(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयो ग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1218/2003
(जिला उपभोक्ता आयोग, द्वितीय लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या-351/2001 में पारित निणय/आदेश दिनांक 20.2.2003 के विरूद्ध)
स्टॉक एक्सचेंज, मुम्बई फिरोजपुर, जीजीभोई टावर्स, डलाल स्ट्रीट, मुम्बई।
अपीलार्थी/विपक्षी सं0-6
बनाम
के.सी. केसरवानी पुत्र श्री राम गोपाल, निवासी 2-ए, सर्वपल्ली माल एवेन्यू, लखनऊ, यू.पी. तथा छ: अन्य।
प्रत्यर्थीगण/परिवादिनी/विपक्षी सं0-1 त 5, 7
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आफताब मंसूर।
प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित : श्री एम.एच. खान।
शेष प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 18.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-351/2001, के.सी. केसरवानी बनाम मैसर्स सेन्चुरी कंसलटेंट लि0 तथा छ: अन्य में विद्वान जिला आयोग, द्वितीय लखनऊ द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 20.2.2003 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी तथा प्रत्यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया। शेष प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी सं0-1 त 4, 6 व 7 के विरूद्ध यह आदेश पारित किया है कि परिवादी द्वारा जमा की गई राशि अंकन 2,00,000/-रू0 (दो लाख रूपये) का भुगतान 9 प्रतिशत ब्याज के साथ किया जाए तथा परिवाद विपक्षी सं0-5 के विरूद्ध खारिज किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार बदला योजना के अंतर्गत अंकन 1-1 लाख रूपये के दो चेक देकर अंकन 2 लाख रूपये की रसीद प्राप्त की थी। विपक्षी सं0-1 ने इस जमा राशि का ब्याज/लाभ फरवरी 2001 तक दिया गया, इसके बाद परिवादी को ज्ञात हुआ कि विपक्षी सं0-1 की कंपनी अचानक गायब हो गई है, जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 29.3.2001 को दर्ज कराई गई, परन्तु कभी भी परिवादी को अपना धन प्राप्त नहीं हुआ, इसलिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया।
4. विपक्षी सं0-5 ने अपने लिखित कथन में उल्लेख किया है कि वह इस कंपनी का निदेशक नहीं है, अपितु कर्मचारी है, जिसका कंपनी के वित्तीय कार्यों से कोई संबंध नहीं है।
5. विपक्षी सं0-6 द्वारा यह कथन किया गया कि स्टॉक एक्सचेंज केवल अपने सदस्यों के कार्य-कलापों के संबंध में कार्यवाही करता है। परिवादी ने बदला योजना के अंतर्गत पैसा जमा किया है, इसलिए विपक्षी सं0-6, स्टॉक एक्सचेंज जिम्मेदार नहीं है। यद्यपि विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध कार्यवाही करने का कथन भी किया गया है। अन्य विपक्षियों के विरूद्ध एकतरफा सुनवाई के पश्चात विद्वान जिला आयोग ने उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।
6. इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध अपील केवल विपक्षी सं0-6, स्टॉक एक्सचेंज मुम्बई द्वारा प्रस्तुत की गई है। अपील के ज्ञापन तथा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के मौखिक तर्कों का सार यह है कि परिवादी ने बदला योजना के अंतर्गत धनराशि जमा की है, इसलिए स्टॉक एक्सचेंज इस राशि की अदायगी के लिए उत्तरदायी नहीं है। परिवाद पत्र के अवलोकन से ज्ञात होता है कि विपक्षी सं0-6 स्टॉक एक्सचेंज बाम्बे के विरूद्ध किसी प्रकार का वादकारण उत्पन्न होना दर्शित नहीं किया गया है। विपक्षी सं0-6 का परिवादी के प्रति क्या दायित्व बनता है, इसका भी कोई उल्लेख परिवाद पत्र में नहीं किया गया है।
7. प्रत्यर्थी सं0-1/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि बदला योजना बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज के सदस्य मैसर्स सेन्चुरी कंसलटेंट लि0 द्वारा स्टॉक एक्सचेंज की गारण्टी के तहत जारी की गई थी, इसलिए बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज विफलता में उत्तरदायी है, जिनके पास 350 करोड़ रूपये का फण्ड है, इसी गारण्टी से प्रभावित होकर परिवादी द्वारा धन जमा किया गया, इसलिए बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज इसके लिए उत्तरदायी है, परन्तु जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है कि परिवाद पत्र में विपक्षी सं0-6 का नाम उनमान में अवश्य अंकित है, परन्तु सम्पूर्ण परिवाद पत्र में विपक्षी सं0-6 का कोई दायित्व वर्णित नहीं किया गया है, इसलिए जब अभिवचनों में विपक्षी सं0-6 का दायित्व वर्णित नहीं किया गया हो तब इस संबंध में मौखिक बहस करने का कोई वैधानिक औचित्य नहीं है। अत: जिस विपक्षी के संबंध में कोई दायित्व परिवाद पत्र में ही वर्णित नहीं किए गए, उस विपक्षी के विरूद्ध पारित निर्णय/आदेश विधि विरूद्ध है। अत: यह अपील विपक्षी सं0-6 के संबंध में स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
8. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 20.02.2003 इस प्रकार संशोधित किया जाता है कि परिवादी द्वारा जमा राशि के भुगतान के लिए विपक्षी सं0-6/अपीलार्थी उत्तरदायी नहीं है। यद्यपि शेष निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2