Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

CC/178/09

BABA RAM - Complainant(s)

Versus

KDA KANPUR - Opp.Party(s)

ND NIGAM

24 Jun 2016

ORDER

CONSUMER FORUM KANPUR NAGAR
TREASURY COMPOUND
 
Complaint Case No. CC/178/09
 
1. BABA RAM
GADARIAN PURVA
...........Complainant(s)
Versus
1. KDA KANPUR
MOTI JHEEL KANPUR
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. RN. SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Sudha Yadav MEMBER
 HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 24 Jun 2016
Final Order / Judgement

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।

   अध्यासीनः      डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष    
    पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
    श्रीमती सुधा यादव........................................सदस्या    
                
    

                                                      उपभोक्ता वाद संख्या-178/2009


बाबा राम प्रसाद पुत्र स्व0 मोहन लाल साकिन 93 सी दबौली भाग-2 गड़रियन पुरवा, कानपुर नगर।
                                  ................परिवादी
बनाम
1.    कानपुर विकास प्राधिकरण, जरिये उपाध्यक्ष के0डी0ए0 मोतीझील कानपुर।
2.    नगर निगम कानपुर बजरिये मुख्य नगर आयुक्त नगर निगम मोतीझील, कानपुर नगर।
                           ...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिला तिथिः 18.03.2009
निर्णय तिथिः 28.04.2017
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1.      परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी के पक्ष में व विपक्षी के विरूद्ध इस आषय की डिक्री पारित की जाये कि वह, परिवादी को जो हानि हुई है, उसके लिए रू0 50,000, षारीरिक व मानसिक उत्पीड़न के लिये रू0 50,000.00 तथा परिवाद व्यय अदा करे।
2.     परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी का एक बुजुर्गी मकान दबौली भाग-2 कानपुर नगर में काफी पुराना जिसका अर्सा करीब 50 वर्श से ज्यादा है, बना हुआ है। जिसमें 3 मंदिर, चौदह कमरे आश्रम हेतु महात्माओं आदि के रूकने के लिए एवं तीन खपडैल षेड बने हुए है, जिसमें परिवादी के पूर्वजों की समाधि भी बनी हुई है। प्रष्नगत मकान नगर निगम सीमा सीमा के अंतर्गत आने पर, उसका हाउस टैक्स विपक्षी सं0-2 को बराबर अदा करता चला आ रहा   है।  दिनांक 19.08.85 को विपक्षीगण के कर्मचारियों द्वारा उक्त निर्माण को 
...........2
...2...

गिराये जाने की धमकी दी गयी, जिसके आधार पर वाद सं0-1282/85 दायर किया गया है और उक्त वाद में विपक्षीगण को रोक दिया गया था कि वे परिवादी के उपरोक्त मकान को बिना विधिक प्रक्रिया के ध्वस्त न करें। विपक्षी सं0-1 ने विपक्षी सं0-2 से साजिष करके बगैर पैमाईष व सीमांकन कराये परिवादी को बगैर कोई नोटिस दिये दिनांक 15.09.08 को परिवादी के मकान का जुज भाग जिसमें 13 कमरे व बाउण्ड्री बनी हुई है तथा जिसमें अतिथि लोग ठहरे हुए थे, बगैर कोई सूचना व मौका दिये हुए धराषायी कर दिया, जो कि विपक्षीगण की सेवाओं में कमी के कारण हुआ। फलस्वरूप परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3.    विपक्षी सं0-1 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादी द्वारा विपक्षी उत्तरदात को कोई धनराषि नहीं दी गयी है, इसलिए परिवादी विपक्षी उत्तरदाता का उपभोक्ता नहीं है। परिवादी मा0 उच्चन्यायालय के समक्ष भी समान तथ्यों पर मुकद्मा प्रस्तुत किया गया है, जो कि अभी भी विचाराधीन चल रहा है। अतः परिवादी विपक्षी उत्तरदात के प्रति उपभोक्ता की कोटि में न होने के कारण तथा सम्बन्धित मुकद्मा मा0 उच्चन्यायालय के समक्ष विचाराधीन होने के कारण परिवाद सव्यय खारिज किया जाये।
4.    विपक्षी सं0-2 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद में विपक्षी सं0-2 द्वारा कोई निर्माण कार्य नहीं कराया गया है और न ही विपक्षी सं0-2 द्वारा परिवादी को कोई क्षति आर्थिक व मानसिक रूप से पहुॅचाई गयी है। इसलिए विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध कोई भी आदेष पारित किया जाना न्यायसंगत नहीं है। अतः परिवाद खारिज किया जाये।
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...3...

5.    परिवादी की ओर से जवाबुल जवाब प्रस्तुत करके, विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत किये गये जवाब दावा का खण्डन किया गया है और स्वयं के द्वारा प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों की पुनः पुश्टि की गयी है।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6.    परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 23.10.08, 23.11.11 एवं 18.10.14 दाखिल किया है।
विपक्षी सं0-1 की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
7.    विपक्षी सं0-1 ने अपने कथन के समर्थन में उर्मिला सोनकर खाबरी, संयुक्त सचिव का षपथपत्र दिनांकित 12.08.10 दाखिल किया है।
निष्कर्श
8.    फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिषीलन किया गया।
    उपरोक्तानुसार उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में प्रमुख रूप से निम्नवत् दो विचारणीय बिन्दु बनते हैंः-
1.    क्या परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है, यदि हां तो प्रभाव?
2.    क्या प्रस्तुत मामले से सम्बन्धित मामला मा0 उच्चन्यायालय के समक्ष विचाराधीन है, यदि हां तो प्रभाव?

विचारणीय बिन्दु संख्या-1ः- 
9.    उपरोक्त वाद बिन्दु सिद्ध करने का भार परिवादी पर है। विपक्षी सं0-1 की ओर से यह कथन किया गया है कि परिवादी द्वारा विपक्षी उत्तरदाता को कोई धनराषि नहीं दी गयी है। इसलिए परिवादी विपक्षी उत्तरदाता का उपभोक्ता नहीं है। इस सम्बन्ध में परिवादी की ओर से अपने जवाबुल जवाब में यह कहा गया है कि परिवादी नगर-निगम को हाउस टैक्स व जल संस्थान को वाटर टैक्स अदा करता है और विपक्षी सं0-1 उसका अभिन्न अंग है। ऐसी दषा में परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में आता है। 
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10.    उपरोक्तानुसार उपरोक्त वाद बिन्दु पर उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि उभयपक्षों की ओर से अपने-अपने कथन के समर्थन में मात्र षपथपत्रीय साक्ष्य प्रस्तुत किये गये हैं। परिवादी द्वारा अपने जवाबुल जवाब में प्रष्नगत भवन का हाउस टैक्स व वाटर टैक्स अदा करने के आधार पर स्वयं को विपक्षी का उपभोक्ता बताया गया है। किन्तु परिवादी द्वारा प्रष्नगत भवन से सम्बन्धित हाउस टैक्स व वाटर टैक्स अदा करने का कोई प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है। विधि का यह सुस्थापित सिद्धांत है कि जिन तथ्यों को अन्य अभिलेखीय साक्ष्यों से सिबत किया जाना संभव हों, उन तथ्यों को मात्र षपथपत्रीय साक्ष्य से साबित नहीं किया जा सकता। अतः फोरम इस मत का है कि प्रस्तुत वाद बिन्दु परिवादी के विरूद्ध व विपक्षीगण के पक्ष में निर्णीत किया जाता है।
विचारणीय बिन्दु संख्या-2
11.    उपरोक्त विचारणीय वाद बिन्दु को सिद्ध करने का भार विपक्षीगण पर है। विपक्षी सं0-1 की ओर से इस सम्बन्ध में यह कथन किया गया है कि समान तथ्यों पर आधारित मामला मा0 उच्चन्यायालय के समक्ष विचाराधीन है। अतः प्रस्तुत फोरम को प्रस्तुत मामले का निस्तारण नहीं करना चाहिए। अन्यथा स्थिति में मा0 उच्चन्यायालय के समक्ष विचाराधीन मामला प्रभावित होगा। इस सम्बन्ध में परिवादी की ओर से जवाबुल जवाब दाखिल करके यह कहा गया है कि मा0 उच्चन्यायालय के समक्ष विचाराधीन मामला प्रस्तुत मामले से भिन्न है। उभयपक्षों की ओर से अपने-अपने कथन के समर्थन में षपथपत्र प्रस्तुत किये गये हैं। विपक्षी सं0-2 की ओर से यह कथन किया गया है कि विपक्षी सं0-2 के द्वारा परिवादी को किसी प्रकार की कोई क्षति नहीं पहुॅचाई गयी है। इसलिए विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध परिवाद खारिज किया जाये।

    उपरोक्तानुसार उपरोक्त वाद बिन्दु पर उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि उभयपक्षों के द्वारा अपने-अपने कथन के समर्थन में मात्र षपथपत्रीय साक्ष्य प्रस्तुत  किये गये 
.............5

...5...

हैं, कोई अन्य प्रलेखीय साक्ष्य दाखिल नहीं किया गया है। विधि का यह सुस्थापित सिद्धांत है कि विपक्षीगण प्रष्नगत मामले से सम्बन्धित कोई साक्ष्य दाखिल करे या न करे, परिवादी को अपने पैरों पर खड़े होकर परिवाद साबित करना होगा। ऐसी दषा में परिवादी को मा0 उच्चन्यायालय के समक्ष अभिकथित विचाराधीन मामला प्रस्तुत मामले के तथ्यों से भिन्न होने का प्रकरण याचिका की छायाप्रति प्रस्तुत करके साबित करना चाहिए था। परिवादी द्वारा प्रस्तुत वाद बिन्दु के सम्बन्ध में सम्यक साक्ष्य प्रस्तुत न करने के कारण फोरम इस मत का है कि प्रस्तुत वाद बिन्दु विपक्षीगण के पक्ष में तथा परिवादी के विरूद्ध निर्णीत किये जाने योग्य है।

    अतः उपरोक्त निश्कर्श के आधार पर उपरोक्त वाद बिन्दु परिवादी के विरूद्ध तथा विपक्षीगण के पक्ष में निर्णीत किया जाता है

12.    उपरोक्तानुसार उपरोक्त दोनों विचारणीय बिन्दुओं के निश्कर्श के आधार पर फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
13.     परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध खारिज कया जाता हैं उभयपक्ष अपना-अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।

   (पुरूशोत्तम सिंह)      ( सुधा यादव )         (डा0 आर0एन0 सिंह)
     वरि0सदस्य           सदस्या                   अध्यक्ष
 जिला उपभोक्ता विवाद    जिला उपभोक्ता विवाद        जिला उपभोक्ता विवाद       
     प्रतितोश फोरम          प्रतितोश फोरम                प्रतितोश फोरम
     कानपुर नगर।           कानपुर नगर                 कानपुर नगर।

    आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।

  (पुरूशोत्तम सिंह)       ( सुधा यादव )         (डा0 आर0एन0 सिंह)
     वरि0सदस्य           सदस्या                   अध्यक्ष
 जिला उपभोक्ता विवाद    जिला उपभोक्ता विवाद        जिला उपभोक्ता विवाद       
     प्रतितोश फोरम          प्रतितोश फोरम                प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर।           कानपुर नगर                 कानपुर नगर।
परिवाद संख्या-178/2009

 

 
 
[HON'BLE MR. RN. SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Sudha Yadav]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH]
MEMBER

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