध्यक्ष के आदेष दिनांक 18.11.02 के द्वारा प्रष्नगत भूखण्ड पूर्व दर एवं षर्तों पर बहाल किया गया है। उक्त पत्र में ही समस्त औपचारिकतायें पूर्ण करके प्रष्नगत भूखण्ड का एक सप्ताह में निबन्धन करा लेने का उल्लेख किया गया है। दूसरा पत्र सं0-क्ध्411ब्ध्श्र5प्प्प् दिनांकित 09.05.03 कागज सं0-8 में यह अंकित किया गया है कि षासनादेष आदेषानुसार 10 प्रतिषत कार्नर मूल्य अतिरिक्त देय होगा। किन्तु किसी षासनादेष का उल्लेख नहीं किया गया है। विपक्षी द्वारा जवाब दावा में भी अभिकथित किसी षासनादेष का उल्लेख नहीं किया गया है और न ही तो साक्ष्य में कोई षासनादेष प्रस्तुत
...........5
...5...
किया गया है। जबकि उक्त पत्र विपक्षी द्वारा परिवादी को दिनांक 09.05.03 को लगभग 17 वर्शों बाद दिया गया है। जिससे विपक्षी की घोर लापरवाही प्रमाणित होती है। साइट प्लान में आवंटित भूखण्ड का क्षेत्रफल घटता-बढ़ता है, जिसका उत्तरदायित्व आवंटी पर नहीं डाला जा सकता। क्योंकि विकास प्राधिकरण किसी योजना के तहत ही आवंटन की प्रक्रिया, एरिया के क्षेत्रफल के अनुसार करता है और भूखण्ड की कटिंग भी उसी नक्षे के आधार पर की जाती है। इसलिए अब आवंटन पत्र 17 वर्शों बाद बढ़े हुए क्षेत्रफल का मूल्य वर्तमान दर पर लगाया जाना न्यायसंगत नहीं है। क्योंकि इसमें परिवादी की कोई कमी प्रमाणित नहीं होती है। विपक्षीगण द्वारा बढ़े हुए क्षेत्रफल की सूचना परिवादी को तत्काल दी जानी चाहिए थी। बढ़े हुए क्षेत्रफल की सूचना तत्काल न देकर विपक्षी द्वारा सेवा में कमी कारित की गयी है।
अतः उपरोक्तानुसार उपरोक्त विचारणीय वाद बिन्दु विपक्षी के विरूद्ध तथा परिवादी के पक्ष में निर्णीत किया जाता है।
विचारणीय वाद बिन्दु संख्या-02
9.यह विचारणीय वाद बिन्दु सिद्ध करने का भार विपक्षी पर है। विपक्षी द्वारा अपने उपरोक्त कथन के समर्थन में कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। जिससे यह सिद्ध होता हो कि परिवादी प्रष्नगत भूखण्ड पर बढ़े हुए क्षेत्रफल पर काबिज है।
अतः उपरोक्त विचारणीय वाद बिन्दु विपक्षी के विरूद्ध तथा परिवादी के पक्ष में निर्णीत किया जाता है।
विचारणीय वाद बिन्दु संख्या-03
10.यह विचारणीय वाद बिन्दु सिद्ध करने का भार विपक्षी पर है। विपक्षी द्वारा परिवाद को कालबाधित होना बताया गया है। परिवाद पत्र के प्रस्तर-8 के अवलोकन से स्पश्ट होता है कि विपक्षी द्वारा दिनांक 22.02.10 को प्रष्नगत भूखण्ड के सम्बन्ध में परिवादी से धन जमा होने का सबूत मांगा गया। परिवाद दिनांक 24.02.12 को दाखिल किया गया है। जबकि परिवाद पत्र के प्रस्तर-8 के अवलोकन से विदित होता है
...........6
...6...
कि विपक्षी द्वारा अंतिम पत्र परिवादी को दिनांक 22.02.10 को दिया गया, जिसमें विपक्षी द्वारा धन जमा होने का सबूत मांगा गया। इसके पष्चात कोई पत्राचार नहीं किया गया है। परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के प्रस्तर-12 में परिवाद का कारण वर्श 1986 से उत्पन्न होकर अंतिम वाद कारण दिनांक 15.02.12 को परिवादी द्वारा विपक्षी को प्रेशित पत्र से माना गया है। जबकि परिवादी को अंतिम वाद कारण की तिथि विपक्षी द्वारा परिवादी को प्रेशित अंतिम पत्र दिनांकित 22.02.10 से, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-24 के अनुसार बनता है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा -24 (ए) के अनुसार परिवादी को वाद कारण उत्पन्न होने से दो वर्श के अंदर परिवाद योजित करने की अवधि दी गयी है। प्रस्तुत मामले में विपक्षी द्वारा परिवाद को कालबाधित होना बताकर यह भी लिखित रूप से तथा मौखिक रूप से तर्क प्रस्तुत किये गये हैं कि मा0 उच्चतम न्यायालय एवं मा0 राश्ट्रीय आयेग द्वारा अपने विभिन्न विधि निर्णयों में यह कहा है कि पत्राचार से समयावधि का विस्तार नहीं होता है। फोरम विपक्षी के तर्कों से उपरोक्त कारणों से सहमत है।
7.उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों के आलोक में फोरम इस मत का है कि प्रस्तुत परिवाद कालबाधित है। अतः उपरोक्त विचारणीय वाद बिन्दु विपक्षी के पक्ष में तथा परिवादी के विरूद्ध निर्णीत किया जाता है।
उपरोक्त विचारणीय वाद बिन्दु संख्या-3 में दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद कालबाधित होने के कारण स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
8. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध खारिज किया जाता है। उभयपक्ष अपना-अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
( पुरूशोत्तम सिंह ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
फोरम कानपुर नगर फोरम कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
( पुरूशोत्तम सिंह ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
फोरम कानपुर नगर फोरम कानपुर नगर।
Consumer Court Lawyer
Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.