Uttar Pradesh

StateCommission

A/1995/1616

Union Of India - Complainant(s)

Versus

Kampuri Devi - Opp.Party(s)

Dr. Uday Veer Singh

07 Apr 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1995/1616
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Union Of India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Kampuri Devi
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Bal Kumari MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 07 Apr 2016
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0, लखन

अपील संख्‍या-1616/1995

(ओरल)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, आगरा द्वारा परिवाद संख्‍या-934/1993 में पारित आदेश दिनांक 21-07-1995 के विरूद्ध)

 

Senior Superintendent of Post Offices.

                               अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम्

Smt. Kampuri Devi, widow of Late Sri Gokul Singh, R/o Village: Nevri, Agra through Shri Rajesh Singhal, Advocate, 15/5, Charau Gate, Ghatia Azam Khan, Agra-282003

                        प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान  अध्‍यक्ष।

2. माननीय श्रीमती बाल कुमारी,             सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :          डॉ0 उदयवीर सिंह

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित   :                कोई नहीं।

 

दिनांक : 25-10-2016

माननीय श्रीमती बाल कुमारी सदस्‍य द्वारा उदघोषित निर्णय

परिवाद संख्‍या-934/1993 श्रीमती कपूरी देवी बनाम् भारतीय डाक तार विभाग द्वारा अधीक्षक प्रतापपुरा, आगरा में जिला फोरम, आगरा द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांकित 21-07-1995 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत उपरोक्‍त परिवाद के विपक्षी बनाम् भारतीय डाक तार विभाग द्वारा अधीक्षक प्रतापपुरा, आगरा की ओर से आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की है।

विवादित आदेश निम्‍नवत है :-

''विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को उसके राष्‍ट्रीय बचत पत्र संख्‍या-6-एन.एस.एफ/465239 लगातार 465241 पर क्रय करने की तिथि 19-08-88 के प्रत्‍येक छ: माह बाद देय सूद की धनराशि तथा इस धनराशि पर देय तिथि से 18 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से सूद इस निर्णय की तिथि के 30 दिन के अंदर अदा करें। इसके लिए आवश्‍यक हो तो विपक्षी परिवादिनी से उक्‍त अवधि के अंदर स्‍थानान्‍तरण फार्म एन.सी.32 स्‍वयं भरवाकर ले। विपक्षी को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को उक्‍त अवधि में ही रू0 2000/- क्षतिपूर्ति के अदा करे।अवधि के अंदर पालन न किये जाने पर परिवादिनी निर्णय की तिथि को सूद सहित देय धनराशि पर जिसमें उपरोक्‍त रूपया 2000/- भी सम्मिलित किये जायेंगे, निर्णय की तिथि से 24 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से सूद पाने की अधिकारी होगी।''

     अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता डा0 उदयवीर सिंह उपस्थित आए। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं। प्रत्‍यर्थी को रजिस्‍टर्ड डाक से नोटिस दिनांक 13-05-2016 को भेजी गयी जो अदम तामील वापस प्राप्‍त नहीं हुई है और तीस दिन से अधिक का समय बीत चुका है। अत: प्रत्‍यर्थी पर नोटिस की तामीला पर्याप्‍त मानी गयी।

     हमने अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना है तथा आक्षेपित निर्णय और आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया है।

     अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश विधि विरूद्ध है।

     हमने अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता के तर्क पर विचार किया है।

     परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी/प्रत्‍यर्थी का कथन है कि उसके पति गोकु सिंह की दुर्घटना में मृत्‍यु होने पर मिल धनराशि से डाक राष्‍ट्रीय बचत पत्र उसने क्रय इसलिए कियेथे कि उसे छ: माह बाद उनके सूद की धनराशि प्राप्‍त होती रहेगी। दिनांक 23-08-88 के बाद परिवादिनी ने बेलनगंज डाकघर से सम्‍पर्क किया लेकिन उसे बताया गया कि उसके राष्‍ट्रीय बचत पत्र हस्‍तान्‍तरित होकर वहॉं प्राप्‍त नहीं हुए है। परिवादिनी ने इसके बाद भी बार-बार उक्‍त डाकघर में सम्‍पर्क किया लेकिन उसे सूद की देय धनराशि अदा नहीं की गयी। दिनांक 19-11-1992 को उसने इस संबंध में लिखित प्रार्थना पत्र भी दिया लेकिन उसका कोई उत्‍तर उसे नहीं दिया गया। परिवादिनी ने फिर दिनांक 15-05-1993 को अपने अधिवक्‍ता से नोटिस दिलाया लेकिन परिवादिनी को देय सूद की धनराशि नहीं मिली। बेलनगंज डाकघर के कर्मचारी परिवादिनी को नाहक तंग व परेशान कर रहे हैं और उचित सेवायें नहीं दे रहे हैं। इससे परिवादिनी को बहुत पेरशानी हुई व उसे बहुत खर्च करना पड़ा है। परिवादिनी अपने एन0एस0सी0 की धनराशि पर सूद की देय धनराशि पाने की अधिकारी है।वह सूद की उक्‍त देय धनराशि पर 24 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से सूद पाने की भी अधिकारी है।  इसके अतिरिक्‍त वह भाग-दौड़ एवं पत्र-व्‍यवहार के लिए रू0 500/-, मानसिक आघात के लिए रू0 5,000/- एवं विशेष क्षति के लिए रू0 5,000/- इस प्रकार 10,500/-रू0 क्षतिपूर्ति के पाने की अधिकारी है।

     विपक्षी ने अपने लिखित कथन में कहा है कि परिवादिनी के राष्‍ट्रीय बचत पत्र दिनांक 25-08-88 को बेलनगंज डाकघर में प्राप्‍त हो गये थे।परिवादिनी ने इसके पहले दिनांक 23-08-88 को बेलनगंज डाकघर में सम्‍पर्क किया था। उस समय तक छ: माह व्‍यतीत नहीं हुए थे। इसलिए परिवादिनी को कोई सूद देय नहीं था। परिवादिनीने बाद में उक्‍त डाकघर से सम्‍पर्क नहीं किया। दिनांक 19-11-92 को कोई प्रार्थना पत्र विपक्षी के उक्‍त डाकघर में प्राप्‍त नहीं हुआ1 दिनांक 15-05-1993 को जो नोटिस परिवादिनी ने दिलाया उसका उत्‍तर उसी समय दे दिया गया था। परिवादिनी यदि दिनांक 25-08-88 के बाद बेलनगंज डाकघर से सम्‍पर्क करती रहती और वहॉं उपस्थित होती तो उससे प्रार्थना पत्र संख्‍या-एन.सी.32 भरवाकर सूद की देय धनराशि अदा कर दी जाती। परिवादिनी बचत पत्र की धनराशि पर प्रत्‍येक छ:      माह के बाद सूद की धनराशि पाने की अधिकारी है। उसे ऐसा करने के लिए दूसरा प्रार्थना पत्र एन.सी.32 भरकर देना आवश्‍यक है। परिवादिनी का परिवाद पत्र सन्‍धार्य नहीं है व निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता डा0 उदयवीर सिंह उपस्थित आए और उन्‍होनें लिखित बहस दाखिल की।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से न तो कोई उपस्थित आया और न ही कोई लिखित बहस दाखिल की गयी।

हमने अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता की बहस सुनी और पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का भली प्रकार अवलोकन किया।

अपीलार्थी/विपक्षी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम ने तथ्‍यों तथा साक्ष्‍यों की अनदेखी करते हुए विधि विरूद्ध आदेश पारित किया है। अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता ने यह स्‍वीकार किया कि परिवादिनी के राष्‍ट्रीय बचत पत्र दिनांक 25-08-1988 को उक्‍त डाकघर में प्राप्‍त हो गये थे। परिवादिनी ने दिनांक 23-08-1988 को उक्‍त डाकघर पर सम्‍पर्क किया था और उस समय छ: माह नहीं हुए थे इसलिए उसे ब्‍याज की धनराशि अदा नहीं की गयी। जिला फोरम ने ब्‍याज की दर अधिक लगा दी है तथा क्षतिपूर्ति भी अधिक लगायी है। विभाग एन0एस0सी0 पर प्रस्‍तावित ब्‍याज दर अदा करने को तैयार है।

पत्रावली का परिशीलन यह दर्शाता है कि परिवादिनी द्वारा बचत पत्र दिनांक 19-08-1988 को खरीदना दोनों पक्षों को स्‍वीकार है तथा स्‍थानान्‍तरण भी स्‍वीकार है। परिवादिनी का यह कथन कि उसने दिनांक 23-08-1988 को बेलनगंज डाकघर पर सम्‍पर्क किया तो उसे ब्‍याज की धनराशि अदा नहीं की गयी तथा अपीलार्थी का कथन है कि परिवादिनी के बचत पत्र उक्‍त शाखा पर दिनांक 25-08-1988 को प्राप्‍त हुए थे और तब छ: माह नहीं हुए थे इसलिए ब्‍याज की धनराशि अदा नहीं की गयी तथा इसके बाद परिवादिनी ने कभी उक्‍त डाकघर पर सम्‍पर्क नहीं किया जबकि परिवादिनी के शपथ पत्र व कथन के अनुसार जिला फोरम ने डाकघर की सेवा में कमी मानते हुए उक्‍त आदेश पारित किया।

हम इस मत के हैं कि जिला फोरम ने अपीलार्थी को जो ब्‍याज दर देने का आदेश किया है वह उचित नहीं है। बचत पत्रों पर ब्‍याज दर समय-समय पर घटती-बढ़ती रहती है इसलिए परिवादिनी के बचत पत्रों पर 9 प्रतिशत ब्‍याज संशोधित किया जाना न्‍याय के सिद्धान्‍त में सहायक होगा तथा परिवादिनी/प्रत्‍यर्थी ने अपने बचत पत्रों पर दिनांक 19-08-1988 से ब्‍याज न मिलने के कारण जिला फोरम में वाद दायर किया इसलिए जिला फोरम द्वारा 2,000/-रू0 वाद व्‍यय भी दिया गया है जो उचित है। तद्नुसार अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

                        आदेश

     अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता फोरम, आगरा द्वारा परिवाद संख्‍या-934/1993 में पारित आदेश दिनांक 21-07-1995 को इस हद तक संशोधित किया जाता है कि परिवादिनी के बचत पत्रों पर जमा की तिथि से 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ सम्‍पूर्ण धनराशि इस आदेश के 45 दिन के अंदर अदा करें व 2,000/-रू0 क्षतिपूर्ति भी इस धनराशि के साथ अदा करें। जिला फोरम के शेष आदेश को अपास्‍त किया जाता है।

 

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)                        (बाल कुमारी)

         अध्‍यक्ष                                     सदस्‍य

 

 

कोर्ट नं0-1 प्रदीप मिश्रा

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Bal Kumari]
MEMBER

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