Uttar Pradesh

StateCommission

A/2004/1266

K B Public School - Complainant(s)

Versus

K D A - Opp.Party(s)

V P Sharma

21 Jul 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2004/1266
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. K B Public School
a
...........Appellant(s)
Versus
1. K D A
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 21 Jul 2016
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

              अपील संख्‍या– 1266/2004            सुरक्षित

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, कानपुर नगर द्वारा परिवाद सं0 667/2003 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 07-05-2004 के विरूद्ध)

के0बी0 पब्लिक स्‍कूल, एम0आई0जी0 6, बारा- 4, कानपुर नगर।

                                                      ..अपीलार्थी/परिवादी

                              बनाम              

वाइस चेयरमैन, कानपुर डेव्‍लपमेंट अथारिटी, मोतीझील, कानपुर नगर।

                                                         प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

समक्ष:-                 

माननीय श्री आर0सी0 चौधरी, पीठासीन सदस्‍य।

माननीय श्री राज कमल गुप्‍ता, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थिति    : श्री वी0पी0 शर्मा, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थिति      : श्री एन0सी0 उपाध्‍याय, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक-04/08/2016

माननीय श्री आर0सी0 चौधरी, पीठासीन सदस्‍य, द्वारा उद्घोषित

       निर्णय

      प्रस्‍तुत अपील जिला उपभोक्‍ता फोरम कानपुर नगर द्वारा परिवाद सं0 667/2003 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 07-05-2004 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई है।

      संक्षेप में केस के तथ्‍य इस प्रकार से है कि परिवादी शिक्षण संस्‍था द्वारा विपक्षी की जरौली योजना के अर्न्‍तगत भूखण्‍ड आवंटन हेतु 1,00,000-00 रूपये की राशि अदा करके आवेदन किया था, जिस पर  विपक्षी द्वारा अपने पत्र दिनांकित 24-01-1998 के द्वारा  परिवादी को भूखण्‍ड सं0-एस -1 आवंटित किया गया। आवंटन पत्र के अनुसार उक्‍त भूखण्‍ड की कीमत 9,71,850-00 रूपये निर्धारित की गई एवं परिवादी द्वारा नियमानुसार उक्‍त भूखण्‍ड की ¼ धनराशि भी अदा कर दी गई। आवंटन पत्र के अनुसार भूखण्‍ड के मूल्‍य की शेष धनराशि परिवादी को 5 सालाना किश्‍तों में प्रति किश्‍त 2,49,108-50 पैसे के हिसाब से अदा करना था तथा आवंटन पत्र के क्रम सं0-5 के अनुसार समय से किश्‍तें अदा करने पर निर्धारित ब्‍याज दर पर 3.5 प्रतिशत की छूट भी परिवादी को दी जानी थी एवं आवंटन पत्र के क्रम सं0-6 के अनुसार भूखण्‍ड के कब्‍जे के सम्‍बन्‍ध में निष्‍पादन से पूर्व कुल प्रीमियम का 10 प्रतिशत पट्टे का किराया जमा किया जाना था। परिवादी द्वारा भूखण्‍ड की ¼ धनराशि जमा करने के बाद भूखण्‍ड के कुल मूल्‍य का 10 प्रतिशत पट्टे के किराये की राशि 97,185-00 रूपये जरिए बैकर्स चेक दिनांक 28-02-1998 को विपक्षी कार्यालय में प्राप्‍त करायी गई और विपक्षी को लिखित रूप से भूखण्‍ड के कब्‍जे के सम्‍बन्‍ध में अनुबन्‍धक निष्‍पादन किये जाने हेतु कहा गया, परन्‍तु विपक्षी

(2)

द्वारा इस सम्‍बन्‍ध में कोई कार्यवाही नहीं की गई। परिवादी द्वारा लीज रेण्‍ट की राशि अदा करने के उपरान्‍त बराबर विपक्षी के कार्यालय से भूखण्‍ड के कब्‍जे के सम्‍बन्‍ध में अनुबन्‍ध हेतु सम्‍पर्क किया गया, परन्‍तु विपक्षी ने कोई कार्यवाही नहीं की। परिवादी द्वारा भूखण्‍ड के सम्‍बन्‍ध में समस्‍त किश्‍तों की अदायगी नियमानुसार की गई। अत: परिवादी आवंटन पत्र के अनुसार निर्धारित ब्‍याज दर पर 3.5 प्रतिशत की छूट पाने का अधिकारी है, जो विपक्षी द्वारा प्रदान नहीं की गई। परिवादी द्वारा भूखण्‍ड का समस्‍त मूल्‍य समयानुसार अदा करने के बाद भी विपक्षी द्वारा आज तक उक्‍त भूखण्‍ड की रजिस्‍ट्री नहीं की जा रही है, जो कि सेवा में कमी है। अत: परिवादी ने अनुरोध किया है कि आवंटित भूखण्‍ड के समबन्‍ध में अनुबन्‍ध निस्‍पादित करके परिवादी को कब्‍जा व दखल अविलम्‍ब प्रदान करें, भूखण्‍ड की रजिस्‍ट्री निस्‍पादित करें, 3.5 प्रतिशत की छूट प्रदान की जाए व परिवादी को हुई आर्थिक क्षति के रूप में तीन लाख रूपये व वाद व्‍यय 2000-00 रूपये दिलाया जाय।

      जिला उपभोक्‍ता फोरम के समक्ष विपक्षी ने अपना प्रतिवाद पत्र दाखिल किया, जिसमें यह कथन किया गया है कि परिवादी संस्‍था की ओर से प्रबन्‍धक ने दिनांक 19-04-2002 को वैकल्पिक भूखण्‍ड प्राप्‍त करने के लिए विपक्षी विभाग को एक प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत किया, जिसमें वैकल्पिक भूखण्‍ड की मांग की गई। परिवादी संस्‍था द्वारा एक ओर आवंटित भूखण्‍ड की रजिस्‍ट्री की मांग की गई तो दूसरी ओर वैकल्पिक भूखण्‍ड हेतु प्रार्थना पत्र दिया गया। इस प्रकार परिवादी  संस्‍था एक भूखण्‍ड की कीमत अदा करके दो भूखण्‍ड प्राप्‍त करना चाहता है मात्र इसी आधार पर परिवाद खारिज होने योग्‍य है। परिवादी ने विभाग को कई प्रार्थना पत्र लिखकर  यह अवगत कराया कि आवंटित भूखण्‍ड पर अवैध निर्माण है। परिवादी ने इस तथ्‍य को छुपाया है, इसी आधार पर परिवाद निरस्‍त होने योग्‍य है। परिवाद में जो विवाद दर्शाया गया है वह उपभोक्‍ता विवाद नहीं है।

      इस सम्‍बन्‍ध में जिला उपभोक्‍ता फोरम के निर्णय/आदेश दिनांक 07-05-2004 का अवलोकन किया गया तथा अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री वी0पी0 शर्मा तथा प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री एन0सी0 उपाध्‍याय, की बहस सुनी गई तथा अपील आधार  व उभय पक्षों द्वारा दाखिल लिखित बहस का अवलोकन किया गया।

      जिला उपभोक्‍ता फोरम के द्वारा निम्‍न आदेश पारित किया गया है:-

 

(3)

      “परिवादी का उपभोक्‍ता वाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी द्वारा सभी किश्‍तें निर्धारित अवधि में जमा कर दी गई है। उसके पक्ष में भूखण्‍ड का हस्‍तांरण विलेख निस्‍पादित करें और कब्‍जा तथा 3.5 प्रतिशत छूट प्रदान करें। यदि उस भूखण्‍ड पर किसी का अनाधिकृत कब्‍जा है तो वैकल्पिक भूखण्‍ड निर्णय के तीन माह के अन्‍दर उपलब्‍ध करावें।”

      अपील आधार में अपीलकर्ता द्वारा कहा गया है कि वादी ने भूखण्‍ड की पूरी कीमत 9,71,850-00 रूपये स्‍वीकृत शर्तो के अधीन किया, लेकिन प्रत्‍यर्थी ने प्‍लाट सं0-एस-1 जरौली स्‍कीम का कब्‍जा अपीलकर्ता को नहीं दे पाये और इसीलिए अपीलकर्ता ने उससे ब्‍याज उक्‍त रकम पर पाने का अधिकारी है। जिला उपभोक्‍ता फोरम ने अपीलकर्ता/परिवादी का परिवाद स्‍वीकार किया है, लेकिन उसमें कोई ब्‍याज जमा की गई रकम पर नहीं दिलाया है और परिवादी ने तीन लाख रूपये हर्जाना भी मांगा है और देरी से कब्‍जा दिये जाने के कारण निर्माण लागत बढ़ गई है।

      केस के तथ्‍यों परिस्थितियों को देखते हुए व अपील आधार को देखते हुए हम यह पाते हैं कि जिला उपभोक्‍ता फोरम ने जो निर्णय/आदेश पारित किया है, वह विधिसम्‍मत् है, उसमें बढ़ोत्‍तरी किये जाने का कोई उचित आधार नहीं है और हम यह पाते हैं कि अपीलकर्ता की अपील खारिज किये जाने योग्‍य है।    

आदेश

        अपीलकर्ता की अपील खारिज की जाती है।

      उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वयं वहन करेंगे।

 

   (आर0सी0 चौधरी)                                    ( राज कमल गुप्‍ता)

    पीठासीन सदस्‍य                                          सदस्‍य,

आर.सी.वर्मा, आशु.

 कोर्ट नं0-3

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta]
MEMBER

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