Uttar Pradesh

StateCommission

A/2014/121

Kailash Chand - Complainant(s)

Versus

K L Ice and Cold Storage - Opp.Party(s)

Alok Ranjan

19 Sep 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2014/121
( Date of Filing : 17 Jan 2014 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Kailash Chand
A
...........Appellant(s)
Versus
1. K L Ice and Cold Storage
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Mahesh Chand MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 19 Sep 2018
Final Order / Judgement

सुरक्षित

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

अपील संख्‍या : 121/2014

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, प्रथम, आगरा द्वारा परिवाद संख्‍या-329/2008 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 19-12-2013 के विरूद्ध)

 

Kailash Chand, S/o Late Jomdar Singh, Village-Pewgai Khera, P.S. Tajganj, Tehsil-Sadar Agra, District-Agra.

                                              ...अपीलार्थी/परिवादी

बनाम्

K.L.Ice and Cold Storage, Etora Kakua, Post Kakua, Tehsil-Sadar Agra, District-Agra-Basai Road Khajila, agra thana Malpura, Through Partner Umesh Chandra Agarwal.

                                              ..........प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

 

अपीलार्थी  की ओर से उपस्थित-          श्री आलोक रंजन।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित-            श्री एस0 पी0 पाण्‍डेय के सहयोगी

श्री आशीष सिंह।

समक्ष  :-

  1. मा0 श्री राज कमल गुप्‍ता,              पीठासीन सदस्‍य।
  2. मा0 श्री महेश चन्‍द,                    सदस्‍य

दिनांक :  31-10-2018

मा0 श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित निर्णय

परिवाद संख्‍या-329/2008 कैलाश चन्‍द बनाम् के0एल0आईस एण्‍ड कोल्‍ड स्‍टोरेज में जिला उपभोक्‍ता फोरम, प्रथम, आगरा द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय

 

2

एवं आदेश दिनां‍क 19-12-2013 के विरूद्ध यह अपील उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा-15 के अन्‍तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

इस प्रकरण में विवाद के संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी ग्राम पचगाव खेडा का निवासी है और कृषक है और परिवादी तथा उसे भाई के नाम लगभग 36 बीघा कृषि भूमि है और वह अपने खेतों में मुख्‍यत: आलू की पैदावार करता है और उससे होने वाली आय से अपने परिवार का भरण-पोषण करता है। परिवादी द्वारा अपने खेतों में वर्ष 2007-08 में आलू की फसल बोई गयी थी। विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में दिनांक 20-02-2008 से दिनांक 08-03-2008 तक अवधि में विभिन्‍न रसीदों के द्वारा 10323 पैकेट आलू प्रत्‍येक पैकेट 50 किलो था जिसमें से कुछ आलू बीज के लिए तथा कुछ आलू बेचने के उद्देश्‍य था। यह आलू अक्‍टूबर, 2008 की समय अवधि तक के लिए रखा गया था जिसके लिए परिवादी को रू0 54/- प्रति पैकेट की दर से भाडा अदा करना था। परिवादी द्वारा रखे गये बीज के आलू को छोड़कर शेष खाने योग्‍य आलू बेचने के लिए रू0 180/-का सौदा किया गया और परिवादी जब विपक्षी के यहॉं रखे आलू की डिलीवरी लेने गया तो विपक्षी द्वारा आलू की डिलीवरी देने में आना काना की गयी तथा विपक्षी द्वारा कहा गया कि वह प्रति बोरे रू0 170/- की दर से देने को तैयार है तथा रू0 54/- आलू रखे जाने का भाड़ा काटकर शेष धनराशि परिवादी को भुगतान कर देगा। परिवादी ने विपक्षी को अवगत कराया कि उसका आलू रू0 180/- की दर से बिक रहा है इसलिए उसे आलू की डिलीवरी दी जाए जिस पर विपक्षी ने आलू की डिलीवरी देने से इंकार कर दिया। पता करने पर परिवादी को ज्ञात हुआ कि विपक्षी द्वारा परिवादी का आलू बेच दिया गया है। परिवादी ने विपक्षी को नोटिस भेजा जिसका कोई संतोषजनक उत्‍तर विपक्षी द्वारा नहीं दिया गया। परिवादी को विपक्षी द्वारा आलू की डिलीवरी न देना विपक्षी के स्‍तर पर सेवा में कमी है इसलिए परिवादी ने परिवाद संख्‍या-329/2008 जिला फोरम, प्रथम, आगरा के समक्ष योजित करते हुए निवेदन किया है कि उसे विपक्षी से आलू की कीमत, क्षतिपूर्ति व वाद व्‍यय दिलाया जाए।

विपक्षी की ओर से प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया जिसमें परिवाद के अभिकथनों का प्रतिवाद करते हुए कथन किया गया कि परिवादी द्वारा आलू उसके

 

3

कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखा गया था और कहा गया कि विपक्षी द्वारा परिवादी के आलू को बेचा नहीं गया है और एक बोरा आलू की डिलीवरी परिवादी के पुत्र अवधेश कुमार के द्वारा ली गयी थी जिसके लिए परिवादी ने उसे अधिकृत किया था। परिवादी को विपक्षी द्वारा ऋण दिया गया था और विपक्षी द्वारा परिवादी से आलू की डिलीवरी के समय आलू का किराया व दिये गये ऋण की मांग की गयी जिस पर परिवादी क्रोधित हो गया। इस घटना की सूचना जिला उद्यान अधिकारी आगरा को उसी दिन दे दी गयी थी। परिवादी ने भिन्‍न-भिन्‍न तिथियों पर अंकन रू0 1206114 तथा ब्‍याज अंकन 38,600/- प्राप्‍त कर लिया है। अग्रिम बोरों की कीमत,ब्‍याज भाड़ा तथा शीतगृत का भाड़ा सहित 50 किलो के प्रत्‍येक बोरे का मूल्‍य रू0 180/- आंकलित होता है। परिवादी का यह कथन गलत है कि उसने विपक्षी से बोरे व एडवासं धनराशि नहीं लिया है। विपक्षी ने यह सही उल्लिखित किया था कि परिवादी द्वारा धनराशि  का भुगतान न करने पर उसके आलू का विक्रय कर दिया जायेगा जो परिवादी के लेखा के समायोजन के अधीन होगा। विपक्षी की लेखा पुस्‍तक में अग्रिम ऋण, बोरे की कीमत, भाड़ा नियमानसुार अंकित किया है। बोरों पर लिया गया अग्रिम रू0 867514 होता है उसके बाद परिवादी ने दिनांक 11-04-2008 को रू0 3,00,000/- अग्रिम नगद लिया था और रसीदों पर परिवादी के द्वारा अधिकृत पुत्र द्वारा हस्‍ताक्षर किये गये हैं। परिवादी का यह कहना गलत है कि विपक्षी से रू0 180/- प्रति बोरे की दर से आलू की कीमत पर सहमति हुई। विपक्षी की ओर से आगे कहा गया कि परिवाद रेग्‍युलेशन आफ कोल्‍ड स्‍टोरेज एक्‍ट के प्राविधानोंके अनुसार वर्जित है और केवल जिला उद्यान अधिकारी को वाद सुनने का अधिकार है। विपक्षी के स्‍तर पर सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गयी है इसलिए परिवाद खण्डित होने योग्‍य है।

जिला फोरम ने पक्षकारों द्वारा प्रस्‍तुत किये गये साक्ष्‍यों का परिशीलन करने तथा उनके तर्कों को सुनने के बाद आक्षेपित निर्णय दिनांक 19-12-2013 के द्वारा परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरूद्ध निरस्‍त किया है।

उपरोक्‍त आक्षेपित आदेश से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी है।

 

 

 

4

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री आलोक रंजन उपस्थित हुए। प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री एस0 पी0 पाण्‍डेय के सहयोगी श्री आशीष सिंह उपस्थित हुए।

पीठ द्वारा उभयपक्षों के विद्धान अधिवक्‍ताओं के तर्कों को सुना गया तथा आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।

समस्‍त तथ्‍यों पर सम्‍यक विचारोपरान्‍त यह पीठ इस मत की है कि इस प्रकरण में पक्षकारों के मध्‍य आलू के बोरों के सापेक्ष परिवादी द्वारा विपक्षी से अग्रिम ऋण लिये जाने अथवा न लिये जाने का प्रश्‍न भी जुड़ा है। मात्र आलू के भण्‍डारण तथा उसकी निकासी करने का ही बिन्‍दु सीमित नहीं है बल्कि आलू के लिए तथा अन्‍य कार्य हेतु धन अग्रिम लिये जाने अथवा न लिये जाने के बिन्‍दु पर विस्‍तार से साक्ष्‍यों की विवेचना (परीक्षण तथा प्रतिपरीक्षण) की आवश्‍यकता है जो जिला फोरम के क्षेत्राधिकार में नहीं है। अत: यह प्रकरण उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम-1986 के प्राविधानों के अन्‍तर्गत पोषणीय नहीं है, बल्कि उ0प्र0 शीतगृह विनियमन अधिनियम 1976 के प्राविधानों के अन्‍तर्गत इस प्रकार के विवाद के श्रवण एवं उनके निस्‍तारण का अधिकार जिला उद्यान अधिकारी में निहित है अथवा दीवानी न्‍यायालय में निस्‍तारित हो सकता है। सिविल अपील सं0-7687/2004 जनरल मैनेजर टेलकाम बनाम एम कृष्‍णन तथा अन्‍य में प्रतिपादित सिद्धांत इस प्रकरण में लागू होते हैं। उक्‍त प्रकरण में कहा गया है कि जब एक विशिष्‍ट उपचार किसी अधिनियम में उपलब्‍ध है तो उस अवस्‍था में उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत परिवाद पोषणीय नहीं है।

विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने विस्‍तार से विधि सम्‍मत ढंग से तथ्‍यों की विवेचना की है तथा प्रश्‍गनत आदेश पारित किया है उसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है। अपीलार्थी की अपील में कोई बल नहीं है।

 

 

 

 

5

आदेश

अपील निरस्‍त की जाती है। अपीलार्थी अपना दावा सक्षम न्‍यायालय में प्रस्‍तुत करने हेतु स्‍वतंत्र है।

उभयपक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

 

(राज कमल गुप्‍ता)                                     (महेश चन्‍द)

 पीठासीन सदस्‍य                                         सदस्‍य

 

प्रदीप मिश्रा,

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Mahesh Chand]
MEMBER

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