Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

CC/453/10

MANISH KUMAR SHARMA - Complainant(s)

Versus

KANPUR CENTRAL RAILWAY STATION - Opp.Party(s)

03 Sep 2014

ORDER

CONSUMER FORUM KANPUR NAGAR
TREASURY COMPOUND
 
Complaint Case No. CC/453/10
 
1. MANISH KUMAR SHARMA
KIDWAI NAGAR KANPUR
...........Complainant(s)
Versus
1. KANPUR CENTRAL RAILWAY STATION
KANPUR NAGAR
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. RN. SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH MEMBER
 HON'BLE MRS. SUNITA BALA AWASTHI MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

                                                                 जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम कानपुर नगर

                                 अध्यासीनः     डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष    
                                  पुरूशोत्तम सिंह..............................................सदस्य

                                                             उपभोक्ता परिवाद संख्याः-453/2010

                  मनीश कुमार षर्मा बालिग पुत्र श्री षिव नरेन्द्र षर्मा निवासी मकान नं0-175/6, बाबूपुरवा कालोनी किदवई नगर, कानपुर नगर।
                                                                                                                                                                              ................परिवादी
                                                                                                       बनाम
1.    स्टेषन अधीक्षक, कानपुर सेन्ट्रल, कानपुर नगर।
2.    डी.आर.एम., उ0म0 रेलवे इलाहाबाद।
3.    देवी प्रसाद पुत्र श्री बद्री प्रसाद निवासी 10/2, सफेद कालोनी, किदवई नगर, कानपुर नगर।
                                                                                                        ..............विपक्षीगण
                                                                                                                                             परिवाद दाखिल होने की तिथिः 14.07.2010
                                                                                                                                                निर्णय की तिथिः 29.09.2015
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
 ःःः       

                                                       निर्णयःःः


1.    परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी को विपक्षी सं0-1 व 2 से अपर्याप्त सुविधा देने के कारण परिवादी की फीस का हुवा नुकसान रू0 50,000.00, क्षतिपूर्ति रू0 40,000.00, वाद खर्च रू0 9000.00 कुल खर्च रू0 99000.00 व उस पर भुगतान होने की तिथि तक 18 प्रतिषत की दर से ब्याज भी विपक्षी सं0-1 व 2 से दिलाया जाये।
2.    परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी पेसे से अधिवक्ता है। परिवादी विपक्षी सं0-3 की पुत्री रीता कुषवाहा के कानपुर में विचाराधीन तमाम मुकद्मों में बतौर अधिवक्ता है और उसके गुजारे भत्ते, दहेज व स्त्री धन वापसी के मुकद्मों को लड़ रहा है, जिसमें कि वर्तमान समय में गुजारा भत्ते का वाद समाप्त हो गया है। विपक्षी सं0-3 का एक एम0एम0पंचम कानपुर नगर में वाद सं0-1256/06 रीता कुषवाहा बनाम रामपाल कुषवाहा के नाम से धारा-323, 504, 506, 406, 420 आई.पी.सी. थाना-किदवई नगर के एक मामले में अभि0गणों को 
                                                                                                                                                                                                  ..........2
...2...

मा0 न्यायालय द्वारा तलब फरमाये जाने के आदेष दिनांक 25.07.06 के विरूद्ध अभि0गणों ने मा0 उच्चन्यायालय इलाहाबाद ने क्रिमिनल मिस्क एप्लीकेषन सं0-11504/06 के अंतर्गत स्टे ले लिया था। जिसमें कि बाद में उपरोक्त क्रिमिनल मिस्क एप्लीकेषन के अंतर्गत मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने अपने निर्णय दिनांक 21.09.07 में अभि0गणों के विरूद्ध उपरोक्त वाद चलाये जाने से इंकार कर दिया था। विपक्षी सं0-3 मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित निर्णय दिनांक 21.09.07 से असंतुश्ट था। जिसके कारण परिवादी से संपर्क करके उक्त आदेष के विरूद्ध अपील करने का फैसला लिया। विपक्षी सं0-3 की सहमति से परिवादी की फीस रू0 1,00,000’00 तय हुई, जिसमें रू0 50,000.00 दिल्ली के अधिवक्ता एस0एन0 भरद्वाज को देय थी, किन्तु उपरोक्त मुकद्में की बहस की तिथि 17.11.08 थी, जो कि दिल्ली के अधिवक्ता एस0एन0 भरद्वाज को परिवादी द्वारा फोन से बतायी गयी। फलस्वरूप विपक्षी सं0-3 के द्वारा श्रमषक्ति एक्सप्रेस से दिनांक 16.11.08 को जाने का और वापसी का दिनांक 17.11.08 का रिजर्वेषन करवाया गया। दिनांक 16.11.08 को परिवादी का रिजर्वेषन आर.ए.सी. संभवतः 114 व 115 था। सोने की षायिका न मिल पाने के कारण परिवादी ने विपक्षी से बात करके कानपुर आ रही दूसरी ट्रेन नं0-4083 महानन्दा एक्सप्रेस में ट्रेन के टी0टी0 से रू0 220.00 की अतिरिक्त रसीद कटवाकर बैठ गये। महानन्दा एक्सप्रेस के टी.टी. ने यह बताया कि उन्हें सोने की षायिका मिल जायेगी। यह भी बताया था कि ट्रेन का दिल्ली पहुॅचने का समय प्रातः 5 बजे है। महानन्दा एक्सप्रेस मौसम साफ होने के बावजूद भी सुबह 5 बजे के स्थान पर षायं 5 बजे पहुॅची थी, जिससे परिवादी, विपक्षी सं0-3 की सुप्रीम कोर्ट में नियत अपील में श्री एस0एन0 भरद्वाज एडवोकेट के साथ खड़े होकर बहस नहीं कर सके। जिसके कारण मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा उपरोक्त स्पेषल लीव अपील सं0-17503/08 को वापस मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद हेतु रिमान्ड हेतु वापस कर दिया था। परिवादी द्वारा स्वयं की तथा विपक्षी सं0-3 के नाम की टिकट जो श्रमषक्ति से आने-जाने की थी, उसे कैन्सिल करा लिया गया था।  परिवादी द्वारा स्वयं के तथा  विपक्षी  सं0-3 रात में  रूकने के 
............3

....3....

लिए रू0 1000.00 भी व्यय करना पड़ा। महानन्दा ट्रेन के उपरोक्तानुसार विलम्ब के कारण परिवादी को रू0 50,000.00 फीस का नुकसार हुआ। क्योंकि उपरोक्त स्पेषल लीव अपील  रिमाण्ड हो जाने के कारण विपक्षी सं0-3 द्वारा परिवादी की फीस रू0 50,000.00 दिया जाना इस आधार पर देय थी कि परिवादी बहस के दौरान मा0 उच्चतम न्यायालय में मौजूद होकर दिल्ली के अधिवक्ता एस0एन0 भरद्वाज का सहयोग करेंगे। परिवादी को फीस न मिलने की एकमात्र जिम्मेदारी विपक्षी सं0-1 व 2 पर है। अतः परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किया जाये।
3.     विपक्षी की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादी ने तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर परिवाद प्रस्तुत किया गया है। परिवादी को पहले ही बताया था कि महानन्दा एक्सप्रेस पहले ही अपने निर्धारित समय से 15 घंटे विलम्ब से चल रही है। इस आषय की नोटिस भी नोटिस बार्ड में लगा दी गयी थी और प्रसारण भी किया जा रहा था। उक्त ट्रेन का कानपुर में 9ः10 बजे था और कानपुर से जाने का समय षायं 6 बजे का था। परिवादी द्वारा श्रमषक्ति ट्रेन में आरक्षित टिकट को रद्द करने का उसका ही निर्णय गलत था। क्योंकि उक्त ट्रेन निर्धारित समय पर दिल्ली पहुॅचने के समय से चल रही थी। रेलवे, ट्रेन के निर्धारित समय पर चलने की कोई गारंटी नहीं देता है। महानंदा एक्प्रेस पहले से ही उत्तर मध्य रेलवे जोन से विलम्ब से चल रही थी। उक्त विलम्ब विपक्षी सं0-1 व 2 नियंत्रण में नहीं था। स्वयं परिवादी के द्वारा, दिनांक 16.11.08/17.11.08 को महानन्दा एक्सप्रेस के 15 घंटे विलम्ब से चलने से विषिश्ट रूप से इंकार नहीं किया गया है। इसलिए विपक्षीगण को उक्त विलम्ब के लिए आक्षेपित नहीं किया जा सकता। परिवादी द्वारा याचित क्लेम अवैज्ञानिक रूप से बिना आंकलित किये हुए और बिना किसी साक्ष्य के प्रस्तुत किया गया है। विपक्षीगण के द्वारा सेवा में कोई कमी कारित नहीं की गयी है। अतः प्रस्तुत परिवाद निरस्त किया जाये।
4.    विपक्षी सं0-3 की ओर से आपत्ति के रूप में जवाब दावा प्रस्तुत 
..........4
...4...

करके परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और यह याचना की गयी है कि विपक्षी सं0-3 की किसी भी प्रकार की कोई जिम्मेदारी न निर्धारित करने की कृपा करें।
5.    परिवादी की ओर से, विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से प्रस्तुत प्रतिवाद पत्र का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और अतिरिक्त प्रति आपत्ति में यह कहा गया है कि परिवादी द्वारा अपने कथन को समस्त प्रमाणों के जरिये साबित किया गया है। विपक्षी सं0-1 व 2 अपनी कमी को छिपाने के लिए परिवादी की कमी बता रहे हैं। विपक्षीगण को यह कहने का कोई हक नहीं है कि परिवादी ने अपना निर्णय क्यों बदला व अपनी ट्रेन क्यों बदली। परिवादी अपनी परिस्थितियों के हिसाब से निर्णय करने का अधिकार रखता है। विपक्षी सं0-1 व 2, परिवादी के द्वारा दाखिल साक्ष्यों के आधार पर अपर्याप्त सुविधा देने के पूरी तरह से दोशी हैं और क्षतिपूर्ति अदा करने के लिए जिम्मेदार हैं। विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत जवाब दावा खारिज करते हुए परिवादी के हक में आपेक्षित धनराषि दिलाये जाने का आदेष पारित किया जाये।
परिवादी की ओर से दाखिल किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6.     परिवादी ने अपने कथनों के समर्थन में स्वंय का षपथपत्र दिनांकित 12.07.10 व 10.12.13 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में आदेषिका दिनांकित 25.07.06 की प्रति, टिकट की प्रति, रिमाण्ड आदेष की प्रति, नई दिल्ली से कानपुर आने का टिकट की प्रति, नई दिल्ली से कानपुर के टिकट कैन्सिलेषन की प्रति, नोटिस की प्रति, नोटिस की डाक रसीद, विपक्षी द्वारा दिये गये नोटिस की प्रति, ट्रेन विलम्ब प्रमाण की प्रति तथा लिखित बहस दाखिल किया है।    
विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से दाखिल किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
7.     विपक्षी सं0-1 व 2 ने अपने कथनों के समर्थन में अरूण त्रिपाठी, मण्डल यातायात प्रबन्धक, उत्तर मध्य रेलवे कानपुर सेन्ट्रल का षपथपत्र दिनांकित 20.02.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में ट्रेन षेड्यूल की प्रति तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
..........5
...5....

ःःनिष्कर्शःः

8.        फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं उभयपक्षों द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया। 
    उभयपक्षों की ओर से प्रस्तुत की गयी लिखित बहस एवं मौखिक बहस तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों के अवलोकन से विदित हेाता है कि परिवादी का एक तर्क यह है कि परिवादी ने दिनांक 16.11.08 को श्रम षक्ति से जाने का और दिनांक 17.11.08 को वापस आने का रिजर्वेषन करवाया था। किन्तु उक्त ट्रेन में सोने की षायिका न मिल पाने के कारण परिवादी ने विपक्षी से बात करके कानपुर आ रही ट्रेन नं0-4083 महानन्दा एक्सप्रेस में मेल के टी.टी. से रू0 220.00 की अतिरिक्त रसीद कटवाकर बैठ गया। क्योंकि ट्रेन के टी.टी. ने यह बताया कि परिवादी को सोने की षायिका उसकी ट्रेन में मिल जायेगी। परिवादी का यह भी कथन है कि महानन्दा एक्सप्रेस के टी.टी. ने यह भी बताया था कि ट्रेन का दिल्ली पहुॅचने का समय प्रातः 5 बजे का है। किन्तु उक्त ट्रेन सुबह 5 बजे के स्थान पर षायं 5 बजे पहुॅची थी। ट्रेन के विलम्ब से पहुॅचने के कारण परिवादी जो कि पेषे से अधिवक्ता है और उसे दूसरे दिन दिनांक 17.11.08 को सुप्रीमकोर्ट में नियत स्पेषल लीव अपील सं0-17503/08 में उपस्थित होना था, उपरोक्त अपील में उपस्थित नहीं हो सका। परिवादी द्वारा महानन्दा एक्सप्रेस के विलम्ब से पहुॅचने से विपक्षीगण के द्वारा सेवा में कमी होना बताया गया है और याचित क्षतिपूर्ति दिलाये जाने की याचना की गयी है। विपक्षीगण के द्वारा सेवा में किसी प्रकार से की गयी अभिकथित कमी से इंकार किया गया है और यह तर्क किये गये हैं कि महानन्दा एक्सप्रेस पहले से ही अपने निर्धारित समय से 15 घंटे विलम्ब से चल रही थी। इस आषय की नोटिस भी, नोटिस बोर्ड पर लगा दी गयी थी और प्रसारण भी किया जा रहा था। परिवादी द्वारा श्रमषक्ति एक्सप्रेस में आरक्षित टिकट को रद्द करने का उसका ही निर्णय था। श्रमषक्ति एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय से चल रही थी। इसके अतिरिक्त रेलवे, ट्रेन के निर्धारित समय पर चलने की कोई गारंटी नहीं देता है। महानन्दा
.........6
....6....

 

एक्सप्रेस पहले से ही उत्तर मध्य रेलवे जोन से विलम्ब से चल रही थी, जो कि विपक्षी सं0-1 व 2 के नियंत्रण में नहीं था। स्वयं परिवादी के द्वारा दिनांक 16.11.08/17.11.08 को महानन्दा एक्सप्रेस के 15 घंटे विलम्ब से चलने से विषिश्ट रूप से इंकार नहीं किया गया। इसलिए विपक्षीगण को उक्त विलम्ब के लिए आक्षेपित नहीं किया जा सकता। परिवाद पत्र निरस्त किया जाये।
    उपरोक्तानुसार उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों के सम्यक परिषीलन से विदित हेाता है कि परिवादी द्वारा विषिश्ट रूप से इस बात से इंकार नहीं किया गया है कि दिनांक    16.11.08/17.11.08 को महानन्दा एक्सप्रेस के 15 घंटे विलम्ब से चलने की जानकारी उसे नहीं थी, जिससे यह अवधारणा बनती है कि परिवादी को यह बात ज्ञात थी कि महानन्दा एक्सप्रेस जिससे परिवादी यात्रा करना चाह रहा, पहले से ही 15 घंटे विलम्ब से उत्तर मध्य रेलवे जोन से चल रही थी। परिवादी द्वारा विपक्षीगण के इस कथन का कि रेलवे ट्रेन के निर्धारित समय पर चलने की कोई गारंटी नहीं देता है-का विषिश्ट रूप से खण्डन नहीं किया गया है। विपक्षीगण के उपरोक्त तर्कों के विरूद्ध परिवादी की ओर से कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किये गये हैं। जिससे यह स्पश्ट होता है कि विपक्षी रेलवे विभाग द्वारा यात्री को ट्रेन के समय से पहुॅचने की कोई गारंटी नहीं दी जाती है। अतः क्षतिपूर्ति के लिए विपक्षी सं0-1 व 2 को उत्तरदायी नहीं बनाया जा सकता है। विपक्षी सं0-3 का कोई रोल ट्रेन का समय से चलाने का नहीं बताया गया है। अतः विपक्षी सं0-3 को क्षतिपूर्ति के लिये उत्तरदायी नहीं बनाया जा सकता है। विपक्षीगण द्वारा अपने जवाबदावे में, यह कथन स्पश्ट रूप से किया गया है कि महानन्दा एक्सप्रेस के विलम्ब से चलने की नोटिस, नोटिस बोर्ड में चस्पा कर दी गयी थी और इस आषय का प्रसारण भी किया जा रहा था, जिससे यह स्पश्ट होता है कि परिवादी द्वारा, उपरोक्त परिस्थितियों के बावजूद महानन्दा एक्सप्रेस से यात्रा करने का जोखिम अपने स्वयं के द्वारा लिया गया है। जिसके लिए विपक्षीगण को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है।
........7
;7द्ध

    उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों एवं उपरोक्तानुसार उपरोक्त प्रस्तर में दिये गये कारणों से फोरम इस मत का है कि परिवादी द्वारा, विपक्षीगण के विरूद्ध सेवा में कमी कारित किया जाना साबित नहीं किया जा सका है।
    परिवादी की ओर से अपने कथन के समर्थन में विधि निर्णय 2014 ;1द्ध ब्च्त् 386 ;छब्द्ध यू0ओ0आई0 द्वारा डी.आर.एम. सियालदह डिवीजन एवं अन्य बनाम षा0 सुसांत कुमार साहा, विधि निर्णय 2013  ;1द्ध ब्च्त् 459 ;छब्द्ध इण्डियन एयरलाइन्स बनाम के0 बालचन्द्रन थम्पी एवं अन्य, विधि निर्णय 2013 ;3द्ध ब्च्त् 69 ;ज्ण्छण्द्ध दक्षिण रेलवे बनाम जी0 बालू में प्रतिपादित विधिक सिद्धांतों की ओर फोरम का ध्यान आकृश्ट किया गया है। मा0 राज्य आयोग चेन्नई एवं मा0 राज्य राश्ट्रीय आयोग का सम्पूर्ण सम्मान रखते हुए स्पश्ट करना है कि उपरोक्त विधि निर्णयों में उल्लिखित तथ्यों की, प्रस्तुत मामलें के तथ्यों के साथ अनुरूपता न होने के कारण उपरोक्त विधि निर्णयों में प्रतिपादित विधि सिद्धांत प्रस्तुत मामले में लागू नहीं होते हैं।
    विपक्षीगण की ओर से विधि निर्णय 2005 ;3द्ध ब्च्त् 212 डा0 पषुपतिनाथ भरद्वाज बनाम संयुक्त निदेषक एवं अन्य में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत की ओर फोरम का ध्यान आकृश्ट किया गया है। मा0 राज्य आयेाग राजस्थान का संपूर्ण सम्मान रखते हुए स्पश्ट करना है कि उपरोक्त विधि निर्णय में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत प्रस्तुत मामले के तथ्यों के अनुरूप होने के कारण प्रस्तुत मामले में लागू होता है। क्योंकि प्रस्तुत मामले में विपक्षीगण के द्वारा अपने जवाब दावे में यह स्पश्ट रूप से कहा गया है कि महानन्दा एक्सप्रेस के विलम्ब की सूचना, सूचना पट्ट पर चस्पा कर दी गयी थी और प्रसारण भी किया जा रहा था। विपक्षी सं0-1 व 2 के द्वारा अपने उपरोक्त कथन की पुश्टि षपथपत्र से की गयी है। जबकि परिवादी की ओर से विपक्षीगण के उपरोक्त कथन के विरूद्ध कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।
    उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श से फोरम इस मत का है कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
.......8
.....8.....

ःःःआदेषःःः
उपरोक्त कारणों से परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध खारिज किया जाता है। उभयपक्ष अपना-अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे। 

                (पुरूशोत्तम सिंह)                   (डा0 आर0एन0 सिंह)
            सदस्य                                अध्यक्ष
   जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश             जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
        फोरम कानपुर नगर।                       फोरम कानपुर नगर।

    आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।


                (पुरूशोत्तम सिंह)                   (डा0 आर0एन0 सिंह)
            सदस्य                                अध्यक्ष
   जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश             जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
        फोरम कानपुर नगर।                       फोरम कानपुर नगर।   


परिवाद सं0-453/2010

29.09.2015
मुकद्मा पुकारा गया। निर्णय सुनाया गया।
ःःःआदेषःःः
    उपरोक्त कारणों से परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध खारिज किया जाता है। उभयपक्ष अपना-अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे। 

            (पुरूशोत्तम सिंह)                (डा0 आर0एन0 सिंह)
        सदस्य                              अध्यक्ष

 
 
[HON'BLE MR. RN. SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. SUNITA BALA AWASTHI]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.