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राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ
अपील संख्या 1154 सन 2023
दि0 न्यू इण्डिया एश्योरेंस कं0लि0 द्वारा डिवीजनल मैनेजर आई हास्पिटल रोड राजसुधा भवन सीतापुर द्वारा सहायक मैनेजर लीगल हब आफिस दि न्यू इण्डिया एश्योरेंस कं0लि0 94 महात्मा गांधी मार्ग, हजरतगंज लखनऊ ।
.............अपीलार्थी
बनाम
कलावती पत्नी राकेश निवासी ग्राम धर्मपुर मजरा सरायभाट तहसील व जनपद सीतापुर ।
................प्रत्यर्थी
समक्ष:-
मा० न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार अध्यक्ष ।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता – श्री अंचल मिश्रा।
प्रत्यर्थी सवयं – श्रीमती कलावती।
दिनांक - 05.04.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता आयोग सीतापुर द्वारा परिवाद संख्या 155 सन 2021 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 24.05.2023 के विरुद योजित की गयी है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादिनी का पुत्र मोहित भट्ठे पर मजदूरी का कार्य करता था जिसकी दिनांक 26-08-2019 को अज्ञात वाहन द्वारा टक्कर मार देने से मृत्यु हो गयी । मृतक परिवादिनी के परिवार का रोटी अर्जक होने के कारण मुख्यमंत्री किसान एवं सर्वहित बीमा योजना के अन्तर्गत पॉच लाख रू० के लिए बीमित था। परिवादिनी द्वारा अपने पुत्र की सडक दुर्घटना में मृत्यु होने के पश्चात उक्त बीमित धनराशि प्राप्त करने के लिए समस्त आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराते हुए विपक्षीगण के समक्ष आवेदन किया था किन्तु अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा बिना किसी कारण के दावा इस आधार पर निरस्त कर दिया गया कि "मृतक अविवाहित था तथा परिवार का मुखिया नहीं था मृतक के पिता जीवित हैं तथा वह परिवार के मुखिया व रोटी अर्जक है। बीमा पालिसी में आश्रित माता पिता को ही दावा देय है।
परिवादिनी का कथन है कि उसके पति बीमार रहने के कारण कोई भी कार्य नहीं कर पाते हैं इस तरह परिवादिनी अपने पुत्र की अर्जित आय पर ही पूर्ण रूप से आश्रित थी। तहसील की आख्या के अनुसार भी मृतक मजदूर था तथा अपने परिवार का रोटीअर्जक था मृत्यु के समय मृतक की वार्षिक आय मु०. 48000-00 रू०. थी किन्तु अपीलार्थी/विपक्षी ने गलत तथ्यों के आधार पर परिवादिनी के क्लेम को निरस्त कर दिया है। परिवादिनी का कथन है कि उत्तर प्रदेश सरकार एवं सम्बन्धित कम्पनी के मध्य निष्पादित अनुबन्ध पत्र की शर्तों के अनुसार उक्त जिले के किसी भी किसान (असीमित आय) अथवा किसी कार्य में संलिप्त किसी भी व्यक्ति जिसकी आय मु०. 75000.00 रू०. वार्षिक से कम हो की आकस्मिक मृत्यु या विकलॉगता बीमा कम्पनी के संज्ञान में आने के बाद बीमा कम्पनी बीमा धनराशि देने के लिए बाध्य है।
विपक्षी की ओर से अपने वादोत्तर में उल्लिखित किया गया है कि परिवादिनी मृतक मोहित की आय पर किसी प्रकार आथित नहीं थी क्योंकि परिवादिनी ने अपने मुख्यमंत्री किसान एवं सर्वहित बीमा योजना के सम्बन्ध में जो आवेदन किया था उसमें परिवादिनी ने अपना एक विधिक आय प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया है जिसमे परिवादिनी की आय मु०. 48000.00 रू० वार्षिक अंकित है । मृतक के परिवार में उसके पिता जीवित है व मृतक के अन्य तीन भाई भी हैं सभी लोग मजदूरी पेशा है तथा परिवादिनी मृतक मोहित पर आश्रित नहीं है। परिवादिनी ने अपने पति व मृतक के पिता को बीमार रहने के कारण कोई कार्य न कर पाना अंकित किया है जबकि पिता स्वयं मजदूरी का कार्य करते हैं। इस कारण मृतक के पिता भी मृतक की आय पर आश्रित नहीं है।
मुख्य रूप से मुख्यमंत्री किसान एवं सर्वहित बीमा योजना के अनुसार बीमा धनराशि स्वीकृत करने के लिए मृतक का परिवार का मुखिया/रोटीअर्जक व वार्षिक आय मु० 75000.00 रू०. वार्षिक होना आवश्यक है। मुख्यमंत्री किसान एवं सर्वहित बीमा योजना के अन्तर्गत परिवादिनी ने दावा प्रस्तुत किया था जिसे विपक्षी ने परिवादिनी के मृतक पुत्र मोहित को विधिक रूप से परिवार का मुखिया / रोटी अर्जक न मानते हुए दावा निरस्त किया है जो सही है। परिवादिनी द्वारा दावा निरस्त होने के उपरान्त विधिक रूप से जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित जिला समिति के समक्ष अपील प्रस्तुत की थी जिसमें जिला समिति द्वारा परिवादिनी के दावे को भुगतान सम्बन्धी कथनों की पुष्टि न होने के कारण दावे/अपील को भुगतान योग्य न मानते हुए निरस्त किया गया है। बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत लिखित कथन में अंकित तथ्यों एवं परिवादिनी द्वारा दाखिल किये गये प्रपत्रों के आधार पर परिवादिनी किसी भी प्रकार सहायता पाने की अधिकारी नहीं है ।
मेरे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री अंचल मिश्रा तथा परिवादिनी/विपक्षी कलावती के तर्क विस्तार से सुने तथा पत्रावली का सम्यक अवलोकन किया । परिवादिनी/विपक्षी कलावती की ओर से उपस्थित रहे अधिवक्ता श्री सब्यसांची कनौजिया का वकालतनामा पत्रावली पर उपलब्ध नहीं पाया गया।
पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि मृतक मोहित परिवादिनी का पुत्र था तथा परिवादिनी द्वारा स्वयं को उस पर आश्रित होना बताया गया है। इस सन्दर्भ में परिवादिनी की ओर से दाखिल प्रपत्रों से मृतक मोहित की मृत्यु दि0 28.08.2019 को होने की पुष्टि की गयी है और आश्रित में कलावती (परिवादिनी) तथा पिता राकेश को मोहित पर आश्रित होना बताया गया है। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा दावे को इस आधार पर अस्वीकृत किया गया है कि "मृतक अविवाहित था तथा वह परिवार का मुखिया नहीं था एवं मृतक के पिता के जीवित हैं तथा परिवार के मुखिया व रोटी अर्जक है। विपक्षी सं० 01 ने इस बात को स्वीकार किया है कि बीमा पालिसी में आश्रित माता-पिता को ही दावा देय है। तहसील सदर सीतापुर की आख्या से भी स्पष्ट होता है कि मृतक मजदूर था तथा अपने परिवार का रोटी अर्जक था। जिला समिति द्वारा परिवादिनी के दावे को अस्वीकृत करने का कोई कारण उल्लिखित नहीं किया गया है।
विद्वान जिला आयोग ने यह अवधारित करते हुए कि जब तहसील सदर सीतापुर एवं उपजिलाधिकारी की आख्या के आधार पर मृतक को परिवार का रोटी अर्जक माना गया है तथा परिवादिनी एवं उसके पति भी मृतक पर आश्रित थे तो जिला समिति द्वारा परिवादिनी के दावे को अस्वीकृत किया जाना उचित प्रतीत नहीं होता है।
बीमा कम्पनी के द्वारा इस बात को लिखा गया है कि बीमा पालिसी में आश्रित माता-पिता को ही दावा देय है ऐसी परिस्थिति में परिवादिनी (कलावती) और उसके पति (राकेश) जो मृतक (मोहित) पर आश्रित माता-पिता के रूप में प्रमाणित हैं । उनको दावा की रकम का भुगतान न करके विपक्षी बीमा कम्पनी ने त्रुटि कारित की गयी है और यह आदेश पारित किया कि विपक्षी दि न्यू इण्डिया एश्योरेंस कंम्पनी आदेश पारित होने के दो माह के अन्दर में मु0 पाँच लाख रू० दावा दाखिल करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज के साथ परिवादिनी को अदा करें। इसके साथ ही विपक्षी परिवादिनी को हुए मानसिक एवं शारीरिक क्षति के लिए मु० दस हजार रू० तथा वाद व्यय के लिए मु० पाँच हजार रू० भी परिवादिनी को उपरोक्त अवधि में अदा करें।
अपील के आधारों में कहा गया है कि जिला आयोग का निर्णय साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है और दोषपूर्ण है जिसे खारिज किया जाए।
पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट है कि मृतक (मोहित) परिवार का रोटी अर्जक था तथा परिवादिनी एवं उसके पति भी मृतक पर आश्रित थे । बीमा कम्पनी द्वारा इस बात का उल्लेख किया गया है कि बीमा पालिसी में आश्रित माता-पिता को ही दावा देय है ऐसी परिस्थिति में में परिवादिनी (कलावती) और उसके पति (राकेश) मृतक (मोहित) पर आश्रित माता-पिता के रूप में प्रमाणित हैं ।
पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य एवं अभिलेख का भलीभांति परिशीलन करने के पश्चात मेरे विचार से जिला मंच ने उभय पक्षों द्वारा दाखिल सभी अभिलेखों व शर्तो का अवलोकन करते हुए साक्ष्यों की पूर्ण विवेचना करते हुए प्रश्नगत परिवाद में विवेच्य निर्णय पारित किया है, जो कि तथ्यों एवं साक्ष्यों से समर्थित एवं विधि-सम्मत है एवं उसमें हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है। तद्नुसार प्रस्तुत अपील खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील खारिज की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
उभय अपीलों में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
सुबोल श्रीवास्तव
पी0ए0(कोर्ट नं0-1)