Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/179/2016

ISHWAR SHARAN LAL - Complainant(s)

Versus

K.G.S.G.BANK - Opp.Party(s)

06 Nov 2018

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum
Azamgarh(U.P.)
 
Complaint Case No. CC/179/2016
( Date of Filing : 25 Oct 2016 )
 
1. ISHWAR SHARAN LAL
AZAMGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. K.G.S.G.BANK
AZAMGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 06 Nov 2018
Final Order / Judgement

1

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 179 सन् 2016

प्रस्तुति दिनांक 25.10.2016

                  निर्णय दिनांक 06.11.2018    

 

ईश्वर शरण लाल उम्र तखo 68 वर्ष पुत्र श्री हरिकिशुन लाल साकिन- सपनहर रूद्रपुर, पोo- देवईत, तहसील- मेंनगर, आजमगढ़।.................................याची।

बनाम

  1. काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक क्षेत्रीय कार्यालय दामोदर भवन चौक आजमगढ़ मोo नं. 7408428199 द्वारा क्षेत्रीय प्रबन्धक।
  2. काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक क्षेत्रीय कार्यालय दामोदर भवन चौक आजमगढ़ मोo नं. 7408428241 द्वारा शाखा प्रबन्धक काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक शाखा चौक आजमगढ़।
  3. अध्यक्ष काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक सी-19/40 फातमान रोड सिगरा वाराणसी।
  4.  

     उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा राम चन्द्र यादव “सदस्य”

निर्णय

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”-

     परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि परिवादी ने काशी गोमती संयुत ग्रामीण बैंक से के.सी.सी. एकाउन्ट नम्बर 6044137 से 50,000/- व कृषक मित्र एकाउन्ट नम्बर 6040015131 से 2,50,000/- रुपये ऋण लिया था। जिसमें उसने कुछ रुपया दोनों खाते में जमा किया है। उसका एक मुश्त ऋण निपटान योजना के तहत विपक्षी संख्या 02 के कहने पर 2,00,000/- रुपया दोनों खातों में दिनांक 22.06.2016 को जमा कर दिया गया। विपक्षी संख्या 02 ने कहा कि अब जमाशुदा धनराशि दोनों खातों में समायोजित की जाएगी और जो रुपया बचेगा उसे वापस कर दिया जाएगा। विपक्षी संख्या 02 के.सी.सी. अकाउन्ट में 19050/- रुपये व कृषक मित्र खाते में 1,65,075/- रुपया दिनांक 29.06.2016 को जमा कर दिया और खाते में निल कर दिया। परिवादी का बचा हुआ रुपया मुo15875/- रुपया एकाउन्ट में जमा है। परिवादी लगातार बैंक का चक्कर लगाता रहा, लेकिन उसे बकाया

2

रुपये का भुगतान नहीं किया। जब विपक्षी संख्या 02 से कहा गया कि उसे नोड्यूज प्रमाण पत्र दिया जाए ताकि वह तहसील में सबरजिस्ट्रार के यहाँ ऋण मुक्त प्रमाण पत्र भेजकर ऋण मुक्त करा सके। लेकिन विपक्षी ने उसका एक भी नहीं सुना। अतः यह परिवाद दाखिल किया जा रहा। अनुतोष में परिवादी ने विपक्षी संख्या 02 से शारीरिक व मानसिक क्षतिपूर्ति के लिए 80,000/- रुपया और जमाशुदा धनराशि के लिए अदेयता प्रमाण पत्र जारी करने हेतु और बकाया रुपया 18415/- परिवादी को वापस करें। परिवादी ने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र दाखिल किया है।

     प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने अपने दोनों खातों के सन्दर्भ में छायाप्रति प्रस्तुत किया है। विपक्षी संख्या 01 ता 03 ने जवाबदावा प्रस्तुत किया है। उन्होंने परिवाद पत्र के प्रत्येक पैरा से इन्कार किया है तथा अतिरिक्त कथन में यह कहा है कि परिवादी दिनांक 23.11.2007 में किसान क्रेडिट कार्ड ऋण मुo 50,000/- रुपया तथा 06.11.2007 को कृषक मित्र योजना के तहत 2,50,000/- रुपया ऋण लिया था। उसके द्वारा बैंक नियमानुसार खातों का संचालन नहीं किया गया। जबकि बैंक समयानुसार वादी को ऋण खातों में किश्तों की मांग करता रहा, परन्तु परिवादी द्वारा कुछ धनराशि देकर सम्पूर्ण किश्तों का भुगतान हेतु समय लेता रहा। ऐसी स्थिति अनियमितता के कारण परिवादी का दोनों ऋण खाता एन.पी.ए. हो गया। बैंक द्वारा वसूली प्रक्रिया के तहत किसान क्रेडिट कार्ड ऋण खाते में मुo 36,797/- रुपया एवं कृषक मित्र ऋण खाते में 3,28,718/- रुपये की आर.सी. कटी। एक मुश्त ऋण जमा किए जाने पर बैंक के ब्याज पर छूट की योजना आयी। जिसके तहत परिवादी ने 2,00,000/- रुपया जमा किया और उक्त धनराशि को ऋण खातों में समायोजित कर दिया गया और शेष 15,850/- रुपया परिवादी के खाते में जमा कर दिया गया। जबकि बैंक द्वारा परिवादी के 2,565/- की मांग इस आशय से किया जा रहा है कि 10% प्रभार तहसील को भेजा जा सके, परन्तु वह हीलाहवाली करता रहा। बाद में दिनांक 21.09.2016 को परिवादी को पत्र द्वारा सूचना दिया गया। बैंक के किसी भी कर्मचारी द्वारा परिवादी के साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं किया गया।

     जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

 

 

3

     परिवादी द्वारा कागज संख्या 15 प्रथम अपीलीय जनसूचनाधिकारी को जो प्रार्थना पत्र दिया था उसकी छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है। 2,565/- रुपये की वसूली हेतु जो नोटिस दी गयी थी उसकी छायाप्रति प्रस्तुत की गयी है।

     परिवादी ने कागज संख्या 16ग नायब तहसीलदार को जो प्रार्थना पत्र दिया था उसकी छायाप्रति प्रस्तुत किया है।

     सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसने दो खातों के सन्दर्भ में जो ऋण लिया था उस ऋण के विरूद्ध उसके द्वारा एक मुश्त समाधान योजना के तहत 2,00,000/- रुपया जमा कर दिया गया। परिवादी ने जो खातों में जो ऋण लिया था उसकी छायाप्रति प्रस्तुत किया है, जिसमें उसके ऋण को निल कर दिया गया है। विपक्षी ने भी यह स्वीकार किया है कि परिवादी ने एक मुश्त समाधान योजना के तहत ऋण जमा कर दिया गया है। परिवाद पत्र के पैरा 04 में विपक्षीगण ने यह कहा है कि 15,850/- रुपये परिवादी के खाते में जमा किया गया और 2,565/- रुपये की मांग इस आशय से किया जा रहा है कि कुल 10% प्रभार तहसील को भेजा जा सके, लेकिन विपक्षीगण ने इस सन्दर्भ में कोई भी प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया है। जिससे यह साबित हो कि उन्होंने ऋण के अदायगी हेतु तहसील को वसूली प्रमाण पत्र भेजा था। इस प्रकार चूँकि विपक्षीगण ने वसूली हेतु तहसील में कोई सूचना नहीं भेजी थी। अतः उनके द्वारा परिवादी से 2,565/- रुपया मांगा जाना न्यायसंगत नहीं है।

     उपरोक्त विवेचन से मेरे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य है।

आदेश

परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या 02 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को बचा हुआ पैसा मुo 15850/- रुपये वापस करें। उन्हें इस बात का भी निर्देश दिया जाता है कि वह परिवादी को ऋण मुक्त प्रमाण पत्र उपलब्ध कराएं और उसे अदेयता प्रमाण पत्र दें।

 

 

 

 

     राम चन्द्र यादव                    कृष्ण कुमार सिंह

    (सदस्य)                            (अध्यक्ष)

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV]
MEMBER

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