जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
परिवाद संख्या 177/2014
सुनील कुमार सोगानी पुत्र स्व. श्री ज्ञान चन्द सोगानी,आयु- 41 वर्ष, बी-457,आई पंचषील नगर, अजमेर ।
परिवादी
बनाम
श्री कल्याण मल ठेकेदार पुत्र श्री बीजाराम, कैलाषपति जनरल स्टोर के पास, ईदगाह रोड, गौरी नगर, फै्रंन्डस काॅलोनी, अजमेर ।
अप्रार्थी
समक्ष
1. महेन्द्र कुमार अग्रवाल अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
उपस्थिति
1.श्री राजेन्द्र सिंह राठौड,अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री सूर्यप्रकाष गांधी, अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः- 24.02.2016
1. परिवादी ने यह परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत इस आषय का पेष किया है कि प्रार्थी ने अपने आवास संख्या बी-457,आई पंचषील नगर, अजमेर के प्रथम तल पर नव भवन निर्माण हेतु अप्रार्थी ठेकेदार से मजदूरी दर पर दिनांक 16.10.02013 को एक इकरारनामा निष्पादित किया और उक्त इकरारनामा के अनुसार भवन का निर्माण 3 माह में पूरा किया जाना था तथा भवन निर्माण पैटे उसने परिवाद की चरण संख्या 2 में वर्णित अनुसार तिथियों को राषि का भुगतान किया। अप्रार्थी ठेकेदार ने तयषुदा समय पर भवन का निर्माण कार्य नहीं किया तो आपसी सहमति से उक्त कार्य दिनांक 8.4.2014 तक पूर्ण करके दिए जाने का पुनः इकरार किया फिर भी अप्रार्थी ठेकेदार ने मकान का कार्य अधूरा छोड दिया यथा- रसोई , बाथरूम , लेटरीन में पाईप ड्रेनेज, वासबेषन एवं टाईल्स लगाने का कार्य, रसोई का प्लेटफार्म बनाना एवं ग्रेनाईट लगाने का कार्य , सीटे लगाने का कार्य, सेफटी टेंक से गैस पाईप जोडना, ताके, बडी आलमारियांें में सेल्फ लगाने का कार्य, पुरानी टाईल्स हटाकर मार्बल्स फिटिंग का कार्य एवं घिसाई, कमरों का पुराना खराब प्लास्टर हटा कर पुनः नया प्लास्टर करना एवं छत की टाईल्स की घिसाई एवं बरसाती पानी निकलने का पाईप लगाने इत्यादि का कार्य । इसी प्रकार अप्रार्थी ठेकेदार ने भवन निर्माण के समय लापरवाही बरतते हुए सीमेन्ट के 18 कट्टो पर पानी फैलाकर उन्हें खराब कर दिया, पत्थर की चैखटे तोड दी, पानी की मोटर को चला कर छोड दिया जिससे मोटर जल कर खराब हो गई, मकान की रेलिंग तोड दी, छत पर बनाई पेराफिट बाॅल में आवष्यक पिल्लर न बनाने से उसमें केे्रक आने लगे , छत की टाईल्स में भी दरारे एवं गेप नजर आने लगे और इससे परिवादी को रू. 40,000/- की राषि का नुकसान हुआ ।
परिवादी का आगे कथन है कि इकरारनामे के अनुसार अप्रार्थी को छत की उचाई 11.25 फीट रखनी थी किन्तु अप्रार्थी ने उचाई 10.50 फीट से 11 फीट केें मध्य ही रखी जिसके कारण उसे रू. 20,000/- का नुकसान हुआ । साथ ही नियत तिथी तक भवन निर्माण का कार्य पूर्ण नही ंकरने पर वह प्रतिदिन रू. 400/- आर्थिक नुकसान के भी इकरारनामे के अनुसार प्राप्त करने का अधिकारी है । परिवादी ने अप्रार्थी को अधूरा कार्य पूर्ण करने हेतु दिनंाक 19.4.2014 को नोटिस भी दिया किन्तु उक्त नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया और ना ही अधूरे निर्माण कार्य को पूर्ण किया । तत्पष्चात् उसने अन्य ठेकेदार से अधूरे निर्माण कार्य को पूर्ण करवाया जिसमें उसके रू. 75,000/- खर्च हो गए । परिवादी ने अप्रार्थी के उक्त कृत्यों को सेवा में कमी बतलाते हुए परिवाद प्रस्तुत कर परिवाद में वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
2. अप्रार्थी ने परिवाद का जवाब प्रस्तुत करते हुए कथन किया है कि परिवादी के यंहा प्रथम मंजिल पर मजदूरी दर से निर्माण कार्य करना स्वीकार किया तथा अप्रार्थी ने परिवाद के संलग्न रसीदों में वर्णित अनुसार भुगतान प्राप्त करने को अस्वीकार करते हुए दर्षाया है कि परिवादी ने उसे दी गई रकम का अंकन नही ंकर अप्रार्थी से खाली हस्ताक्षर कराकर मनमर्जी से उस पर अनावष्यक तथ्यों का अंकन कर लिया । अप्रार्थी ने इकराकर के अनुसार 3 माह में भवन निर्माण का कार्य पूर्ण करके दिए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए दर्षाया है कि निर्माण कार्य के दौरान बजरी की सप्लाई बन्द हो जाने से व बजरी की कीमते बढ जाने के कारण परिवादी ने अप्रार्थी को बजरी उपलब्ध नहीं कराई इस कारण कार्य समय पर पूरा नहीं हो पाया । प्रार्थी ने बजरी की सप्लाई चालू होने के बाद पुनः कार्य प्रारम्भ करने एवं निर्माण कार्य की समयावधि दिनांक 8.4.2014 तक बढाने के लिए परिवादी से नया इकरारनामा निष्पादित कराना चाहा किन्तु परिवादी ने अप्रार्थी से यह कह कहते हुए कि टाईपिस्ट अभी व्यस्त है बाद में टाईप करवा लेगा और खाली स्टाम्प पर हस्ताक्षर करवा लिए और बाद में परिवादी ने उक्त स्टाम्प पर अपनी मनमर्जी से षर्ते लिख दी और परिवादी ने अप्रार्थी से एनओसी लिए बगैर अन्य ठेकेदार से निर्माण कार्य कराना प्रारम्भ कर दिया । प्रार्थी ने अपनी इच्छा से छत की उचाई 11 फीट रखवाई है अप्रार्थी का प्रार्थी के यहां करीब 50,000/- का सामान जैसे चाली बल्ली, टंकी, गैंती ,फावडा व तिपाया, तगारिया आदि पडा है । अप्रार्थी ने परिवादी के यहां दोबारा कार्य ष्षुरू करना चाहा किन्तु परिवादी ने उसे घर में घुसने ही नही ंदिया और उसे जातिसूचक षब्दोेेेेेेेेेेे का प्रयोग करते हुए उसके साथ अभ्रद व्यवहार कर उसे भगा दिया इस संबंध में उसने पुलिस में रिर्पोट भी प्रस्तुत की है और परिवादी के विरूद्व न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या 3 , अजमेर के यहां इस्तगासा प्रस्तुत कर रखा है जिसमें न्यायालय ने प्रसंज्ञान ले लिया है । जो विचाराधीन है । इस प्रकार परिवादी ने झूठे तथ्यों के आधार पर यह परिवाद पेष किया है जो निरस्त होने योग्य है ।
3. हमने पक्षकारान की बहस सुनी एवं पत्रावली का अनुषीलन किया।
4. पक्षकारान के अभिवचनों से यह तथ्य स्वीकृषुदा है कि परिवादी व अप्रार्थी के मध्य एक इकरारनामा दिनांक 16.10.2013 को परिवादी के आवास के प्रथम तल पर भवन निर्माण हेतु निष्पादित हुआ ।
5. परिवादी की ओर से यह बहस की गई है कि अप्रार्थी ने परिवादी के भवन के प्रथम तल के निर्माण का ठेका लिया था और निर्माण कार्य 3 माह में पूर्ण करने का अनुबन्ध किया गया था परन्तु अप्रार्थी ने निर्धारित अवधि में कार्य पूरा नहीं किया उसके पष्चात् अप्रार्थी द्वारा निर्माण अवधि बढाए जाने का निवेदन करने पर परिवादी ने रू. 100/- के स्टाम्प पर दिनंाक
24.1.2014 को इकरीारनामा निष्पादित करके अवधि दिनंाक 8.4.2014 तक बढाने की स्वीकृति दी परन्तु अप्रार्थी ने अनुबन्ध की ष्षर्तो के अनुसार कार्य नहीं किया और लापरवाही बरतते हुए सीमेन्ट के 18 कट्टो पर पानी डाल कर खराब कर दिया, मकान में लगाने हेतु सीमेंट की चैखटे तोड दी तथा मकान की रेलिंग अनावष्यक रूप से तोड दी जिसके कारण प्रार्थी को रू. 40,000/- का नुकसान हुआ तथा अप्रार्थी द्वारा पुनः मकान का निर्माण अधूरा छोड कर चले जाने व निर्धारित अवधि में निर्माण कार्य पूरा नही ंकरने से भी परिवादी को नुकसान हुआ । अप्रार्थी ने मकान की छत की उंचाई 11.25 फीट नहीं कर 10.50 फीट से 11 फीट के मध्य रखी जिसकी जानकारी परिवादी को अप्रार्थी द्वारा कार्य अधूरा छोड कर चले जाने के उपरान्त नाप करने पर हुई । अप्रार्थी द्वारा परिवादी के मकान का अधूरा कार्य छोड कर चले जाने के कारण उसे अन्य ठेकेदार से कार्य करवाना पडा । ठेकेदार की मजदूरी की दर में वृद्वि होने से उसे करीब रू. 75,000/- अतिरिक्त देने पडे जिससे परिवादी को आर्थिक, मानसिक व षारीरिक पीडा उठानी पडी इसलिए परिवादी को अप्रार्थी से अग्रिम राषि केरू. 2000/-, अप्रार्थी की लापरवाही से कारित नुकसान के रू. 40,000/-, छत की उचाई निर्धारित नाप से कम रखे जाने के कारण हुए नुकसान की राषि रू. 20,000/- अप्रार्थी द्वारा नियत तिथी तक कार्य पूर्ण नहीं करने से हुए नुकसान की राषि रू. 20,000 व अन्य ठेकेदार से षेष निर्माण कार्य करवाए जाने से अतिरिक्त व्यय के रू. 75,000/-, मानसिक क्षतिपूर्ति के तोर पर रू. 1,00,000/- तथा परिवाद व्यय के रू. 10,000/- दिलाए जाए ।
6. अप्रार्थी की ओर से यह बहस की गई कि निर्माण कार्य अप्रार्थी की लापरवाही व सेवा में कमी के कारण नहीं बल्कि निर्माण कार्य बजरी की सप्लाई बन्द हो जाने व बजरी की कीमत बढ जाने के कारणा बन्द हुआ । बजरी की सप्लाई चालू होने पर पुनः कार्य आरम्भ कर दिया और समयावधि बढाने के लिए पुनः एक नया इकरारनामा निष्पादित किया परन्तु परिवादी ने अप्रार्थी के साथ दुर्भावनावष व धोखाधडी करने की नियत से खाली स्टाम्प पर हस्ताक्षर करवा लिए और स्टाम्प पर तय हुई षर्तो के बजाय मनमर्जी से षर्ते लिख कर इकरारनामा टाईप करा कर प्रार्थी के फर्जी हस्ताक्षर कर लिए । परिवादी द्वारा अप्रार्थी के साथ धोखाधडी की गई है उसने अप्रार्थी से बिना एन.ओ.सी. लिए ही दूसरे ठेकेदार से कार्य करा लिया । अप्रार्थी द्वारा किसी प्रकार का सेवादोष नहीं किया गया है । परिवादी द्वारा फर्जी तरीके से कूटरचित दस्तावेज तैयार करने व जातिसूचक षब्दों का प्रयोग कर अप्रार्थी के साथ अभद्र व्यवहार किया । इस संबंध में अप्रार्थी द्वारा प्रार्थी के विरूद्व पुलिस में प्रथम सूचना रिर्पोट दर्ज कराई थी परन्तु परिवादी ने पुलिस के समक्ष अप्रार्थी से समझोता कर पुनः निर्माण कार्य करने की स्वीकृति दी जब अप्रार्थी निर्माण कार्य प्रारम्भ करने लगा तो प्रार्थी ने उसे धक्के मार कर भगा दिया । इस पर अप्रार्थी ने परिवादी के विरूद्व न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या 3, अजमेर के यहां इस्तगासा पेष किया जिस पर न्यायालय ने प्रंसगज्ञान लिया जा चुका है और जो विचाराधीन है । अप्रार्थी निर्माण कार्य करने के लिए सदैव तत्पर रहा है और परिवादी ने अपने यहां अन्य ठेकेदार से निर्माण कार्य षुरू करा दिया जिसके लिए प्रार्थी स्वयं जिम्मेदार है इसलिए प्रार्थी का परिवाद सव्यय खारिज करें।
7. हमने उभय पक्षों के इन तर्को पर गम्भीरतापूर्वक विचार किया ।
8. परिवादी व अप्रार्थी ठेकेदार के मध्य परिवादी के यहां भवन निर्माण को लेकर दोनेां पक्षों के मध्य हुए अनुबन्ध की पालना नहीं करने को लेकर विवाद है । परिवादी ने अप्रार्थी ठेकेदार के विरूद्व आरोप लगाए है जबकि अप्रार्थी ठेकेदार ने परिवादी के विरूद्व कूटरचित दस्तावेज तैयार करने, जाति सूचक षब्दों का प्रयोग कर अप्रार्थी के साथ अभद्र व्यवहार करने व अन्य आरोप लगाए हे जिसके संबंध में सक्षम न्यायालय में परिवाद पेष करना भी बतलाया गया है ।
9. परिवादी ने अपने परिवाद में जो सहायता चाही है वह अनुबन्ध की पालना नहीं किए जाने को लेकर क्षतिपूर्ति दिलाए जाने की, की गई है । मंच की राय में दोनो पक्षों की ओर से जो एक दूसरे के विरूद्व आरोप लगाए गए है उनका निस्तारण सक्षम न्यायालय द्वारा ही दोनो पक्षों की साक्ष्य लेकर किया जा सकता है क्योंकि इस मंच द्वारा परिवाद के निस्तारण हेतु संक्षिप्त प्रक्रिया अपनाई जाती है और प्रष्नगत परिवाद के निस्तारण हेतु विस्तृत जांच किया जाना सम्भव नहीं है । परिवादी की ओर से अनुबन्ध की पालना नहीं किए जाने के संबंध में किसी विषेषज्ञ की रिर्पोट को पेष नहीं किया गया है जिससे यह बात प्रमाणित हो सके कि अप्रार्थी की ओर से अनुबन्ध की पालना नहीं की गई है । चूंकि यह तथ्य एवं कानून का मिश्रित प्रष्न है जिसका निस्तारण सक्षम न्यायालय द्वारा ही किया जाना न्यायोचित होगा । परिणामस्वरूप प्रार्थी का यह परिववाद खारिज किए जाने योग्य है ।
:ः- आदेष:ः-
9. अतः परिवादी का परिवाद विरूद्व अप्रार्थी खारिज किया जाता है । परिवादी को यह अधिकारिता प्राप्त होगी कि वह सक्षम न्यायालय में कार्यवाही कर सके ।
प्रकरण की परिस्थितियों को देखते हुए पक्षकारान खर्चा अपना अपना स्वयं वहन करें ।
आदेष दिनांक 24.02.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(श्रीमती ज्योति डोसी) (महेन्द्र कुमार अग्रवाल)
सदस्या अध्यक्ष