Rajasthan

Nagaur

CC/200/2015

Sunil - Complainant(s)

Versus

Karbonn Mobile - Opp.Party(s)

Sg Jai Singh Badgurjer

28 Jan 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/200/2015
 
1. Sunil
brahmpuri
Nagaur
Rajasthan
...........Complainant(s)
Versus
1. Karbonn Mobile
d-170,okhla, phace I, new delhi
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Brijlal Meena PRESIDENT
 HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya MEMBER
 HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya MEMBER
 
For the Complainant:Sg Jai Singh Badgurjer, Advocate
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर

 

परिवाद सं. 200/2015

 

सुनील पुत्र स्वर्गीय श्री केषव कुमार, जाति-ब्राहमण, निवासी- ब्रह्मपुरी मौहल्ला नागौर,, जिला-नागौर (राज.)।                                                                                                                                                                -परिवादी 

   

बनाम

 

1.            ज्ञंतइवदद डवइपसमए ब्वतचवतंजम व्ििपबमए क् 170ए वींसं प्दकनेजतपंस ।तमंए छमू क्मसीपए जरिये प्रबन्ध निदेषक।

2.            प्रोपराइटर, सोनी टेलीकाॅम, इन्द्रा मार्केट, गांधी चैक, नागौर (राज.)।

3.            प्रोपराइटर/अधिकृत प्रतिनिधि- मैसर्स श्रीमती सुगनी कम्यूनिकेषन, दुकान नम्बर 4-5, करणी काॅम्प्लेक्स, एसबीआई एटीएम के पास, गांधी चैक नागौर, जिला-नागौर (राज.)।

               

                                      -अप्रार्थीगण

 

समक्षः

1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।

2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।

3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।

 

उपस्थितः

1.            श्री जयसिंह बडगुजर, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।

2.            श्री विमलेष प्रकाष जोषी, अधिवक्ता, वास्ते अप्रार्थी संख्या 2 की ओर से।

 

    अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986

 

                      आ  दे  ष                      दिनांक 28.01.2016

 

 

1.            परिवाद-पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 2 से अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा निर्मित कार्बन कम्पनी का मोबाइल माॅडल केसी 20 दिनांक 02.07.2015 को 2,450/- रूपये में क्रय किया। जिसकी परिवादी को एक साल तक की वारंटी दी गई। विवादित मोबाइल निर्माण सम्बन्धी त्रुटि एवं दोश से ग्रसित था। मोबाइल क्रय करने के कुछ समय पष्चात् ही इसमें विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो गई तथा मोबाइल डेड हो गया।

जिस पर परिवादी ने उक्त मोबाइल को ठीक कराने के लिए अप्रार्थी संख्या 1 के अधिकृत सर्विस सेंटर अप्रार्थी संख्या 3 को दिनांक 28.07.2015 को सुपुर्द किया तो अप्रार्थी संख्या 3 ने मोबाइल ठीक कर उसे आष्वस्त किया कि अब मोबाइल सही काम करेगा। लेकिन मोबाइल पूर्व की भांति फिर डेड हो गया। जिस पर परिवादी दूसरे ही दिन दिनांक 29.07.2015 को अप्रार्थी संख्या 3 के यहां गया तथा मोबाइल खराबी के बारे में बताया। जिस पर अप्रार्थी संख्या 3 ने मोबाइल सही कर पुनः उसे दे दिया तथा कहा कि अब मोबाइल कोई प्रोब्लम नहीं करेगा। इस विष्वास के साथ परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 3 से उक्त मोबाइल प्राप्त कर लिया। लेकिन विवादित मोबाइल निर्माण सम्बन्धी त्रुटि से ग्रसित था। इस वजह से वो ठीक नहीं हो सका और बार-बार मोबाइल डेड की समस्या बरकरार रही। मोबाइल के पूर्व की भांति खराब होने पर परिवादी दिनांक 30.07.2015 को पुनः अप्रार्थी संख्या 3 के यहां गया तथा उसे मोबाइल खराबी के बारे में बताया। उसने कहा कि वह तीसरी बार मोबाइल लेकर सर्विस सेंटर आया है। मोबाइल सर्विस के बावजूद भी दुरूस्त होने की स्थिति में नहीं है तथा बार-बार डेड हो रहा है। ऐसी स्थिति में उसका मोबाइल रिप्लेस किया जावे। लेकिन अप्रार्थी संख्या 3 ने मोबाइल रिप्लेस करने से इन्कार कर दिया।

इस तरह से परिवादी द्वारा खरीद किया गया उक्त मोबाइल निर्माण सम्बन्धी दोश से ग्रसित है। जिसके चलते परिवादी मोबाइल का सही उपयोग व उपभोग नहीं कर सका। इसके कारण उसे मानसिक परेषानी हुई तथा आवष्यक कार्य नहीं कर पाया। अतः प्रार्थी को नया मोबाइल दिलाया जावे। अन्यथा मोबाइल की कीमत 2,450/- मय ब्याज एवं हर्जा-खर्चा भी दिलाया जाये।

 

2.            अप्रार्थी संख्या 2 का जवाब संक्षेप में निम्न प्रकार हैः- अप्रार्थी संख्या 2 केवल मोबाइल विक्रय का कार्य करता है। परिवादी को मोबाइल खरीद करने पर उसे बिल दिया गया। बिल में स्पश्ट रूप से लिखा हुआ है कि मोबाइल की वारंटी सर्विस सेंटर से ही प्राप्त होगी। परिवादी द्वारा प्रस्तुत बिल के अनुसार उपभोक्ता विवाद सर्विस सेंटर व कम्पनी का है। मोबाइल विक्रेता अप्रार्थी संख्या 2 का कोई दोश नहीं है। उसकी ओर से कोई वारंटी नहीं है। उसे तो बेवजह पक्षकार बनाया गया है। परिवादी उसे बेवजह परेषान कर रहा है। अप्रार्थी संख्या 2 का कोई दायित्व नहीं है। अतः मय खर्चा परिवाद-पत्र खारिज किया जावे।

 

3.            अप्रार्थी संख्या 1 व 3 बावजूद बाद तामिल गैर हाजिर। उनके विरूद्ध एक तरफा कार्रवाई अमल में लाई गई।

 

4.            बहस उभय पक्षकारान सुनी गई। पत्रावली का गहनता पूर्वक अध्ययन एवं मनन किया गया। पत्रावली के अवलोकन से स्पश्ट है कि अप्रार्थी संख्या 2, अप्रार्थी संख्या 1 का अधिकृत डीलर है। अप्रार्थी संख्या 3, अप्रार्थी संख्या 1 का अधिकृत सर्विस सेंटर है। परिवादी का विवादित मोबाइल जो कि अप्रार्थी संख्या 1 कम्पनी द्वारा निर्मित है। अप्रार्थी संख्या 2 से क्रय करने के बारे में कोई विवाद नहीं है। जहां तक विवादित मोबाइल के खराब होने का प्रष्न है, परिवादी मोबाइल खराब होने पर उसे ठीक कराने के लिए सर्विस सेंटर अप्रार्थी संख्या 3 के यहां लेकर गया। जिसकी पुश्टि प्रदर्ष 2 से होती है। परिवादी के सषपथ कथन से यह भी स्पश्ट है कि मोबाइल बार-बार खराब हुआ। अंततः जैसा कि उपर उल्लेख किया जा चुका है, सर्विस सेंटर अप्रार्थी संख्या 3 को सुपुर्द किया गया परन्तु मोबाइल ठीक नहीं हुआ। इससे स्पश्ट है कि मोबाइल विनिर्माण दोश से ग्रसित है। अप्रार्थी संख्या 1 व 3 ने इस बात का आकर कोई खण्डन नहीं किया कि विवादित मोबाइल विनिर्मित दोश से ग्रसित नहीं हो। वारंटी के मुताबिक अप्रार्थी संख्या 1 निर्माण कम्पनी एवं अप्रार्थी संख्या 3 का यह विधिक दायित्व है कि विनिर्मित दोश के प्रकरण में विवादित मोबाइल के स्थान पर उसी माॅडल व कम्पनी का नया मोबाइल दें।

 

5.            इस प्रकार से परिवादी अपना परिवाद अप्रार्थी संख्या 1 व 3 के विरूद्ध साबित करने में सफल रहा है। परिवादी का परिवाद-पत्र अप्रार्थीगण के विरूद्ध निम्न प्रकार से स्वीकार किया जाता है तथा आदेष दिया जाता है किः-

 

 

 

आदेश

 

6.            अप्रार्थी संख्या 1 व 3, परिवादी को विवादित मोबाइल माॅडल संख्या केसी 20 के स्थान पर उसी माॅडल व कम्पनी का नया मोबाइल दें। अगर अप्रार्थी संख्या 1 व 3, प्रार्थी को उक्त कम्पनी एवं माॅडल का मोबाइल देने में असमर्थ हैं तो उसे मोबाइल की कीमत 2,450/- रूपये अदा करें। अप्रार्थी संख्या 1 व 3, परिवादी को परिवाद व्यय के 1,500/- रूपये एवं मानसिक संताप के भी 1,500/- रूपये अदा करें।

 

                आदेश आज दिनांक 28.01.2016 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

       ।बलवीर खुडखुडिया।    ।बृजलाल मीणा।   ।श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य।

                    सदस्य               अध्यक्ष               सदस्या

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Brijlal Meena]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya]
MEMBER

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