(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1572/2005
डा0 अरविन्द कुमार सिंघल
बनाम
श्रीमती कमला देवी पत्नी स्व0 हाकिम सिंह तथा पांच अन्य
एवं
अपील संख्या-1731/2005
डा0 गोयल ब्लड बैंक
बनाम
श्रीमती कमला देवी पत्नी स्व0 हाकिम सिंह तथा तीन अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक : 17.10.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-406/1998, श्रीमती कमला देवी तथा तीन अन्य बनाम डा0 ए.के. सिंघल तथा दो अन्य में विद्वान जिला आयोग, प्रथम आगरा द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 22.8.2005 के विरूद्ध अपील संख्या-1572/2005 तथा अपील संख्या-1731/2005, क्रमश: विपक्षी सं0-1 एवं 2 की ओर से प्रश्नगत निर्णय/आदेश को अपास्त करने के लिए प्रस्तुत की गई हैं। चूंकि दोनों अपीलें एक ही निर्णय/आदेश से प्रभावित हैं, इसलिए दोनों अपीलों का निस्तारण एक ही निर्णय/आदेश द्वारा एक साथ किया जा रहा है, इस हेतु अपील संख्या-1572/2005 अग्रणी अपील होगी।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध अंकन 1 लाख रूपये की क्षतिपूर्ति तथा विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध अंकन 25,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति 6 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है।
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3. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी सं0-1 के पति तथा परिवादी सं0-2 एवं 3 के पिता अपेंडिक्स के मरीज थे, जिन्हें दिनांक 10.5.1998 को विपक्षी सं0-1 के अस्पताल में आपरेशन के लिए भर्ती कराया गया, जहां से दिनांक 17.5.1998 को डिसचार्ज कर दिया गया और पुन: दिनांक 20.5.1998 को बुलाया गया। आपरेशन स्थल पर दर्द होने के कारण पुन: अस्पताल में भर्ती किया गया और चार बोतल खून विपक्षी सं0-2 से लाने के लिए कहा गया। दिनांक 28.5.1998 एवं दिनांक 31.5.1998 को अंकन 340/-रू0 प्रति खून की बोतल के अनुसार विपक्षी सं0-2 से क्रय की गईं, जिसको विपक्षी सं0-1 ने हाकिम सिंह के शरीर में चढ़ाया, परन्तु हाकिम सिंह का स्वास्थ्य ठीक नहीं हुआ, इसलिए दिनांक 4.6.1998 को मौर्या हॉस्पिटल आगरा में दिखाया गया। जांच में पाया गया कि खून की बोतल HIV पाजिटिव रोग से दूषित थी, इसी कारण हाकिम सिंह भी AIDS रोग से पीडित हो गया। रिपोर्ट देखकर डा0 मौर्या ने दिनांक 5.6.1998 को मरीज को अपने अस्पताल से डिसचार्ज कर दिया, इसके बाद दिनांक 7.6.1998 को एस.एन. हॉस्पिटल आगरा में भर्ती कराया गया, जहां पर दिनांक 14.6.1998 को हाकिम सिंह की मृत्यु हो गई। विपक्षी सं0-1 एवं 2 की लापरवाही के कारण हाकिम सिंह की मृत्यु हुई है। तदनुसार एकल एवं संयुक्त रूप से अंकन 4,00,000/-रू0 क्षतिपूर्ति की मांग की गई।
4. विपक्षी सं0-2 ने खून की बोतल विक्रय करने से इंकार किया, बल्कि कथन किया कि मृतक हाकिम सिंह के सहायक रक्त दाताओं का खून ब्लड बैंके में ही निकालकर सहायक को दे दिया गया, जिसके लिए अंकन 340/-रू0 प्रति बोतल के लिए गए थे। HIV इन्फेक्शन के लक्षण खून चढ़ाने के करीब 8-10 साल बाद प्रकट होते हैं। विपक्षी सं0-2 द्वारा कोई सेवा में कमी नहीं की गई है।
5. विपक्षी सं0-3 ने गलत पक्षकार बनाने का कथन किया है।
6. विपक्षी सं0-1 ने कथन किया है कि मरीज को HIV पाजिटिव खून नहीं
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चढ़ाया गया। एस.एन. हॉस्पिटल को पक्षकार नहीं बनाया गया। विपक्षी सं0-2 से खून जांच होकर आया था, इसलिए पुन: जांच नहीं की गई। अत: उनके स्तर से सेवा में कोई कमी नहीं की गई।
7. विपक्षी सं0-1, डा0 ए.के. सिंघल के विद्वान अधिवक्ता श्री आशुतोष कुमार सिंह तथा विपक्षी सं0-3, बीमा कंपनी के विद्वान अधिवक्ता श्री ए.के. श्रीवास्तव तथा परिवादिनीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री वी.पी. शर्मा के सहायक श्री सत्येन्द्र कुमार को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावलियों का अवलोकन किया गया। विपक्षी सं0-2, डा0 गोयल ब्लड बैंक की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
8. डा0, ए.के. सिंघल के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि उनके द्वारा जो खून चढ़ाया गया, वह विपक्षी सं0-2, ब्लड बैंक से उपलब्ध कराकर विपक्षी सं0-1 डा0 को प्राप्त कराया गया था, परन्तु विपक्षी सं0-1 डा0 द्वारा इस कथन को स्वीकार किया गया है कि मरीज को खून चढ़ाने से पूर्व खून का परीक्षण नहीं किया गया, जबकि मरीज को खून चढ़ाने से पूर्व खून का परीक्षण करने का दायित्व संबंधित डा0 पर था। डा0 मौर्या की रिपोर्ट दिनांक 4.6.1998 इस तथ्य की पुष्टि करती है कि मरीज के खून का परीक्षण किया गया था, वह HIV पाजिटिव पाया गया, जबकि इससे पूर्व भी डा0 सिंघल द्वारा मरीज के खून का परीक्षण किया गया था तब मरीज के खून में HIV पाजिटिव का कोई इन्फेक्शन नहीं था, इसलिए विपक्षी सं0-1 डा0 की लापरवाही के संबंध में दिया गया निष्कर्ष विधिसम्मत है। ब्लड बैंक की ओर से प्रस्तुत अपील पर बल देने हेतु अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। तदनुसार उपरोक्त दोनों अपीलें निरस्त होने योग्य है।
आदेश
9. उपरोक्त दोनों अपीलें, अर्थात् अपील संख्या-1572/2005 तथा अपील संख्या-1731/2005 निरस्त होने योग्य हैं।
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प्रस्तुत दोनों अपीलों में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
इस निर्णय/आदेश की मूल प्रति अपील संख्या-1572/2005 में रखी जाए तथा इसकी एक सत्य प्रति संबंधित अपील में भी रखी जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2