Uttar Pradesh

StateCommission

A/1998/3054

Jai Kisan Cold Storage - Complainant(s)

Versus

Kandhi Singh - Opp.Party(s)

T H Naqvi

09 Feb 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1998/3054
( Date of Filing : 15 Dec 1998 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Jai Kisan Cold Storage
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Kandhi Singh
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 09 Feb 2021
Final Order / Judgement

                                                                                                        

                                                     (मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

 

अपील सं0- 3054/1998

Manager Jai kisan Cold storage and Ice Factory Shikarpur, Bulandshaher.

                                                                      ………Appellant

 

Versus

Kanchchi singh, son of Shri Chhotey singh, resident of Tayyabpur, Post and Thana Shikarpur, District Bulandshaher.

                                 ……….Respondent

समक्ष:-                       

1. माननीय श्री गोवर्धन यादव, सदस्‍य।

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

 

अपीलार्थी की ओर से             : श्री टी0एच0 नकवी,

                              विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से               : कोई नहीं।

 

दिनांक:- 09.02.2021

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित

                                                 

निर्णय

          परिवाद सं0- 464/1991 कन्‍छी सिंह बनाम प्रबंधक जय किसान कोल्‍ड स्‍टोरेज एण्‍ड आइस फैक्‍ट्री शिकारपुर में पारित निर्णय एवं आदेश दि0 16.11.1998 के विरूद्ध उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के अंतर्गत यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। जिला उपभोक्‍ता आयोग ने अपीलार्थी/विपक्षी को निर्देशित किया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के आलू की 95 बोरी नष्‍ट हो जाने के कारण 250/-रू0 प्रति बोरी की दर से 23,750/-रू0 मय 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज अदा किया जाए। दि0 17.12.1998 तक भुगतान न होने के बाद 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज अदा करने का आदेश दिया गया है। साथ ही अंकन 5,000/-रू0 क्षतिपूर्ति एवं वाद व्‍यय के मद में अदा करने का आदेश दिया गया है।

          परिवाद में वर्णित तथ्‍यों के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा कुल 189 बोरी आलू अपीलार्थी/विपक्षी के शीतगृह में रखे गये थे जिनमें से 95 बोरी आलू नष्‍ट हो गए और प्रत्‍यर्थी/परिवादी कुल 94 बोरी आलू अपने घर ले गया। 95 बोरी आलू नष्‍ट हो जाने के कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादी की 32 बीघा जमीन की बुवाई नहीं हो सकी, इसलिए 250/-रू0 प्रति बोरी की दर से मांग करते हुए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है।

          अपीलार्थी/विपक्षी को शीतगृह में आलू रखना स्‍वीकार है, परन्‍तु इस तथ्‍य से इंकार है कि आलू खराब हुए हों। सही स्थिति में आलू प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्राप्‍त करा दिये गए थे। आलू का किराया अंकन 4,536/-रू0 में से केवल 110/-रू0 अदा किए हैं प्रत्‍यर्थी/परिवादी इस राशि का भुगतान नहीं करना चाहता है, इसलिए गलत तथ्‍यों के आधार पर परिवाद प्रस्‍तुत किया है।   

          उभयपक्ष के साक्ष्‍य पर विचार करने के उपरांत जिला उपभोक्‍ता आयोग ने आक्षेपित निर्णय एवं आदेश पारित किया है, जिसे इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि यह निर्णय एवं आदेश विधि विरुद्ध है। अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को समस्‍त आलू प्राप्‍त करा दिया गया था और स्‍वयं प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने शीतगृह में रखे गए आलू के किराये का भुगतान नहीं किया है उस पर 4,536/-रू0 बकाया है।  

 

 

 

               

          अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री टी0एच0 नकवी को सुना गया। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।

          अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि समस्‍त आलू प्रत्‍यर्थी/परिवादी को सही दशा में उपलब्‍ध कराया गया है, परन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद पत्र में वर्णित अपने तथ्‍यों को शपथ पत्र के द्वारा साबित किया जब कि अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से अपने सेवक राधा चरन पुत्र पृथी सिंह का शपथ किया गया है जो मजदूर है जिनके द्वारा आलू की छटनी की गई है। जिला उपभोक्‍ता आयोग ने अपने निष्‍कर्ष में दिया है कि 189 बोरियों की छटनी शपथकर्ता द्वारा की गई जिसमें 84 बोरी सही निकलने की बात कही गई है। अत: अपीलार्थी/विपक्षी के स्‍वयं कर्मचारी द्वारा दिये गए शपथ पत्र से इस बात की पुष्टि की गई है कि केवल 84 बोरी आलू सही निकला और शेष आलू सही नहीं निकला। इस प्रकार प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पक्ष में दिया गया निर्णय/आदेश 95 बोरी आलू की कीमत अदा करने के सम्‍बन्‍ध में विधि सम्‍मत है।

          जिला उपभोक्‍ता आयोग ने अपने निर्णय में उल्‍लेख किया है कि भूरा के शपथ पत्र में उल्‍लेख है कि अपीलार्थी/विपक्षी को किराये की अदायगी नहीं की गई है। इस तथ्‍य का कोई खण्‍डन प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से नहीं किया गया है, इसलिए इस अखण्डित शपथ पत्र के आधार पर माना जाना चाहिए था कि शीतगृह के मालिक को आलू के किराये का भुगतान नहीं किया गया है। अत: अंकन 23750/-रू0 की राशि में से 4,536/-रू0 किराया कटौती करने के पश्‍चात ही शेष राशि अदा करने का आदेश दिया जाना चाहिए था, अत: अपील अंशत: इस सीमा तक स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

          अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी केवल 19,214/-रू0 अपीलार्थी/विपक्षी से प्राप्‍त करेगा और इस राशि पर इसी प्रकार क्षतिपूर्ति के मद में 5,000/-रू0 के स्‍थान पर 1,000/-रू0 प्राप्‍त करेगा। शेष निर्णय पुष्‍ट किया जाता है।    

          अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।                    

 

     (गोवर्धन यादव)                          (सुशील कुमार) 

          सदस्‍य                                  सदस्‍य          

शेर सिंह, आशु0,                                              

कोर्ट नं0- 2

     

  

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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