राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-2729 /1998 मौखिक
(जिला उपभोक्ता फोरम कानपुर द्वारा परिवाद सं0-1036/1994 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक-27-10-1997 के विरूद्ध)
कानपुर डेव्लपमेंट अथारिटी द्वारा ज्वाइन्ट सेक्रेटरी मोतीझील, कानपुर।
..अपीलकर्ता/विपक्षी
बनाम
श्री खेवाराम बाजपेई पुत्र श्री देवी सहाय बाजपेई निवासी- 87/5 बद्री प्रसाद का हाता, हीरगंज कानपुर सिटी।
.प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष:-
1- माननीय श्री आर0सी0 चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2- माननीय श्री संजय कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित:श्री एन0सी0 उपाध्याय, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक:03-02-2015
माननीय श्री आर0सी0 चौधरी, पीठासीन सदस्य, द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपीलार्थी द्वारा यह अपील जिला उपभोक्ता फोरम कानपुर द्वारा परिवाद सं0-1036/1994 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक-27-10-1997 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है। जिला उपभोक्ता फोरम अपने आदेश में कहा है कि यह फोरम आदेश करता है कि विपक्षी इस आदेश की प्राप्ति के 30 दिन के अन्दर परिवादी को 12-12-1991 से धनवापसी की तिथि 02-05-1994 तक 7 प्रतिशत ब्याज तथा परिवादी के उक्त ब्याज पर 18 प्रतिशत ब्याज 2-05-94 से अदायगी की तिथि तक अदा करें, 250-00 रूपये मानसिक, शारीरिक कष्ट एवं वाद व्यय स्वरूप परिवादी को अदा करें।
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी के विज्ञापन से प्रभावित होकर भूखण्ड आवंटन हेतु एक आवेदन पत्र दिनांक 11-03-1991 को विपक्षी के यहॉ दिया तथ आवेदन राशि 4000-00 रूपये विपक्षी के नामित बैंक यूको बैंक में विपक्षी के नाम जमा कर दी। जिस पर
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07 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से विपक्षी द्वारा ब्याज देने का वादा था। परिवादी के नाम जब लाटरी के माध्यम से भूखण्ड काक आवंटन न हो सका तो उसने जमा धनराशि विपक्षी से वापस चाही है। परिवादी द्वारा रूपया वापस मांगने पर कहा गया कि अभी रूपया नहीं है। अत: आने पर वापस कर दिया जायेगा। दिनांक 02-05-1994 को प्रार्थी को 4000-00 रूपये का एक चेक प्राप्त हुआ। प्रार्थी ने जब ब्याज मांगने गया तो विपक्षी के कर्मचारियों ने उसे धक्का देकर भगा दिया।
विपक्षी नोटिस प्राप्त कर फोरम में उपस्थित रहे, तत्पश्चात उन्होंने इस परिवाद में उपस्थित होना बन्द कर दिया। अत: परिवाद की सुनवाई एक पक्षीय रूप से की गई।
इस सम्बन्ध में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री एन0सी0 उपाध्याय उपस्थित है। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। आदेश पत्र दिनांक 18-07-2014 से स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी खेवाराम बाजपेई की तरफ से प्रार्थना पत्र दिनांक 17-08-2013 पत्रावली पर उपलब्ध है। इस प्रकार से यह स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी को इस केस की जानकारी है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा जिला उपभोक्ता फोरम के निर्णय/आदेश का अवलोकन किया गया।
जिला उपभोक्ता फोरम ने अपने निर्णय में परिवादी को दिनांक 12-12-1991 से धन वापसी की तिथि 02-05-1994 तक 07 प्रतिशत देने का आदेश किया गया है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कहा गया कि पूरा ब्याज समाप्त कर दिया जाय तथा जो 250-00 रूपये मानसिक कष्ट व वाद व्यय का लगाया गया है, उसे समाप्त किया जाय।
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केस के तथ्यों परिस्थितियों में हम यह उचित पाते है कि जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा जो 07 प्रतिशत का ब्याज लगाया गया है, उसके स्थान पर परिवर्तित करते हुए 05 प्रतिशत दिलाये जाने योग्य है और आदेश में जो उक्त ब्याज पर 18 प्रतिशत ब्याज 02-05-1994 से अदायगी की तिथि तक ब्याज के लिए लगाया गया है, वह भी समाप्त किये जाने योग्य है और मानसिक कष्ट व वाद व्यय का 250-00 रूपये समाप्त किये जाने योग्य है अपीलकर्ता की अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
अपीलकर्ता की अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है तथा जिला फोरम, कानपुर द्वारा परिवाद सं0-1036/1994 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक-27-10-1997 को संशोधित करते हुए यह आदेश किया जाता है कि जो जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा दिनांक12-12-1991 से धन वापसी की तिथि 02-05-1994 तक 07 प्रतिशत का ब्याज लगाया गया है, उसके स्थान पर 05 प्रतिशत किया जाता है तथा उक्त ब्याज पर 18 प्रतिशत ब्याज दिनांक02-05-1994 से अदायगी की तिथि तक लगाया गया है, उसे भी समाप्त किया जाता है तथा 250-00 रूपये मानसिक कष्ट का परिवादी को जो दिया गया है, वह भी समाप्त किया जाता है। जिला उपभोक्ता फोरम के शेष आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(आर0सी0 चौधरी) ( संजय कुमार )
पीठासीन सदस्य सदस्य
आर.सी.वर्मा, आशु. ग्रेड-2
कोर्ट नं0-5