राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-१०२/२०१३
(जिला फोरम, गौतम बुद्ध नगर द्वारा परिवाद संख्या-१००/२०११ में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक ०७-१२-२०१२ के विरूद्ध)
महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा लिमिटेड, हैड आफिस-महिन्द्रा टावर्स, रोड नं0-१३, वर्ली, मुम्बई द्वारा एरिया मैनेजर स्थित लखनऊ।
............. अपीलार्थी/विपक्षी सं0-२.
बनाम
१. कैलाश पालीवाल पुत्र श्री एच0सी0 पालीवाल, निवासी एफ-१४, न्याय खण्ड-११, इन्द्रापुरम, गाजियाबाद। ............ प्रत्यर्थी/परिवादी।
२. मै0 कन्सेप्ट आटोमोबाइल्स प्रा0लि0, ए-९, सैक्टर-२, नोएडा, जिला गौतम बुद्ध नगर द्वारा डायरेक्टर। ............. प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-१.
समक्ष:-
१- मा0 श्री राजेन्द्र सिंह सदस्य।
२- मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आलोक सिन्हा विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-१/परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री आर0के0 गुप्ता विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-२ की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक :- १३-११-२०२०.
मा0 श्री राजेन्द्र सिंह सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
वर्तमान अपील, जिला फोरम, गौतम बुद्ध नगर द्वारा परिवाद संख्या-१००/२०११ कैलाश पालीवाल बनाम मै0 कन्सेप्ट आटोमोबाइल्स प्रा0लि0 व अन्य में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक ०७-१२-२०१२ के विरूद्ध योजित की गई है।
जिला फोरम ने परिवादी का परिवाद स्वीकार करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी सं0-२ को आदेश दिया कि वह निर्णय/आदेश के ४५ दिन के अन्दर परिवादी से पुरानी कार वापस लेकर, परिवादी को उसी मॉडल की नई कार उपलब्ध कराए। इसके अतिरिक्त मानसिक सन्ताप के लिए २५,०००/- रू० और वाद व्यय के लिए २०,०००/- रू० परिवादी को विपक्षी सं0-२ द्वारा उपलब्ध कराए जाने का आदेश पारित किया।
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संक्षेप में अपीलार्थी का कथन है कि परिवादी ने एक महिन्द्रा जायलो विपक्षी सं0-१ से दिनांक १८-०५-२०१० को खरीदी जिसकी निर्माता कम्पनी अपीलार्थी है। परिवादी ने नि:शुल्क सर्विस प्राप्त की और वह उससे सन्तुष्ट भी हुआ। इसके पश्चात् वह विपक्षी सं0-१ के पास दिनांक ०६-०७-२०१० को ओवर हीटिंग की समस्या के साथ पहुँचा। विपक्षी सं0-१ ने निरीक्षण कर पाया कि यह वाहन को गलत ढंग से चलाने के कारण हुआ है और इसके बाबजूद भी उसने रेडिएटर का पंखा वारण्टी समय में होने के कारण बदल दिया। कुछ समय बाद परिवादी पुन: विपक्षी सं0-१ के पास दिनांक १०-०७-२०१० को ओवर हीटिंग की समस्या के साथ उपस्थित हुआ। अपीलार्थी ने उसे पहले ही बता दिया था कि वाहन के गलत ढंग से रख-रखाव के कारण यह समस्या उत्पन्न हो रही है। इसके बाबजूद भी विपक्षी सं0-१ ने वाहन का इंजन बदल कर दिनांक ३१-०८-२०१० को वाहन वापस कर दिया। इंजन बदलने के बाद भी परिवादी ओवर हीटिंग की समस्या ले कर आया, तब अपीलार्थी की तकनीकी समिति ने समस्त दृष्टिकोण के अन्तर्गत इसका परीक्षण किया और १०० किलोमीटर गाड़ी चलाने पर पाया कि वाहन भलीभांति कार्य कर रहा है।
इसके पश्चात् परिवादी ने दिनांक ३०-१२-२०१० को एक विधिक नोटिस भेजा जिसमें पुराने वाहन को बदलकर नया वाहन देने की मांग की गई। डीलर ने इसका उत्तर दिनांक ०४-०१-२०११ को दिया, लेकिन अन्तत: परिवादी ने मार्च, २०११ में जिला फोरम के समक्ष परिवाद प्रस्तुत कर दिया। जिला फोरम ने मनमाने तरीके से इसको डिक्री किया। सम्बन्धित अभिलेखों की फोटोप्रतियॉं संलग्न हैं।
निर्णय एवं आदेश दिनांक ०७-१२-२०१२ विधि के अन्तर्गत त्रुटिपूर्ण है और वाद की परिस्थितियों के विपरीत है। उक्त आदेश गुणदोष से परे है और जिला फोरम ने बिना लिखित कथन और विपक्षी के साक्ष्य पर विचार किए निर्णय दिया है। यह निर्णय समस्त विधि प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए दिया गया है। परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता क्योंकि उसने यह वाहन व्यापारिक उद्देश्यों के लिए क्रय किया और उसने परिवाद पत्र के पैरा-५ में इसे स्वीकार किया है। वाहन गलत रख-रखाव के कारण ओवर हीटिंग
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की समस्या उत्पन्न हुई थी और अपीलार्थी ने रेडिएटर का पंखा बदल दिया और बाद में उसने वाहन का इंजन भी बदल दिया किन्तु इसके बाबजूद भी परिवादी पुन: ओवर हीटिंग की समस्या को लेकर आया और उसने दुराशय से वाहन को बदलने का इरादा व्यक्त किया। अपीलार्थी की तकनीकी समिति ने वाहन का निरीक्षण किया और १०० कि0मी0 चला कर देखा कि वाहन भलीभांति काम कर रहा है। परिवादी जानबूझकर वाहन को ठीक होने के बाबजूद वाहन को नहीं ले गया। अपीलार्थी वाहन निर्माता है और उसने इसको अपने डीलर को बेच दिया जो उसे पुन: विक्रय करता है। अत: निर्माता और उपभोक्ता के मध्य कोई सम्बन्ध नहीं है। वाहन में कोई भी निर्माण सम्बन्धी दोष नहीं है। परिवादी ने किसी विशेषज्ञ आख्या को प्रस्तुत नहीं किया है। वास्तव में वाहन को अच्छी दशा में परिवादी दिया जा रहा था लेकिन उसने इसे प्राप्त नहीं किया। निर्णय/आदेश में यह लिखा हुआ है कि तकनीकी आख्या कहती है कि कोई ओवर हीटिंग की समस्या नहीं है और १०० कि0मी0 टैस्ट ड्राइव करने के बाद भी गाड़ी में ओवर हीटिंग की कोई समस्या नहीं पाई गई। वारण्टी के अनुसार सारा काम यहॉं तक कि इंजन को बदने का कार्य भी परिवादी की सन्तुष्टि के अनुसार किया गया। जिला फोरम को परिवाद निरस्त कर देना चाहिए था। सेवा में कोई कमी नहीं है।
प्रत्यर्थी/परिवादी कैलाश पालीवाल की ओर से अपनी लिखित आपत्ति में कहा गया कि जिला फोरम ने परिवाद का निर्णय गुणदोष के आधार पर किया है। परिवादी ने जायलो कार अपने निजी उपयोग के लिए खरीदी थी और निजी कार्य हेतु चलाया गया। उसे परिवादी किराए पर नहीं चलाता था। अपीलार्थी ने स्वयं स्वीकार किया है कि जायलो कार वारण्टी के दौरान् ही ओवर हीटिंग की समस्या से ग्रसित थी और इस कारण अपीलार्थी ने उसका रेडिएटर पंखा बदलवाया था और ओवर हीटिंग की समस्या का निदान न होने पर इंजन असेम्बलिंग को बदल दिया लेकिन तब भी ओवर हीटिंग की समस्या ठीक नहीं हुई। अपीलार्थी जायलो कार का निर्माता है जो अपने डीलर के माध्यम से आम जनता को वाहन बिकवाता है। परिवादी अपीलार्थी और उत्तरदाता सं0-२ दोनों का उपभोक्ता है। कार में निर्माण सम्बन्धी दोष था। ओवर हीटिंग होने के कारण कार
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अचानक बन्द हो जाती थी और फिर स्टार्ट करने पर चलती नहीं थी। इन्हीं सब के कारण रेडिएटर फैन और इंजन बदला गया। जिला फोरम के निर्देश पर डॉ0 ज्ञान प्रकाश गोविल वाहन एक्सपर्ट ने जांच कर अपनी रिपोर्ट दिनांक १३-०९-२०१२ को दी जिसके अनुसारवाहन में ओवर हीटिंग की समस्या विद्यमान थी। अपीलार्थी के निर्देश पर ही उत्तरदाता सं0-२ डीलर द्वारा वाहन खराब होने की स्थिति में परिवादी को दूसरी जायलो कार प्रयोग करने हेतु उपलब्ध करायी। अपीलार्थी ने जिला फोरम के निर्णय के कथित अंश को आधा-अधूरा अपनी अपील में उद्धृत किया है। अपीलार्थी ने त्रुटियुक्त कार परिवादी को बेची ओर वह त्रुटिपूर्ण कार बेचने का दोषी है और त्रुटिपूर्ण तथा दोषपूर्ण सेवा दी है। जांच एक्सपर्ट की आख्या में ओवर हीटिंग होने के ०९ कारणों का उल्लेख किया गया है। रेडिएटर फैन और इंजन बदलने के बाद भी ओवर हीटिंग की समस्या समाप्त नहीं हुई। इससे स्पष्ट होता है कि कार निर्माण सम्बन्धी गम्भीर दोष से ग्रसित है और इसको बदलना आवश्यक है।
अपनी लिखित आपत्ति के साथ उत्तरदाता सं0-१ कैलाश पालीवाल ने कुछ अभिलेख भी प्रस्तुत किए हैं।
हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक सिन्हा तथा प्रत्यर्थी सं0-१ के विद्वान अधिवक्ता श्री आर0के0 गुप्ता के तर्क सुने। पत्रावली पर उपलब्ध सभी अभिलेखों का अवलोकन किया। प्रत्यर्थी सं0-२ की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
अपीलार्थी का मुख्य कथन यह है कि उसने इस वाहन के अत्यधिक गर्म होने की स्थिति में उसके रेडिएटर का फैन बदला और उसके बाद भी समस्या का निदान न होने पर उसने वाहन का इंजन बदलकर दिनांक ३१-०८-२०१० को वापस कर दिया। इसके बाबजूद प्रत्यर्थी/परिवादी ओवर हीटिंग की समस्या ले कर आया। इंजन बदलने के सम्बन्ध में कन्सेप्ट आटोमोबाइल्स प्रा0लि0 ने कैलाश पालीवाल प्रत्यर्थी को लिखित रूप से सूचित किया है।
पत्रावली पर डॉ0 ज्ञान प्रकाश गोविल की एक विशेषज्ञ आख्या भी है जो उन्होंने अध्यक्ष, जिला फोरम, नोएडा को प्रेषित की है। यह विशेषज्ञ आख्या जिला फोरम, नोएडा
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के अध्यक्ष के आदेश पर प्रस्तुत हुई थी और उसमें डॉ0 ज्ञान प्रकाश गोविल को बतौर विशेषज्ञ नियुक्त किया गया था। वह कन्सेप्ट आटोमोबाइल्स प्रा0लि0 दिनांक १६-०८-२०१२ को गये लेकिन उन्हें वाहन का निरीक्षण नहीं करने दिया गया। पुन: वह दिनांक १८-०८-२०१२ को दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के साथ गये और उन्होंने ग्रेटर नोएडा से मथुरा तक और वापस पुन: मथुरा से नोएडा तक लगभग २५० कि0मी0 वाहन चलाकर अपनी विशेषज्ञ आख्या न्यायालय में समर्पित की। उन्होंने अपने नोट में लिखा कि वाहन के सर्विस इतिहास से स्पष्ट होता है कि मुख्य-मुख्य हिस्सों जैसे : रेडिएटर कूलिंग फैन, सेंसर, यहॉं तक कि पूरे इंजन को बदलने के बाद भी ओवर हीटिंग की समस्या ज्यों की त्यों थी और इसे सामान्यत: नहीं होना चाहिए। अपना निष्कर्ष विशेष महत्व का यह लिखा कि ओवर हीटिंग इंजन को कार्य करने नहीं देती और इससे मानव जीवन संकटापन्न हो सकता है और कभी-कभी वाहन में आग लगने की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है। यह विशेषज्ञ आख्या दिनांक १३-०९-२०१२ की है जो सम्बन्धित जिला फोरम के आदेश के पहले की थी।
इससे पूर्व भी दिनांक १८-०४-२०१२ को कन्सेप्ट आटोमोबाइल्स प्रा0लि0 द्वारा अपने स्तर पर वाहन की जांच एक विशेषज्ञ से कराई थी जिन्होंने सब कुछ अच्छा पाया और लिखा कि इंजन की हालत अच्छी है और इस वाहन को लगभग १०० कि0मी0 चला कर देखा गया जिसने सन्तोषजनक सेवा दी। इसके बाद दिनांक दिनांक १३-०८-२०१२ को जिला फोरम ने अपने आदेश में डॉ0 ज्ञान प्रकाश गोविल को विशेषज्ञ जांच के लिए नियुक्त किया और डॉ0 ज्ञान प्रकाश गोविल ने जिला फोरम के आदेश के अनुपालन में जांच कर अपनी आख्या जिला फोरम को समर्पित की। यह निर्विवाद तथ्य है कि वाहन का रेडिएटर फैन, सेंसर और यहॉं तक कि उसका इंजन भी बदला गया, तब कम्पनी द्वारा कराई गई जांच में इन तथ्यों का समावेश क्यों नहीं किया गया है ओर किन परिस्थितियों में वाहन के इंजन को अच्छा होना लिखा गया है।
अपीलार्थी की ओर से निम्नलिखित न्यायिक दृष्टान्त भी प्रस्तुत किए गए :-
१. यूनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस कं0लि0 बनाम किशोर शर्मा, I(2015) CPJ 760 (NC).
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२. थॉमस वैली बनाम मर्सडीज-बेन्ज इण्डिया प्रा0लि0 व अन्य, IV (2016) CPJ 84 (Maha.)
३. टाटा इंजीनियरिंग एण्ड लोकोमोटिव कं0लि0 व अन्य बनाम नीरवभाई पुरोहित, III (2017) CPJ 468 (NC).
किशोर शर्मा के मामले में मा0 राष्ट्रीय आयोग ने वहॉं पर परिवादी को उपभोक्ता नहीं माना जहॉं पर उसके वाहन का व्यापारिक कार्य के लिए उपयोग हो रहा था और वाहन चलाने के लिए वाहन चालक की नियुक्ति की गई थी।
थॉमस वैली के मामले में वाहन कम्पनी ने वाहन की कमियों का निराकरण भलीभांति किया। परिवादी बहुत ही कम वाहन का उपयोग करता था। वाहन ठीक होने के बाद वह उसे वापस नहीं ले गया। मा0 राज्य आयोग, महाराष्ट्र ने माना कि विपक्षी ने वाहन की मरम्मत का कार्य कुशल कारीगरों से पूर्ण सावधानी के साथ कराया और इंजन ऑयल का कूलेण्ट के साथ मिश्रित होने की सम्भावना का निराकरण कर दिया गया।
नीरवभाई पुरोहित के मामले में मा0 राष्ट्रीय आयोग ने यह पाया कि जब कभी वाहन में कोई कमी आयी तब उसका निराकरण किया गया। वाहन १७५९७ कि0मी0 चला। जो भी मरम्मत का कार्य किया गया उसमें कोई निर्माण सम्बन्धी दोष नहीं था और निरीक्षण आख्या के द्वारा भी किसी निर्माण सम्बन्धी दोष का होना नहीं पाया गया।
वर्तमान मामले में वाहन का व्यापारिक उद्देश्य के लिए उपयोग करना सिद्ध नहीं है। यहॉं पर मुख्य विवाद का बिन्दु यह है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के वाहन का इंजन पूरा बदला गया। इंजन का बदलना कोई छोटीमोटी मरम्मत का कार्य नहीं होता। इंजन किन कारणों से बदला जाता है, इस सम्बन्ध में ऑन लाइन खोज करने पर निम्नांकित तथ्य प्रकाश में आया :-
‘’ What are the main reasons to replace a vehicle einginge ?
Replacing a car engine is not something that most vehicle owners will have to do in their vehicles life time, but it can come
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up. Engines are designed to be strong machines that can handle day in and day out abuse as they power their car or truck down the road.
Here are three of the top reasons you may need to replace a car engine.
1- Cracked Block.
There are several reasons an engine block may crack, but the no.1 issue, and by far the most common, is excessive heat. If the coolant system is unable to regulate the operating temperature of the motor. It going to continue to rise in temperature as it operates to a cracked block means you will loose nearly all power from the engine, if it does not cause it to completely shut off.
2- High mileage wear and tear.
As the miles climed on the odometer, the engine is going to suffer from general wear and tear. Ever routine maintenance cannot prevent all of the friction and heat that the engine suffers from. Cylinder rings will wear, oil will leak, gas kits will blow, damage will be done. Once engine hit a certain point of damage, there is no turning back. It is going to need all rebuild or replacement.
3- Less commonly but still very possible, a car is hit so hard in the front that the engine is actually damaged in the collusion.
If there is a crack stem of that energy escapes meaning less pressure which leads to a loss of performance. The causes of cracked engine block are low coolant, excessive stress, water pump failure, extreme temperature and manufacturing defect while rather manufactured defects can result in a cracked engine
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block. Typically this stems from a fault made during the molding process that leads to thining in certain areas. As an example an article got issued on 2006 Honda Civic for cracked engine block (as well as 07, 08 and same 09 model).’’
वर्तमान समस्या जायलो वाहन के बारे में है और जायलो वाहन के सम्बन्ध में निम्नांकित तथ्य ऑन लाइन प्राप्त हुआ :-
‘’ The product of the vehicle got named “ingenio” was the first announced by Mahindra in 2006 and was designed to complete in the Indian market. The Xylo was launched in India in 2009 with sales started in March, 2009. In the first full month 3000 unit were sold but slowly the sales declined. Thereafter, the chassis was modified. This Mahindra Xylo comprisingly updated in 2012 featuring new transmission. It was exported to some countries. In June, 2019 Mahindra announced that Xylo will be discontinued to the stricter crash safety and BS IV, emission standard.‘’
पहले रेडिएटर फैन का बदलना और फिर वाहन के पूरे इंजन को बदलना इस बात का साक्षी है कि वाहन में कोई न कोई निर्माण सम्बन्धी दोष था, इसलिए इन लोगों ने वाहन के इंजन को बदल दिया। अपीलार्थी की ओर से उन कारणों को स्पष्ट नहीं किया गया है कि आखिर ऐसी क्या मजबूरी थी जिससे वाहन का पूरा इंजन बदलना पड़ा। इंजन के किसी हिस्से में खराबी आती है तो उसे बदला जाता है।
अपीलार्थी ने तर्क के दौरान् यह नहीं बताया कि ऐसा कोन सा विशेष कारण था जिससे पूरा इंजन बदलने की आवश्यकता पड़ी। पत्रावली पर भी ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जिससे यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि इंजन किन कारणों से बदला गया और क्या बदला हुआ इंजन नया था ? इससे इंजन के निर्माण वर्ष के बारे में जानकारी होती जो अपीलार्थी ने उपलब्ध नहीं कराई। पक्षकारों को न्यायालय के समक्ष स्वच्छ हाथों से आना चाहिए। इंजन का पूरा बदला जाना अपने आप में विचारणीय बिन्दु है कि ऐसी कौन सी
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परिस्थतियॉं उत्पन्न हुई होंगीं जिनके कारण वाहन के इंजन को बदलना पड़ा। इस सम्बन्ध में उन कारणों पर प्रकाश नहीं डाला गया जिनके कारण इंजन बदला गया। यहॉं तक कि बदले हुए इंजन का निर्माण वर्ष भी नहीं बताया गया कि वह नया इंजन है अथवा किसी पुराने वाहन का इंजन मरम्मत करने के बाद लगा दिया गया।
इस प्रकार पत्रावली पर उपलब्ध समस्त साक्ष्यों से यह पीठ इस निष्कर्ष पर पहुँचती है कि सम्पूर्ण इंजन को बदले जाने के लिए निर्माण सम्बन्धी दोष के कारण आवश्यकता हुई अन्यथा मरम्मत से इंजन को ठीक किया जा सकता था। जिला फोरम/आयोग का यह निष्कर्ष उचित है कि जो कार परिवादी को दी गई उसमें निर्माण सम्बन्धी दोष था और इंजन बदलने के बाद भी इंजन का गर्म होना सम्भवत: यह विचार करने पर मजबूर करता है कि बदला हुआ इंजन भी नया नहीं है। इस सम्बन्ध में जिला फोरम/आयोग ने मानसिक सन्ताप के लिए २५,०००/- रू० और वाद व्यय के लिए २०,०००/- रू० दिलाए जाने का आदेश दिया है।
समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए यह पीठ जिला फोरम/आयोग के प्रश्नगत निर्णय/आदेश में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं समझती है। तद्नुसार अपीलार्थी की यह अपील निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है।
अपील व्यय उभय पक्ष पर।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-२.