Uttar Pradesh

StateCommission

A/2009/2110

Surya Kumar Mishra - Complainant(s)

Versus

Kanpur Vidhut Supply - Opp.Party(s)

Satya Prakash Pandey

12 Mar 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2009/2110
( Date of Filing : 03 Dec 2009 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Surya Kumar Mishra
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Kanpur Vidhut Supply
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 12 Mar 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-2110/2009

सूर्य कुमार मिश्रा पुत्र स्‍व0 प्रयाग दत्‍त मिश्रा

बनाम

कानपुर विद्युत सप्‍लाई प्रशासन द्वारा महाप्रबन्‍धक कानपुर विद्युत सप्‍लाई प्रशासन, कानपुर नगर।

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : श्री एस0पी0 पाण्‍डेय

प्रत्‍यर्थीगण के अधिवक्‍ता        : श्री इसार हुसैन

दिनांक :- 12.3.2024

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील अपीलार्थी द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, कानपुर देहात द्वारा इजराय वाद सं0-39/2006 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 29.9.2009 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा दिनांक 28.5.2000 को अपने प्लाट संख्या-8 जरौली फेस-1 कानपुर नगर में विद्युत कनेक्शन प्राप्त करने हेतु रू0 1284/- दिये गये थे। अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के कार्यालय में विद्युत लाईन जोड़ने और मीटर लगवाने हेतु सम्पर्क किया गया परन्तु कोई मीटर नहीं स्थापित किया गया और गलत ढंग से विद्युत बिल विद्युत उपभोग के सम्बन्ध में भेजे गये, जिसमें मीटर संख्या 2एफ/9999 अंकित है। जबकि अपीलार्थी/परिवादी के मकान में कोई विद्युत कनेक्शन नहीं हे और बिना विद्युत उपभोग किये हुए रू0 5,434/- का बिल प्रेषित किया गया, जो गलत व निराधार है। इस

 

-2-

सम्बन्ध में अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के यहां शिकायत की, परन्तु उस पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी अत्एव क्षुब्‍ध होकर परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

प्रत्‍यर्थी/विपक्षी की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर यह कथन किया गया कि केसा नियमावली के अनुसार जूनियर इंजीनियर की रिपोर्ट के बाद जब कोई उपभोक्ता कनेक्शन प्राप्त करने हेतु आवेदन प्राप्त करता है और निर्धारित शुल्क जमा करता है तो उस तिथि से विद्युत आपूर्ति मान ली जाती है। दिनांक 25.5.2000 से जमा की गयी धनराशि एवं जारी कनेक्शन के अनुसार 19 माह का बिल अपीलार्थी/परिवादी को भेजा गया है जो सही है और उसका यह कहना गलत है कि कनेक्शन चालू नहीं हुआ है। अतः परिवाद निरस्त होने योग्य है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत मूल  परिवाद सं0-477/2001 को स्‍वीकार करते हुए दिनांक 05.5.2006 को निम्‍न आदेश पारित किया है:-

''परिवाद सव्‍यय स्‍वीकार किया जाता है तथा विवादित विद्युत बिल जो रू0 5,434.00 के हैं, निरस्‍त किये जाते हैं। विपक्षी को निर्देश दिया जाता है कि वह एक माह के अन्‍दर परिवादी के भवन में मीटर स्‍थापित करें और सही संशोधित बिल प्रति माह उपलब्‍ध करावें जिसका भुगतान परिवादी करेगा। वाद व्‍यय के रूप में विपक्षी 500/- परिवादी को अदा करेगा।''

तदोपरांत उपरोक्‍त मूल परिवाद सं0-477/2001 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 05.5.2006 के अनुपालन हेतु इजराय वाद

-3-

सं0-39/2006 में दिनांक 29.9.2009 को निम्‍न आदेश पारित किया गया:-

"पत्रावली पेश हुई। पक्षकार नहीं है। यह निष्‍पादन वाद केवल 500.00 वाद व्‍यय पाने हेतु प्रस्‍तुत किया गया है। विपक्षी की ओर से यह स्‍पष्‍ट किया गया है कि परिवादी से विद्युत की बकाया राशि अभी तक जमा नहीं की गई। बिल में ही 500.00 को समायोजित किया जा चुका है। बिल की प्रति दाखिल है।

अत: 500.00 रूपये की वसूली हेतु कोई आदेशिका जारी करना उचित न पाते हुए यह निष्‍पादन वाद पूर्ण संतुष्टि के आधार पर निस्‍तारित की गई है।"

निष्‍पादन वाद में पारित प्रश्‍नगत आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/परिवादी की ओर से अपील योजित की गई है।  

प्रस्‍तुत अपील विगत लगभग 15 वर्षों से लम्बित है एवं पूर्व में अनेकों तिथियों पर अधिवक्‍तागण की अनुपस्थिति के कारण स्‍थगित की जाती रही है। आज मेरे द्वारा उभय पक्ष की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता द्व्‍य के कथनों को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।

मेरे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता के कथनों को सुनने के पश्‍चात तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा इजराय वाद में पारित प्रश्‍नगत आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों पर विचार करने के उपरांत जो आदेश पारित किया गया है वह पूर्णत: विधि सम्‍मत है एवं प्रश्‍नगत आदेश में किसी

 

-4-

प्रकार का संशोधन किये जाने का कोई पर्याप्‍त एवं उचित आधार नहीं पाया जाता है, तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

अंतरिम आदेश यदि कोई पारित हो, तो उसे समाप्‍त किया जाता है।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

   

                          (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                

                                          अध्‍यक्ष                                                                                                                        

 

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.