राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या- 719/2016
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम, मथुरा द्वारा परिवाद संख्या- 121/2014 में पारित आदेश दिनांक 25.02.2016 के विरूद्ध)
Iffco Tokio Gen. Insurance Co. Ltd.,
34 Nehru Place, Iffco House,
New Delhi through its Manager
..............अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
Kailash Nath Madan S/o Jagannath, R/o 30 B-Krishna Nagar, Thana Kotwali, District Mathura.
..........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अशोक मेहरोत्रा।
विद्वान अधिवक्ता ।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक:
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 121/2014 कैलाश नाथ मदान बनाम इफ्को टोकियो ज0इं0कं0लि0 मैनेजर इफ्को हाउस व एक अन्य में जिला फोरम मथुरा द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 25.02.2016 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
"परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या-01 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को उसके वाहन की हुई क्षति के सम्बन्ध में मु0 4,00,000/-रू0(चार लाख रूपये) का भुगतान परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 8 प्रतिशत ब्याज के साथ आदेश की तिथि से एक माह के अन्दर करें। इसके साथ ही साथ परिवादी वाद व्यय के मद में मु0 5,000/-रू0(पांच हजार रूपये मात्र) की धनराशि भी विपक्षी से प्राप्त करने का अधिकारी होगा।"
जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील उपरोक्त परिवाद के विपक्षी इफ्को टोकियो ज0इं0कं0लि0 ने प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से उसके विद्वान अधिवक्ता श्री अशोक मेहरोत्रा उपस्थित हुए है। प्रत्यर्थी को रजिस्टर्ड डाक से नोटिस दिनांक 19.12.2016 को प्रेषित की गयी जो अदम तामील वापिस नहीं आयी है। अत: उसपर नोटिस का तामीला पर्याप्त माना गया है फिर भी प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। अत: अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुनकर तथा आक्षेपित निर्णय और आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन कर अपील का निस्तारण किया जा रहा है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है प्रत्यर्थी/परिवादी ने उपरोक्त परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि वह इनोवा गाड़ी संख्या-एच.आर.17-5754 का पंजीकृत स्वामी है जिसका बीमा अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-01 द्वारा दिनांक 19.10.2012 से दिनांक 18.10.2013 की अवधि के लिए किया गया था जिसके लिए उसने प्रीमियम की धनराशि 13,260/-रू0 उसके प्रतिनिधि विपक्षी संख्या-02 दीक्षित इं0कं0 को अदा किया था। परिवाद-पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसने उपरोक्त कार अपने निजी प्रयोग हेतु ली थी और इसी क्रम में उसने यह कार अपने मित्र पप्पू उर्फ साजिद अली, निवासी 536 भरतपुर गेट मनोहरपुरा मथुरा को निजी कार्य के लिए दिया था और वह उसका उक्त वाहन लेकर अलीगढ़ गया था। अलीगढ़ से मथुरा वापस आते समय दिनांक 30.08.2013 को वह प्रत्यर्थी/परिवादी का उपरोक्त वाहन काला आम पुलिस चौकी थाना इगलास जिला अलीगढ़ के पास खड़ाकर पेशाब करने गया तभी सामने से आ रही रोडवेज बस संख्या– यू.पी.81ए.एफ-6157 के चालक ने सड़क पार कर रही महिलाओं को बचाने के प्रयास में प्रत्यर्थी के उक्त वाहन में टक्कर मार दी जिससे गाड़ी पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गयी। घटना की सूचना सम्बन्धित थाने में दर्ज करायी गयी और प्रत्यर्थी/परिवादी ने सूचना अपीलार्थी बीमा कम्पनी को दिया। तब अपीलार्थी बीमा कम्पनी ने क्लेम नम्बर- 33659366 दर्ज किया और प्रत्यर्थी/परिवादी की गाड़ी में हुयी क्षति का आंकलन कराया तो गाड़ी में हुयी क्षति का आकंलन 7,15,963/-रू0 किया गया, परन्तु उसके बाद अपीलार्थी/विपक्षी ने पत्र दिनांक 30.04.2014 के द्वारा घटना के दिन वाहन का वाणिज्यिक उपयोग दिखाकर प्रत्यर्थी/परिवादी का दावा नो-क्लेम कर दिया। उसके बाद प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी को नोटिस भेजा फिर भी कोई कार्यवाही नहीं की गयी। अत: विवश होकर उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है।
अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी ने जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्तुत कर कहा है कि अपीलार्थी/विपक्षी की मथुरा में कोई शाखा नहीं है और बीमा पालिसी मथुरा से निर्गत नहीं हुयी है अत: जिला फोरम मथुरा को परिवाद के श्रवण का अधिकार नहीं है। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से कहा गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी का प्रश्नगत वाहन दिनांक 19.10.2012 से दिनांक 18.10.2013 तक की अवधि के लिए 4,76,575/-रू0 की धनराशि के लिए बीमाकृत था और प्रत्यर्थी/परिवादी का दावा क्लेम नम्बर-33659366 पर दर्ज था जिसे सर्वेयर की रिपोर्ट के आधार पर नो-क्लेम किया गया है। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से कहा गया है कि सर्वेयर राजीव गुप्ता की रिपोर्ट के आधार पर वाहन स्वामी में भिन्नता पायी गयी है और वाहन का घटना के समय वाणिज्यिक प्रयोग पाया गया है।
लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से कहा गया है कि सर्वेयर श्री मोहित अग्रवाल द्वारा सम्पूर्ण क्षति का आकंलन 2,49,575/-रू0 किया गया है।
लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से कहा गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी का दावा उचित आधार पर अस्वीकार किया गया है और ऐसा करके बीमा कम्पनी ने सेवा में कोई त्रुटि नहीं की है।
जिला फोरम के समक्ष परिवाद के विपक्षी संख्या-02 दीक्षित इं0कं0 की ओर से कोई लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया है।
जिला फोरम ने उभयपक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरांत यह निष्कर्ष निकाला है कि वाहन का दुर्घटना के समय वाणिज्यिक उपयोग सिद्ध नहीं है। जिला फोरम ने अपने निर्णय और आदेश में उल्लेख किया है कि स्वतंत्र सर्वेयर मोहित अग्रवाल को वाहन में हुयी क्षति का आकंलन करने के लिए नियुक्त किया गया था। उन्होंने 2,49,575/-रू0 क्षति का आकंलन सम्पूर्ण क्षति के आधार पर किया है। जिला फोरम ने अपने निर्णय और आदेश में उल्लेख किया है कि स्क्रूटनी सीट शपथ पत्र का संलग्नक 2 ता 6 है जिसमें सर्वेयर ने अपने आगणन का विवरण देते हुए सम्पूर्ण क्षति के आधार पर बीमा कम्पनी का दायित्व 2,49,575/-रू0 होना कहा है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह भी उल्लेख किया है कि परिवादी द्वारा टोयेटा सनी मोटर्स प्रा0लि0 के एस्टीमेट संख्या–बी.पी.ई.13-01223 13 ता 16 दाखिल किया गया है जिसमें वाहन सं0- एच.आर. 17/5754 की मरम्मत में कुल सम्भावित व्यय मु0 7,15,963/-रू0 अंकित किया गया है। जिला फोरम ने इसके साथ ही उल्लेख किया है कि वाहन का बीमित मूल्य 4,76,575/-रू0 बीमा पालिसी में अंकित किया गया है। अत: वाहन पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में भी क्षतिग्रस्त अवस्था में वाहन बीमा कम्पनी प्राप्त कर लेती तो उसके पश्चात् भी परिवादी बीमित धनराशि 4,76,575/-रू0 पाने का अधिकारी होता। अत: उससे अधिक धनराशि की परिकल्पना ही नहीं की जा सकती है।
जिला फोरम ने निर्णय में सर्वेयर द्वारा आगणित क्षति और परिवादी द्वारा प्रस्तुत टोयेटा सनी मोटर्स प्रा0लि0 के एस्टीमेट का तुलनात्मक अवलोकन कर प्रत्यर्थी/परिवादी को देय धनराशि 4,00,000/-रू0 निर्धारित किया है और तद्नुसार आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है।
अपीलार्थी बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम मथुरा को परिवाद ग्रहण करने का अधिकार नहीं रहा है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश विधि विरूद्ध है। अपीलार्थी बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि कथित दुर्घटना के समय वाहन का वाणिज्यिक प्रयोग किया जा रहा था जो बीमा पालिसी के विरूद्ध है। अत: बीमा कम्पनी किसी भुगतान हेतु उत्तरदायी नहीं है। अत: परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
मैंने अपीलार्थी बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क पर विचार किया है। अपीलार्थी बीमा कम्पनी ने इनवेस्टीगेटर राजीव गुप्ता की जांच रिपोर्ट के आधार पर यह कथन किया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी प्रश्नगत वाहन को दुर्घटना के पहले ही एक व्यक्ति पप्पू को बेच चुका था और घटना के समय वाहन का वाणिज्यिक प्रयोग किया जा रहा था। जिला फोरम ने बीमा कम्पनी के इनवेस्टीगेटर की आख्या पर विस्तृत रूप से विचार किया है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह उल्लेख किया है कि इनवेस्टीगेटर राजीव गुप्ता ने अपनी रिपोर्ट में साजिद अली, अन्सार खान के लिखित कथन का उल्लेख किया है जबकि साजिद अली ने जिला फोरम के समक्ष शपथ पत्र प्रस्तुत किया है और कहा है कि अन्वेषक को उसके द्वारा शपथ पत्र पर बयान नहीं दिया गया है। जिला फोरम ने अपने निर्णय और आदेश में उल्लेख किया है कि जहां तक अन्वेषक की आख्या में उल्लखित अन्सार खां के शपथ पत्र का प्रश्न है जिला फोरम के समक्ष अन्सार खां द्वारा कोई शपथ पत्र नहीं दिया गया है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह भी उल्लेख किया है कि न ही राजीव गुप्ता अन्वेषक द्वारा अपने कथन के सम्बन्ध में शपथ पत्र दिया गया है। जिला फोरम ने अपने निर्णय और आदेश में यह उल्लेख किया है कि न्यायालय में शपथ पत्र विपक्षी की ओर से संकेत गु्प्ता द्वारा दिया गया है जिनको घटना या वाहन में हुयी क्षति के सम्बन्ध में कोई जानकारी नहीं है और उसने यह शपथ पत्र दूसरे से प्राप्त जानकारी के आधार पर प्रस्तुत किया है।
जिला फोरम के निर्णय से यह स्पष्ट है कि जिलाफोरम ने बीमा कम्पनी के अन्वेषक राजीव गु्प्ता की रिपोर्ट व उसमें उल्लिखत गवाहों के बयान एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों की विस्तृत विवेचना के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि घटना के समय वाहन का कथित व्यावसायिक प्रयोग प्रमाणित नहीं है। जिला फोरम का यह निष्कर्ष साक्ष्य की उचित और विधिक विवेचना पर आधारित है अत: जिला फोरम द्वारा निकाला गया निष्कर्ष आधार युक्त और विधि सम्मत है और उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
अपीलार्थी बीमा कम्पनी ऐसा कोई अभिलेख दिखाने में असफल रही है जिसके आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने प्रश्नगत दुर्घटना से पहले ही वाहन किसी अन्य व्यक्ति को बिक्री कर दिया था। वाहन की बीमा पालिसी पत्रावली के पृष्ठ 10 पर है जिसमें वाहन स्वामी के रूप में प्रत्यर्थी/परिवादी कैलाश नाथ मदान का नाम अंकित है और उनका पता 30 बी- कृष्णा नगर मथुरा उत्तर प्रदेश अंकित है। अत: यह मानने हेतु उचित आधार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने वाहन का बीमा अपीलार्थी बीमा कम्पनी से जनपद मथुरा में रहते हुए जनपद मथुरा के पते से कराया है। Repudiation Letter भी प्रत्यर्थी/परिवादी को मथुरा के पते से जारी किया गया है। अत: वादहेतुक जनपद मथुरा में उत्पन्न हुआ है। अत: जिला फोरम मथुरा द्वारा परिवाद का संज्ञान लेकर निर्णय पारित किया जाना अधिकार रहित नहीं कहा जा सकता है।
निर्विवाद रूप से अपीलार्थी बीमा कम्पनी के सर्वेयर मोहित अग्रवाल ने प्रत्यर्थी/परिवादी के वाहन में हुयी क्षति का आंकलन किया है और उन्होंने प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा कथित दुर्घटना में वाहन में क्षति होना पाया है। बीमा कम्पनी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा कथित दुर्घटना से इंकार नहीं किया गया है। सर्वेयर मोहित अग्रवाल ने वाहन में हुयी क्षति को टोटल लास की श्रेणी में माना है और सर्वेयर ने बीमित मूल्य 4,76,575/-रू0 के आधार पर वाहन का साल्वेज 2,25,000/-रू0 निर्धारित करते हुए वाहन की क्षति हेतु 2,49,575/-रू0 की धनराशि निर्धारित की है। प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से सर्वेयर द्वारा वाहन के साल्वेज के निर्धारित मूल्य 2,25,000/-रू0 के संदर्भ में कोई आपत्ति नहीं की गयी है। जिला फोरम के समक्ष प्रत्यर्थी/परिवादी ने टोयेटा सनी मोटर्स प्रा0लि0 का एस्टीमेट प्रस्तुत किया है जिसमें वाहन की मरम्मत हेतु 7,15,963/-रू0 की धनराशि का एस्टीमेट दिया गया है। जबकि वाहन का कुल बीमित मूल्य 4,76,575/-रू0 रहा है। ऐसी स्थिति में प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा वाहन की मरम्मत हेतु प्रस्तुत यह एस्टीमेट महत्वहीन है और इस एस्टीमेट से भी यह स्पष्ट होता है कि वाहन को प्रश्नगत दुर्घटना में हुयी क्षति टोटल लास की श्रेणी में आती है। अत: वाहन का साल्वेज समर्पित करने पर प्रत्यर्थी/परिवादी वाहन का बीमित मूल्य पाने का अधिकारी है, परन्तु उसने वाहन का साल्वेज बीमा कम्पनी को समर्पित नहीं किया है। अत: ऐसी स्थिति में वाहन के साल्वेज का सर्वेयर द्वारा निर्धारित मूल्य 2,25,000/-रू0 वाहन की बीमित धनराशि से घटाकर अवशेष धनराशि 2,49,575/-रू0 प्रत्यर्थी/परिवादी को दिलाया जाना उचित है।
अपीलार्थी बीमा कम्पनी ने प्रत्यर्थी/परिवादी का दावा निरस्त करने से सम्बन्धित पत्र दिनांक 30.04.2014 की प्रति प्रस्तुत की है जो पत्रावली के पृष्ठ 18 पर संलग्न है। अपीलार्थी बीमा कम्पनी के इस पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का दावा इस आधार पर निरस्त किया जाना बताया गया है कि प्रश्नगत दुर्घटना के समय वाहन का प्रयोग बीमा पालिसी की शर्त के विपरीत किया जा रहा था परन्तु उपरोक्त विवेचना और जिला फोरम द्वारा निकाले गए निष्कर्ष से यह स्पष्ट है कि अपीलार्थी बीमा कम्पनी यह प्रमाणित करने में असफल रही है कि प्रश्नगत दुर्घटना के समय वाहन का वाणिज्यिक प्रयोग किया जा रहा था और वाहन प्रत्यर्थी/परिवादी दुर्घटना के पहले ही किसी और को बिक्री कर चुका था।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने M/s Galada Power and Telecommunication Ltd. Versus United India Insurance Co. Ltd. And Another Etc. के वाद में, जो 2017(1) CPR 4(SC) में प्रकाशित है, स्पष्ट रूप से कहा है कि बीमा दावा अस्वीकार करने का जो आधार Repudiation Letter में अंकित है, उससे भिन्न नया आधार दावा बीमा अस्वीकार करने हेतु न्यायालय में नहीं लिया जा सकता है। दावा बीमा जिस आधार पर Repudiation Letter में अस्वीकार किया गया है उसी आधार पर दावा बीमा का विरोध किया जा सकता है। जो आधार दावा बीमा के Repudiation Letter में उल्लिखित नहीं है उसके सम्बन्ध में यह माना जाएगा कि उसे बीमा कम्पनी ने Waive कर दिया है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का संगत अंश नीचे उद्धरित किया जा रहा है:-
"The letter of repudiation dated 20th September, 1999, which we have reproduced hereinbefore, interestingly, does not whisper a single word with regard to delay or, in fact, does not refer at all to the duration clause. What has been stated in the letter of repudiation is that the claim lodged by the complainant does not fall under the purview of transit-loss because of the subsequent investigation report.
It is evincible, the insurer had taken cognizance of the communication made by the appellant and nominated a surveyor to verify the loss. Once the said exercise has been undertaken, we are disposed to think that the insurer could not have been allowed to take a stand that the claim is hit by the clause pertaining to duration. In the absence of any mention in the letter of repudiation and also from the conduct of the insurer in appointing a surveyor, it can safely be concluded that the insurer had waived the right which was in its favour under the duration clause.
In this regard, Mr. Mukherjee, learned senior counsel appearing for the appellant has commended us to a decision of High Court of Delhi in Krishna Wanti v. Life Insurance Corporation of India, 2000 (52) DRJ 123 (DB) wherein the High Court has taken note of the fact that if the letter of repudiation did not mention an aspect, the same could not be taken as a stand when the matter is decided. We approve the said view."
उभयपक्ष के अभिकथन एवं उपरोक्त सम्पूर्ण विवेचना एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरांत मैं इस मत का हूं कि अपीलार्थी बीमा कम्पनी ने प्रत्यर्थी/परिवादी का दावा बीमा अस्वीकार करने का जो आधार बताया है वह उचित और विधि सम्मत नहीं है। अपीलार्थी बीमा कम्पनी ने प्रत्यर्थी/परिवादी का बीमा दावा अस्वीकार कर सेवा में त्रुटि की है और इस सन्दर्भ में जिला फोरम ने जो निष्कर्ष निकाला है वह आधार युक्त एवं विधि सम्मत है। उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। परन्तु उपरोक्त विवेचना और सर्वेयर की आख्या के अनुसार वाहन के साल्वेज का मूल्य 2,25,000/-रू0 है जिसे बीमित धनराशि से घटाकर अवशेष धनराशि 2,49,575/-रू0 प्रत्यर्थी/परिवादी को दिया जाना उचित है। अत: अपील आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश तद्नुसार संशोधित किया जाना उचित है। जिला फोरम ने जो परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से 8% की दर से ब्याज और 5,000/-रू0 वादव्यय प्रत्यर्थी/परिवादी को दिया है वह उचित है। उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश को संशोधित करते हुए अपीलार्थी बीमा कम्पनी को निर्देशित किया जाता है कि वह प्रत्यर्थी/परिवादी को 2,49,575/-रू0 की धनराशि परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 8% वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज सहित अदा करे। इसके साथ ही जिलाफोरम द्वारा आदेशित 5,000/-रू0 वादव्यय भी उसे अदा करे।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वादव्यय स्वयं वहन करेंगे।
धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियिम के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि 25,000/-रू0 अर्जित ब्याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
सुधांशु श्रीवास्तव, आशु0
कोर्ट नं0-1