Uttar Pradesh

StateCommission

A/892/2022

Smt. Nirmala Devi - Complainant(s)

Versus

Kanpur Development Authority - Opp.Party(s)

Vikas Pandey

07 Sep 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/892/2022
( Date of Filing : 05 Sep 2022 )
(Arisen out of Order Dated 05/08/2022 in Case No. C/2009/824 of District Kanpur Nagar)
 
1. Smt. Nirmala Devi
W/o Sri Radhey Shyam Katiyar R/o H.no. 117/20A Geeta Nagar Dist. Kanpur Nagar
...........Appellant(s)
Versus
1. Kanpur Development Authority
Kanpur Nagar
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 07 Sep 2022
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

अपील संख्‍या- 892/2022

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्‍या- 824/2009 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 05-08-2012 के विरूद्ध)

 

श्रीमती निर्मला देवी उम्र 63 वर्ष, पत्‍नी श्री राधे श्‍याम कटियार, निवासी- हाउस नं० 177/ओ./20ए, गीता नगर, जिला कानपुर नगर।

  •  

                       बनाम

कानपुर डेवलपमेंट अथारिटी, आफिस स्थित मोतीझील कानपुर नगर द्वारा वाइस चेयरमैन।

  •  

समक्ष  :-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

 

उपस्थिति :

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित-  विद्वान अधिवक्‍ता श्री विकास पाण्‍डेय

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित-  कोई उपस्थित नहीं।

दिनांक : 29-09-2022

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

 निर्णय

       प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी श्रीमती निर्मला देवी द्वारा विद्वान जिला आयोग कानपुर नगर, द्वारा परिवाद संख्‍या- 824/2009 श्रीमती निर्मला देवी बनाम कानपुर विकास प्राधिकरण में पारित  निर्णय/आदेश दिनांक 05-08-2022 के विरूद्ध इस आयोग के समक्ष योजित की गयी है।

परिवादिनी के अनुसार आराजी नं० 524-525 मौजा विनायकपुर कानपुर नगर विकास प्राधिकरण शाविक नगर भूखण्‍ड सं० 09 हाल भूखण्‍ड संख्‍या 57 शाविक म.नं० 177/ओ./20ए, हाल मकान नं० 177/ओ./483 रकबा 350

  1.  

वर्ग मीटर में परिवादिनी 1973 से निवासिनी है तथा मकान बनवाकर निवास कर रही है। उसके पास अन्‍य कोई भूखण्‍ड नहीं है। कानपुर नगर महापालिका द्वारा परिवादिनी को एक नोटिस सामान्‍य कर के बावत दिया गया जिसे स्‍वीकार करते हुए परिवादिनी ने दिनांक 22-02-1984 को रू० 45/ "कर" जमा करके रसीद प्राप्‍त की और प्रत्‍येक वर्ष मांग के अनुसार मकान पर "कर" अदा करती रही। वर्ष 1988 में कानपुर विकास प्राधिकरण के द्वारा विनियमितीकरण की योजना लायी गयी। परिवादिनी द्वारा विपक्षी से सम्‍पर्क करके विनियमतीकरण हेतु उपरोक्‍त भूखण्‍ड की टोकन मनी 3000/-रू० दिनांक 30-08-1988 को जमा की गयी। इसके पश्‍चात परिवादिनी इन्‍तजार करती रही परन्‍तु विपक्षी प्राधिकरण द्वारा कोई सूचना नहीं दी गयी।

विपक्षी ने वर्ष 1991 में नियमतीकरण का विज्ञापन निकाला तो परिवादिनी ने सम्‍पर्क किया जिस पर विपक्षी के कर्मचारियों द्वारा बताया गया कि पुरानी कार्यवाही छोड़ दें और फिर से कुल नियमितीकरण शुल्‍क जमा करें तब परिवादिनी ने कुल धनराशि के रूप में 15,000/-रू० दिनांक 30-03-1991 को जमा किया। उक्‍त शुल्‍क जमा करने के बाद परिवादिनी ने बार-बार प्रार्थना पत्र दिया परन्‍तु कोई कार्यवाही नहीं की गयी। परिवादिनी ने पुन: प्रार्थना पत्र दिनांक 07-03-2000 को समस्‍त स्थिति को दर्शित करते हुए दिया जिसके निस्‍तारण हेतु दिनांक 28-03-2000 तिथि नियत की गयी। विपक्षी ने अपना सर्वेयर भेजा परन्‍तु सर्वेयर द्वारा कोई रिपोर्ट नहीं दी गयी। दिनांक 16-03-2000 को विपक्षी द्वारा प्रेषित पत्र परिवादिनी को प्राप्‍त हुआ जिसमें कुल क्षेत्रफल 305.69 वर्ग मीटर दिखाया गया तथा परिवादिनी द्वारा जमा धनराशि को ¼ धनराशि से कम दिखाया गया।

  1.  

प्रश्‍नगत भूखण्‍ड रकबा 350 वर्ग मीटर की जगह 305 वर्गमीटर दिखाया गया और यह भी स्‍पष्‍ट नहीं किया गया कि वर्तमान दर क्‍या है। विपक्षी ने ¼ भाग की बात कह कर कुल 18,000/-रू० जमा कराया। पुन: सन् 2007 में अक्‍टूबर माह में विपक्षी ने नियमितीकरण के आवेदन के निस्‍तारण की बात की परन्‍तु विपक्षी प्राधिकरण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। कथन किया कि परिवादिनी विपक्षी की उपभोक्‍ता है, विपक्षी ने कार्यवाही न करके सेवा में कमी की है। अत: विवश होकर परिवाद जिला आयोग के समक्ष दाखिल किया गया।

विपक्षी द्वारा जवाबदावा प्रस्‍तुत करते हुए परिवादिनी द्वारा 3000/-रू० नियमितीकरण शुल्‍क लिया जाना स्‍वीकार किया है। इस हेतु विज्ञापन निकाला जाना भी स्‍वीकार किया गया है। विपक्षी द्वारा परिवादिनी को पत्र जारी किया जाना भी स्‍वीकार किया गया तथा कहा गया कि प्रश्‍नगत भूखण्‍ड के सम्‍बन्‍ध में कोई स्‍वत्‍व अभिलेख प्रस्‍तुत नहीं किये गये। निरीक्षण के बाद संज्ञान में आया कि प्रश्‍नगत भूखण्‍ड कोई प्राइवेट भूमि है और विधानत: उसका नियमितीकरण नहीं हो सकता है। विपक्षी द्वारा कहा गया है कि परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार उपभोक्‍ता आयोग को नहीं है। परिवाद खारिज होने योग्‍य है।

परिवादिनी द्वारा विपक्षी के जवाबदावा का खण्‍डन करते हुए कहा गया है कि परिवादिनी का प्रश्‍नगत भूखण्‍ड पर कब्‍जा विगत 40 वर्षों से है। किसी का भी नाम दर्ज नहीं है और विपक्षी द्वारा परिवादिनी से कुल 40,000/-रू० वर्षों पूर्व जमा कराया जा चुका है ऐसी स्थिति में नियमितीकरण न करना नैसर्गिक सिद्धान्‍तों के विपरीत है। परिवादिनी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

  1.  

विद्वान जिला आयोग द्वारा उभय-पक्ष को सुनने एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का परिशीलन करने के उपरान्‍त निम्‍न आदेश पारित किया गया है:-

" परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी कानपुर विकास प्राधिकरण को आदेशित किया जाता है कि वह निर्णय के 30 दिन के अन्‍दर परिवादिनी को उसके द्वारा नियमितीकरण हेतु जमा धनराशि रू० 19,045/- दिनांक 01 अप्रैल 1991 से भुगतान की तिथि तक 12 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज सहित अदा करें तथा क्षतिपूर्ति के रूप में 20,000/- रू० तथा वाद व्‍यय के रूप में 5000/-रू० भी अदा करें।"

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/परिवादिनी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री विकास पाण्‍डेय उपस्थित हुए। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।

मेरे द्वारा अपीलार्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का सम्‍यक रूप से परिशीलन किया गया। मैने विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश का भी अवलोकन किया ।

उपरोक्‍त समस्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए तथा यह कि विद्वान जिला आयोग द्वारा परिवाद पत्र में उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का सम्‍यक रूप से परीक्षण एवं परिशीलन करने के उपरान्‍त जो निर्णय पारित किया गया है वह पूर्णत: उचित है। जहॉं तक विद्वान जिला आयोग द्वारा नियमितीकरण हेतु जमा धनराशि दिनांक 01 अप्रैल 1991 से भुगतान की तिथि तक 12 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज देयता निर्धारित की गयी है उसे संशोधित

 

  1.  

करते हुए 18 प्रतिशत साधारण वार्षिक की दर से अदा करने हेतु आदेशित किया जाता है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

                           आदेश

प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश में ब्‍याज दर संशोधित करते हुए 12 प्रतिशत के स्‍थान पर 18 प्रतिशत किया जाता है तथा क्षतिपूर्ति के रूप में 20,000/-रू० तथा वाद व्‍यय के रूप में 5000/-रू० अदा करने हेतु विपक्षी कानपुर डेवलपमेंट अथारिटी को आदेशित किया जाता है।

उपरोक्‍त समस्‍त धनराशि एवं हर्जाना विपक्षी प्राधिकरण द्वारा 30 दिन की अवधि में अदा किये जाने हेतु आदेशित किया जाता है।

      आशुलि‍पिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

                (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                          

                                अध्‍यक्ष                                        

 

 

कृष्‍णा–आशु0

कोर्ट नं0 1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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