(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1955/2005
जनरल मैनेजर, दक्षिणांचल कंपनी लि0 तथा एक अन्य
बनाम
कैलाश चन्द्र अग्रवाल पुत्र स्व0 श्री शिव चरन लाल अग्रवाल
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा के कनिष्ठ
सहायक श्री मनोज कुमार।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 13.12.2023
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थीग्ाण/विपक्षीगण द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख विद्वान जिला आयोग, द्वितीय आगरा द्वारा परिवाद संख्या-74/2005, कैलाश चन्द्र अग्रवाल बनाम जनरल मैनेजर, दक्षिणांचल कंपनी लि0 तथा एक अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 18.10.2005 के विरूद्ध योजित की गई है, जिसके द्वारा विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते निम्नलिखित आदेश पारित किया गया :-
'' परिवादी का परिवाद पत्र स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को दिनांक
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9-3-2005 धनराशि 1,01,987/- का भेजा अवैध मांग निरस्त करे एवं परिवादी को हुयी मानसिक पीड़ा हेतु 2000/-रूपये एवं परिवाद व्यय हेतु 1000/-रूपये इस निर्णय के 30 दिवस के भीतर परिवादी को अदा करें। आदेश की अवहेलना करने पर कुल 3000/- (तीन हजार मात्र) पर परिवाद प्रस्तुत करने के दिनांक से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 9 प्रतिशत ब्याज प्रतिवर्ष की दर से अदा करें। ''
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विद्युत संयोजन सं0-एस.सी.0705/149347 भार 7.660 एच.पी. का विद्युत विभाग से आटा चक्की चलाने हेतु लिया था। उक्त आटा चक्की का स्वंय तथा परिवार को पालने हेतु प्रयोग करता था। परिवादी ने दिनांक 18.1.2005 को अंकन 338/-रू0 विच्छेदन शुल्क जमा करते हुए विद्युत संयोजन को स्थायी रूप से विच्छेदित करने हेतु प्रार्थना पत्र दिया, जिस पर दिनांक 25.1.2005 को विपक्षी के सहायक इंजीनियर द्वारा परिवादी का मीटर निकाल लिया गया। उक्त मीटर की रीडिंग 9621 थी तथा मीटर की सील सही थी, जिसका प्रमाण पत्र भी दिया गया था। परिवादी के मांग करने के पश्चात भी विपक्षी द्वारा परिवादी को आफिस मेमो व लैब रिपोर्ट नहीं दी गयी, बल्कि विपक्षी द्वारा परिवादी को एक मांग पत्र धनराशि 1,01,987/-रू0 दिनांक 9.3.2005 भेजा गया, जिसका परिवादी ने विरोध किया और विद्युत विभाग में पत्राचार किया, किंतु कोई कार्यवाही नहीं हुई, इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
विपक्षीगण ने परिवादी के विद्युत संयोजन का स्थायी
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विच्छेदन किया था। विपक्षीगण का कथन है कि मीटर निकालते समय मीटर की सील टैम्पर्ड थी, इसलिए विद्युत अधिनियम 2003 के अनुसार दिनांक 9.3.2005 को मांग पत्र प्रेषित किया गया।
उभय पक्ष को सुनने के उपरांत विद्वान जिला आयोग द्वारा परिवाद स्वीकार करते हुए उपरोक्त वर्णित निर्णय एवं आदेश पारित किया गया।
अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री दीपक मेहरोत्रा के कनिष्ठ सहायक श्री मनोज कुमार उपस्थित हैं। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रत्यर्थी को पंजीकृत डाक के माध्यम से नोटिस प्रेषित की गई, जो कार्यालय आख्या दिनांक 3.6.2022 द्वारा बिना तामील वापस प्राप्त हुई है। अत: प्रत्यर्थी पर नोटिस की तामीला की उपधारणा की जाती है। अत: केवल अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता के कनिष्ठ सहायक को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
प्रस्तुत अपील विगत 18 वर्षों से लम्बित है। प्रस्तुत अपील अनेकों बार पूर्व में सूचीबद्ध हुई और विभिन्न कारणों से स्थगित की जाती रही। पुन: आज अंतिम सुनवाई हेतु सूचीबद्ध है। अत: समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए हमारे विचार से विद्वान जिला आयोग द्वारा मानसिक पीड़ा हेतु आदेशित धनराशि अंकन 2,000/-रू0 (दो हजार रूपये) एवं वाद व्यय के रूप में आदेशित धनराशि अंकन 1,000/-रू0 (एक हजार रूपये) समाप्त किया जाना
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न्यायोचित है। प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
तदनुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 18.10.2005 इस प्रकार संशोधित किया जाता है कि विद्वान जिला आयोग द्वारा मानसिक पीड़ा हेतु आदेशित धनराशि अंकन 2,000/-रू0 (दो हजार रूपये) एवं वाद व्यय के रूप में आदेशित धनराशि अंकन 1,000/-रू0 (एक हजार रूपये) की देयता समाप्त की जाती है। शेष निर्णय एवं आदेश यथावत् रहेगा।
उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-1