राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-1449/2016
(जिला उपभोक्ता फोरम, जौनपुर द्वारा परिवाद संख्या-185/2015 में पारित निर्णय और आदेश दिनांक 21-06-2016 के विरूद्ध)
एच0डी0एफ0सी0 बैंक लि0 द्वारा ब्रांच मैनेजर, ब्रांच आफिस जेसीस चौराहा, जौनपुर।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
1- कैलाश नाथ पुत्र स्व0 बाबू नंदन निवासी मौजा उमरपुर हरिबन्धनपुर पी0एस0 कोतवाली0, परगना हवेली तहसील सदर, जिला जौनपुर।
2- केनरा बैंक, ब्रांच आफिस सिविल लाइन जौनपुर।
प्रत्यर्थी/परिवादी
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता श्री ब्रिजेन्द्र चौधरी।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई उपस्थित नहीं।
दिनांक – 28.11.2017
मा0 श्री न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या 185/2015 कैलाश नाथ बनाम प्रबन्धक एच0डी0एफ0सी0 बैंक लि0, शाखा जेसीस चौराहा व एक अन्य में जिला फोरम जौनपुर द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 21-06-2016 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम के अन्तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार करते हुये निम्न आदेश पारित किया है:-
"परिवादी कैलाशनाथ का परिवाद संख्या 185/2015 विपक्षी एच0डी0एफ0सी0 बैंक के विरूद्ध 38500/- रू० एवं 1000/- रू० वाद व्यय के लिए स्वीकार किया जाता है। विपक्षी एच0डी0एफ0सी0 बैंक को आदेश दिया जाता है कि उक्त धनराशि एक माह के अन्दर परिवादी को अदा करें अन्यथा उक्त धनराशि पर निर्णय की तिथि से
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अदायगी की तिथि तक 07 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज भी देना पड़ेगा। विपक्षी संख्या 2 केनरा बैंक के विरूद्ध परिवाद खारिज किया जाता है।"
जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी, एच0डी0एफ0सी0 बैंक लि0 ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री ब्रिजेन्द्र चौधरी उपस्थित आए। प्रत्यर्थी पर नोटिस का तामीला दिनांक 30-03-2017 को पर्याप्त माना गया है, फिर भी प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। अत: अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुनकर एवं आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन कर अपील का निस्तारण किया जा रहा है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने जिला फोरम के समक्ष परिवाद इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि दिनांक 25-04-2015 को सात बजे जेसीज चौराहा स्थित एच0डी0एफ0सी0 बैंक में अपने ए0टी0एम0 कार्ड से बैलेंस की जानकारी करने के लिए ए0टी0एम0 कार्ड लगाया तो रसीद प्राप्त हुयी जिसमें कुल बैलेंस 77390.22/- रूपया था। लेकिन ए0टी0एम0 कार्ड मशीन में फंस गया नहीं निकला। काफी इन्तजार के बाद वहॉं उपस्थित गार्ड अजय सिंह से बताया गया तो उसने कहा आज शनिवार है सोमवार को आइये तब ए0टी0एम0 कार्ड दिया जाएगा। उसके बाद परिवादी अपने घर चला गया और दिनांक 28-04-2015 को बैंक में गया तब ए0टी0एम0 कार्ड के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि ए0टी0एम0 कार्ड नहीं मिला है। उसके बाद परिवादी ने अपने खाते वाले बैंक केनरा बैंक में जाकर स्टेटमेंट निकलवाया तो ज्ञात हुआ तक खाते में 160.22/- पैसा बचा है।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि विपक्षी संख्या 1 प्रबन्धक एच0डी0एफ0सी0 बैंक लि0 की सेवा में त्रुटि के कारण उसके खाते से 77,000/- रू० निकल गया है। विपक्षी संख्या 1 के गार्ड अजय सिंह को इसकी जानकारी थी। सी0सी0 फुटेज से कैमरे में देखा जा सकता था लेकिन बैंक कर्मचारी द्वारा ऐसा करने से मना किया गया। प्रत्यर्थी/परिवादी ने बैंक को नोटिस भी दिया
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परन्तु कोई कार्यवाही नहीं हुयी। अत: विवश होकर उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है।
जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी संख्या 1 ने प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया है और कथन किया है कि परिवाद पोषणीय नहीं है। परिवादी उसके बैंक का उपभोक्ता नहीं है। उसके विरूद्ध कोई वाद हेतु उत्पन्न नहीं हुआ है।
लिखित कथन में विपक्षी संख्या 1 की ओर से कहा गया है कि परिवाद असत्य कथन के साथ प्रस्तुत किया गया है। परिवादी का बचत खाता विपक्षी संख्या 2 के यहॉं है और धनराशि विपक्षी संख्या 2 द्वारा कटौती होना कहा जाता है।
लिखित कथन में विपक्षी संख्या 1 की ओर से यह भी कहा गया है कि उसकी ए0टी0एम0 मशीन में कोई ए0टी0एम0 कार्ड नहीं मिला है।
लिखित कथन में विपक्षी संख्या 1 की ओर से यह भी कहा गया है कि ए0टी0एम0 कार्ड बैंकिग नेटवर्क से संचालित होता है जो सूचना कार्ड में फीड की जाती है वह मात्र परिवादी के पास थी। पिन कोड के बिना धनराशि आहरित करना सम्भव नहीं है। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी का यह कथन गलत है कि उसके ए0टी0एम0 का प्रयोग कर दूसरे व्यक्ति द्वारा धनराशि आहरित कर ली गयी है। ए0टी0एम0 कार्ड किसी अन्य व्यक्ति के कब्जे में होने पर भी उसके ए0टी0एम0 कार्ड से आहरण सम्भव नहीं है।
लिखित कथन में विपक्षी संख्या 1 की ओर से कहा गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के ए0टी0एम0 कार्ड पर सफलतापूर्वक आहरण संव्यवहार ए0टी0एम0 में दिखाया जा रहा है। सी0एम0एस0 एजेन्सी द्वारा धनराशि मशीन में रखी जाती है। यदि कोई कार्ड ए0टी0एम0 मशीन में पाया जाता है तो वह उक्त् एजेन्सी से ही प्राप्त कर सकते है। लिखित कथन में यह भी कहा गया है कि प्रश्नगत ए0टी0एम0 मशीन में नगदी दिनांक 25-04-2015 को 9.40 बजे रखी गयी थी उसके बाद निगदी दिनांक 27-04-2015 को 11 बजे दिन में डाली गयी है। उसमें प्रत्यर्थी/परिवादी का कार्ड नहीं
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पाया गया है जो भी संव्यवहार हुआ है उसके पहले हुआ है। प्रत्यर्थी/परिवादी का कार्ड न तो एजेन्सी को मिला है और न विपक्षी बैंक को। जब तक पिन नम्बर उसमें नहीं डाला
जाएगा तब तक पैसे का आहरण नहीं हो सकता है। पिन की जानकारी प्रत्यर्थी/परिवादी को ही थी इसलिए उसके ए0टी0एम0 से बैंक या किसी कर्मचारी द्वारा रूपया आहरण नहीं किया जा सकता है।
विपक्षी संख्या 2 की ओर से जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्तुत कर कहा गया है कि परिवादी का खाता संख्या 1979199110006218 उसके बैंक से संचालित है। उसके खाते में गैस की सब्सिडी आती रहती है। उस पर ए0टी0एम0 की सुविधा जारी की गयी है और ए0टी0एम0 कार्ड से परिवादी के खाते से एच0डी0एफ0सी0 बैंक लि0 शाखा जेसीस चौराहा जौनपुर के ए0टी0एम0 से धनराशि आहरित की गयी है। स्टेटमेंट प्रत्यर्थी/परिवादी को दे दिया गया है। विपक्षी संख्या 2 ने सेवा में कोई कमी नहीं की है।
जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरान्त यह निष्कर्ष निकाला है कि एच0डी0एफ0सी0 बैंक लि0 और प्रत्यर्थी/परिवदी दोनों ही आहरण के लिए उत्तरदायी हैं। अत: जिला फोरम ने प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा की गयी लापरवाही मानते हुए उसके खाते से निकाली गयी आधी धनराशि का ही भुगतान अपीलार्थी/विपक्षी संख्या 1 बैंक को अदा करने हेतु आदेशित किया है और तदनुसार आक्षेपित निर्णय और आदेश उपरोक्त प्रकार से पारित किया है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश त्रुटिपूर्ण है और निरस्त किये जाने योग्य है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने स्वयं यह माना है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के खाते से रूपया उसकी लापरवाही से निकला है।
मैंने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क पर विचार किया है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली की अवलोकन किया है। मैंने अपीलार्थी की ओर से प्रस्तुत लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।
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जिला फोरम ने अपने आक्षेपित निर्णय और आदेश में उल्लेख किया है कि कार्ड फंस जाने की सूचना वहॉं तैनात अजय सिंह नामक गार्ड को प्रत्यर्थी/परिवादी ने दिया था और उसने सोमवार को बैंक में आकर कार्ड प्राप्त करने का आश्वासन दिया था।
परन्तु जो स्टेटमेंट प्रस्तुत किया गया है उसमें स्पष्ट रूप से दिखाया गया है कि उसी रात में 19:16:26 बजे 10,000/- रू०, 19:17:05 बजे 10,000/- रू०, 19:17:49 बजे 5,000/- रू०, 19:18:26 बजे 5,000/- रू० व 19:19:39 बजे 5,000/- रू० का आहरण हुआ है और उसी रात 12 बजे के बाद 00:01:16 बजे 10,000/- रू०, 00:02:08 बजे 10,000/- रू० उसके बाद 00:03:05 बजे 10,000/- रू० तथा 00:05:26 बजे 7,000/- रू० आहरित हुआ है। इस तरह से ए0टी0एम0 कार्ड मशीन में फंस जाने के कुछ ही समय पश्चात् से लेकर रात के 12 बजकर 06 मिनट के अन्दर ही सम्पूर्ण धनराशि आहरित कर ली गयी है। यह सब आहरण शहर के विभिन्न ए0टी0एम0 से किया गया है और अन्य ए0टी0एम0 मशीन दूसरे बैंक की भी हैं।
जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश में यह उल्लेख किया है कि परिवादी ने परिवाद पत्र में यह कहा है कि अजय सिंह नाम का गार्ड बैंक की तरफ से कार्यरत रहा है। कार्ड फंस जाने के बाद प्रत्यर्थी/परिवादी ने उसको सूचना दिया तब उसने कहा कि आज शनिवार है, कल रविवार है, सोमवार को आएं और बैंक से सम्पर्क करें वह कार्ड निकाल देंगे। इसका खण्डन विपक्षी ने नहीं किया है और विपक्षी ने यह कथन नहीं किया है कि अजय सिंह नामक व्यक्ति उनकी ए0टी0एम0 मशीन की रखवाली नहीं कर रहा था। जिला फोरम का आक्षेपित निर्णय और आदेश में यह उल्लेख बहुत महत्वूर्ण है। परिवाद की धारा 2 में प्रत्यर्थी/परिवादी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि दिनांक 25-04-2015 को 07 बजे जेसीस चौराहा पर स्थित एच0डी0एफ0सी0 बैंक लि0 के ए0टी0एम0 से बैलेंस की जानकारी हेतु ए0टी0एम0 कार्ड लगाया तो बैलैंस की रसीद निकली। कुछ बैलैन्स 77390.22 पैसा था लेकिन उसका ए0टी0एम0 कार्ड किसी कारणवश ए0टी0एम0 मशीन में फंस गया जो मशीन से नहीं निकला।
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परिवादी ने काफी इन्तजार किया। उसके बाद उसने ए0टी0एम0 मशीन के पास उपस्थित अजय सिंह नाम के व्यक्ति से बताया कि उसका ए0टी0एम0 कार्ड मशीन में फंस गया है। तब गार्ड अजय सिंह ने कहा की आज शनिवार है। आप सोमवार को आइये तब ए0टी0एम0 कार्ड निकालकर दिया जाएगा। तब वह घर चला गया और दिनांक 28-04-2015 को ए0टी0एम0 की बैंक शाखा जेसीस चौराहा जौनपुर पर गया तथा ए0टीएम0 के बारे में पूछा तो बैंक के कर्मचारी ने कहा कि ऐसा कोई ए0टी0एम0 कार्ड नहीं मिला है। अपीलार्थी/विपक्षी बैंक ने अपने लिखित कथन अथवा शपथपत्र में इस बात से इन्कार नहीं किया है कि उसके जेसीस चौराहा जौनपुर स्थित ए0टी0एम0 पर अजय सिंह नाम का कोई गार्ड नहीं है और कथित समय पर वह ए0टीम0एम पर तैनात नहीं था। अत: जिला फोरम ने प्रत्यर्थी/परिवादी के कथन पर जो विश्वास किया है वह उचित और युक्तिसंगत है। जिला फोरम के निर्णय के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी ने दिनांक 25-04-2015 को रूपये निकालने का जो विवरण उपरोक्त प्रकार से अंकित किया है उससे स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी का ए0टी0एम0 मशीन में फंसने और चौकीदार को सूचना देने के तुरन्त बाद ही ए0टी0एम0 कार्ड से उसके खाते से रूपये का आहरण किया गया है और यह आहरण रात 12.00 बजे के बाद दूसरे ए0टी0एम0 से भी किया गया है। ऐसी स्थिति में ए0टी0एम0 गार्ड की भूमिका पूर्ण रूप से संदिग्ध दिखती है और उपरोक्त विवरण से यह भी स्पष्ट है कि अपीलार्थी बैक ने श्री अजय सिंह नामक गार्ड अपीलार्थी बैंक का होने से इन्कार नहीं किया है। अत: अपीलार्थी बैंक को यह तथ्य स्वीकार है। अत: ए0टी0एम0 कार्ड मशीन में फंसने की सूचना प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा गार्ड को दिये जाने पर उसे उसी समय बैंक के सक्षम अधिकारी को सूचित कर इस ए0टी0एम0 कार्ड से अग्रिम आहरण रोकना चाहिए था परन्तु उसने ऐसा नहीं किया। इसके साथ ही प्रत्यर्थी/परिवादी के खाते से जो रूपया आहरित किया गया है उसके विवरण से यह स्पष्ट है कि ए0टी0एम0 कार्ड मशीन में फंसने की सूचना दिये जाने के थोड़ी ही देर बाद से ए0टी0एम0 कार्ड से आहरण किया गया है। इसके साथ ही उल्लेखनीय है कि इस विषम परिस्थिति में अपीलार्थी बैंक का यह दायित्व था
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कि ए0टी0एम0 कार्ड की सी0सी0 फुटेज कैमरे का परीक्षण कर यह सुनिश्चित करें कि वास्तव में उस दिन प्रत्यर्थी/परिवादी के खाते से जो 19:16:26 बजे से 19:18:39 तक आहरण किया गया है क्या प्रत्यर्थी/परिवादी ने स्वयं किया है या किसी अन्य व्यक्ति ने। परन्तु अपीलार्थी बैंक ने सी0सी टी0वी0 फुटेज कैमरे से यह जानने का प्रयास नहीं किया है और न ही प्रत्यर्थी/परिवादी को दिखाया है। यह सही है कि ए0टी0एम0 कार्ड का प्रयोग तभी हो सकता है जब उसका पिन कोड ज्ञात हो। समान्यतया पिन कोड खाता धारक की ही जानकारी में होता है। परन्तु जिला फोरम ने यह माना है कि ए0टी0एम0 कार्ड का पिन प्रत्यर्थी/परिवादी की चूक के कारण ही दूसरे व्यक्ति की जानकारी में आया है। ऐसी स्थिति में जिला फोरम ने प्रत्यर्थी/परिवादी की भी लापरवाही माना है। परन्तु उपरोक्त विवरण से यह स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा ए0टी0एम0 मशीन में ए0टी0एम0 कार्ड फंसने की सूचना अपीलार्थी बैंक के गार्ड को दिये जाने पर गार्ड ने उचित कार्यवाही नहीं की है और उचित सावधानी नहीं बरती है तथा बैंक ने प्रत्यर्थी/परिवादी की सूचना प्राप्त होने पर आहरित धनराशि के सम्बन्ध में ए0टी0एम0 मशीन की सी0सी0टी0वी0 कैमरे से जांच कर यह सुनिश्चित नहीं किया है कि वास्तव में आहरण किसके द्वारा किया गया है। अत: सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्त मैं इस मत का हॅूं कि जिला फोरम ने जो प्रत्यर्थी/परिवादी के खाते से 77390/- रू० की निकासी हेतु अपीलार्थी बैंक एवं उसके कर्मचारी की लापरवाही माना है और तदनुसार वायकेरियस लाइबेलिटी के आधार पर अपीलार्थी/विपक्षी बैंक को उत्तरदायी माना है वह अनुचित और अवैधानिक नहीं कहा जा सकता है। अत: जिला फोरम ने जो अपीलार्थी बैंक को प्रत्यर्थी/परिवादी की आहरित धनराशि का 50 प्रतिशत 38,500/- रू० अदा करने हेतु आदेशित किया है वह अनुचित और अवैधानिक नहीं कहा जा सकता है। जिला फोरम के निर्णय और आदेश में हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं दिखता है।
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उपरोक्त विवेचना के आधार पर मैं इस मत का हॅूं कि अपील बलहीन है और निरस्त किये जाने योग्य है। अत: अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
कृष्णा, आशु0
कोर्ट नं01