राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-1954/2014
मैनेजिंग डायरेक्टर, जम-जम कोल्ड स्टोरेज प्रा0 लि0 व एक अन्य।
.........अपीलार्थीगण@विपक्षीगण
बनाम्
कालू पुत्र श्री फैय्याज निवासी ग्राम कुशलिया थाना मसूरी जिला
गाजियाबाद। .......प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री इसार हुसैन, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री संजीव मिश्रा, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 05.04.2021
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 278/11 नया वाद संख्या 122/11 कालू बनाम मैनेजिंग डायरेक्टर जम-जम कोल्ड स्टोर व एक अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दि. 30.08.2014 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय व आदेश द्वारा जिला उपभोक्ता मंच गाजियाबाद ने परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षीगण को निर्देशित किया है कि परिवादी को अंकन पांच लाख रूपये 6 प्रतिशत ब्याज सहित अदा करे। अंकन रू. 2000/- परिवाद व्यय के रूप में अदा करने का भी आदेश दिया गया है।
2. परिवाद के तथ्य के अनुसार परिवादी ने विपक्षीगण के कोल्ड स्टोरेज में 1654 आलू कट्टे जिसमें 50 किलोग्राम आलू था, रखे गए थे। सुगर फ्री आलू का किराया 80/- रूपये प्रति कट्टा था। सामान्य आलू का किराया 70/- रूपये प्रति कट्टा था। आलू दि. 30.11.2011 तक रखे गए थे। परिवादी के पास 1557 कट्टे की रसीद है, शेष 57 कट्टे की रसीद विपक्षीगण के पास है। परिवादी ने दि. 03.06.11 को यह सूचना दी कि दि.
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04.06.11 को उसे अपना आलू निकालना है। प्रबंधक ने आलू चेक करने के लिए कहा तब पाया कि आलू पूरी तरह सड़ चुका था। कुछ आलुओं में कल्ले उग आए थे। विपक्षीगण की लापरवाही के कारण परिवादी का आलू खराब हुआ, इसलिए परिवादी ने अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भिजवाई। विपक्षीगण ने नोटिस का यह जवाब दिया कि आलू पूर्णतया सुरक्षित है। परिवादी ने दि. 28.06.11 को शाहिद व जयप्रकाश शर्मा के साथ अपना आलू लेने पहुंचा तब पाया कि आलू सुरक्षित नहीं है। विपक्षीगण द्वारा आलू वापस नहीं लौटाया गया, इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. विपक्षीगण का कथन है कि परिवादी का आलू कोल्ड स्टोरेज में रखना स्वीकार है, लेकिन परिवादी का यह कहना गलत है कि उसका आलू विपक्षीगण की लापरवाही से दि. 03.06.11 को ही खराब हो गया था, क्योंकि वर्ष 2011 के सीजन में विपक्षीगण के कोल्ड स्टोरेज में अन्य तमाम किसानों के आलू खराब नहीं हुए थे। परिवादी ने किराये की अदायगी से बचने के लिए असत्य कथनों पर परिवाद योजित किया है।
4. दोनों पक्षकारों की बहस सुनने के पश्चात जिला उपभोक्ता मंच द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि जहां पर रैक पर परिवादी का आलू भंडारित किया गया था, कोल्ड स्टोर में उस विशिष्ट स्थान तक उचित रूप से बिजली की सप्लाई निरंतर नहीं हो पाई, जिसके कारण आलू खराब हो जाने की संभावनाओं को नहीं नकारा जा सकता। तदनुसार उपरोक्त वर्णित निर्णय व आदेश पारित किया गया।
5. इस निर्णय व आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश तथ्य एवं साक्ष्य के विपरीत
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पारित किया गया निर्णय आदेश है। आलू कभी भी खराब नहीं हुआ। जिला उपभोक्ता मंच ने आलू खराब होने के संबंध में स्पष्ट निष्कर्ष नहीं दिया।
6. दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं को सुना गया एवं प्रश्नगत निर्णय व आदेश का अवलोकन किया गया।
7. इस अपील को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एकमात्र विनिश्चयात्मक बिन्दु यह उत्पन्न होता है कि क्या कोल्ड स्टोरेज के प्रबंधक/कर्मचारियों की लापरवाही के कारण परिवादी द्वारा रखा गया आलू खराब हो गया। तदनुसार विपक्षीगण/अपीलार्थी इस आलू की कीमत अदा करने के लिए उत्तरदायी हैं ?
8. परिवाद पत्र के क्रमांक संख्या 5 में यह उल्लेख है कि परिवादी दि. 03.06.11 को आलू देखने के लिए गया तब आलू लगभग पूरी तरह सड़ चुका था और शेष बचे आलू में कल्ले निकल आए थे। कोल्ड स्टोरेज के प्रबंधक एवं कर्मचारियों की लापरवाही के कारण आलू नष्ट हुआ था। इस तथ्य को साबित करने के लिए कि आलू पूरी तरह से नष्ट हो चुका था, परिवादी द्वारा कृषि विभाग के प्राधिकारियों को किसी प्रकार की कोई शिकायत नहीं की गई है। कृषि विभाग के विशेषज्ञ से इस आशय की कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं की गई कि कोल्ड स्टोरेज में रखे गए आलू दि. 03.06.11 के निरीक्षण के समय सड़ चुके थे।
9. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि परिवादी द्वारा दि. 31.07.11 को एक कट्टा आलू कोल्ड स्टोरेज से निकाला तथा निकासी का दस्तावेज संख्या 53 पत्रावली पर मौजूद है। दि. 25.09.11 को भी आलू निकाला गया, निकासी गेट पास दस्तावेज संख्या 54 है। दोनों दस्तावेजों से यह तथ्य साबित होता है कि परिवादी द्वारा 25.09.11 तक स्वयं अपने
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रखे गए आलू का एक भाग कोल्ड स्टोरेज से निकाला। यदि यह आलू खराब होता तो परिवादी कोल्ड स्टोरेज से अपने द्वारा रखे गए आलू का एक भाग नहीं निकालता।
10. परिवाद पत्र के अनुसार दि. 03.06.11 को परिवादी इस आशय का नोटिस देना कहता है, वह दि. 04.06.11 को अपना आलू निकालेगा, परन्तु नोटिस की कोई प्रति पत्रावली पर मौजूद नहीं है। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि निर्णय में इस नोटिस का उल्लेख आया है। निर्णय के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवाद पत्र में जो उल्लेख किया गया है वही उल्लेख इस निर्णय में कर दिया गया है, परन्तु नोटिस पत्रावली पर मौजूद हो एसी कोई चर्चा इस निर्णय में नहीं की गई, अत: परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क तथ्य परख नहीं है कि परिवादी द्वारा जो नोटिस दिया गया है उसका उल्लेख निर्णय में आया हो। नोटिस की प्रति साबित न करना इस तथ्य की ओर इशारा करता है कि परिवाद में वर्णन करने के उद्देश्य से एक असत्य कथन का उल्लेख किया गया।
11. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि उनके कोल्ड स्टोरेज में परिवादी के अलावा अन्य 400 किसानों के आलू रखे हुए थे। किसी भी किसान ने आलू खराब होने की कोई शिकायत नहीं की है। लिखित कथन के पैरा संख्या 15 में इस तथ्य का उल्लेख है। परिवादी का यह कहना है कि उसके अलावा किसी अन्य कृषक का भी आलू कोल्ड स्टोरेज के प्रबंधक की लापरवाही के कारण खराब हुआ हो।
12. जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय के अवलोकन से ज्ञात होता है कि उपभोक्ता मंच द्वारा यह निष्कर्ष नहीं दिया गया कि प्रबंधक की लापरवाही के कारण आलू खराब हुआ है, बल्कि एक परिकल्पना की गई है
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कि हो सकता है कि उस रैक में जहां पर परिवादी का आलू रखा हो सही रूप से उसमें बिजली की निरंतर सप्लाई हो। किसी भी कोल्ड स्टोरेज में बिजली की सप्लाई रैक के अनुसार नहीं होती। बिजली का उपयोग केवल शीतल उपकरणों में विद्युत आपूर्ति करना होता है। शीतलता प्रदान करने वाले उपकरण पूरे स्टोर के लिए एक साथ काम करते हैं न कि किसी विशेष रैक के लिए। अत: जिला उपभोक्ता मंच का निर्णय जैसाकि ऊपर दिया गया है विशुद्ध रूप से परिकल्पना पर आधारित है। प्रबंधक की लापरवाही के कारण आलू खराब होने का कोई सबूत पत्रावली पर मौजूद नहीं है।
13. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि तत्समय आलू भंडारण के किराए की राशि के अनुरूप आलू का बाजार भाव अत्यधिक कम हो चुका था, इसलिए स्वयं परिवादी अपना आलू लेने नहीं आया। लिखित कथन के पैरा संख्या 14 में इस तथ्य का उल्लेख किया गया है, जिस पर जिला उपभोक्ता मंच ने कोई निष्कर्ष नहीं दिया है। निर्णय के अवलोकन से इस तर्क की पुष्टि होती है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि उनके द्वारा कहा गया कि यदि आलू ठीक है तब वे खुद आलू का विक्रय कर लें अपना किराया काट लें और शेष राशि उन्हें लौटा दें। कोल्ड स्टोरेज में आलू एक संविदा के तहत जमा किया जाता है। यदि किराए की आपूर्ति नहीं की जाती तब कोल्ड स्टोरेज का मालिक उस सीमा तक आलू विक्रय कर सकता है, जिस सीमा तक उसका किराया बकाया है, पर जब कोल्ड स्टोरेज का यह कथन हो कि बाजार में आलू का भाव कम था और प्रति बोरा आलू रखने का किराया अधिक था, इसलिए कोल्ड स्टोरेज प्रबंधन के पास यह अवसर मौजूद नहीं था कि आलू विक्रय कर अपना किराया वसूल
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कर लेते। परिवादी द्वारा आलू खराब होने के संबंध में दी गई नोटिस की प्रति पत्रावली पर मौजूद नहीं है।
14. उपरोक्त विवेचना का निष्कर्ष यह है कि जिला उपभोक्ता मंच ने मात्र परिकल्पना पर अपना निर्णय पारित किया है। कोल्ड स्टोरेज के प्रबंधक की लापरवाही के कारण परिवादी द्वारा रखा गया आलू खराब होने का कोई सबूत पत्रावली पर मौजूद नहीं है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त होने योग्य है। तदनुसार अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
15. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपील-व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाए।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-2