Uttar Pradesh

StateCommission

A/2011/1870

Meena Verma - Complainant(s)

Versus

K D A - Opp.Party(s)

R K Katiyar

20 Dec 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2011/1870
( Date of Filing : 03 Oct 2011 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Meena Verma
a
...........Appellant(s)
Versus
1. K D A
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 20 Dec 2023
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-1870/2011

श्रीमती मीना वर्मा पत्‍नी श्री जय गोपाल वर्मा

 

 

बनाम

 

 

उपाध्‍यक्ष, कानपुर विकास प्राधिकरण, कानपुर

 

समक्ष:-                                                  

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित      : श्री आर.के. कटियार,

                           विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित        : श्री पीयूष मणि त्रिपाठी,

                                                    विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक : 20.12.2023 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.        परिवाद संख्‍या-247/2008(798/03), श्रीमती मीना वर्मा बनाम उपाध्‍यक्ष, कानपुर विकास प्राधिकरण में विद्वान जिला आयोग, रमाबाई नगर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 3.9.2011 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आर.के. कटियार तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री पीयूष मणि त्रिपाठी को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया।

2.        परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी को विपक्षी द्वारा भवन सं0-723 आवंटित किया गया। परिवादी द्वारा अंकन 25,000/- रू0 जमा किए गए। दिनांक 24.5.1999 के पत्र द्वारा भवन का मूल्‍य

 

-2-

प्राप्‍त होने पर किस्‍तों की सूचना देने का उल्‍लेख किया गया, परन्‍तु प्राधिकरण द्वारा कोई सूचना नहीं दी गई। परिवादी के प्रयास पर भी सूचना उपलब्‍ध नहीं करायी गई। एक मुश्‍त समाधान योजना में दि. 9.11.2001 को आवेदन प्रस्‍तुत किया गया, परन्‍तु इसके बावजूद भी कोई कार्यवाही नहीं की गई, इसलिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

3.        विपक्षी ने लिखित कथन में अंकन 25,000/-रू0 जमा करना स्‍वीकार किया। भवन सं0-723 एलआईजी आवंटित करना स्‍वीकार किया गया, परन्‍तु यह उल्‍लेख किया गया कि यह योजना निरस्‍त कर दी गई है, इसलिए मूल धन वापस किया जा सकता है।

4.        विद्वान जिला आयोग द्वारा भी केवल मूल धन वापस करने का आदेश पारित किया गया है।

5.        अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि योजना निरस्‍त करने का कथन असत्‍य है। स्‍वंय प्राधिकरण ने आम जनता के लिए इस योजना में फ्लैट खाली होने एवं विक्रय हेतु विज्ञापन जारी किया था, जो पत्रावली पर मौजूद है। इस विज्ञापन के अवलोकन से जाहिर होता है कि सुजात गंज योजना में 167 वर्गमीटर में अंकित एलआईजी के दो मंजिला मकान, जिनका मूल्‍य अंकन 1,69,000/-रू0 दर्शाया गया है और अनेक भवन भूतल एवं प्रथम तल पर खाली दर्शाए गए हैं। यह प्रकाशन दिनांक 1.3.2003 को किया गया है, इस प्रकाशन के फर्जी होने का कोई कथन नहीं किया गया है। अत: यह प्रकाशन पत्र स्‍वंय साबित करता है कि योजना रद्द करने का कथन असत्‍य है। स्‍वंय प्राधिकरण ने भवन आवंटित किया है, किस्‍तों की अदायगी की सूचना भविष्‍य में देने का आश्‍वासन दिया है,

-3-

परन्‍तु परिवादी को कभी भी किस्‍त अदा करने की सूचना नहीं दी, इसलिए स्‍वंय प्राधिकरण द्वारा परिवादी के प्रति सेवा में कमी की गई है। अत: परिवादी मांगे गए अनुतोष को प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत था, केवल मूल धनराशि वापस करने का आदेश देना विधि विरूद्ध है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

6.        प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 3.9.2011 अपास्‍त किया जाता है तथा परिवाद इस प्रकार स्‍वीकार किया जाता है कि प्राधिकरण द्वारा परिवादी को आवंटित भवन का कब्‍जा इस निर्णय की दिनांक से 3 माह के अंदर उपलब्‍ध कराया जाए तथा विक्रय पत्र निष्‍पादित किया जाए, जो कीमत विज्ञापन पत्र में वर्णित है प्रश्‍नगत भवन की, वह कीमत परिवादी से तत्‍समय प्रचलित नियमों के अनुसार किस्‍तों में वसूल की जाए। यद्यपि परिवादी द्वारा धनराशि पर साधारण ब्‍याज (बैंक की दर से) देने के पश्‍चात ही प्राधिकरण द्वारा विक्रय पत्र निष्‍पादित किया जाएगा साथ ही विपक्षी प्राधिकरण द्वारा परिवाद व्‍यय के रूप में अंकन 25,000/-रू0 (पच्‍चीस हजार रूपये) भी अदा किये जाए। यह राशि भवन के मूल्‍य में समायोजित की जा सकती है।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                           (सुशील कुमार(

  सदस्‍य                                   सदस्‍य

  लक्ष्‍मन, आशु0,  कोर्ट-3

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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