राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-324/2019
1- अधिशासी अभियंता, विद्युत वितरण खण्ड-।।, आजमगढ़।
2- ए0एच0 खान, अधिशासी अभियंता, विद्युत वितरण खण्ड-।।, आजमगढ़।
........... अपीलार्थी/विपक्षीगण
बनाम
कविन्द्र नाथ राय पुत्र स्व0 ज्वाला राय, निवासी ग्राम पटवध कौतुक, पोस्ट पटवध कौतुक, परगना व तहसील सगड़ी, जिला आजमगढ़।
…….. प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री संतोष कुमार मिश्रा
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री बलवंत राय
दिनांक :- 20.02.2023
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/ विद्युत विभाग द्वारा इस आयोग के सम्मुख धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, आजमगढ़ द्वारा परिवाद सं0-198/2015 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.07.2017 के विरूद्ध योजित की गई है।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसने खेतों की सिंचाई हेतु अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा निर्धारित औपचारिकतायें पूर्ण कर दिनांक 31.7.2008 को पॉच हार्स पावर के निजी नलकूप का कनेक्शन लिया था, जिसका कनेक्शन नं0-3784/016109 है जिसका बिल वह नियमानुसार जमा करता रहा है। अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा दिनांक 03.9.2015 को बिना किसी पूर्व सूचना के गैर जिम्मेदाराना ढंग से प्रत्यर्थी/परिवादी के नलकूप का विद्युत तार, इंसुलेटर इत्यादि उतरवा
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लिया, तब से प्रत्यर्थी/परिवादी का नलकूप बन्द पड़ा है तथा प्रत्यर्थी/परिवादी ने बैंक आफ बड़ौदा शाखा पटवध, आजमगढ़ से अपने के0सी0सी0 खाते पर लगभग 2,70,000.00 रू0 का ऋण लेकर लगभग 13 एकड़ में धान की खेती की थी, जो सिंचाई के अभाव में सूख गई जिससे प्रत्यर्थी/परिवादी का लगभग 4,95,000.00 रू0 का नुकसान हुआ, जो कि अपीलार्थी/विपक्षीगण की सेवा में कमी के कारण हुआ एवं उक्त नुकसान की भरपाई के लिए अपीलार्थी/विपक्षीगण दोषी हैं। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षीगण से मिलकर नुकसान की भरपाई एवं लाइन जोड़ने के लिए प्रार्थना की गई, परन्तु अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा दिनांक 27.10.2015 को उक्त कार्यवाही करने से इंकार कर दिया गया, अत्एव प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध क्षतिपूर्ति का अनुतोष दिलाये जाने तथा विद्युत लाइन को बहाल किये जाने हेतु परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथनों से इंकार किया गया तथा यह कथन किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने जहॉ निजी ट्यूबवेल संचालित करने हेतु कनेक्शन लिया था, वहॉ पर एक ट्यूबवेल की बोरिंग कराकर चला रहा था, परन्तु प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा लगभग दो वर्षों से गॉव के बाहर एक और ट्यूबवेल की बोरिंग कराकर विद्युत का उपयोग करते हुए नलकूप चला रहा था। इस प्रकार प्रत्यर्थी/परिवादी एक ट्यूबवेल का कनेक्शन लेकर चोरी से एक और ट्यूबवेल चला रहा था, जिसे जे0ई0 द्वारा मना करने पर प्रत्यर्थी/परिवादी नहीं माना और जे0ई0 को धमकाने लगा, इसलिए थाने की पुलिस के सहयोग से प्रत्यर्थी/परिवादी के दूसरे ट्यूबवेल के कनेक्शन को समाप्त कर विद्युत
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तार उतार लिया गया एवं प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा विद्युत विभाग को परेशान करने के उद्देश्य से मा0 उच्च न्यायालय में मुकदमा भी किया गया था, जो खारिज हो गया था।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्य पर विस्तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
"परिवाद, विपक्षीगण के विरूद्ध अंशत: स्वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वे निर्णय की तिथि से 15 दिन के अन्दर तार इत्यादि समस्त उपकरण ले जाकर उसके (परिवादी) के प्रश्नगत ट्यूबवेल को विद्युत से पुर्नसंयोजित करें तथा क्षतिपूर्ति के रूप में एक माह के अन्दर रू0 15,000.00 (पंद्रह हजार रूपये) भी अदा करें। फेल रहने पर निर्णय तिथि से 09 वार्षिक ब्याज प्रभावी होगा।"
जिला उपभोक्ता आयोग के प्रश्नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/ विद्युत विभाग द्वारा प्रस्तुत अपील योजित की गई है।
मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
वर्तमान प्रकरण में यह तथ्य निर्विवादित रूप से पाया जाता है कि प्रस्तुत अपील इस आयोग के सम्मुख लगभग एक वर्ष छ: माह के विलम्ब से विलम्ब देरी क्षमा प्रार्थना पत्र के साथ प्रस्तुत की गई है तथा विलम्ब देरी क्षमा प्रार्थना पत्र में अपील योजित करने में हुई देरी का मुख्य आधार यह बताया गया है कि प्रश्नगत निर्णय/आदेश की प्रति गुम हो गई थी एवं जब वसूली की कार्यवाही हेतु वसूली प्रमाण पत्र उनके कार्यालय में दिनांक 15.12.2018 को प्राप्त हुआ तब जिला उपभोक्ता आयोग के प्रश्नगत निर्णय/आदेश की प्रति दिनांक 01.3.2019 को प्राप्त होने पर अपील योजित किया जाना उल्लिखित
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किया गया है, जो कि मेरे विचार से अपील को ग्रहण किये जाने हेतु पर्याप्त एवं उचित प्रतीत नहीं होता है, अत्एव अपील योजित किये जाने में हेतु प्रस्तुत विलम्ब देरी क्षमा देरी प्रार्थना पत्र अस्वीकार किया जाता है।
मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के कथनों को सुना गया तथा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: विधि अनुकूल है तथा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा जो अनुतोष अपने प्रश्नगत निर्णय/आदेश में अपीलार्थी/परिवादी को प्रदान किया गया है, उसमें किसी प्रकार कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा अपीलीय स्तर पर इंगित नहीं की जा सकी है, तद्नुसार अंगीकरण के स्तर पर अपील निरस्त की जाती है।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को नियमानुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाये।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वइ इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश सिंह
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,
कोर्ट नं0-1