(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-299/2010
विशनू सीडस फार्म बाजार किला निकट सब्जी मण्डी व अन्य
बनाम
कौसर वल्द रियासल अली साकिन कस्बा विरिया
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री एस0के0 शुक्ला, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक :27.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-141/2008, कौसर वल्द रियासत बनाम विशनू सीडस फार्म व अन्य में विद्वान जिला आयोग, (प्रथम) बरेली द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 25.01.2010 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री एस0के0 शुक्ला के तर्क को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता आयोग ने निर्णय के पृष्ठ सं0 9 में यह उल्लेख किया है कि परिवादी ने अपने 15 बीघा कृषि भूमि में बोई गयी तुरई, लौकी, खीरा की फसल के लिए 3,50,000/-रू0 की क्षति की मांग की गयी है, परंतु इसका कोई आंकलन नहीं किया गया है, इसलिए जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवादी द्वारा गुणवत्ता विहीन दवाई का उपयोग करने के लिए में 25,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया है, जो न्यूनतम श्रेणी की है। अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता की ओर से यह बहस की गयी है कि दस्तावेज सं0 12 पर जो रसीद दर्शायी गयी है, उसमें किसी के हस्ताक्षर मौजूद नहीं है और केवल एक कार्ड लगाया गया है। यह सही है कि दस्तावेज सं0 12 पर केवल कार्ड की फोटोकॉपी चस्पा की गयी है, परंतु परिवादी ने सशपथ साबित किया है कि उसने विपक्षी सं0 1 से ही कीटनाशक क्रय किया था तथा जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष क्रय करने की रसीद मूल रूप से दाखिल की गयी है। जिला उपभोक्ता आयोग ने अपने निर्णय में इस तथ्य का उल्लेख किया है कि निर्णय के पैरा सं0 8 में स्पष्ट अंकित है कि खाद क्रय करने की मूल रसीद प्रस्तुत की गयी है। अत: इस निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2