(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-814/2006
कानपुर डेवलपमेंट अथारिटी, द्वारा वाइस चेयरमैन, मोती झील, कानपुर नगर तथा एक अन्य
बनाम
कमलेश चन्द्र पाण्डेय पुत्र श्री राम नारायण पाण्डेय, निवासी मकान नं0-117/230, एल-ब्लाक, नवीन नगर, कानपुर नगर
एवं
अपील संख्या-291/2006
कमलेश चन्द्र पाण्डेय, निवासी मकान नं0-117/230, एस-ब्लाक, नवीन नगर, कानपुर नगर
बनाम
कानपुर डेवलपमेंट अथारिटी, द्वारा सेक्रेटरी, मोती झील, कानपुर नगर, यू.पी.
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी, प्राधिकरण की ओर से :श्री पीयूष मणि त्रिपाठी की कनिष्ठ
सहायक सुश्री सताक्षी शुक्ला।
प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से : श्री ए.के. मिश्रा।
दिनांक : 05.02.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-1506/2003, कमलेश चन्द्र पाण्डेय बनाम उपाध्यक्ष, कानपुर विकास प्राधिकरण तथा एक अन्य में विद्वान
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जिला आयोग, कानपुर नगर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 28.12.2005 के विरूद्ध अपील संख्या-814/2006, विपक्षी, प्राधिकरण की ओर से निर्णय/आदेश को अपास्त कराने के लिए प्रस्तुत की गयी है, जबकि अपील संख्या-291/2006 स्वंय परिवादी द्वारा इस अनुरोध के साथ प्रस्तुत की गयी है कि धन वापसी के बजाय आवंटित भूखण्ड का उन्हीं के पक्ष में विक्रय पत्र/लीज डीड निष्पादित करने का आदेश पारित किया जाए।
2. उपरोक्त दोनों अपीलें एक ही निर्णय/आदेश से प्रभावित होकर प्रस्तुत की गयी हैं, इसलिए दोनों अपीलों का निस्तारण एक ही निर्णय/आदेश द्वारा एक साथ किया जा रहा है। इस हेतु अपील संख्या-814/2006 अग्रणी अपील होगी।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा दिनांक 15.1.1996 को पनकी योजना के अंतर्गत 200 वर्गमीटर के भूखण्ड को प्राप्त करने के लिए अंकन 300/-रू0 अग्रिम जमा किये थे। दिनांक 30.10.1986 को अंकन 2300/-रू0 ड्राफ्ट के माध्यम से जमा किये गये। दिनांक 17.9.1988 को प्राधिकरण द्वारा सूचित किया गया कि परिवादी को प्लाट संख्या-380 ब्लाक सी क्षेत्रफल 167.22 वर्गमीटर अंकन 190/-रू0 प्रति वर्गमीटर की दर से 90 वर्ष के पट्टे पर आवंटित किया गया। प्राधिकरण ने 1/4 धनराशि की पूर्ति के लिए अंकन 5,343/-रू0 की मांग की गयी थी। दिनांक 17.3.1989 को यह राशि जमा कर दी गयी। शेष 3/4 धन 15 प्रतिशत ब्याज सहित 2 वर्ष में 8 तिमाही किश्तों में देना था, परन्तु इस राशि को जमा करने
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की कोई सूचना नहीं दी गयी न ही परिवादी के पक्ष में प्लाट का पंजीयन किया गया, इसलिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया।
4. विपक्षी का कथन है कि परिवादी द्वारा वांछित धनराशि एवं स्टॉम्प निर्धारित समय पर जमा नहीं किये गये। 1/4 धनराशि जमा न करने के कारण भूखण्ड का आवंटन निरस्त किया जा चुका है तथा श्रीमती लता मेहता के पक्ष में आवंटित करने के पश्चात विक्रय पत्र भी दिनांक 10.2.1993 को निष्पादित की जा चुकी है, इसलिए कब्जा देना संभव नहीं है।
5. पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि चूंकि प्रश्नगत भूखण्ड का विक्रय पत्र किसी अन्य व्यक्ति को निष्पादित कर दिया गया है, इसलिए परिवादी द्वारा जमा राशि अंकन 11,149/-रू0 10 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस लौटाने का आदेश पारित किया गया।
6. इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध प्राधिकरण की ओर से विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह बहस की गयी कि स्वंय परिवादी ने मांग पत्र के अनुसार धनराशि जमा नहीं की है। इस पीठ के समक्ष कुछ दस्तावेज प्रस्तुत किये गये, जिसमें मांग के संबंध में पत्र भी मौजूद है, वह विद्वान जिला आयोग के समक्ष प्रस्तुत नहीं किये गये, इसलिए विद्वान जिला आयोग को उन पर विचार करने का कोई अवसर नहीं था। अपीलीय स्तर पर अतिरिक्त साक्ष्य निम्न तीन परिस्थितियों में सी.पी.सी. के आदेश 41 नियम 27 के अंतर्गत प्रस्तुत किये जा सकते हैं :-
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(1.) जब विचारण न्यायालय द्वारा साक्ष्य ग्रहण करने से इंकार कर दिया गया हो।
(2.) जब सम्यक् प्रयासों के बावजूद साक्ष्य को प्रस्तुत करना संभव न हो।
(3.) जब अपील के निस्तारण के लिए स्वंय अपीलीय न्यायालय को ऐसी साक्ष्य आवश्यक प्रतीत होती हो।
7. प्रस्तुत केस में उपरोक्त दो परिस्थितियां लागू नहीं होती, परन्तु इन दोनों अपीलों के निस्तारण के लिए इस पीठ द्वारा इन दस्तावेजों पर विचार किया जाना आवश्यक है, इसलिए उपरोक्त प्रस्तुत किये गये दस्तावेजों पर इस पीठ द्वारा विचार किया जाता है, जिनके अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादी से स्टाम्प की मांग की गयी थी तथा 1/4 धन की मांग के पत्र प्रेषित किये गये थे, इसके बाद अवशेष 3/4 धन के लिए भी मांग पत्र जारी किये गये, परन्तु परिवादी द्वारा यह राशि तथा आवश्यक स्टाम्प पत्र वगैरह उपलब्ध नहीं कराए गए। यही कारण है कि प्राधिकरण इस भूखण्ड का आवंटन रद्द करने एवं अन्य व्यक्ति के पक्ष में विक्रय पत्र निष्पादित करने के लिए बाध्य हुआ। अत: इस आधार पर प्राधिकरण के विरूद्ध यह आदेश पारित किया जाना संभव नहीं है कि प्राधिकरण को आंवटित भूखण्ड उपलब्ध कराने के लिए आदेश दिया जाय, इस स्थिति में केवल धनराशि वापस लौटाने का आदेश ही पारित किया जा सकता है। अत: विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित किया गया निर्णय एवं आदेश विधिसम्मत है, इसमें कोई हस्तक्षेप अपेक्षित नहीं है। तदनुसार
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उपरोक्त दोनों अपीलें निरस्त होने योग्य हैं।
आदेश
8. उपरोक्त दोनों अपीलें, अर्थात् अपील संख्या-814/2006 तथा अपील संख्या-291/2006 निरस्त की जाती हैं।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत दोनों अपीलों में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
इस निर्णय/आदेश की मूल प्रति अपील संख्या-814/2006 में रखी जाए एवं इसकी एक सत्य प्रति संबंधित अपील में भी रखी जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3