राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ)
मौखिक
(जिला मंच मेरठ द्वारा परिवाद सं0 1162/1994 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 06/10/1997 के विरूद्ध)
अपील संख्या 1309/1998
यू0पी0 आवास एवं विकास परिषद, 104, महात्मा गांधी मार्ग, लखनऊ, द्वारा आयुक्त।
…अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
श्री कमल राज सिंह त्यागी, पुत्र श्री विनोद कुमार त्यागी, निवासी 299, असोरा हाउस, वेस्ट कोर्ट रोड, मेरठ।
.........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:
1. मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठा0 सदस्य।
2. मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य ।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता श्री एन0एन0 पाण्डेय।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक :- 08/01/2015
मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठा0 सदस्य द्वारा उदघोषित ।
निर्णय
प्रस्तुत अपील परिवाद सं0 1162/94 कमल राज सिंह त्यागी बनाम यू0पी0 आवास एवं विकास परिषद में जिला पीठ मेरठ द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 06/10/97 से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत की गई है।
उपरोक्त निर्णय/आदेश में जिला पीठ ने परिवादी का परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी को आदेशित किया है कि वह परिवादी को एक माह के अंदर परिवादी के नाम उनके द्वारा पंजीकरण करायी गई श्रेणी में एक भवन आवंटित करे और परिवादी एक माह अंदर आवंटन के बाद समस्त औपचारिकताएं पूरी कर दे। यदि परिवादी एक माह के अंदर औपचारिकतायें पूरी नहीं करते हैं तो आवंटन निरस्त समझा जायेगा और परिवादी पंजीकरण धनराशि नियमानुसार पाने के अधिकारी होगे। यदि उस श्रेणी में भवन उपलब्ध नहीं है जिस श्रेणी में पंजीकरण कराया गया था तो परिवादी जमा शुदा धनराशि 12 प्रतिशत ब्याज सहित वापस पाने के अधिकारी होगे। मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए वाद व्यय पक्षकार स्वयं वहन करेंगे।
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संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने 01/04/81 को अंकन 3,000/ रूपये जमा करके विपक्षी के यहां एक भवन हेतु अपना पंजीकरण कराया था बाद में परिवादी ने विपक्षी के
कहने पर पंजीकरण धनराशि में अंकन 2,000/ रूपये और जमा कराये। आवंटन पत्र दिनांक 06/04/92 को परिवादी को उसके निवास पर भेजा गया था जो उसको धनराशि जमा करने की तिथि के बाद प्राप्त हुआ। परिवादी कोयह नहीं बताया गया कि आवंटित भवन निरस्त कर दिया गया है। इस कृत्य से परिवादी को बहुत मानसिक व आर्थिक आघात पहुंचा। इन परिस्िथतियों में परिवादी ने यह परिवाद दाखिल किया है।
विपक्षी/अपीलार्थी का कथन है कि परिवादी ने तथ्यों के विपरीतयह परिवाद दाखिल किया है उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला ट्रान्सफर आफ प्रोपर्टी एक्ट के अंतर्गत आता है और इसकी सुनवाई का क्षेत्राधिकार सिविल न्यायालय को है। परिवादी धारा-14 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 के अंतर्गत कोई अनुतोष पाने का अधिकारी है।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एन0एन0 पाण्डेय ने बताया तथा पत्रावली के अवलोकन से यह विदित होता है कि प्रत्यर्थी को नोटिस दिया गया था लेकिन कोई उपस्िथत नहीं आता है। उनके तर्को को सुना गया एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
जिला फोरम द्वारा यह आदेश किया गया है कि जो एक माह के अंदर परिवादी के नाम उनके द्वारा पंजीकरण करायी गई श्रेणी में एक भवन आवंटित करे और परिवादी एक माह अंदर आवंटन के बाद समस्त औपचारिकताएं पूरी कर दे। यदि परिवादी एक माह के अंदर औपचारिकतायें पूरी नहीं करते हैं तो आवंटन निरस्त समझा जायेगा और परिवादी पंजीकरण धनराशि नियमानुसार पाने के अधिकारी होगे। जमा शुदा रकम 12 प्रतिशत ब्याज है इस संबंध में अपीलकर्ता ने बताया कि जो ब्याज की दर लगाया गया है उसे समाप्त किया जाय और इसमें डिफाल्टर परिवादी ही था उसने अपनी किस्त जमा नहीं किया ।
इस केस में विद्वान अधिवक्ता को सुनने के उपरान्त हम इस मत के है कि 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज लगाने का आदेश जो हुआ है उसे परिवर्तित करके 06 प्रतिशत ब्याज लगाना उचित होगा और अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला पीठ द्वारा जमा धनराशि पर जो 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज लगाया गया है उसे 12 प्रतिशत के स्थान पर 06 प्रतिशत
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वार्षिक ब्याज संशोधित किया जाता है तथा जिला पीठ मेरठ के निर्णय/आदेश दिनांक 06/10/1997 के शेष भाग की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना अपीलीय व्यय स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध कराई जाय।
(राम चरन चौधरी)
पीठा0 सदस्य
(संजय कुमार)
सुभाष चन्द्र आशु0 ग्रेड 2 कोर्ट 5 सदस्य