राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
परिवाद संख्या-159/2012
टेक्नीकल एसोसिएट्स लि0 द्वारा डिप्टी जनरल मैनेजर एकाउन्ट्स
हेड आफिस स्थित 8 किलोमीटर फैजाबाद रोड इस्माइल गंज
लखनऊ-226016 ...........परिवादी
बनाम्
कटारिया कैरियर्स द्वारा ब्रांच मैनेजर बजाज काम्पलेक्स सेक्टर 20
नोएडा यू0पी0 बार्डर, गाजियाबाद यू0पी व 4 अन्य। .......विपक्षीगण
समक्ष:-
1. मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थित: श्री ध्रुव कुमार, विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी सं0 1 व 2 की ओर से उपस्थित : श्री अनिल कुमार मिश्रा, विद्वान
अधिवक्ता।
विपक्षी सं0 3 लगायत 5 की ओर से उपस्थित : श्री अनिल कुमार
श्रीवास्तव, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 10.01.2022
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. यह परिवाद विपक्षी संख्या 1 व 2 के विरूद्ध रू. 7313832/- के सामान भेजे गए स्थान पर प्राप्त न कराने की क्षति की पूर्ति के लिए 14 प्रतिशत ब्याज प्राप्त करने के लिए तथा विकल्प में बीमा कंपनियों को इस राशि के भुगतान का निर्देश देने के लिए प्रस्तुत किया है।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने हिन्दुस्तान कापर लि0 से रू. 7313832/- का कापर रोड क्रय किया था। परिवादी ने नोएडा से लखनऊ के लिए विपक्षी संख्या 1 के माध्यम से सामान भिजवाना सुनिश्चित किया था। विपक्षी संख्या 1 द्वारा जी.आर नं0 506827 दि. 30.11.10 को जारी की गई और यह सामान ट्रक संख्या यूपी-71-बी 2425 में परिवादी की लखनऊ स्थित फैक्ट्री में पहुंचाने के लिए लादा गया। यह सामान दो-तीन दिन के अंदर लखनऊ पहुंच जाना था, परन्तु सामान समय
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पर न पहुंचने पर जानकारी प्राप्त की गई तब विपक्षी संख्या 2 द्वारा बताया गया था कि ट्रक खराब हो गया है। बाद में विपक्षी संख्या 1 द्वारा सूचना दी गई कि ट्रक गायब हो गया है, जिसकी सूचना कवि नगर गाजियाबाद पुलिस थाने में लिखाई गई है।
3. परिवादी ने दि. 14.12.10 को विपक्षी संख्या 1 लगायत 2 को नोटिस जारी किया और अंकन रू. 7313832/- की मांग की। पुन: दि. 06.1.11 को विपक्षी संख्या 2 से अनुरोध किया गया कि वह क्षति की पूर्ति करेगा। विपक्षी संख्या 2 ने दि. 29.1.11 को अंकन रू. 7313832/- के मूल्य का सामान परिवादी की फैक्ट्री में न पहुंचने का प्रमाणपत्र जारी किया, परन्तु सामान की मूल्य की क्षति की पूर्ति नहीं की गई, इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
4. परिवाद पत्र के साथ दस्तावेज संख्या 6 लगायत 53 प्रस्तुत किए गए हैं, जिनमें 3 बीमा पालिसी भी शामिल है। परिवाद के समर्थन में शपथपत्र परिवादी के डिप्टी जनरल मैनेजर श्री टी.एन. राय द्वारा प्रस्तुत किया गया है।
5. बीमा कंपनी विपक्षी संख्या 3 लगायत 5 की ओर से प्रस्तुत किए गए लिखित कथन में उल्लेख किया गया है कि चूंकि बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन हुआ है, इसलिए बीमा कंपनी उत्तरदायी नहीं है। ट्रक ड्राइवर तथा ट्रक मालिक के पते जांच में फर्जी पाए गए, इसलिए कैरियर द्वारा अपने दायित्व का सही अनुपालन नहीं किया गया। दि. 30.11.10 को लादान किया गया सामान दि. 08.12.10 तक भी ज्ञात नहीं हो सका कि कहां पर है। प्रथम सूचना की रिपोर्ट दि. 08.12.10 को लिखाई गई है और बीमा
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कंपनी को दि. 14.12.10 को क्लेम प्रस्तुत किया गया है, जो एक साजिश का नतीजा प्रतीत होता है।
6. विपक्षी संख्या 1 लगायत 2 की ओर से प्रस्तुत लिखित कथन में यह स्वीकार किया गया है कि ट्रक संख्या यूपी 71 बी-2425 में परिवादी का सामान लादा गया था। प्रस्तुत केस में परिवादी ने अपने स्वयं के रिस्क पर सामान का लादान किया था, इसलिए सामान गुम होने के लिए विपक्षी संख्या 1 व 2 उत्तरदायी नहीं हैं, बल्कि विपक्षी संख्या 3 लगायत 5 उत्तरदायी है।
7. विपक्षी संख्या 1 व 2 द्वारा अपने साक्ष्य के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया गया तथा विपक्षी संख्या 3 लगायत 5 द्वारा साक्ष्य दाखिल किया गया तथा शपथपत्र दाखिल किया गया।
8. सभी पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं को सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
9. इस परिवाद के विनिश्चय के लिए सर्वप्रथम विनिश्चयात्मक बिन्दु यह उत्पन्न होता है कि क्या विपक्षी संख्या 1 एवं 2 द्वारा सेवा में कमी की गई है। द्वितीय विनिश्चयात्मक बिन्दु यह उत्पन्न होता है कि क्या विपक्षी संख्या 1 एवं 2 द्वारा की गई सेवा में कमी की क्षतिपूर्ति करने के लिए विपक्षी संख्या 3 लगायत 5 उत्तरदायी हैं।
10. उपरोक्त वर्णित दोनों विनिश्चयात्मक बिन्दु एक दूसरे के पूरक हैं, अत: सुविधा की दृष्टि से दोनों बिन्दुओं पर एक साथ निष्कर्ष दिया जाता है।
11. परिवादी तथा विपक्षी संख्या 1 एवं 2 के मध्य यह स्थिति स्वीकार है कि परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या 1 एवं 2 के माध्यम से अपना सामान
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नोएडा से लखनऊ के लिए भिजवाया गया। माल भेजा गया और वह माल गुम हो गया, अत: इन बिन्दुओं पर अतिरिक्त विवेचना की आवश्यकता नहीं है। बीमा कंपनी के विद्वान अधिवक्ता का यह कथन है कि विपक्षी संख्या 1 एवं 2 ने माल का लादान करने में अत्यधिक लापरवाही कारित की गई है और बीमा शर्तों का उल्लंघन किया है, इसलिए बीमा कंपनी परिवादी को कारित क्षति के लिए उत्तरदायी नहीं है। बीमा कंपनी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा अपने तर्क के समर्थन में निम्न दो बिन्दु जाहिर किए हैं।
(अ). ट्रक ड्राइवर एवं ट्रक मालिक का नाम विपक्षी संख्या 1 एवं 2 को ज्ञात नहीं है। इस प्रकार अज्ञात नाम के ट्रक मालिक और ड्राइवर के द्वारा माल भेजना विपक्षी संख्या 1 एवं 2 की लापरवाही का द्योतक है।
(ब). माल दि. 30.11.10 को प्रेषित किया गया, परन्तु प्रथम सूचना रिपोर्ट दि. 08.12.10 को लिखाई गई, इतनी देरी से रिपोर्ट लिखाने के कारण माल बरामद होने के अवसर कम हो गए। यह त्रुटि गंभीर त्रुटि है, इसके लिए बीमा कंपनी उत्तरदायी नहीं हो सकती।
12. यह तथ्य स्थापित है कि दि. 30.11.10 को माल प्रेषित किया गया, जो 2 दिन के अंदर लखनऊ पहुंच जाना चाहिए था। परिवादी द्वारा इस तथ्य की शिकायत भी की गई, परन्तु विपक्षी संख्या 1 एवं 2 द्वारा इस शिकायत की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। प्रथम बार ट्रक खराब होने और दूसरी बार ट्रक गुम होने का अभिवाक लिया गया और दि. 08.12.10 यानी लंबी अवधि व्यतीत होन के पश्चात प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई गई, जिसके कारण माल बरामद होने की संभावनाएं कम हो गई और इस प्रकार विपक्षी संख्या 1 एवं 2 द्वारा बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन किया गया।
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13. विपक्षी संख्या 1 एवं 2 के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि यथार्थ में परिवादी द्वारा बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया और बीमा क्लेम नकारने के पश्चात यह परिवाद यथार्थ में बीमा कंपनी के विरूद्ध प्रस्तुत किया गया, परन्तु विपक्षी संख्या 1 एवं 2 को अनावश्यक रूप से पक्षकार बनाया गया है। माल गुम होने की प्रथम सूचना रिपोर्ट पवन कुमार जैन शाखा प्रबंधक कटारिया कैरियर्स गाजियाबाद द्वारा दर्ज कराई गई है। इस रिपोर्ट में यह उल्लेख है कि ट्रक संख्या यूपी 71 बी-2425 में हिन्दुस्तान कापर लि0 से कापर लि0 का सामान नोएडा से लखनऊ के लिए रवाना किया गया। इस ट्रक का दलाल तथा कय्यूम खान ट्रक मालिक गिरीश कुमार, ट्रक चालक घनश्याम पुत्र शिव शंकर हैं। लोडिंग के समय ट्रक मालिक और ट्रक चालक दोनों मौजूद थे। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि यह माल दलाल तथा कय्यूम खान ट्रक मालिक गिरीश कुमार, ट्रक चालक घनश्याम तीनों ने ट्रक का सामान मिलकर बेच दिया और अमानत में ख्यानत की है। इस रिपोर्ट से स्पष्ट हो जाता है कि रिपोर्टकर्ता द्वारा जो सामान रिपोर्ट में वर्णित 3 व्यक्तियों को सुपुर्द किया गया है और उनके द्वारा माल आदि ठिकाने पर नहीं पहुंचाया गया, जहां पहुंचाया जाना चाहिए था, इसलिए वास्तविक केस अमानत में ख्यानत यानी धारा 406 आई.पी.सी. का बनता है, अमानत में ख्यानत के लिए बीमा पालिसी से किसी प्रकार की सुरक्षा प्राप्त नहीं है, इसलिए बीमा कंपनी इस आपराधिक कृत्य के लिए बीमा क्लेम अदा करने के लिए उत्तरदायी नहीं है।
14. चूंकि स्वयं पवन कुमार जैन द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट में दिए गए विवरण के अनुसार मामला अमानत में ख्यानत का बनता है, यदि कटारिया कैरियर्स ने अपने कर्तव्य का समुचित पालन नहीं किया, यानी एक योग्य
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सक्षम एवं ईमानदान कैरियर के माध्यम से माल की आपूर्ति नहीं कराई गई तब इस लापरवाही का दोष केवल कटारिया कैरियर्स का है न कि बीमा कंपनी का, अत: परिवादी को कारित क्षति के लिए विपक्षी संख्या 1 एवं 2 उत्तरदायी हैं न कि बीमा कंपनी।
15. अब इस बिन्दु पर विचार किया जाता है कि क्षतिपूर्ति की राशि क्या सुनिश्चित की जानी चाहिए। परिवाद पत्र में ट्रक में लादे गए माल की कीमत रू. 7313832/- बताई है। इस माल को क्रय करने के दस्तावेज पत्रावली पर मौजूद हैं। विपक्षीगण ने भी माल के इस मूल्य से इंकार नहीं किया है यानी माल की कीमत रू. 7313832/- ही स्वीकार की गई है, अत: परिवादी इस समस्त धनराशि को विपक्षी संख्या 1 एवं 2 से प्राप्त करने के लिए अधिकृत है। परिवादी इस राशि पर 07 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज प्राप्त करने के लिए भी अधिकृत है।
16. परिवाद के खर्च के मद में एक लाख रूपये की मांग की गई है जो अत्यधिक उच्च दर से दर्शाई गई है। इस मद में रू. 25000/- पाने के लिए अधिकृत है।
आदेश
17. परिवाद इस रूप में स्वीकार किया जाता है:-
(अ) विपक्षी संख्या 1 व 2 एकल एवं संयुक्त दायित्व के तहत परिवादी को अंकन रू. 7313832/- तथा इस राशि पर दि. 29.01.2011 से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 07 प्रतिशत प्रतिवर्ष का ब्याज अदा करें। 3 माह के पश्चात ब्याज की राशि 14 प्रतिशत की दर से देय होगी।
(ब) परिवाद व्यय के रूप में अंकन रू. 25000/- परिवादी को अदा करें। इस राशि पर कोई ब्याज देय नहीं होगा।
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आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की
वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित
किया गया।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-2