Uttar Pradesh

StateCommission

A/3333/2017

New Okhala Industries Development Authority - Complainant(s)

Versus

K.S. Rawat - Opp.Party(s)

Ashok Shukla

20 Apr 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/3333/2017
( Date of Filing : 14 Dec 2017 )
(Arisen out of Order Dated 10/11/2017 in Case No. C/02/2013 of District Gautam Buddha Nagar)
 
1. New Okhala Industries Development Authority
Administrative Building Sector 6 Noida Distt. Gautam Buddha Nagar Through Chairman
...........Appellant(s)
Versus
1. K.S. Rawat
S/O Sri D.S. Rawat Flat No. 4149 Sector 4B Vasundra Ghaziabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 20 Apr 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(सुरक्षित)                                                                                  

अपील संख्‍या:-3333/2017

न्‍यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण, प्रशासनिक भवन, सेक्‍टर-6, नोएडा जिला गौतमबुद्ध नगर द्वारा अध्‍यक्ष

........... अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम          

के0एस0 रावत पुत्र श्री डी0एस0 रावत, फ्लैट नं0-4149 सेक्‍टर-4बी, वसुंधरा, गाजियाबाद।                     …….. प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य

मा0 श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य                 

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता        : श्री अशोक शुक्‍ला के कनिष्‍ठ

                             सहायक श्री अमित कुमार वर्मा

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता          : श्री अमित चन्‍द्रा

दिनांक :- 28-4-2023

मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/ न्‍यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, गौतमबुद्ध नगर द्वारा परिवाद सं0-02/2013 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.11.2017 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी के विज्ञापन से प्रभावित होकर एक फ्लैट ई0डब्‍लू0एस0 40 वर्ग मीटर का जिसकी कुल कीमत रू0 7,84,000.00 में बुक कराया एवं बुकिंग धनराशि रू0 85,000.00 मय आवेदन पत्र अपीलार्थी/विपक्षी के यहॉ जमा किया गया। उपरोक्‍त फ्लैट का भौतिक रूप से कब्‍जा 2-3 वर्ष में प्रदान किया जाना था।

-2-

अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को एक आवंटन पत्र सं0- NOIDA/DGM(H)/2006-7(H)(2) दिनांक 25.01.2007 के द्वारा ई0डब्‍लू0एस0 भवन सं0-74 सी, ब्‍लाक-सी, सेक्‍टर-99, नोएडा आवंटित किया गया। अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी से उक्‍त भवन के मूल्‍य की बकाया राशि रू0 6,99,000.00 उक्‍त पत्र की तिथि से 60 दिन के भीतर जमा करवाने के लिए भी कहा गया। उपरोक्‍त धनराशि का भुगतान दिनांक 23.3.2007 को प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी को कर दिया गया, परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा एक पत्र दिनांकित 03.10.2012 को प्रत्‍यर्थी/परिवादी को भेजा गया जिसमें आवंटित भवन के बावत रू0 1,22,685.00 के अतिरिक्‍त भुगतान की मॉग की और यह कहा गया कि अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के उक्‍त भवन का क्षेत्रफल 40 वर्ग मीटर के स्‍थान पर 28.9425 वर्ग मीटर कर दिया गया है। इस प्रकार अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा उक्‍त योजना के अन्‍तर्गत जारी ब्रोशर की शर्तों का उल्‍लंघन कर सेवा में कमी व अनुचित व्‍यवसायिक व्‍यवहार प्रक्रिया अपनाई है। अत्एव क्षुब्‍ध होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से प्रतिवाद पत्र के कथनों को आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए यह कथन किया गया कि फ्लैटों की योजना ब्रोशर में उक्‍त नोएडा निर्मित सेक्‍टर-99 में ई0डब्‍लू0एस0 श्रेणी के फ्लैटों की अनुमानित कीमत दी गई थी। यह भी कथन किया गया कि प्रश्‍नगत फ्लैट की कीमत प्राधिकरण के ब्रोशर के नियम व शर्तों के अनुसार रू0 11,02,685.00

-3-

रखी गई थी। प्रत्‍यर्थी/परिवादी को जारी पत्र दिनांक 03.01.2012 के द्वारा देय धनराशि का विस्‍तृत विवरण दिया जा चुका है। यह भी कथन किया गया कि उक्‍त पत्र के द्वारा ही फ्लैट के निर्माण में हुए ढाई वर्ष के विलम्‍ब का ब्‍याज रू0 1,96,000.00 मूल धनराशि में समायोजित कर दिया गया और इस प्रकार अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा किसी प्रकार की सेवाओं में कमी नहीं की गई नही अनुचित व्‍यापार पद्धति को अपनाया गया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा फ्लैट के सुपर एरिया में कमी करने का आरोप गलत व निराधार है, क्‍योंकि ब्रोशर में दर्शाये गये फ्लैट के सुपर एरिया 40 वर्ग मीटर को कही भी कम या अधिक नहीं किया गया है। यह भी कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आता है एवं परिवाद समयावधि से बाधित है अत: परिवाद निरस्‍त होने योग्‍य है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को स्‍वीकार करते हुए विपक्षी को आदेशित किया कि वे 30 दिन के अन्‍दर परिवादी द्वारा जमा धनराशि 7,84,000.00 रू0 मय 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज जमा करने के दिनांक से भुगतान के दिनांक तक, मानसिक क्षतिपूर्ति के मद में 20,000.00 रू0 व विधिक व्‍यय के रूप में 5,000.00 रू0 विपक्षी परिवादी को भुगतान करने हेतु जिला उपभोक्‍ता आयोग गौतमबुद्ध नगर में 30 दिन में जमा करेगें एवं चूं‍क होने पर समस्‍त देय धनराशि पर इस आदेश की तिथि से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक 12 प्रतिशत साधारण दण्‍डात्‍मक ब्‍याज अतिरिक्‍त देय होगा।

 

-4-

साथी ही यह भी आदेश दिया गया कि निर्णय के दिनांक से 30 दिवस में विपक्षी प्रश्‍नगत फ्लैट का वास्‍त‍िविक शान्तिपूर्ण कब्‍जा परिवादी को दे एवं प्रश्‍नगत‍ फ्लैट से सम्‍बन्धित सभी अभिलेख उसके मलकियत के सम्‍बन्‍ध में परिवादी के पक्ष में निष्‍पादित करे। भू-भाटक एवं पंजीयन शुक्‍ल आदि के अदायगी की जिम्‍मेदारी परिवादी की होगी। विपक्षी द्वारा पत्र दिनांकित 16.9.2013 के माध्‍यम से रू0 1,22,685.00 की मॉग की गई है, उसमें अन्‍य मॉग के अलावा भू-भाटक की मॉग की गई है, में से विपक्षी केवल भू-भाटक की धनराशि पाने का अधिकारी है। अन्‍य मॉगो के संबंध में विपक्षी के इस पत्र को निरस्‍त किया गया है।

जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा आवंटन पत्र के अनुसार भुगतान न किये जाने के कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रश्‍नगत फ्लैट का कब्‍जा नहीं दिया जा सका है, जिसके बाद प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा वर्ष-2013 में यह परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है, जो कि पोषणीय नहीं है और समयावधि से बाधित है तथा निरस्‍त होने योग्‍य है।

यह भी कथन किया गया कि फ्लैटों की योजना ब्रोशर में उक्‍त नोएडा निर्मित सेक्‍टर-99 में ई0डब्‍लू0एस0 श्रेणी के फ्लैटों की अनुमानित कीमत दी गई थी। यह भी कथन किया गया कि प्रश्‍नगत फ्लैट की कीमत प्राधिकरण के ब्रोशर के नियम व शर्तों के अनुसार (अंतिम मूल्‍य) रू0 11,02,685.00 रखी गई थी। यह भी कथन किया

-5-

गया कि प्रत्‍यर्थी को दिनांक 03.10.2012 को फ्लैटों के विरूद्ध देय धनराशि का विस्‍तृत विवरण दिया गया था, जिसका भुगतान न कर प्रत्‍यर्थी द्वारा परिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर दिया गया है, जो कि अनुचित है।

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय और आदेश तथ्‍य और विधि के अनुकूल है। यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी द्वारा प्रश्‍नगत फ्लैट से सम्‍बन्धित आवंटन पत्र दिनांक 25.01.2007 को जारी कर उसे ई0डब्‍लू0एस0 भवन सं0-74सी, ब्‍लाक-सी सेक्‍टर-99, नोएडा में आवंटित किया गया और उपरोक्‍त फ्लैट का कब्‍जा अपीलार्थी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 36 माह में प्राप्‍त कराया जाना था, जो कि उनके द्वारा प्राप्‍त न कराकर वर्ष-2012 में पुन: अनुचित रूप से अंतिम मूल्‍य को दर्शाते हुए 11,02,685.00 रू0 की मॉग की गई, जो कि अपीलार्थी द्वारा अपनाये गये अनुचित व्‍यापार पद्धति एवं त्रुटिपूर्ण सेवाओं के अन्‍तर्गत आता है। प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा अपील को निरस्‍त किये जाने की प्रार्थना की गई।

हमारे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

प्रस्‍तुत प्रकरण में निर्विवादित रूप से प्रत्‍यर्थी द्वारा आवंटित फ्लैट के सम्‍बन्‍ध में अपीलार्थी को सम्‍पूर्ण अनुमानित मूल्‍य अर्थात 7,84,000.00 रू0 निर्धारित समयावधि में जमा किया गया, परन्‍तु उसके बावजूद भी अपीलार्थी से निर्धारित समयावधि में प्रत्‍यर्थी को कब्‍जा प्रदान नहीं किया गया और वर्ष-2012 में आवंटन पत्र जारी कर प्रत्‍यर्थी से 11,02,685.00 रू0 की मॉग की गई, जो कि मामले के सम्‍पूर्ण तथ्‍य एवं परिस्थितियों को देखते हुए अनुचित है और उपरोक्‍त समस्‍त तथ्‍यों

-6-

पर विस्‍तृत चर्चा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने प्रश्‍नगत निर्णय में की गई है और समस्‍त तथ्‍यों पर विचारोंपरांत विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवाद को स्‍वीकार किया गया है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधि अनुकूल है, उसमें किसी प्रकार कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा अपील स्‍तर पर इंगित नहीं की जा सकी है, विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता अपीलीय स्‍तर पर प्रतीत नहीं हो रही है, तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

आदेश

प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, गौतमबुद्ध नगर द्वारा परिवाद सं0-02/2013 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.11.2017 की पुष्टि की जाती है।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

   (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)  (विकास सक्‍सेना)   (सुधा उपाध्‍याय)    

          अध्‍यक्ष                            सदस्‍य            सदस्‍य                                                                                         

 

 

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1


 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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