जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, जशपुर (छ0ग0)
प्रकरण क्रमांक :-CC/17/2015
प्रस्तुति दिनांक :- 02/11/2015
निरंजन राम आ. पिता श्री भिखा राम, जाति नगेसिया,
उम्र लगभग 65 वर्ष, नि.ग्राम-जुरगूम जशपुर नगर
जिला-जशपुर (छ.ग.) ........ ..........परिवादी /आवेदक
( विरूद्ध )
1. कार्यपालन अधिकारी
जिला अंत्यावसायी सहकारी
विकास समिति मर्यादित जशपुर छ.ग.
2.कार्यपालन अधिकारी
जिला अंत्यावसायी सहकारी
विकास समिति मर्यादित, रायगढ़ छ.ग.
3. जैन ट्रैक्टर्स जशपुर
द्वारा प्रो. जयंत जैन,
महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा
बालाजी मंदिर रोड,
जिला जशपुर छ.ग.
4. दीपक साही
मिश्रा कॉलोनी, वार्ड नं. -02
जशपुर नगर जिला जशपुर छ.ग..... .....विरोधी पक्षकारगण/अनावेदकगण
///आदेश///
(आज दिनांक 21/10/2016 को पारित)
1. परिवादी/आवेदक ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद विरूद्ध पक्षकारगण/अनावेदकगण के विरूद्ध सेवा में कमी करने के आधार पर वाहन का दस्तावेज रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र, बीमा प्रमाण पत्र एवं वाहन का केजवील दिलाये जाने, वाहन खड़े रहने की क्षति 1,00,000/-रू., कृषि कार्य की क्षति 1,00,000/-रू., मानसिक क्षतिपूर्ति 1,00,000/-रू., एवं अन्य अनुतोष, कुल 3,00,000/-रू. मय 12 प्रतिशत ब्याज दिलाए जाने हेतु दिनांक 02.11.2015 को प्रस्तुत किया है।
2. स्वीकृत तथ्य है कि :-
परिवादी ने अनावेदक क्रमांक 2 जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति मर्यादित रायगढ़/जशपुर द्वारा अनुसूचित जनजाति ट्रेक्टर ट्राली योजनातंर्गत ऋण/वित्तीय सहायता प्राप्त कर वाहन ट्रेक्टर इंजिन नंबर एन डी एच 18220 महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा क्रय किया था।
3. अ. परिवाद के निराकरण के लिए आवश्यक तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी/आवेदक ने स्वयं के जिविकोपार्जन हेतु जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति मर्यादित रायगढ़/जशपुर द्वारा अनुसूचित जनजाति ट्रेक्टर ट्राली योजनातंर्गत ऋण प्राप्त कर वाहन ट्रेक्टर इंजिन नंबर एन डी एच 18220 महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा जैन ट्रेक्टर्स प्रा. लिमिटेड से प्राप्त किया था। ऋण की संपूर्ण अदायगी किये जाने के पश्चात् कार्यपालन अधिकारी जिला अंत्यावसायी विकास समिति मर्यादित द्वारा नो ड्यूज प्रमाण पत्र प्रदाय किया गया परंतु वाहन के दस्तावेज प्राप्त नहीं हुए तब परिवादी इसे प्राप्त करने के लिए अनावेदक से अनेकों बार संपर्क किया, किंतु न तो उसे दस्तावेज प्राप्त हुए और न ही कहॉं से प्राप्त होगा बताया गया। जिससे परिवादी को वाहन से होने वाले आय से वंचित होना पड़ा जिससे उक्त वाहन लिए जाने का औचित्य समाप्त हो गया।
ब. वाहन प्रदाय किए जाते समय अनावेदक क्रमांक 3 के एजेंट अनावेदक क्रमांक 4 के माध्यम से जमीन का दो ऋण पुस्तिका जिसमें से एक ढीढ़ा राम और दूसरा निरंजन राम वगैरह के नाम पर था उसे भी जमा कर दिया गया और वाहन के दस्तावेज के नाम पर 16,000/-रू. की मांग किये जाने पर 12,000/-रू. की राशि अलग से अनावेदक क्रमांक 4 को प्रदाय की गयी और शेष राशि 4,000/-रू. वाहन के दस्तावेज प्रदाय किए जाने पर दिए जाने की बात हुई थी साथ ही वाहन का केजवील भी परिवादी को दिया जाना शेष था, जो आज दिनांक तक परिवादी को अप्राप्त है।
स. परिवादी द्वारा अनावेदकगण को उपरोक्त आशय की सूचना पत्र दिया जा चुका है, जिसका कोई जवाब प्रदाय नहीं किया गया है। परिवादी के द्वारा पूर्व में इस आशय का एक परिवाद पत्र प्र्र्र्र्रस्तुत किया गया था, जिस पर त्रुटि होने के कारण परिवाद पत्र पंजीयन पूर्व ही वापस लिया गया था। इस प्रकार अनावेदकगण द्वारा सेवा में कमी किए जाने से परिवादी को आर्थिक एवं मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है । अतः परिवादी/आवेदक ने यह परिवाद प्रस्तुत कर अनावेदकगण से संयुक्त एवं पृथक-पृथक वाहन का दस्तावेज रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र, बीमा प्रमाण पत्र एवं वाहन का केजवील दिलाया जावे, वाहन खड़े रहने की क्षति 1,00,000/-रू., कृषि कार्य की क्षति 1,00,000/-रू, मानसिक क्षतिपूर्ति 1,00,000/-रू., एवं अन्य अनुतोष, कुल 3,00,000/-रू. मय 12 प्रतिषत ब्याज दिलाए जाने की प्रार्थना किया है।
4. अ. अनावेदक क्रमांक 1 एवं 2 ने जवाब दावा प्रस्तुत कर स्वीकृत तथ्य को छोड़ शेष तथ्य से इंकार करते हुए कथन किया है कि परिवादी को अनावेदक क्रमांक 2 के द्वारा जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति मर्यादित रायगढ़ द्वारा अनुसूचित जनजाति ट्रेक्टर ट्राली योजना अंतर्गत ऋण/वित्तीय सहायता प्रदान किया गया था। परिवादी के द्वारा सेंट्रल इंडिया मोटर्स बिलासपुर द्वारा किये गये ट्रेक्टर की इनव्हाइस पत्र प्राप्त कर अनावेदक क्रमांक 2 को प्रस्तुत किया था, जिसके आधार पर परिवादी को ट्रेक्टर क्रय हेतु वित्तीय सहायता प्रदाय की गई थी ।
ब. अनावेदक क्रमांक 1 एवं 2 एक शासकीय संस्था है और उक्त संस्था/विभाग के द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाले व्यक्ति को केवल वित्तीय सहायता/ऋण प्रदाय किया जाता है, वाहन से संबंधित वाहन का परिवहन विभाग से पंजीकरण आदि कराये जाने का संपूर्ण भार ऋणी/हितग्राही के उपर होता है, हितग्राही द्वारा प्राप्त किए गये वाहन का पंजीयन परिवहन विभाग से कराये जाने का पूर्ण जवाबदारी होता है, उक्त प्रक्रिया में विभाग को कोई जवाबदारी नहीं होता। वाहन से संबंधित दस्तावेज विभाग द्वारा दिए जाने की जवाबदारी विभाग के उपर नहीं है और न ही परिवादी के हुए क्षतिपूर्ति का जवाबदार अनावेदकगण है। अनावेदक क्रमांक 1 एवं 2 के विरूद्ध अनावश्क रूप से परिवाद बिना विधिक आधार के प्रस्तुत किया गया है, अतः परिवाद सव्यय निरस्त किया जाने का निवेदन किया गया है।
5. अ. अनावेदक क्रमांक 3 ने जवाब दावा प्रस्तुत कर स्वीकृत तथ्य को छोड़ शेष तथ्य से इंकार करते हुए कथन किया है कि परिवादी को अनावेदक क्रमांक 2 के द्वारा जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति मर्यादित रायगढ़ द्वारा अनुसूचित जनजाति ट्रेक्टर ट्राली योजना अंतर्गत ऋण/वित्तीय सहायता स्वीकृत कर ट्रेक्टर ट्राली प्रदाय किया गया था। परिवादी के द्वारा सेंट्रल इंडिया मोटर्स बिलासपुर द्वारा किये गये ट्रेक्टर की इनव्हाइस पत्र प्राप्त कर अनावेदक क्रमांक 2 को प्रस्तुत किया था, जिसके आधार पर परिवादी को ट्रेक्टर क्रय हेतु वित्तीय सहायता प्रदाय की गई थी, और सेंट्रल इण्डिया मोटर्स बिलासपुर द्वारा ट्रेक्टर क्रय किया था। अनावेदक क्रमांक 3 परिवादी को वाहन सेंट्रल इंण्डिया मोटर बिलासपुर द्वारा भेजे जाने पर मात्र डिलीवरी दिया है। अनावेदक क्रमांक 3 परिवादी से वाहन से संबंधित दस्तावेज के संबंध में अनावेदक से कोई बात नहीं किया है। सेंट्रल इण्डिया मोटर्स बिलासपुर द्वारा अनावेदक ट्रेक्टर विक्रय की पक्की रसीद प्रदाय किया गया था और साथ में उक्त विक्रय के संबंध में संतुष्टि प्रमाण पत्र पर क्रेता/परिवादी का अभिस्वीकृति हस्ताक्षर कराया गया था। संतुष्टि प्रमाण पत्र की अभिस्वीकृति में विक्रेता द्वारा केजव्हील प्रदाय किया जाना स्पष्ट है। परिवादी द्वारा अनावेदक क्रमांक 3 को परिवहन विभाग से वाहन के पंजीयन हेतु कोई राशि नहीं दी गयी है। अतः अनावेदक क्रमांक 3 की कोई जवाबदारी नहीं है। परिवादी द्वारा अनावेदक क्रमांक 3 को परिवाद प्रस्तुत करने के पूर्व कोई सूचना नहीं दी गयी है बगैर सूचना के अनावेदक क्रमांक 3 के विरूद्ध अवैध रूप से परिवाद प्रस्तुत किया गया है, जो निरस्त किए जाने योग्य है।
ब. परिवादी सेंट्रल इंडिया मोटर्स बिलासपुर से वाहन क्रय किया है, एवं विक्रय राशि की अदायगी सेंट्रल इंडिया मोटर्स बिलासपुर को अनावेदक क्रमांक 2 के माध्यम से अदा किया है। मात्र अनावेदक क्रमांक 3 वाहन की डिलेवरी जशपुर से परिवादी को दिया है। वाहन से संबंधित कोई भी विवाद अनावेदक क्रमांक 3 के विरूद्ध उत्पन्न नहीं होता है। परिवादी द्वारा उक्त वाहन वर्ष 2003 में क्रय किया गया था, अतः परिवाद निर्धारित समयावधि में प्रस्तुत नहीं किया गया है और न ही कोई आवेदन प्रस्तुत किया गया है । परिवादी अनावेदक क्रमांक 3 का उपभोक्ता नहीं है। अनावेदक क्रमांक 3 के विरूद्ध अनावश्यक रूप से परिवाद बिना विधिक आधार के प्रस्तुत किया गया है । जिससे अनावेदक क्रमांक 3 को आर्थिक व मानसिक क्षति हुई है, जिसका परिव्यय दिलाए जाने का अवार्ड पारित किया जाना उचित होगा। अतः परिवाद सव्यय निरस्त किया जाने का निवेदन किया गया है।
6. परिवाद पर परिवादी, अनावेदकगण एवं उनके अधिवक्ता को विस्तार से सुना गया। अभिलेखगत सामग्री का परिशीलन किया गया है ।
7. विचारणीय प्रश्न यह है कि :-
1. क्या परिवादी/आवेदक, अनावेदकगण/विरूद्ध पक्षकारगण का उपभोक्ता है ?
2. क्या परिवाद समयावधि में प्रस्तुत किया गया है ?
3. क्या अनावेदकगण/विरूद्ध पक्षकारगण ने परिवादी/आवेदक के विरूद्ध सेवा में कमी किए हैं ?
निष्कर्ष के आधार
विचारणीय प्रश्न क्रमांक 1 का सकारण निष्कर्ष :-
8. परिवादी ने परिवाद के समर्थन में अपना शपथ पत्र एवं सूची अनुसार दस्तावेज जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति मर्यादित रायगढ़ एवं जशपुर को जमा की गयी राशि की पावती अभिस्वीकृति दस्तावेज क्रमांक 1 से 12, नो ड्यूज प्रमाण पत्र दस्तावेज क्रमांक 13, परिवादी द्वारा कार्यपालन अधिकारी को दिया गया आवेदन दिनांक 23.06.2015 दस्तावेज क्रमांक 14, रजिस्टर्ड डाक प्रेषित की रसीद दस्तावेज क्रमांक 15 की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
9. अनावेदक क्रमांक 1 एवं 2 ने जवाब के समर्थन में सूची अनुसार दस्तावेज इनवाइस पत्र सेंट्रल इंडिया मोटर्स दिनांक 16.01.2003 दस्तावेज क्रमांक 1, सेंट्रल इंडिया मोटर्स की इनवाइस बिल दस्तावेज क्रमांक 2, सेंट्रल इंडिया मोटर्स की इनवाइस बिल दस्तावेज क्रमांक 3, संतुष्टि प्रमाण पत्र दस्तावेज क्रमांक 4, वाहन इंश्योरेंस दस्तावेज क्रमांक 5, जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति मर्यादित रायगढ़ बिल भुगतान प्रपत्र दस्तावेज क्रमांक 6, सेंट्रल इंडिया मोटर्स का पावती दस्तावेज क्रमांक 7 प्रस्तुत किया है।
10.परिवादी ने अनावेदक क्रमांक 2 जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति मर्यादित रायगढ़/जशपुर द्वारा अनुसूचित जनजाति ट्रेक्टर ट्राली योजनातंर्गत ऋण/वित्तीय सहायता प्राप्त करने तथा अनावेदक क्रमांक 3 से वाहन ट्रेक्टर महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा का डिलवरी प्राप्त करने एवं अनावेदक क्रमांक 3 की ओर से राशि अनावेदक क्रमांक 4 द्वारा परिवादी से वाहन के दस्तावेज के नाम पर 12,000/-रू. की राशि प्राप्त करने के आधार पर अनावेदकगण का उपभोक्ता होना बताते हुए यह परिवाद प्रस्तुत किया है।
11. उभय पक्ष के अभिवचन एवं सूची अनुसार प्रस्तुत दस्तावेजों से स्पष्ट है कि परिवादी ने अनावेदक क्रमांक 1 एवं 2 से ट्रेक्टर क्रय करने के लिए अनुसूचित जनजाति ट्रेक्टर ट्राली योजनातंर्गत ऋण/वित्तीय सहायता प्राप्त किया था अर्थात वे परिवादी को ऋण सहायता उपलब्ध कराए थे। परिवादी ने ट्रेक्टर का डिलवरी अनावेदक क्रमांक 3 के जशपुर संस्थान से प्राप्त किया था। अनावेदक क्रमांक 3 की ओर से राशि अनावेदक क्रमांक 4 द्वारा परिवादी से वाहन के दस्तावेज के नाम पर 12,000/-रू. की राशि प्राप्त किया था का अभिवचन किया गया है। परिवाद पत्र में किए अभिवचन अनुसार परिवादी ने अनावेदकगण का उपभोक्ता होना अनावेदकगण को परिवाद के संबंध में सूचना दिए जाने के बाद भी कोई जवाब नहीं दिए जाने के कारण उनके विरूद्ध परिवाद प्रस्तुत किया जाना बतलाया है। इस प्रकार उपरोक्त संपूर्ण तथ्यां के आधार पर परिवादी ने अनावेदकगण से सहायता चाहा है। उक्त संपूर्ण तथ्यों से परिवादी अनावेदकगण का उपभोक्ता होना स्थापित किया है। तद्नुसार विचारणी प्रश्न क्रमांक 1 का निष्कर्ष परिवादी अनावेदकगण का उपभोक्ता है में देते हैं।
विचारणीय प्रश्न क्रमांक 2 का सकारण निष्कर्ष :-
12. शपथ पत्र से समर्थित परिवाद पत्र में परिवादी ने ऋण सहायता प्राप्त कर क्रय किए गए ट्रेक्टर महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा का पंजीयन प्रमाण पत्र, बीमा प्रमाण पत्र एवं वाहन का केजवील अनावेदकगण द्वारा उपलब्ध नहीं कराया गया बताते हुए उपलब्ध कराने की प्रार्थना की गई है।
13. परिवादी ने अनावेदक क्रमांक 2 से लिए गए ऋण सहायता अंतर्गत ऋण राशि का किश्त अदायगी किए जाने बाबत प्राप्ति अभिस्वीकृति रसीद दस्तावेज क्रमांक 1 से 12 प्रस्तुत किया है तथा अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा परिवादी को दिए गए नो ड्यूज प्रमाण पत्र दस्तावेज क्रमांक 13 प्रस्तुत किया है। प्राप्ति अभिस्वीकृति की रसीद दस्तावेज क्रमांक 1 दिनांक 09.03.2011 को जमा करने का प्रस्तुत किया है। अनावेदक क्रमांक 1, 2 की ओर से सेंट्रल इंडिया मोटर्स का इनवाइस दिनांक 16.01.2003 दस्तावेज क्रमांक 1 से 3 प्रस्तुत किया है, से परिवादी ने ऋण सहायता द्वारा दिनांक 16.01.2003 को ट्रेक्टर क्रय किया था। परिवादी ने क्रय किए गए ट्रेक्टर का पंजीयन प्रमाण पत्र, बीमा प्रमाण पत्र एवं वाहन का केजवील अनावेदगण द्वारा नहीं दिया गया है बताते हुए दिलाए जाने की प्रार्थना किया है। जिससे स्पष्ट है कि दिनांक 16.01.2003 को ट्रेक्टर क्रय करते समय प्रदान नहीं की गई केजवील और उसी वर्ष का पंजीयन प्रमाण पत्र एवं बीमा प्रमाण पत्र दिलाए जाने की प्रार्थना किया है।
14. इस प्रकार उपरोक्त दस्तावेजों से परिवादी ने दिनांक 16.01.2003 को अनावेदक क्रमांक 2 से ऋण सहायता प्राप्त कर सेंट्रल इंडिया मोटर से वाहन ट्रेक्टर क्रय किया था। यह परिवाद पत्र दिनांक 02.11.2015 को प्रस्तुत किया गया है, से स्पष्ट है कि वाहन क्रय करने के लगभग 12 वर्ष बाद परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
15. परिवादी ने परिवाद पत्र की कण्डिका 6 में अनावेदगण के सूचना पत्र दिनांक 30.06.2015 प्रस्तुत किया जाना अभिवचन किया है । सूची अनुसार दस्तावेज क्रमांक 14 में दिनांक 23.06.2015 का नोटिस तथा दिनांक 30.06.2015 को प्रेषित रजिस्टर्ड डाक की रसीद दस्तावेज क्रमांक 15 प्रस्तुत किया है। इस प्रकार दिनांक 30.06.2015 को अनावेदकगण को पंजीकृत सूचना भेजने के आधार पर दिनांक 02.11.2015 को प्रस्तुत किया गया परिवाद को समय सीमा में होना बताया गया है।
16. परिवाद के तथ्यों से दिनांक 30.06.2015 को अनावेदकगण को पंजीकृत नोटिस दिए जाने की तिथि से वादकारण उत्पन्न नहीं हुआ है, बल्कि दिनांक 16.01.2003 को ट्रेक्टर क्रय किया था, से वादकारण उत्पन्न होता है। क्योंकि वाहन ट्रेक्टर क्रय करने/डिलवरी देने के समय ही ट्रेक्टर का एसेसरीज केजव्हील नहीं दिया, वाहन का पंजीयन प्रमाण पत्र एवं बीमा पत्र नहीं दिया जाना बताया गया है। इस प्रकार अनावेदकगण के विरूद्ध प्रस्तुत यह परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 24 (क) के अनुसार समय बाधित है। परिवाद के लिए पंजीकृत नोटिस भेजने से वादकारण उत्पन्न नहीं होता है फलस्वरूप धारा 24 (क) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम अंतर्गत परिवाद परिसीमा अवधि के अंतर्गत नहीं आ जाता है। उपरोक्त अनुसार हम पाते हैं कि परिवाद पत्र में चाही गई अनुतोष बाबत परिवाद विलंब से प्रस्तुत किया गया है।
17. परिवादी ने विलंब से परिवाद प्रस्तुत किए जाने के संबंध में कोई अभिवचन नहीं किया है। इस प्रकार विलंब क्षमा करने के लिए कोई प्रार्थना नहीं की गई है। ऐसी स्थिति में प्रस्तुत परिवाद विलंब से प्रस्तुत किया गया है तथा विलंब क्षमा करने का भी कोई तथ्य प्रगट नहीं है। अतः स्पष्ट है कि धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अंतर्गत दिनांक 02.11.2015 को अनावेदकगण के विरूद्ध चाही गई अनुतोष बाबत् परिवाद पत्र उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 24 (क) के अनुसार समयावधि में नहीं है। तद्नुसार विचारणीय प्रश्न क्रमांक 2 का निष्कर्ष दिया जाता है।
विचारणीय प्रश्न क्रमांक 3 का सकारण निष्कर्ष :-
18. परिवादी ने ट्रेक्टर प्रदान करते समय केजवील प्रदान नहीं किया गया तथा वाहन के दस्तावेज के नाम पर 12,000/-रू. मांग किया गया तथा दस्तावेज प्रदान नहीं किया गया तर्क में बतलाया है।
19. जबकि अनावेदक क्रमांक 1 से 3 की ओर से तर्क किया गया है कि परिवादी ने सेंट्रल इंडिया मोटर तिफरा बिलासपुर से वाहन क्रय किया था, जिसे पक्षकार नहीं बनाया गया है। वाहन का पंजीयन एवं बीमा कराए जाने का दायित्व वाहन स्वामी/ऋणी का होता है। वाहन का बीमा एवं पंजीयन कराने के लिए अनावेदकगण ने परिवादी से कोई शुल्क प्राप्त नहीं किया है। परिवादी ने उन्हें परेशान करने की नियत से परिवाद प्रस्तुत किया है, जिसे सव्यय निरस्त किए जाने योग्य है।
20. अनावेदक क्रमांक 1 एवं 2 ने जवाब के समर्थन में सूची अनुसार दस्तावेज प्रस्तुत किया है, जिसमें दस्तावेज क्रमांक 1 से 4 सेंट्रल इंडिया मोटर तिफरा बिलासपुर का इनवाइस दिनांक 16.01.2003 जिनमें उल्लेखित अनुसार इनवाइस में उल्लेखित अनुसार वाहन तथा उसके एसेसरीज को देखकर पूर्ण संतुष्ट होकर हस्ताक्षर कर परिवादी ने संतुष्टि प्रमाण पत्र दिया था। संतुष्टि प्रमाण पत्र में कल्टीवेटर, बुड, केज व्हील, टीच, बम्फर प्राप्त करने का उल्लेख है। इस प्रकार परिवादी के हस्ताक्षरयुक्त संतुष्टि प्रमाण पत्र में ट्रेक्टर के साथ एसेसरीज, भी प्राप्त करने का उल्लेख है। उक्त दस्तावेज परिवादी के इस कथन का खण्डन करता है कि परिवादी को वाहन का डिलवरी देते समय केजवील प्रदान नहीं किया गया था।
21. परिवादी ने सेंट्रल इंडिया मोटर से वाहन ट्रेक्टर क्रय किया जिसका डिलवरी अनावेदक क्रमांक 3 द्वारा दिया गया बताया है। वाहन का डिलवरी लेते समय वाहन का एसेसरीज केजवील प्राप्त नहीं हुआ है कि शिकायत अनावेदक क्रमांक 3 को किया गया था या सेंट्रल इंडिया मोटर को किया गया था दर्शाने के लिए कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया है, से स्पष्ट है कि संतुष्टि प्रमाण पत्र तब दिया गया था जब उसे वाहन के साथ वाहन के एसेसरीज भी जो उल्लेखित है प्राप्त हो गया था। इसी प्रकार अनावेदक क्रमांक 1 एवं 2 की ओर से प्रस्तुत दस्तावेज क्रमांक 4 संतुष्टि प्रमाण पत्र दिनांक 16.01.2003 अनुसार परिवादी को वाहन ट्रेक्टर के साथ केजवील भी प्रदान कर दिया गया था, से उसके खण्डन में परिवादी ने और कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया है, फलस्वरूप वाहन का एसेसरीज केजवील नहीं दिए जाने के द्वारा अनावेदकगण ने सेवा में कमी किया है स्थापित, प्रमाणित नहीं होता है।
22. परिवादी ने वाहन के दस्तावेज के लिए अनावेदक क्रमांक 3 की ओर से कार्य करने वाले अनावेदक क्रमांक 4 को 12,000/-रू. लिया जाना बताया है उक्त 12,000/-रू. अनावेदक क्रमांक 4 को दिये जाने का परिवादी ने कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया है। इस प्रकार परिवादी ने अनावेदक क्रमांक 4 को 12,000/-रू. दिया था प्रमाणित नहीं किया है।
23. परिवादी ने क्रय किए गए ट्रेक्टर का पंजीयन प्रमाण पत्र एवं बीमा प्रमाण पत्र अनावेदगण से दिलाए जाने का निवेदन किया है। उक्त बीमा पत्र एवं पंजीयन प्रमाण पत्र के लिए परिवादी ने अनावेदकगण को आवश्यक शुल्क प्रदान किया था साथ ही पंजीयन एवं बीमा कराकर देने का दायित्व अनावेदगण ने लिया था दर्षाने के लिए कोई प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया है। ट्रेक्टर खरीदी के इनवाइस दस्तावेज क्रमांक 1 से 3 तथा संतुष्टि प्रमाण पत्र दस्तावेज क्रमांक 4 में वाहन का पंजीयन कराने के लिए आवश्यक शुल्क लिए जाने का कोई उल्लेख नहीं है।
24. अनावेदक क्रमांक 1 एवं 2 ने परिवादी द्वारा क्रय किए गए ट्रेक्टर का बीमा पालिसी दिनांक 17.01.2003 की छायाप्रति प्रस्तुत किया है। इस प्रकार वर्ष 2003 में दिनांक 17.01.2003 से आगामी एक वर्ष के लिए वाहन का बीमा द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड में किया गया था स्पष्ट हुआ है। उसके पश्चात के वर्षों का बीमा कराने का दायित्व अनावेदकगण का था दर्शाने के लिए कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया है, जबकि अनावेदक क्रमांक 1 की ओर से वाहन का पंजीयन एवं बीमा कराने का दायित्व वाहन स्वामी/ऋणी का होना बतलाया है। परिवादी ने उक्त दायित्व अनावेदकगण को आवश्यक शुल्क देते हुए सौंपा था दर्शाने के लिए कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया है।
25. उपरोक्त अनुसार प्रकरण की संपूर्ण तथ्य तथा परिस्थितियों से अनावेदगण ने परिवादी के विरूद्ध सेवा में कमी किया है स्थापित, प्रमाणित नहीं होता है।
26. उपरोक्त अनुसार अनावेदकगण के विरूद्ध प्रस्तुत परिवाद परिसीमा अवधि में प्रस्तुत नहीं किया गया है स्पष्ट हुआ है तथा अनावेदकगण द्वारा परिवादी के विरूद्ध सेवा में कमी किया गया होना प्रमाणित नहीं है, फलस्वरूप अनावेदकगण के विरूद्ध धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम अंतर्गत प्रस्तुत यह परिवाद उपरोक्त अनुसार स्वीकार करने योग्य नहीं है, निरस्त करने योग्य पाते हुए हम निरस्त करते हैं ।
27. प्रकरण की परिस्थिति में पक्षकारगण अपना-अपना वाद-व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(श्रीमती अनामिका नन्दे) (संजय कुमार सोनी) (बी0पी0पाण्डेय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रति. जिला उपभोक्ता विवाद प्रति. जिला उपभोक्ता विवाद प्रति.
फोरम जशपुर (छ0ग0) फोरम जशपुर ़(छ.ग.) फोरम जापुर (छ0ग0)