सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-2099/2013
(जिला उपभोक्ता फोरम, फिरोजाबाद द्वारा परिवाद संख्या-142/2011 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 21.11.2011 के विरूद्ध)
1. भारत संचार निगम लिमिटेड, द्वारा एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, शिकोहाबाद, जिला फिरोजाबाद।
2. जनरल मेनेरज, भारत संचार निगम लिमिटेड, मैनपुरी।
अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम्
के0सी0 अग्रवाल उर्फ कैलाश चन्द्र अग्रवाल पुत्र श्री यू0सी0 अग्रवाल, निवासी 115ए/7, भगवानपुरम (मेहरा कालोनी) शिकोहाबाद, जिला फिरोजाबाद।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री राज कमल गुप्ता, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री महेश चंद, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : सुश्री अनीता अग्रवाल के सहयोगी श्री विशाल
अग्रवाल, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 30.10.2018
मा0 श्री महेश चंद, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील, जिला उपभोक्ता फोरम, फिरोजाबाद द्वारा परिवाद संख्या-142/2011, के0सी0 अग्रवाल बनाम भारत संचार निगम लिमिटेड में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 21.11.2011 के विरूद्ध विपक्षीगण/अपीलार्थीगण की ओर से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के अन्तर्गत दायर की गयी है।
संक्षेप में विवाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी संख्या-1 के कार्यालय में अपने घरेलू प्रयोग हेतु टेलीफोन कनेक्शन के लिए आवेदन किया था, जिसके लिए परिवादी ने विपक्षी संख्या-1 की सभी आवश्यक औपचारिकतायें पूर्ण कर वांछित दो हजार रूपये की जमानत राशि (सेक्योरिटी धनराशि) विपक्षी संख्या-1 के कार्यालय में जमा कर दी थी तथा विपक्षी संख्या-1 द्वारा परिवादी को टेलीफोन कनेक्शन दिनांक 27.02.2000 को नं0-237329 आवंटित किया गया था। परिवादी उक्त टेलीफोन कनेक्शन का भुगतान नियमानुसार करता रहा। परिवादी द्वारा अपने टेलीफोन काटने के प्रार्थना पत्र के साथ दिनांक 16.07.2007 को ही टेलीफोन उपकरण विपक्षी संख्या-1 के कार्यालय में जमा कर दिया था, किन्तु विपक्षीगण द्वारा परिवादी के टेलीफोन कनेक्शन के समय जमा की गयी सेक्योरिटी धनराशि रू0 2,000/- वापस नहीं की गयी, जिससे क्षुब्ध होकर प्रत्यर्थी/परिवादी ने एक परिवाद जिला उपभोक्ता फोरम, फिरोजाबाद के समक्ष प्रस्तुत किया।
विद्वान जिला फोरम ने उभय पक्ष के द्वारा प्रस्तुत किये गये साक्ष्यों तथा पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने के उपरान्त निम्नलिखित आदेश पारित किया :-
‘’ परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। परिवाद के दौरान जमानत की धनराशि का भुगतान चेक द्वारा हो गया है। परिवादी विपक्षीगण से रू0 1000/- क्षतिपूर्ति के रूप में तथा रू0 5,00/- परिवाद व्यय के रूप में लिये पोन का अधिकारी है। विपक्षीगण तीस दिन के अन्दर उक्त धनराशि का भुगतान परिवादी को करे। ‘’
उपरोक्त आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी द्वारा यह अपील दायर की गयी है। अपील में मुख्य आधार यह लिया गया है कि जिला फोरम को प्रश्नगत परिवाद सुनने का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं था। अपील में यह भी आधार लिया गया है कि इस प्रकरण में यदि विवाद था तो वह इण्डियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 की धारा-7-बी के अन्तर्गत आर्वीट्रेटर को संदर्भित कर देना चाहिए था। विद्धान जिला फोरम ने इस तथ्य पर भी ध्यान नहीं दिया कि अपीलार्थी ने रू0 86/- की कटौती के उपरांत रू0 1354/- की धनराशि प्राप्त करने के लिए दिनांक 13-01-2009 को परिवादी को सूचित किया था किन्तु वह उपस्थित नहीं हुआ। बल्कि यह चेक जिला फोरम के समक्ष परिवाद के लम्बित रहने के दौरान दिया गया जो स्वीकार कर लिया। चूंकि प्रश्नगत जमानत राशि का भुगतान हो चुका था अत: परिवाद में प्रश्नगत आदेश पारित का कोई औचित्य नहीं था तथा परिवादी खारिज होने योग्य था, किन्तु प्रश्नगत आदेश पारित कर विद्धान जिला फोरम ने त्रुटि की है। अपील में अपील स्वीकार करने तथा प्रश्नगत आदेश निरस्त करने की प्रार्थना की गयी है।
यह अपील सुनवाई हेतु पीठ के समक्ष प्रस्तुत हुई। अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री विशाल अग्रवाल उपस्थित हुए। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्कों को सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि परिवाद के लम्बित रहने के दौरान ही अपीलार्थी द्वारा परिवादी की वांछित जमानत राशि का भुगतान कर दिया गया तथा परिवादी ने उसे प्राप्त कर लिया। परिवादी को वांछित अनुतोष प्राप्त हो चुका था। विद्धान जिला फोरम द्वारा क्षतिपूर्ति रू0 1,000/- तथा वाद व्यय रू0 500/- अधिरोपित करने का कोई औचित्य नहीं था। अपीलार्थी की अपील में बल है तथा स्वीकार करने योग्य है तथा प्रश्नगत आदेश अपास्त होने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। प्रश्नगत आदेश निरस्त किया जाता है।
उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
पक्षकारान को इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध कर दी जाए।
(राज कमल गुप्ता) (महेश चंद)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-3