(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-140/2007
पंजाब नेशनल बैंक
बनाम
कमलेश कुमार मिश्रा पुत्र स्व0 कृष्ण कुमार मिश्रा
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री एस.एम. बाजपेयी
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 12.06.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-218/2003, कमलेश कुमार मिश्रा बनाम पंजाब नेशनल बैंक में विद्वान जिला आयोग, सीतापुर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 6.12.2006 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री एस.एम. बाजपेयी को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता अनुपस्थित हैं।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए अपीलार्थी बैंक को निर्देशित किया है कि परिवादी द्वारा जो चेक जमा किए गए, उसमें वर्णित धनराशि रू0 43,150.49 पैसे परिवादी के बचत खाता संख्या 3632 में जमा कर दिया जाए साथ ही इस राशि पर 9 प्रतिशत की दर से ब्याज भी अदा करने के लिए आदेशित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी तथा उसके पिता स्व0 श्री कृष्ण मिश्रा द्वारा यूटीआई की एक योजना यूनिट-64 में संयुक्त रूप
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से यूनिट क्रय किए गए थे, जिसका भुगतान दोनों व्यक्तियों में से किसी एक को या जीवित व्यक्ति को प्राप्त होना था। परिवादी द्वारा अपने पिता की मृत्यु की सूचना यूटीआई को दी गई थी, इसलिए परिवादी के पक्ष में दो चेक जारी हुए, जिसे बचत खाता संख्या-3632 में जमा कराया गया। चेक राशि को क्लीयरेंस कराने के बावजूद धनराशि खाते में जमा नहीं कराई गई, इसलिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया।
4. विपक्षी बैंक को स्वीकार है कि दो चेक प्राप्त हुए थे, जिनकी धनराशि को क्लीयर करा लिया गया था, परन्तु परिवादी के खाते में इस आधार पर जमा नहीं कराया गया कि परिवादी की तरफ से बाऊचर पर हस्ताक्षर नहीं किए गए। परिवादी, स्व0 श्री कृष्ण कुमार मिश्रा का एक मात्र वारिस नहीं है, उनके अन्य पुत्र आदि भी हैं, इसलिए उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्राप्त करने के पश्चात ही भुगतान हो सकता था। यह उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया।
5. दोनों पक्षों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि चूंकि परिवादी तथा उसके पिता द्वारा संयुक्त रूप से यूटीआई की एक योजना में यूनिट क्रय किए गए थे, इसलिए संयुक्त क्रेताओं में से किसी की मृत्यु पर उत्तरजीवी क्रेता को चेक जारी किए गए हैं, इसलिए यह राशि परिवादी के खाते में जमा कराई जाए।
6. इस निर्णय/आदेश को यद्यपि अपील में चुनौती देने का कोई औचित्य नहीं था, परन्तु बैंक की ओर से इस स्थिति के बावजूद कि परिवादी एवं उनके पिता द्वारा संयुक्त रूप से यूटीआई द्वारा प्रदत्त यूनिट क्रय की गई थी। दोनों जीवित व्यक्ति तथा एक की मृत्यु होने पर उत्तर जीवी व्यक्ति को यूनिट को रेडीम कराने के लिए चेक जारी किए गए,
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इसलिए परिवादी के पक्ष में एक अधिकार के तहत चेक प्राप्त हुए, इसमें उत्तराधिकार प्रमाण पत्र का प्रश्न निहित नहीं था। बैंक को उत्तराधिकार प्रमाण पत्र मांगने का कोई अवसर नहीं था। बैंक द्वारा परिवादी के प्रति निश्चित रूप से तकनीकी आधार पर सेवा में कमी की गई है। अत: यह अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
7. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2