जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्री नीलेष बुरड़ पुत्र श्री विमल चन्द बुरड, नृसिंह गली, ब्यावर
- प्रार्थी
बनाम
1. श्री गंगाधर, प्रोपराईटर, कमल रेडियों एण्ड मोबाईल्स, केईएम रेस्ट हाउस के सामने, स्टेषन रोड़, अजमेर-305001
2. श्री प्रषान्त, प्रतिनिधि, माईक्रोमैक्स इन्फोरमेटिक्स लि., 21/14-ए, फैज-ए, नरेना इण्डस्ट्रीज एरिया, दिल्ली-110028
- अप्रार्थीगण
अवमानना परिवाद संख्या 30/2015
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री नीलेष बुरड, प्रार्थी स्वयं
2.श्री सूर्यप्रकाष गांधी, अधिवक्ता अप्रार्थी सं.1
3.श्री जवाहर लाल षर्मा, अधिवक्ता अप्रार्थी सं.2
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 27.09.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत अवमानना परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि उसके द्वारा प्रस्तुत परिवाद संख्या 63/2014 में मंच द्वारा निर्णय दिनांक 13.1.2015 के अनुसार अप्रार्थीगण को सेवा में कमी का दोषी मानते हुए दो माह की अवधि में प्रार्थी के मोबाईल हैण्डसैट को रिपेयर करने अथवा नया सेट देने के साथ ही क्षतिपूर्ति राषि रू. 2000/- अदा करने के आदेष जारी किए थे । उक्त आदेष की पालना हेतु प्रार्थी अप्रार्थी संख्या 1 की दुकान पर प्रष्नगत खराब हैण्डसैट को रिपेयर करवाने के लिए लेकर गया , इस पर अप्रार्थी संख्या 1 ने बताया कि उसके द्वारा मोबाईल रिपेयर कर कार्य नही ंकिया जाता इसलिए सर्विस सेन्टर पर सैट लेकर जावें । मंच के आदेष में मोबाईल को सर्विस सेन्टर पर ले जाने के कोई निर्देष नहीं दिए गए थे । दिनंाक 12.3.2015 को अप्रार्थी संख्या 2 के प्रतिनिधि ने फोन पर मामले में कोई कार्यवाही करने में स्वयं की असमर्थता व्यक्त की । अप्रार्थीगण को दिनांक 13.3.2015 तक मंच के आदेष की पालना करनी थी किन्तु अप्रार्थीगण द्वारा मंच के आदेष को गम्भीरता से नहीं लिया । प्रार्थी ने अवमानना परिवाद प्रस्तुत कर अप्रार्थीगण के विरूद्व सख्त कानूनी कार्यवाही करने के साथ साथ क्षतिपूर्ति राषि मय विषेष हर्जे खर्चा दिलवाए जाने की भी प्रार्थना की है ।
2. अप्रार्थी संख्या 1 ने जवाब प्रस्तुत करते हुए कथन किया है कि प्रार्थी उनके यहां खराब मोबाईल सेट लेकर आया था और उसे कम्पनी के निर्देषानुसार सर्विस सेंटर पर जमा कराने का निर्देष दिया गया था । किन्तु प्रार्थी ने अपना हैण्डसैट सर्विस सेन्टर पर जमा नही ंकराया, इसलिए मंच के आदेष की पालना नहीं हो सकती थी । उत्तरदाता मंच के आदेषानुसार सर्विस सेन्टर से मोबाईल हैण्डसैट को रिपेयर कराने के लिए तैयार थे एव ंतैयार हैं । उत्तरदाता केवल कम्पनी के मोबाईल सैट विक्रय करने का कार्य करता है । सैट में आई किसी भी प्रकार की खराबी के लिए कम्पनी व उसके सर्विस सेन्टर का दायित्व है । प्रार्थी जब तक मोबाईल को सर्विस सेंटर पर जमा नही ंकराएगा तब तक मंच के आदेष की पालना किया जाना सम्भव नहीं है । प्रार्थी द्वारा सैट सर्विस सेन्टर पर जमा कराते ही उसे दुरूस्त कर दिया जावेगा और यदि दुरूस्त होने योग्य नहीं है तो उसे बदलकर दे दिया जावेगा ।
3. अप्रार्थी संख्या 2 की ओर से जवाब प्रस्तुत करते हुए यही तथ्य दोहराया है कि प्रार्थी ने प्रष्नगत हैण्डसैट दुरूस्ती हेतु बावजूद पत्र दिनंाक
22.12.2015 व 11.2.2016 के नहीं दिए जाने के कारण सहीं करके नहीं दिया गया । प्रार्थी को मानसिक संताप व वाद व्यय की राषि रू. 2000/- जरिए चैक संख्या 001070 दिनांक 15.1.2.2015 के दिनंाक 3.2.2016 के प्रेषित कर दी गई है । उत्तरदाता ने प्रार्थना की है कि मंच प्रार्थी को निर्देष देवे कि वह मोबाईल दुरूस्ती हेतु उन्हें देवे ताकि उसे ठीक किया जा सके । यदि प्रार्थी द्वारा दिया गया हैण्डसैट दुरूस्त नहीं हो सका तो उसे उसी मैक व माॅडल का नया मोबाईल या राषि रू. 6200/- देने के लिए तैयार है । अन्त में परिवाद निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है ।
4. प्रार्थी का प्रमुख रूप से तर्क है कि इस मंच के आदेष दिनांक
13.1.205 के अनुसार अप्रार्थीगण को 2 माह की अवधि में मोबाईल सेट रिपेयर करने अथवा नया सैट देने के साथ क्षतिपूर्ति राषि अदा किए जाने के आदेष दिए गए थे । अप्रार्थीगण को दिनंाक 13.3.2015 तक उक्त आदेष की पालना कर दी जानी चाहिए थी लेकिन अब तक उक्त पालना नही ंकी गई है । उक्त आदेष जारी होने के बाद प्रार्थी अप्रार्थी संख्या 1 की दुकान पर प्रष्नगत खराब सैट को लेकर गया व मंच के आदेष का हवाला देते हुए रिपेयर किए जाने की बात कही गई किन्तु जवाब दिया गया कि वे रिपेयर का काम नहीं करते है, इसे सर्विस सेन्टर लेकर जाए जबकि सर्विस सेन्टर पर सैट ले जाने बाबत कोई निर्देष नही था । दिनांक 12.3.2015 को भी अप्रार्थी संख्या 2 के प्रतिनिधि का फोन आया था कि वे इस मामले में कार्यवाही करने में असमर्थ हंै । मंच के आदेष को गम्भीरता से नहीं लिया गया है । अतः अप्रार्थीगण के खिफलाफ सख्त कार्यवाही की जाए ।
5. खण्डन में अप्रार्थी संख्या 1 की ओर से तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रार्थी को सर्विस सेन्टर पर अपना मोबाईल जमा कराने का निर्देष दिया गया था । प्रार्थी ने उक्त सैट सर्विस सेन्टर पर जमा नही ंकराया इसलिए मंच के आदेष की पालना नहीं हो सकी है । अप्रार्थी संख्या 1 माईक्रोमैक्स कम्पनी का डीलर है, उसका काम सैट की बिक्री करना मात्र है । सैट में आई खराबी के लिए सर्विस सेन्टर जिम्मेदार है । प्रार्थी ने जानबूझकर सर्विस सेन्टर पर सैट जमा नहीं कराया है । इसलिए वह स्वयं जिम्मेदार है ।
6. अप्रार्थी संख्या 2 की ओर से तर्क प्रस्तुत किया गया है कि मानसिक संताप व वाद व्यय की राषि चैक द्वारा अदा की जा चुकी है । मंच के आदेष की पालना में प्रार्थी द्वारा सैट नहीं दिए जाने के कारण दुरूस्त नहीं हो पाया है । उसे रजिस्टर्ड पत्रों के द्वारा भी लिखा जा चुका है । यदि सैट ठीक नहीं हो सका तो कम्पनी उसी मैक व माॅडल का नया सेट प्रार्थी को दे देगी अथवा राषि रू. 6200/- का भुागतान कर देगी । प्रार्थी स्वयं जानबूझकर मंच के आदेष की पालना का इच्छुक नहीं है ।
7. हमने परस्पर तर्क सुने हंै ।
8. इस मंच के आदेष दिनंाक 13.1.2015 में अप्रार्थी संख्या 2 व 3 को प्रार्थी को सेैट दो माह की अवधि में निषुल्क दुरूस्त करने के निर्देष दिए गए है तथा यदि यह सैट दुरूस्त होने योग्य न हो तो उसी मैक व माॅडल का त्रुटिरहित सैट उक्त अवधि में दिए जाने व विकल्प में सेट की कीमत रू. 6200/- अदा किए जाने के निर्देष दिए गए थे । कहने का तात्पर्य यह है कि मंच द्वारा अप्रार्थी संख्या 2 व 3 को मंच के आदेष की पालना की जानी थी । अप्रार्थी संख्या 1 जो मूल परिवाद में अप्रार्थी संख्या 2 था, ने अपने जवाब में यह स्वीकार किया है कि प्रार्थी उनके पास खराब सैट लेकर आया था और उसे कम्पनी के निर्देषानुसार सर्विस सेन्टर पर उक्त सैट को जमा करवाने का निर्देष दिया गया था । बड़े आष्चर्य की बात है कि अप्रार्थी संख्या एक ने कम्पनी के निर्देषों के तहत प्रार्थी को सर्विस सेन्टर पर जाने का निर्देष दिया है । इस प्रकार उसने इस मंच के आदेष की कोई परवाह नहीं की व प्रार्थी को सर्विस सेन्टर पर जाने का जो निर्देष दिया है यह कृत्य निष्चित रूप से मंच के आदेष की अवेहलना है । जबकि प्रार्थी तो मंच के निर्णय के मुताबिक अपने हैण्डसैट को लेकर अप्रार्थी के पास गया था । अतः उसके पार्ट पर कोई कमी नहीं रही थी । यह मंच अब किसी भी प्रकार से अन्य तर्को पर विचार नहीं करेगा अपितु न्याय हित में इस अवमानना परिवाद का निस्तारण इस प्रकार किया जाना उचित समझता है कि अप्रार्थी संख्या 1 व 2 को निर्देष दिया जाता है वे इस आदेष की तिथि से 15 दिन के अन्दर अन्दर रू. 6200/- जरिए डिमाण्ड ड्राफ्ट के प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे व इसकी पालना रिपोर्ट मंच में प्रस्तुत करें, साथ ही अप्रार्थी संख्या 1 व 2 को रू. 2000/- जुर्माने से अधिरोपित किया जाता है ।
आदेष दिनांक 27.09.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष