RAM CHANDAR YADAV filed a consumer case on 19 Jan 2021 against K.G.S.G.BANK in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/50/2013 and the judgment uploaded on 08 Feb 2021.
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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 50 सन् 2013
प्रस्तुति दिनांक 06.04.2013
निर्णय दिनांक 19.01.2021
रामचन्दर यादव उम्र तखo 51 साल पुत्र शिवदास साकिन करनपुर परगना कौड़िया तहसील बूढ़नपुर जिला- आजमगढ़।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
शाखा प्रबन्धक काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक शाखा गोपालगंज जिला- आजमगढ़।
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि परिवादी साकिन मौजा करनपुर परगना कौड़िया तहसील बूढ़नपुर जिला आजमगढ़ का रहने वाला है। परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है तथा उसका किसान क्रेडित कॉर्ड नं. 515 है। उसने किसान क्रेडिट कॉर्ड हेतु विपक्षी के कार्यालय में आवेदन दिया था। परिवादी के आवेदन पर किसान क्रेडिट कॉर्ड की पत्रावली विपक्षी द्वारा तैयार की गयी, पत्रावली तैयार होने के बाद याची को ऋण लेने की आवश्यकता नहीं थी। याची ने सोचा कि जब आवश्यकता होगी तब ऋण लेंगे। याची की ऋण सीमा 60,000/- रुपए है। आज तक याची ऋण लेने हेतु विपक्षी के कार्यालय में कोई विड्राल फार्म भरकर नहीं दिया, और न ही ऋण लिया है। दिनांक 28.02.2013 को विपक्षी के कार्यालय से “एक बारगी निपटान योजना” के अन्तर्गत मांग पत्र मुo 90158/- रुपया बकाया का जारी हुई, जिसे प्राप्त होने के बाद याची को काफी आश्चर्य हुआ। परिवादी ने उक्त धनराशि बैंक से प्राप्त नहीं किया है। परिवादी को धमकी दी गयी कि तथाकथित जाली फर्जी बकाया दिनांक 11.03.2013 तक नहीं जमा कर दिया जाएगा तो वसूली हेतु आवश्यक कार्यवाही की जाएगी। याची ने तथाकथित क्रेडिट कार्ड में दर्शित धनराशि प्राप्त नहीं किया है न ही विड्राल फार्म भरा है और न ही विड्राल फार्म पर याची की दस्तखत है। तथाकथित जाली फर्जी लोन के कारण याची को सदमा लगा, तबियत खराब हो गयी, दवा इलाज में 20000/- रुपया खर्च हुआ। बार-बार विपक्षी के कार्यालय में जाने पर 10,000/- रुपया खर्च हुआ। अतः विपक्षी को आदेशित किया जाए कि वह परिवादी से 90158/- रुपए की वसूली न करे और विपक्षी से मुo 40000/- रुपया क्षतिपूर्ति दिलवाया जाए।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
P.T.O.
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प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 6/2 “एकबारगी निपटान योजना” के अन्तर्गत ऋण खाते के निपटान हेतु भेजे गए पत्र की मूल प्रति प्रस्तुत किया है।
विपक्षी द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत कर यह कहा है कि परिवादी को परिवाद पत्र प्रस्तुत करने का हक हाशिल नहीं है। विपक्षी बैंक ने परिवादी को किसान क्रेडिट कार्ड योजना में फसली ऋण दिनांक 13.08.2008 को दिया है, जिसमें परिवादी ने बैंक के पक्ष में आवश्यक सुसंगत कागजात डी.पी. नोट, ए.डी. 09 (एग्रीमेन्ट ऑफ कन्टीन्यूटी) जिसे परिवादी रामचन्दर ने व ए.बी.II (डीड ऑफ गारन्टी) जिसे महेन्द्र यादव पुत्र शिवदास व विजयबहादुर यादव पुत्र सुमेर ने व ए.बी. III (बंधक विलेख) जिसे परिवादी रामचन्दर ने व जमानतदार महेन्द्र यादव व विजयबहादुर यादव ने हस्ताक्षरित व निष्पादित किया है और ऋणधन का भरपूर उपयोग किया है। परिवादी ऋणधन अदा करने से बचने के ले यह परिवाद प्रस्तुत किया है। परिवादी ने ऋण लेने के बाद कोई धनराशि जमा नहीं किया है। परिवाद संधार्य नहीं है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।
विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में कागज संख्या 22ग चेक की छायाप्रति बैंक द्वारा प्रस्तुत किया गया है।
पत्रावली बहस के समय जब पेश हुई तो दोनों पक्ष उपस्थित नहीं पाए गए और पत्रावली का अवलोकन किया गया। बैंक ने 60,000/- रुपए के चेक की छायाप्रति प्रस्तुत किया है, जिसके अवलोकन से यह स्पष्ट हो रहा है कि परिवादी ने विपक्षी से 60,000/- रुपया लिया था और उसके विरुद्ध जो भी मांग पत्र भेजा गया था वह सही है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है।
आदेश
परिवाद- पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 19.01.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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