न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, द्वितीय लखनऊ
परिवाद संख्या-79/2014
मुकेश मिश्रा -परिवादी
बनाम
कारबन मोबाइल एवं एक अन्य -विपक्षीगण
समक्ष
श्री संजीव शिरोमणि, अध्यक्ष
श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य
श्रीमती गीता यादव, सदस्य
द्वारा श्री संजीव शिरोमणि, अध्यक्ष
निर्णय
परिवाद अन्तर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986
परिवाद पत्र के अनुसार, परिवादी का कथन, संक्षेप में, यह है कि उसने विपक्षी सं0 1 के अधिकृत डीलर से एक मोबाइल नगद रू0 8800/-में क्रय किया था। मोबाइल लेने के बाद उसमें कई कमियाॅ आ गयी जैसे हैग होना, बैटरी का अत्यधिक गरम होना आदि। परिवादी ने इसकी शिकायत विपक्षी सं0 1 के स्थानीय अधिकृत डीलर से की, जिस पर दि0 24.7.2013 को विपक्षी द्वारा मोबाइल सही करके वापस कर दिया गया लेकिन मोबाइल ठीक नहीं हुआ, जिससे क्षुब्ध होकर परिवादी को वर्तमान परिवाद इस जिला मंच में संस्थित करने की आवश्यकता पड़ी, जिसके माध्यम से उसने विपक्षी से विवादित मोबाइल बदलकर उसी कीमत का नया मोबाइल देने अथवा उसकी कीमत मय 24 प्रतिशत ब्याज सहित दिलाये जाने तथा मानसिक एवं शारीरिक कष्ट हेतु रू010,000/-एवं वाद व्यय स्वरुप रू06000/- दिलाये जाने की प्रार्थना किया है।
विपक्षी को नोटिस जारी की गयी। नोटिसोंपरान्त भी विपक्षी न तो उपस्थित हुये और न ही उन्होंने प्रतिवाद पत्र दाखिल किया है ।
परिवादी ने परिवाद पत्र के समर्थन में अपना शपथपत्र दाखिल किया है एवं परिवाद पत्र/शपथपत्र के साथ अभिलेखीय साक्ष्यों की छायाप्रतियाॅ दाखिल किया है।
मंच ने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को श्रवण किया एवं पत्रावली का सम्यक् अवलोकन किया।
परिवादी का तर्क यह है कि उसने विपक्षी सं0 1 के अधिकृत डीलर से एक मोबाइल नगद रू0 8800/-में क्रय किया था। मोबाइल लेने के बाद उसमें कई कमियाॅ आ गयी जैसे हैग होना, बैटरी का अत्यधिक गरम होना आदि। परिवादी ने इसकी शिकायत विपक्षी सं0 1 के स्थानीय अधिकृत डीलर से की, जिस पर दि0 24.7.2013 को विपक्षी द्वारा मोबाइल सही करके वापस कर दिया गया लेकिन मोबाइल ठीक नहीं हुआ, जिससे क्षुब्ध होकर परिवादी को वर्तमान परिवाद इस जिला मंच में संस्थित करने की आवश्यकता पड़ी, जिसके माध्यम से उसने विपक्षी से विवादित मोबाइल बदलकर उसी कीमत का नया मोबाइल देने अथवा उसकी कीमत मय 24 प्रतिशत ब्याज सहित दिलाये जाने तथा मानसिक एवं शारीरिक कष्ट हेतु रू010,000/-एवं वाद व्यय स्वरुप रू06000/- दिलाये जाने की प्रार्थना किया है।
उपरोक्त पर्यवेक्षणोंपरान्त मंच का यह अभिमत है कि प्रथम दृष्टया विपक्षी द्वारा सेवा में कमी प्रतीत होती है। ऐसा करके विपक्षी ने व्यापार विरोधी प्रक्रिया को अपनाया है चूॅकि विपक्षी उपस्थित नहीं है एवं परिवादी के कथन अकाट्य है । ऐसी
स्थिति में मंच के समक्ष परिवादी के कथनों पर विश्वास करने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प नहीं है। परिवादी ने बार-बार विपक्षी से संपर्क किया है। परिवादी को विपक्षी के पास जाने आदि में भाग-दौड़ करनी पड़ी है, इससे स्वतः स्पष्ट है कि निश्चित रुप से परिवादी को मानसिक व शारीरिक कष्ट हुआ है, फलस्वरुप परिवादी का परिवाद आंशिक रुप से स्वीकार किये जाने योग्य पाया जाता है।
आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रुप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0 1 को आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि सेे छः सप्ताह के अंदर परिवादी को पुराने मोबाइल के ऐवज में नया उसी कीमत का मोबाइल दे, और यदि यह संभव न हो तो उसकी कीमत रू0 8800/-मय ब्याज दौरान वाद व आइंदा बशरह 9 (नौ) प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर के साथ अदा करंे। इसके अतिरिक्त विपक्षी सं0 1 परिवादी को मानसिक क्लेश हेतु रू03000/- तथा रू02000/-वाद व्यय अदा करगें, यदि विपक्षी सं0 1 उक्त निर्धारित अवधि के अंदर परिवादी को यह धनराशि अदा नहीं करते है तो विपक्षी सं0 1 को , समस्त धनराशि पर उक्त तिथि से ता अदायेगी तक 12 (बारह) प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर के साथ अदा करना पड़ेगा।
(गीता यादव) (गोवर्द्धन यादव) (संजीव शिरोमणि)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
दिनांक 22 जुलाई 2015