(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1848/2011
U.P. Sahkari Gram Vikas Bank Ltd. Vs. Smt. Kamlesh
दिनांक : 25.10.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-164/2010, श्रीमती कमलेश बनाम प्रबंधक उ0प्र0 सहकारी ग्राम विकास बैंक लि0 में विद्वान जिला आयोग, (द्वितीय) आगरा द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 07.09.2011 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर केवल अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री हेमराज मिश्रा के तर्क को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। पत्रावली एवं प्रश्नगत निर्णय/आदेश का अवलोकन किया गया।
जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए अपीलार्थी को आदेशित किया है कि वह परिवादी की सम्पत्ति से बिजेन्द्र सिंह को दिये गये ऋण के बावत कोई धन वसूल न करे।
इस निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर तथा मौखिक तर्कों का सार यह है कि बिजेन्द्र सिंह द्वारा बैंक से ऋण प्राप्त किया गया था और अपनी भूमि गिरवी रखी गयी थी, परंतु ऋण चुकाये बिना तथा गिरवी को समाप्त कराये बिना यह भूमि बिजेन्द्र नामक व्यक्ति को विक्रय कर दी गयी। विक्रय करने के पश्चात धनराशि की वसूली के लिए नोटिस दिया गया, इसलिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत कर दिया गया।
यथार्थ में परिवादिनी अपीलार्थी बैंक का उपभोक्ता नहीं है। अपीलार्थी बैंक द्वारा परिवादिनी के पक्ष में किसी प्रकार की सेवा प्रदान नहीं की गयी है। बंधक सम्पत्ति को क्रय किया गया या नहीं। बंधक सम्पत्ति को क्रय करने के पश्चात इसके क्या वैधानिक परिणाम है, इन सभी प्रश्नों का निस्तारण केवल सिविल न्यायालय द्वारा किया जा सकता है, परंतु कदाचित परिवादिनी तथा अपीलार्थी के मध्य उपभोक्ता एवं सेवा प्रदाता के संबंध नहीं है। तदनुसार जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त होने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2