Rajasthan

Barmer

CC/113/14

ASHOK KUMAR - Complainant(s)

Versus

KARSHI MANDI AND OTHER - Opp.Party(s)

PARVEEN

05 Feb 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, बाड़मेर (राजस्थान)
अध्यक्ष: श्री मिथिलेश कुमार शर्मा
सदस्या: श्रीमती ममता मंगल
सदस्य : श्री अशोक कुमार सिंधी

परिवाद संख्या 113/2014

परिवादी:
    अशोक कुमार पुत्र श्री शिवदानमल जैन
    निवासी शिव नगर, बाड़मेर।  

        बनाम

विप्रार्थीगण:
1.    सचिव, कृषि उपज मण्डी समिति, बाड़मेर
2.    अध्यक्ष, कृषि उपज मण्डी समिति, बाड़मेर

उपस्थित:-
1.    परिवादी की ओर से श्रीमती दिपिका भारद्वाज एडवोकेट।
2.    विप्रार्थीगण की ओर से श्री करनाराम चैधरी एडवोकेट।
 
ःःनिर्णय:ः         दिनांक: 05.02.2015   

1.    परिवादी ने यह परिवाद इन तथ्यों का पेश किया हैं कि परिवादी ने कृषि उपज मण्डी समिति बाड़मेर के द्वारा रियायती दर पर किसानों, हमालों, पल्लेदारों व वाहन चालकों आदि को मुख्य मण्डी प्रांगण बाड़मेर में स्थित केन्टीन, भोजन उपलब्ध करवाने हेतु ठेका दिनांक 03.05.2013 को अनुबंध के आधार पर आवंटन किया गया, परिवादी द्वारा उक्त अनुबंध के आधार पर नाॅन ज्युडिशियल स्टाम्प शर्तो को टंकण करवाकर हस्ताक्षरित कर नोटरी प्रमाणित करवाकर दिया गया, उक्त अनुबंध 1 वर्ष के लिए निष्पादित किया गया।
2.    परिवादी उक्त अनुबंध 01 वर्ष के लिए आवंटन किया जाकर विप्रार्थी द्वारा भोजन के कूपन जारी किये गये, जिसमें 30 रू प्रति थाली की दर में से 05 रूपये में 200 ग्राम आटे की 6 रोटिया, 1 कटौरी सब्जी, 1 कटौरी दाल व सर्दी के मौसम में 30 ग्राम गुड़ व गर्मी के मौसम में छाछ व सिजनल सलाद व अचार प्रति थाली की दर से देना तय किया गया, जबकि विप्रार्थी द्वारा जारी कूपन में सर्दी में 30 ग्राम गुड़ की जगह 25 ग्राम ही गुड़ देना दर्शाया गया है। आरोप प्रतिवादी पर लगाये जाकर मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है।
3.    अनुबंध में वर्णित निर्धारित शर्तो के अनुसार विप्रार्थीगण द्वारा राज्य सरकार द्वारा निर्धारित स्वीकृत प्रति थाली की दर से 05 रू खाना खाने वाले कूपनधारी द्वारा अदा किये जायेगें शेष 25 रूपये की राशि मण्डी समिति के द्वारा वहन की जायेगी और 25 रूपये प्रति कूपन की दर से परिवादी द्वारा जारी किये गये खाने की कूपनों की संख्या से गुणा करने पर गणनायोग्य कुल राशि का भुगतान कृषि उपज मण्डी द्वारा मांग पत्र के साथ में कूपन संलग्न कर प्रस्तुत किये जाने पर पाक्षिक रूप से परिवादी द्वारा विप्रार्थीगण को अदा किया जायेगा।
4.    परिवादी का दायित्व अनुबंध पत्र में वर्णित विप्रार्थी या मण्डी समिति के द्वारा निर्धारित दर पर भोजन उपलब्ध कराने का दायित्व परिवादी का रहेगा। परिवादी द्वारा विधिक रूप से मान्य विक्रय योग्य सामग्री का बाजारू प्रतिस्पर्धी मूल्यों पर विक्रय किया जा सकेगा, उक्त विधिक शर्त की पालना परिवादी द्वारा नियमानुसार की जाती रही। लेकिन समिति बताए व्यक्तियों के अतिरिक्त मण्डी के अन्य व्यवसायियों जिसको विप्रार्थीगण कूपन जारी नहीं कर सकता उनके द्वारा भोजन करने पर बाजारू मूल्य का भुगतान लिया गया व विधिक रूप से खाने योग्य सामग्री उपयोग में लाई गई। तब विप्रार्थी द्वारा बेवजह नोटिस दिये जाकर परिवादी के कार्य में शिथिलता बरतने का आरोप वर्णित कर परिवादी की प्रतिभूति राशि जब्त किये जाने का इकबालिया मानसिक रूप से परेशान किया गया।
5.    परिवादी द्वारा अनुबंध की शर्तो की पालना की जाती रही, विप्रार्थीगण द्वारा परिवादी को परेशान करने की नियत से अनुबंध की शर्तो में स्वयंमेव उलट-फेर किया जाकर कूपन में वर्णित सर्दी में 25 ग्राम गुड़ के स्थान पर 50 ग्राम गुड़, कटोरी सब्जी व दाल में 125 ग्राम, अकस्मात बढाया जाकर कूपन जारी किये जाने लगे, इस प्रकार विप्रार्थीगण द्वारा अनुबंध की शर्तो का भंग किया गया और परिवादी को आरोपित करते हुए आर्थिक नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
6.    परिवादी द्वारा अनुबंध की शर्तो की पालना करते हुए अनुबंध की राशि 88,000/- व 15000/- रूपये जमा करवाई गई उक्त अनुबंध राशि को विप्रार्थीगण द्वारा जब्त किये जाने के लिए ही उक्त बेवजह ही नोटिस दिये जा रहे है।  
7.    इस मंच को क्षैत्राधिकार होने का तथ्य वर्णित करते हुए परिवाद में वर्णित अनुतोष चाहा है।
8.    विप्रार्थीगण की ओर से उक्त परिवाद के तथ्यों का जवाब पेश किया गया है जिसमें यह वर्णित है कि तत्कालिक राज्य सरकार द्वारा किसानों, हमालों, पल्लेदारों आदि के लिये आपणी रसोई योजना का संचालन कृषि मण्डी के जरिये किया गया था। जिसके तहत पांच रूपये की रियायती दर पर मण्डी में कृषि उपज विक्रय करने हेतु आने वाले किसानों, रजिस्टर्ड हमालो व पल्लेदारों को खाना मुहैया करवाने हेतु कृषि उपज मण्डी समिति बाड़मेर द्वारा दिनांक 25.03.2013 को वर्ष 2013-14  के लिये निविदा आमंत्रित की गई थी। जिसमें भोजन की एक थाली के लिये अधिकतम 30/- रूपये निर्धारित किया गया, जिसमें 5/- रूपये  कृषकों,  हमालो व पल्लेदारों द्वारा तथा 25/-रूपये कृषि उपज मण्डी समिति द्वारा देय का प्रावधान किया गया। यहां यह कथन भी करना उचित होगा कि उस थाली में 200 ग्राम आटे की 6 रोटियां(गेेहूं की), एक कटोरी दाल, एक कटोरी सब्जी, सर्दी में 30 ग्राम गुड़ व गर्मी में एक छाछ की गिलास व सिजनल सलाद/आचार का प्रावधान किया गया था। उक्त निविदा आमंत्रित करने पर प्रार्थी द्वारा भी निविदा कृषि मण्डी में प्रस्तुत की गई थी, जिसे स्वीकार कर एक वर्ष हेतु परिवादी को उक्त आपणी रसोई योजना का संचालन करने हेतु अनुबंध किया गया। जिसकी लिखित भी 500/- रूपये के स्टाम्प पर शर्तो सहित निष्पादित की गई।
9.    परिवादी को किसानों, हमालो व पल्लेदारों जो कूपनधारी है, को थाली उपलब्ध करवाने का उतरदायित्व परिवादी का था तथा बिना कूपनधारी व्यक्तियो को भोजन परिवादी बाजारू दर से करवाता, उसके लिये मण्डी को कोई आपति नहीं थी, परन्तु परिवादी ने उक्त निविदा प्राप्त होने के कुछ समय बाद ही उक्त योजना को सुचारू व सही रूप से संचालित नहीं कर रहा था, जिस पर मण्डी में रजिस्टर्ड हमालों ने मण्डी तथा राज्य सरकार के समक्ष शिकायते प्रस्तुत की, जिस पर मण्डी समिति ने परिवादी को दिनांक 27.06.2013, 26.12.2013 व 28.02.2014 को नोटिस देकर उक्त योजना को सुचारू रूप से संचालित करने हेतु निर्देश दिये गये। मण्डी समिति ने उक्त योजना को सही रूप से संचालित करने के लिये नोटिस देकर परिवादी को आगाह किया था, मण्डी समिति का कोई आशय बेवजह परिवादी  को परेशान करने का नहीं रहा है।
10.    परिवादी व मण्डी समिति के मध्य निष्पादित किये गये अनुबंध पत्र की शर्त संख्या 22 केे अनुसार मण्डी समिति उपरोक्त वर्णित शर्तो में से किसी भी शर्त को जोड़ने व घटाने का अधिकार सुरक्षित रहेगा। इस शर्त के अनुसार राज्य सरकार के निर्देशों पर फरवरी 2014 से 30 ग्राम गुड़ के स्थान पर 50 ग्राम गुड़ देने के प्रावधान किया गया था, जिसके तहत कूपन भी जारी किये गये थे। यहां यह कथन भी करना उचित है कि अगर परिवादी व मण्डी समिति के बीच किसी तरह कोई विवाद उत्पन्न होता है तो उक्त विवाद का निपटारा मण्डी समिति के स्तर पर किया जावेगा व मण्डी समिति स्तर पर विवाद का निपटारा नहीं होने पर निदेशक, कृषि विपणन विभाग, जयपुर उक्त विवाद की सुनवाई करेगा तथा उसका निर्णय दोनों  पक्षों पर पूर्ण रूप से बाध्यकारी होगा। उक्त शर्त अनुबंध पत्र की शर्त 23 में उल्लेखित है।
11.    परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद श्रीमान मंच के क्षैत्राधिकार में नहीं है क्योंकि परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नही आता है। परिवादी द्वारा निविदा के तहत व्यापार संचालित करने हेतु निविदा दाखिल की थी, जो एक व्यावसायिक कार्य है तथा व्यावसायिक कार्य को उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। और साथ ही प्रार्थना की है कि परिवादी का परिवाद खारिज किया जावे।  
12.    उपरोक्त तथ्यों पर दोनों पक्षों को सुना गया। पत्रावली का अवलोकन किया।
13.    विद्वान अभिभाषक परिवादी ने परिवाद में वर्णित तथ्यों का समर्थन दस्तावेजात व शपथ पत्र से होने का हवाला देकर परिवाद स्वीकार करने की दलील दी।
14.    विद्वान अभिभाषक विप्रार्थीगण ने जवाब के तथ्यों का समर्थन शपथ पत्र व दस्तावेजात से होने की दलील देते हुए परिवाद खारिज करने की दलील दी।
15.    उपरोक्त दलीलों के संदर्भ में हमने पत्रावली का अध्ययन किया तो पाया कि परिवादी मुख्य रूप से यह प्रार्थना लेकर आया है कि उसे विप्रार्थीगण की प्रताड़नाओ से मुक्त कराया जाये और उसे आर्थिक, मानसिक, शारीरिक  व्यवसायिक, हानि के लिए मुआवजा प्रदान किया जाये।
16.    जवाब में जो तथ्य आये है उनसे यह प्रकट होता है कि परिवादी ने आपणी रसोई योजना संचालित करने के लिए निविदा भरी थी और कुछ शर्तो के अन्तर्गत उसे इस सेवा के अन्तर्गत निर्धारित दर पर कृषकों, हमालों व पल्लेदारों को नियत दर पर भोजन व नाश्ता उपलब्ध कराना था जिसकी शर्तो की पालना परिवादी ने नहीं की और प्रकरण इस मंच के क्षैत्राधिकार का नहीं होने से खारिज करने का तथ्य वर्णित किया है।
17.    जवाब के साथ जो अनुबंध पत्र विप्रार्थी ने पेश किया है व परिवादी के विरूद्व सेवा में त्रुटि बाबत जो शिकायते प्रस्तुत की है उनसे स्वयं परिवादी के द्वारा सेवा दोष कारित करने का प्रकरण प्रकट होता है।
18.    विप्रार्थीगण की ओर से परिवादी को कोई सेवा प्रदान नहीं की जानी थी और इस कारण कोई सेवा दोष भी विप्रार्थीगण द्वारा नहीं किया गया है परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में भी नहीं आता है अतः परिवादी का परिवाद खारिज किया जाने योग्य है।
 
ःःआदेष:ः
अतः परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है खर्चा पक्षकारान अपना अपना वहन करेगे।


(श्रीमति ममता मंगल)        (श्री अशोककुमार सिंधी)    (श्री मिथिलेशकुमार शर्मा)
        सदस्या                         सदस्य                           अध्यक्ष

 

निर्णय व आदेश आज दिनांक 05.02.2015 को खुले मंच पर लिखवाया जाकर सुनाया गया।  

 

(श्रीमति ममता मंगल)        (श्री अशोककुमार सिंधी)    (श्री मिथिलेशकुमार शर्मा)
      सदस्या                                 सदस्य                          अध्यक्ष

 

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