जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्री ललित कुमार टांक पुत्र श्री इन्द्रचन्द जी टांक, उम्र-58 वर्ष, निवासी- हजारी बाग, अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
कामधेनु कोरियर सर्विस, दीपक इलेक्ट्रोनिक वाली गली, कचहरी रोड़, अजमेर ।
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 98/2016
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री कुलदीप सिंह , अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री सूर्य प्रकाष गांधी , अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः-12.01.2017
1. संक्षिप्त तथ्यानुसार प्रार्थी ने अपने पुत्र की षादी के कार्ड अपने भाई विजय कुमार टांक, दौड़(पुणे)महाराष्ट्र को इस आषय से भिजवाने के लिए, कि वह अपने मित्रों को षादी में आंमत्रित कर सके, अप्रार्थी को दिनंाक
30.12.2013 को रू. 30/-षुल्क अदा कर बुक करवाए जाने के उपरान्त अप्रार्थी ने अपने आष्वासनानुसार 3 दिन में कार्ड नहीं भिजवा कर सेवा में कमी कारित की है । इस संबंध में उसने दिनंाक 28.10.2015 नोटिस भी भिजवाया । इसके बावजूद भी अप्रार्थी ने कोई कार्यवाही नहीं की । प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी कोरियर कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत कर प्रार्थी द्वारा 2-3 कार्ड का पैकेट निर्धारित षुल्क अदा कर बुक कराए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए दर्षाया है कि उत्तरदाता ने कार्ड 3 दिन के बजाय 4-5 दिन में पहुंचाने का आष्वासन दिया था फ किन्तु काफी प्रयास किए जाने के बावजूद भी प्रार्थी द्वारा बुक कराए गए कार्ड का पैकेट कहां पर रूके हुए है , पता नहीं चला । अपने अतिरिक्त कथन में उत्तरदाता का यह कथन रहा है कि प्रार्थी ने अप्रार्थी के रजिस्टर्ड एवं मुख्य कार्यालय को पक्षकार नहीं बनाया है । प्रार्थी केवल कम्पनी एजेण्ट के रूप में कार्य करता है । अप्रार्थी का कार्य डाक पैकेट को अजमेर से वंाछित जगह डिलीवर किए जाने के लिए कम्पनी के हैड आॅफिस पहुंचाना मात्र है । उत्तरदाता का यह भी कथन है कि कोई डाक/पैकेट डिलीवर नहीं होने, गुम हो जाने की स्थिति में प्रार्थी अनुबन्ध की षर्तो में अंकित राषि मात्र ही प्राप्त करने का अधिकारी है जिसकी अदायगी के लिए उत्तरदाता तैयार है । प्रार्थी ने उक्त राषि नहीं लेकर परिवाद दायर कर दिया है जो खारिज होने योग्य है । परिवाद सव्यय खारिज किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में श्री भंवर सिंह,मालिक का षपथपत्र पेष हुआ है ।
3. प्रार्थी का तर्क रहा है कि अप्रार्थी कोरियर कम्पनी ने बुक कराए गए पैकेट के संबंध में भरोसा दिलाया था कि निर्धारित 3 दिवस के अन्दर अन्दर गन्तव्प्य स्थान पर पहुचा दिया जाएगा । किन्तु गन्तव्य स्थान पर नहीं पहुंचा कर न केवल सेवा में कमी का परिचय दिया है बल्कि अनुचित व्यापार व्यवहार भी किया है । प्रार्थी ने अपने पुत्र की षादी के कार्ड अपने सगे भाई विजय टांक के जरिए अपने मित्रों को षादी में आमंत्रित करने हेतु भिजवाए गए थे ,जो आमंत्रण नहीं मिलने के कारण षादी में सम्मिलित नहीं हो सके । परिणामस्वरूप उसे पहुंची क्षति अतुलनीय रही है । परिवाद स्वीकार किया जाना चाहिए ।
4. अप्रार्थी ने खण्डन में कोरियर बुक करवाना स्वीकार किया । किन्तु निर्धारित अवधि बाबत् 4-5 दिन में पहुंचाने का आष्वासन देना बताया । यह भी तर्क प्रस्तुत किया कि षिकायत प्राप्त होने पर उनके द्वारा वास्तविक स्थिति जानने हेतु अपने संबंधित कार्यालयों में सम्पर्क किया गया था किन्तु कोई जानकारी नहीं मिल पाई थी। प्रार्थी ने अप्रार्थी के रजिस्टर्ड हैड आफिस को पक्षकार नहीं बनाया है । अप्रार्थी केवल कमीषन एजेण्ट के रूप में काम करता है । उसका कार्य अजमेर से डाक एकत्रित कर कम्पनी के हैड आफिस को पहुंचाना मात्र है । डाक/ पैकेट डिलीवर नहीं होने व गुम हो जाने की स्थिति में अनुबन्ध के तहत राषि मात्र ही प्राप्त करने का अधिकारी है । जिसे वह अदा करने को तैयार है । उसके द्वारा कोई सेवा में कमी नहीं की गई है ।
5. हमने सुना एवं रिकार्ड देखा ।
6. विवाद का बिन्दु मात्र यह है कि क्या अप्रार्थी ने प्रार्थी द्वारा बुक कराए गए कोरियर को गन्तव्य स्थान पर समय पर नहीं पहुंचा कर सेवा में कमी का परिचय दिया है ? प्रार्थी द्वारा दिनंाक 30.12.2014 को अप्रार्थी के यहां कोरियर का कनसाईनमेंट संख्या 71845330 दिनांक 30.12.2014 रू. 30/-षुल्क पर बुक करवाना विवाद का बिन्दु नहीं है । प्रार्थी ने जहां एक ओर इसे गन्तव्य स्थान पर 3 दिन में पहुंचाने की बात कही है वहीं अप्रार्थी ने इस बाबत् 4-5 दिन में पहुंचाने का आष्वासन देना कहा है । अपने परिवाद के पैरा संख्या 4 में प्रार्थी ने स्पष्ट कथन किया है कि अप्रार्थी द्वारा बताई गई अवधि के अन्दर अन्दर जब कोरियर नहीं पहुचा तो उसने अप्रार्थी से सम्पर्क किया था । इसके प्रतिउत्तर में अप्रार्थी ने जवाब में स्वीकार किया है कि प्रार्थी द्वारा जब कार्ड नहीं पहुंचने की षिकायत करने पर उसने प्रार्थी के सामने अपने संबंधित कार्यालयों से सम्पर्क किया था तथा वास्तविक स्थिति जानने का प्रयास किया था कि कार्ड/पैकेट कहां रूके हुए है, किन्तु कोई जानकारी नहीं मिल पाई थी। इसका तात्पर्य यह हुआ कि प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी को बुक करवाए गए कोरियर/कार्ड यथा समय निर्धारित अवधि में गन्तव्य स्थान पर नहीं पहुंचे थे, साथ ही अप्रार्थी का यह तर्क भी स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है कि कोरियर 3 दिवस में नहीं अपितु 5 दिवस के अन्दर अन्दर पहुंचाने का आष्वासन दिया गया था । कहा जा सकता है कि निर्धारित अवधि में वांछित षुल्क प्राप्त कर बुक करवाया गया कोरियर गन्तव्य स्थान पर नहीं पहंुचाया गया था जिसकी मुख्य रूप से जिम्मेदारी अप्रार्थी की ही थी । उसका यह तर्क स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है कि प्रार्थी ने हैड आफिस को पक्षकार नहीं बनाया है । चूंकि कोरियर उसी के द्वारा बुक किया है इसलिए उसकी यह जिम्मेदारी है कि वह ष्षुल्क प्राप्त कर उसे निर्धारित स्थान पर पहुंचाए । वह कमीषन एजेण्ट के रूप में काम करता हो या प्राप्त होने वाले पैकेट/डाक को वांछित जगह के लिए कम्पनी के मुख्य कार्यालय पहुंचाता हो, इससे प्रार्थी का कोई लेना देना नहीं है । उसकी मात्र जिम्मेदारी प्राप्त कोरियर को निष्चित स्थान पर पहुंचाने की है जिसमें वह विफल रहा है । जहां तक अनुबन्ध की ष्षर्तो में अंकित राषि मात्र को प्रार्थी प्राप्त करने का अधिकारी हो, बाबत् तर्क का प्रष्न है, यह क्या अनुबन्ध था तथा इसकी क्या षर्ते थी, इस बाबत् अप्रार्थी स्थिति स्पष्ट नहीं कर पाया है तथा यह स्वीकार किए जाने योग्य भी नहीं है ।
7. कुल मिलाकर हस्तगत मामले में अप्रार्थी का प्रार्थी के प्रति संव्यवहार सेवा में कमी का परिचायक रहा है साथ ही अनुचित व्यापार व्यवहार का भी वह भागी है । परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
8. (1) प्रार्थी अप्रार्थी से ं मानसिक संताप पेटे रू. 25,000 /- एवं परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000/-भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) क्रम संख्या 1 में वर्णित राषि अप्रार्थी प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 12.01.2017 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष