( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या : 1982/2008
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि0, विद्युत नगर, डी0एल0डब्लू0 भिखारीपुर वाराणसी द्वारा चेयरमैन व दो अन्य
बनाम्
कंचन सिंह पुत्र श्री अतर सिंह निवासी ग्राम थानपुर पोस्ट-औंगथाना औंग, जिला फतेहपुर।
समक्ष :-
1-मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- कोई नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- कोई नहीं।
दिनांक : 04-08-2023
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
प्रस्तुत अपील बहुत पुरानी है और वर्ष 2008 से इस न्यायालय के सम्मुख सुनवाई हेतु सूचीबद्ध है। आज अपील की सुनवाई के समय कोई पक्ष उपस्थित नहीं है। चूंकि प्रकरण काफी पुराना है अत: मेरे द्वारा पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों का भली-भॉंति परिशीलन करने के पश्चात गुणदोष के आधार निर्णय पारित किया जा रहा है।
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परिवाद संख्या-37/2006 कंचन सिंह बनाम पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि0 व दो अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, फतेहपुर द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 19-08-2008 के विरूद्ध यह अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत की गयी है।
‘’आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है :-
जिला आयोग के आक्षेपित निर्णय व आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षीगण की ओर से यह अपील प्रस्तुत की है।
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अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी संख्या-2 के पास जमा योजना के अन्तर्गत 7.5 हार्सपावर के कनेक्शन हेतु प्रार्थना पत्र दिया, जिसे प्रतिवादी संख्या-2 द्वारा स्वीकृत करके रू0 10732.50 पैसे जमा करने का आदेश दिया गया, जिसे परिवादी ने दिनांक 16-02-1994 को पुस्तर संख्या-411617 तथा रसीद संख्या-36 के जरिये जमा कर दिया। इसके बाद विपक्षी संख्या-3 के द्वारा यह निर्देश हुआ कि रू0 982.50 पैसे और जमा करें, इस पर परिवादी ने पत्रांक 1286 दिनांक 12-09-1994 के अनुपालन में दिनांक 30-11-1994 को रसीद संख्या-15 तथा पुस्तक संख्या-555623 के जरिये रू0 982.50 पैसे जमा कर दिया, तब परिवादी को दिनांक 14-12-1996 को कनेक्शन दिया गया। परिवादी का उक्त विद्युत कनेक्शन 06 माह तक चल सका और बोरिंग फेल हो जाने के कारण विद्युत कनेक्शन दिनांक 31-05-1997 को पी0 डी0 कराने के पश्चात काट दिया गया और विपक्षी संख्या-2 के द्वारा भेजे गये पत्र 3231 दिनांक 28-09-1993 की धारा-4 के अनुसार लाइन आदि की व्यवस्था का खर्चा पहले परिवादी वहन करेगा और जिसे 05 वर्ष बाद 7.5 प्रतिशत ब्याज की दर से विपक्षी संख्या-2 परिवादी को वापस करेगा परन्तु विपक्षी संख्या-2 ने उक्त धनराशि मय ब्याज परिवादी को वापस नहीं की और विपक्षी संख्या-2 व 3 इस बात से मुकर रहे हैं और उक्त धनराशि वापस करने के बजाय उससे और धनराशि की मांग कर रहे हैं इस संबंध में दिनांक 05-05-2005 को परिवादी द्वारा प्रार्थना पत्र दिया गया कि सम्पूर्ण विवाद तय करके शेष धनराशि परिवादी को वापस की जाये जो विपक्षीगण द्वारा नहीं की गया। अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद जिला आयोग के सम्मुख योजित किया है।
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विपक्षीगण की ओर से जवाबदावा दाखिल किया गया और यह उल्लिखित किया गया कि परिवादी ने नलकूप का कनेक्शन 7.5 हार्सपावर का लिया था जो दिनांक 14-12-1996 को दिया गया था। परिवादी ने विभाग से करार अनुबंध पर कनेक्शन लिया था इस आधार पर परिवादी को कनेक्शन 02 वर्ष तक रखना चाहिए था क्योंकि अनुबंध पर कनेक्शन कम से कम दो वर्ष के लिए दिया जाता है इसलिए परिवादी के ऊपर दो वर्ष का विद्युत चार्ज 10,402/-रू0 शेष है और उसे अदा करने का दायित्व परिवादी पर है। उनकी ओर से सेवा में किसी प्रकार की कमी नहीं की गयी है।
विद्धान जिला आयोग द्वारा उभयपक्ष को विस्तारपूर्वक सुनने के पश्चात विपक्षीगण की सेवा में कमी पाते हुए परिवाद स्वीकार करते हुए उपरोक्त प्रकार से निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है।
अपील की सुनवाई के समय उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण अनुपस्थित हैं।
पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों का अवलोकन करने के पश्चात मैं इस मत का हूँ कि विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्त तथ्यों पर गहनतापूर्वक विचार करने के पश्चात विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है, जिसमें हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है, किन्तु जिला आयोग द्वारा 500/-रू0 वाद व्यय अदा करने का जो आदेश पारित किया गया है उसे वाद के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए उचित नहीं कहा जा सकता है और निरस्त किये जाने योग्य है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
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आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को संशोधित करते हुए वाद व्यय के मद में पारित आदेश अपास्त किया जाता है निर्णय के शेष भाग की पुष्टि की जाती है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपील योजित करते समय अपीलार्थी द्वारा अपील में जमा धनराशि (यदि कोई हो) तो नियमानुसार अर्जित ब्याज सहित जिला आयोग को विधि अनुसार निस्तारण हेतु यथाशीघ्र प्रेषित की जावे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1