Rajasthan

Jaisalmer

28/14

Mohamand Jarif Khan - Complainant(s)

Versus

Kamla Telikom and other - Opp.Party(s)

Tiku Ram

02 Jun 2014

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जैसलमेर(राज0)

1. अध्यक्ष    ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्य    ः श्री मनोहर सिंह नरावत।
3. सदस्या   : श्रीमती संतोष व्यास।        
    
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथी – 02.06.2014
मूल परिवाद संख्या:- 28/2014


मोहम्मद जरीफ खांन पुत्र श्री मोहम्मद कबीर खांन, जाति- मुसलमान,
निवासी- गांधी काॅलोनी, जैसलमेर तहसील व जिला जैसलमेर राज.  
जैसलमेर                                    ............परिवादीनी।

बनाम

1    कमला टेलीकाॅम, गांधी काॅलोनी,जैसलमेर राजस्थान
2    सनसिटी मोबाईल गडीसर चैराहा, जैसलमेर राजस्थान
3    कारबन मोबाईल, डी-170, इण्डस्ट्रीज एरिया फेस-1, नई दिल्ली 110020 भारत

                                                         .............अप्रार्थीगण।


प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986

उपस्थित/-
1.    श्री महबूब खांन साॅवरा, अधिवक्ता परिवादी की ओर से।
2.    श्री टीकूराम गर्ग, अधिवक्ता अप्रार्थी सं. 1 व 2 की ओर से ।
3.    अप्रार्थी सं. 3 के विरूद्व एकपक्षीय कार्यवाही ।


ः- निर्णय -ः            दिनांक    ः 27.02.2015


1.    परिवाद के संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादीनी ने एक कारबन मोबाईल माॅडल नम्बर ए-7 स्टार बिल सख्या 2623 दिनांक 10.12.2013 को अप्रार्थी सं. 1 से राषि 6,600 रू का नगद भूगतान कर खरीदा परिवादी को अप्रार्थी सं.1 द्वारा मोबाईल खरीदने के समय तकनीकी खराबी आदि आने पर अप्रार्थी स. 3 से 30 दिनों के निर्धारित समय मे रिपेयरिग कराने की बात कही परिवादी पेन्टिग व डेन्टिग का कार्य करता है इस कारण परिवादी वहन की डेन्टिग के बाद मोबाईल द्वारा फोटो बनाकर सम्बधित इष्योरेन्स कम्पनी को एस.एम.एस करके भेजता है परिवादी का उक्त मोबाईल लगभग 30-40 दिन ठीक चला उसके बाद मोबाईल ने काम करना बन्द कर दिया। परिवादी का उक्त मोबाईल दिनांक 01.02.2014 को खराब हो गया जिसको लेकर वह अप्रार्थी स.1 व 2 के पास गया तथा उन्है अपना मोबाईल रिपेयरिग हैतु दिया परिवादी को अप्रार्थी सं. 1 व 2 द्वारा लगातार चक्कर लगाये गये तथा कोई संतोषजनक जवाब नही दिया तथा न ही मोबाईल रिपेयर करके आज दिनांक तक दिया। इससे आहत होकर परिवादी को कुल मानसिक आर्थिक व शारीरिक हानि पैटे 38,000 रूपये व मोबाईल रिपेयरिग करके या नया मोबाईल दिलाये जाने की प्रार्थना की।
2.    अप्रर्थी सं 1 ने जबाब पेष कर बताया कि परिवादी द्वारा उक्त मोबाईल को सही तरह से उपयोग मे नही लेने के कारण से उक्त मोबाईल मे खराबी आ गयी है जिसके लिये अप्रार्थी सं. 3 मोबाईल कम्पनी जिम्मेवार है न कि अप्रार्थी सं.1 तथा कम्पनी द्वारा मोबाईल के पूरे दिषा निर्देष मोबाईल कार्ड मे दे रखे है अलग से आष्वासन देने की जरूरत नही होती है अप्रार्थी द्वारा परिवादी का मोबाईल समय पर ठीक करके परिवादी को ले जाने के लिये कहा गया था लेकिन परिवादी द्वारा मोबाईल नही ले जाया गया है इस कारण परिवादी का कोई सेवा दोष नही है तथा परिवाद खारिज किये जाने की प्रार्थना की।
3.    हमने विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।
4.    विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पश्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है -
1.    क्या परिवादीगण एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है ?
2.    क्या विपक्षीगण का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
3.    अनुतोष क्या होगा ?
5.        बिन्दु संख्या 1:-  जिसे साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या परिवादी उपभोक्ता की तारीफ में आते है अथवा नहीं और मंच का भी सर्वप्रथम यह दायित्व रहता है कि वे इस प्रकार के विवादित बिन्दु पर सबसे पहले विचार करें, क्यों कि जब तक परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में नहीं आते हो, तब तक उनके द्वारा पेष किये गये परिवाद पर न तो कोई विचार किया जा सकता है और न ही उनका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनीयम के प्रावधानों के तहत पोषणिय होता है, लेकिन हस्तगत प्रकरण में परिवादी ने अप्रार्थी स. 1 से दिनांक 10.12.2013 को 6,600 रू का नगद भूगतान कर कारबन कम्पनी का माॅडल नम्बर ए-7 स्टार खरीदा था इसलिए हमारी विनम्र राय में परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2; 1द्ध;क्द्ध के तहत एक उपभोक्ता की तारीफ में आते है, फलतः बिन्दु संख्या 1 परिवादी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
6.    बिन्दु संख्या 2:-    जिसे भी साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या विपक्षीगण का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटी के दोष की तारीफ में आता है अथवा नहीं ? परिवादी के विद्वान अभिभाषक की दलील है कि परिवादी ने एक कारबन मोबाईल माॅडल नम्बर ए-7 स्टार बिल सख्या 2623 दिनांक 10.12.2013 को अप्रार्थी सं. 1 से राषि 6,600 रू का नगद भूगतान कर खरीदा तथा परिवादी को अप्रार्थी सं.1 द्वारा मोबाईल खरीदने के समय तकनीकी खराबी आदि आने पर अप्रार्थी स. 3 को भेजकर 30 दिनों के निर्धारित समय मे रिपेयरिग कराने की बात कही तथा इस कारण परिवादी ने उक्त मोबाईल अप्रार्थी स. 1 के विष्वास दिलाने पर खरीदा था। परिवादी पेन्टिग व डेन्टिग का कार्य करता है इस कारण परिवादी को वाहन की डेन्टिग के बाद मोबाईल द्वारा फोटो बनाकर सम्बधित इष्योरेन्स कम्पनी को एस.एम.एस करके भेजता है परिवादी का उक्त मोबाईल लगभग 30-40 दिन ठीक चला उसके बाद मोबाईल ने काम करना बन्द कर दिया। परिवादी का उक्त मोबाईल दिनांक 01.02.2014 को खराब हो गया जिसको लेकर वह अप्रार्थी स.1 व 2 के पास गया तथा उन्है अपना मोबाईल रिपेयरिग हैतु दिया परिवादी को अप्रार्थी सं. 1 व 2 द्वारा लगातार चक्कर लगाये गये तथा कोई संतोषजनक जवाब नही दिया तथा न ही मोबाईल रिपेयर करके आज दिनांक तक दिया। जिससे आहत होकर परिवादी ने यह परिवाद दायर किया है परिवादी का उक्त कृत्य सेवा दोष की श्रेणी मे आता है जिस कारण अप्रार्थीगण से कुल मानसिक आर्थिक व शारीरिक हानि पैटे 38,000 रूपये व मोबाईल रिपेयरिग करके या नया मोबाईल दिलाये जाने की प्रार्थना की।
7.    इसका प्रबल विरोध करते हुए अप्रार्थी स.1 व 2 की दलील है कि परिवादी द्वारा उक्त मोबाईल को सही तरह से उपयोग मे नही लेने के कारण खराबी आई है परिवादी अप्रार्थी सं. 1 का उपभोगता नही है व मोबाईल कम्पनी का उपभोक्ता है अप्रार्थी स. 1 द्वारा समय पर मोबाईल रिपेयरिग हैतु कम्पनी को भेज दिया था इस कारण उसने कोई सेेवा दोष कारित नही किया है तथा परिवादी का मोबाईल ठीक होने के पश्चात् परिवादी द्वारा वापस मोबाईल नही ले जाया जा रहा है इस कारण अप्रार्थीगण की कोई गलती नही है इसलिए परिवाद को मय हर्ज खर्च की खारिज किये जाने का निवेदन किया।

8.    उपभयपक्ष के तर्को की रोषनी में पत्रावली पर उपस्थित साक्ष्यके आधार पर हमारी राय इस प्रकार है कि परिवादी ने अपने परिवाद व शपथ बयानो मे यह बताया है कि उसने अप्रार्थी सं.1 से दिनांक 10.12.2013 को 6600 रूपये मे मोबाईल नम्बर ए-7 स्टार बिल नम्बर 2623 द्वारा क्रय किया गया था परिवादी ने अपनी साक्ष्य मे यह भी बताया है कि जब उसका मोबाईल खराब हो गया तो अप्रार्थी स.1 द्वारा दिनांक 03.02.2014 को अप्रार्थी सं. 2 के पास रिपेयर सेन्टर भेजा गया जिस पर अप्रार्थी स. 2 ने कस्टमर रसीद,जाॅब सीट न. ज्ञश्र.।ैच्त्श्र.122214 ज्ञ2154 ।ैच् ब्व्क्म् छन्डठम्त् ज्ञश्र.।ैच्त्श्र122 दी गई और कहा कि 1-2 दिन मे मोबाईल रिपेयर करके दे दिया जायेगा परन्तु बार-बार कहने के बावजूद भी 3 महीने से ज्यादा का समय हो गया लैकिन मोबाईल ठीक करके नही दिया ओर बार-बार चक्कर लगाने से परेषान हो गया और उसे आर्थिक,मानसिक परेषानी हुई। उसे उसका मोबाईल रिपेयरिग करके दिलाया जावे अन्यथा नया मोबाईल बदलकर दिलाया जावें तथा साथ ही 38,000 रू कर आर्थिक,मानसिक व शारीरिक नुकसान दिलाने की साक्ष्य प्रस्तुत की है।
अतः परिवादी के साक्ष्य सेे यह पूर्ण रूप से स्पष्ट है कि परिवादी का मोबाईल जो अप्रार्थी सं.1 से खरीदा वह खराब हो गया जिसको अप्रार्थी स. 2 सनसिटी मोबाईल को अप्रार्थी सं.1 के द्वारा ठीक कराने के लिये दिया गया अप्रार्थी सं.1 ने अपने जवाब व साक्ष्य मे यह माना है कि परिवादी ने उनके यहा से मोबाईल क्रय किया था, तथा यह भी माना है कि मोबाईल मे खराबी आ गई तथा यह भी स्वीकार किया कि मोबाईल अप्रार्थी सं.2 के यहा ठीक कराने के लिये भेजा गया अप्रार्थी सं.1 ने केवल खण्डन मे यह कहा कि परिवादी की लापरवाही से मोबाईल खराब हुआ है परिवादी ठीक होने के बाद मोबाईल लेकर नही गया, लैकिन परिवादी की गलती से मोबाईल खराब हुआ हो ऐसा कोई साक्ष्य अप्रार्थी की तरफ से पेष नही हैै। क्या गलती थी यह भी नही बताया है तथा मोबाईल ठीक करने वाले सनसिटी मोबाईल द्वारा भी ऐसी कोई रिपोर्ट पेष नही की है परिवादी की गलती से मोबाईल खराब हुआ हो जहा तक मोबाईल ठीक कराकर समय पर देने का प्रश्न है अप्रार्थी सं.2 जिससे मोबाईल ठीक कराना बताया गया है उसने इस प्रकार की कोई बात जवाब पेष कर या साक्ष्य पेष कर नही बताई है कि परिवादी का मोबाईल तुरन्त ठीक करके अप्रार्थी सं.1 या परिवादी को देने के लिए कहा हो या दिया हो यह इस बात का सबसे महत्वपूर्ण गवाह था जो परिवादी की साक्ष्य का खण्डन कर सकता था लैकिन इस गवाह द्वारा भी इस बात का खण्डन नही किया गया है अतः ऐसी स्थिति मे परिवादी की साक्ष्य विष्वसनीय है कि मोबाईल काफी समय बाद भी अप्रार्थीगण द्वारा उसे ठीक करके नही दिया गया जो अप्रार्थीगण की सेवा दोष का प्रतीक है अप्रार्थीगण का यह कथन की नया मोबाईल लेना चाहता था वह ठीक करने के बावजूद भी लेकर नही गया लैकिन हम अप्रार्थीगण की उस दलील में बल नही पाते है कि क्याकि परिवादी स्वंय ने अपने परिवाद मे यह रिलीफ चाहा है कि अप्रार्थीगण मोबाईल रिपेयरिग करके देवें यदि परिवादी की मंषा नया मोबाईल लेने की होती तो यह अनुतोष परिवादी परिवाद मे नही चाहता।
    अतः उपरोक्त विवेचन से हम इस निष्कर्ष पर पहुचते है कि परिवादी का मोबाईल जो अप्रार्थी सं.1 से क्रय किया गया था वह कुछ समय पष्चात् खराब हो गया जिसको ठीक कराने के लिए अप्रार्थी सं.1 के माध्यम से अप्रार्थी सं.2 सनसिटी मोबाईल सेन्टर को ठीक कराने के लिए दिया गया था लैकिन अप्रार्थीगण द्वारा उक्त मोबाईल काफी समय के बाद भी ठीक करके नही दिया जो अप्रार्थीगण का कृत्य सेवा दोष की तारीफ मे आता है। फलतः बिन्दु संख्या 2 प्रार्थी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
9.    बिन्दु संख्या 3:- अनुतोष । बिन्दु संख्या 2  प्रार्थी के पक्ष में निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादी का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है जो स्वीकार किया जाता है । जहां तक आर्थिक एवं मानसिक हानि का प्रष्न है। परिवादी द्वारा अप्रार्थीगण को मोबाईल रिपेयरिग के लिये सुपुर्द करने के बावजूद उसे मोबाईल ठीक करके नही दिया गया तथा न ही कोई संतोषजनक जवाब दिया गया तथा परिवादी द्वारा परिवादी अपना महत्वपूर्ण समय निकालकर अप्रार्थी के यहा चक्कर लगाने के कारण परेषान हो गया जिय कारण उसके धंधे पर भी असर पडा इसलिए आर्थिक हानि के लिये उसे 1,000 रूपये तथा मानसिक वेदना हैतु 1,000 रूपये तथा परिवाद व्यय 1,000 रूपये अप्रार्थी से दिलाया जाना उचित पाते है

ः-ः आदेष:-ः

        परिणामतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्व स्वीकार किया जाकर अप्रार्थीगण को आदेषित किया जाता है कि वे आज से 10 दिन के भीतर भीतर परिवादी को उसका मोबाईल ठीक करके सौपे तथा ठीक नही होने की स्थिति मे अप्रार्थीगण परिवादी को नया मोबाईल 10 दिन की भीतर अवधि मे बदलकर देवें। तथा अप्रार्थीगण आर्थिक हानि के पैटे 1,000 रूपये अक्षरे एक हजार रूपये व मानसिक वेदना हैतु 1,000 रूपये अक्षरे एक हजार रूपये  व परिवाद व्यय 1,000 रूपये अक्षरे एक हजार रूपये परिवादी को अदा करे।

            

    ( मनोहर सिंह नारावत )             (संतोष व्यास)             (रामचरन मीना)
  सदस्य,                                  सदस्या                               अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,     जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
         जैसलमेर।                            जैसलमेर।                     जैसलमेर।

    
    आदेश आज दिनांक 27.02.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।

 

    ( मनोहर सिंह नारावत )             (संतोष व्यास)             (रामचरन मीना)
  सदस्य,                                  सदस्या                               अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,     जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
         जैसलमेर।                            जैसलमेर।                     जैसलमेर।

 

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