Rajasthan

Ajmer

CC/29/2015

ARVINDRA BAROLIYA - Complainant(s)

Versus

JYOTICA MOBILE - Opp.Party(s)

ADV. OMPRAKASH

24 May 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/29/2015
 
1. ARVINDRA BAROLIYA
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. JYOTICA MOBILE
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

श्री अरविन्द बारोलिया  वयस्क पुत्र श्री सोहन लाल जी बारोलिया, जाति- रैगर, निवासी- मानगंज, गौषाला, मसूदा रोड, ब्यावर, जिला-अजमेर (राजस्थान)

                                                -         प्रार्थी


                            बनाम

1. मालिक /  मैनेजर, मैसर्स ज्योतिका मोबाईल एण्ड इलेक्ट्रोनिक्स, 2 मंगल प्लाजा, चांग गेट, ब्यावर, जिला-अजमेर (राजस्थान)
2. मैसर्स एचसीएल इन्फोसिस्टम लिमिटेड जरिए मालिक/प्रबन्धक, डी- 233, सेक्टर-63, नोएडा-201301
3. अराफात टेलीकाॅम( एचसीएल सर्विस सेन्टर) जरिए मालिक/प्रबन्धक, एफ-5, फस्र्ट फलोर, अमर प्लाजा, अजमेर, जिला-अजमेर (राजस्थान)
 
                                                -       अप्रार्थीगण
 
                 परिवाद संख्या 29/2015  

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री ओम प्रकाष बारोलिया, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्रीति दिव्या जोषी, अधिवक्ता, अप्रार्थी सं.1
                  3. अप्रार्थी सं. 2  व 3  की ओर से कोई उपस्थित नहीं  

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 24.05.2016
 
 1.          प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार  हंै कि  उसने अप्रार्थी संख्या 1 से एचसीएल कम्पनी का डम् ज्।ठस्म्ज् ब्वददमबज 2ळ 2ण्0श् जरिए बिल संख्या 7986 दिनंाक 26.10.2013 को राषि रू. 7900/- में क्रय किया । क्रय किए जाने के कुछ दिन बाद ही उक्त टेबलेट की टच स्क्रीन कभी काम करती और कभी नहीं करती थी । इसकी  षिकायत अप्रार्थी संख्या 1 से की गई । अप्रार्थी द्वारा टेबलेट अपने पास रखते हुए एक सप्ताह बाद आने को कहा  गया । प्रार्थी द्वारा बार बार जाने पर अन्त में अप्रार्थी संख्या 1 ने बताया कि टेबलेट ठीक नहीं हो सकता  । इस पर उसने  अप्रार्थी संख्या 2को  ई-मेल से षिकायत की, तो उन्होने अप्रार्थी संख्या 3 सर्विस सेन्टर  पर उक्त टेबलेट को दिखाया।  जिन्हांेने  25 दिन बाद आने को कहा । प्रार्थी नियत तिथि को अप्रार्थी संख्या- 3 के पास गया, तो उन्होने टेबलेट ठीक करके देने का आष्वासन दिया ।  किन्तु आदिनांक तक भी प्रष्नगत् टेबलेट ठीक करके नहीं दिया है । उक्त टेबलेट दिसम्बर, 2013 से अप्रार्थी संख्या 3 के यहां पड़ा हुआ है । प्रार्थी ने इसे अप्रार्थीगण की सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । 
2.    अप्रार्थी संख्या 1 ने जवाब प्रस्तुत करते हुए  प्रार्थी द्वारा प्रष्नगत टेबलेट क्रए किए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए कथन किया है कि  प्रार्थी द्वारा टेबलेट के संबंध में षिकायत किए जाने पर उसे सलाह दी गई थी कि वह टेबलेट उसे सौंप दे ताकि वह  सर्विस सेन्टर पर दुरूस्त करवाने हेतु भिजवा सके और प्रार्थी स्वयं चाहे तो सर्विस सेन्टर को भी प्रष्नगत टेबलेट भिजवा सकता है। किन्तु प्रार्थी ने टेबलेट उसे नहीं दिया  बल्कि स्वयं ने ही टेबलेट अप्रार्थी संख्या 3 सर्विस सेन्टर पर भिजवाया है ।  
    उत्तरदाता ने अपने अतिरिक्त कथन में दर्षाया है कि वह केवल मात्र  मोबाईल व टेबलेट विक्रय का कार्य करता है । षेष तमाम दायित्वों की जिम्मेदारी अप्रार्थी संख्या 2 व 3 की है । प्रार्थी जब टेबलेट लेकर आया था तब उसने उसे चला कर देखा था । टेबलेट का टच स्क्रीन कभी कार्य करता था और कभी कार्य नहीं करता था ।  अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है ।  
3.          अप्रार्थी  संख्या 2 व 3 बावजूद नोटिस तामील न तो मंच में उपस्थित हुए और ना ही परिवाद का कोई जवाब ही पेष किया । अतः अप्रार्थी  संख्या 2 व 3 के विरूद्व दिनांक 18.3.2016  को एक पक्षीय कार्यवाही अमल में लाई गई । 
4.          प्रार्थी  की ओर से तर्क प्रस्तुत किया गया है कि उसके द्वारा प्रष्नगत टेबलेट खरीदने के कुछ दिन पष्चात् ही  उसमें खराबी होने के कारण इसे अप्रार्थी संख्या 1 डीलर से सुधरवाने के लिए सम्पर्क किया गया । उसके द्वारा सर्विस सेन्टर में इसे ठीक करवाने हेतु दिया गया ।  किन्तु लगातार सम्पर्क किए जाने के बाद भी उक्त टेबलेट ठीके करके नहीं दिया गया व टालमटोल की गई । यह टेबलेट  अभी तक  सर्विस सेन्टर के पास पड़ा हुआ है व इसको ठीक करके न तो दिया गया और ना ही बदला गया है । वारण्टी अवधि में अप्रार्थीगण की यह कार्यवाही सेवा में दोष का परिचायक है । प्रार्थी को हुए मानसिक कष्ट व षारीरिक वेदना व आर्थिक नुकसान के कारण वांछित अनुतोष दिलाया जाना न्यायोचित है । 
5.    अप्रार्थी संख्या 1 की ओर से  बहस है कि प्रार्थी द्वारा टेबलेट  टेबलेट खरीद किए जाने से कोई इन्कारी नहीं है । किन्तु  षिकायत की बात को स्वीकार करते हुए तर्क प्रस्तुत  किया गया है कि प्रार्थी को सलाह दी गई थी कि वह उक्त टेबलेट को अप्रार्थी संख्या - 1 डीलर के पास सौंपें ताकि दुरूस्त करवाने हेतु अप्रार्थी संख्या 3 सर्विस  सेन्टर को  भिजवाया जा सके ।  उनका यह भी तर्क है कि  वह तो मात्र मोबाईल व टेबलेट विक्रय का कार्य करता है तथा ष्षेष  तमाम उत्तरदायित्व  के लिए अप्रार्थी संख्या- 2 निर्माता  व 3 सर्विस सेन्टर  जिम्मेदार है । 
6.    हमने परस्पर तर्क सुने हंै एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का अवलोकन कर लिया है । 
7.    स्वीकृत रूप से प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी संख्या 1 डीलर से प्रष्नगत टेबलेट दिनंाक 26.10.2013 को रू. 7900/- में खरीद किया गया था । अप्रार्थी संख्या 1 के परिवाद का उत्तर दिए जाने से यह भी स्वीकृत स्थिति है कि उक्त टेबलेट में खराबी  आने पर अप्रार्थी संख्या 1 के पास प्रार्थी टेबलेट लेकर गया था तथा  उसमें षिकायत होना बताते हुए मौके पर अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा टेबलेट को चला कर देखा तो पाया कि  उसकी टच स्क्रीन कभी काम करती है  तथा कभी काम नहीं करती  थी ।  इसका तात्पर्य यह हुआ कि उक्त प्रष्नगत टेबलेट  क्रय किए जाने के कुछ ही दिनों बाद एक वर्ष की वारण्टी अवधि के अन्दर खराब हुआ तथा उसमें टच स्क्रीन  में किसी प्रकार की कोई खराबी आई  थी। जिसे अप्रार्थी संख्या 1 ने चला कर देखा व महसूस किया । 
8.    अब प्रष्न यह है कि क्या उक्त खराबी दुरूस्त की गई ?
9.    यह भी स्वीकृत स्थिति सामने आई कि प्रार्थी द्वारा उक्त प्रष्नगत टेबलेट  अप्रार्थी संख्या 3 सर्विस सेन्टर के यहां सौंपा गया था । इस तथ्य की पुष्टि  उनके सर्विस आर्डर दिनांक 7.6.2014 से भलीभांति होती है । पत्रावली में उपलब्ध ई-मेल के पत्राचार  से यह भी स्पष्ट है कि दिनंाक 7.6.2014 को उक्त टेबलेट सर्विस सेन्टर पर दिए जाने के बाद इसे ठीक कर प्रार्थी को  लौटाया नहीं गया है । फलस्वरूप अप्रार्थी संख्या 2 का यह कृत्य सेवा में कमी का परिचायक है । सार यह है कि परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है । अतः आदेष है कि 
                      :ः- आदेष:ः-
10.        (1)    प्रार्थी अप्रार्थी संख्या 2  टेबलेट निर्माता कम्पनी से उसके द्वारा जरिए बिल संख्या 7986 दिनांक 26.10.2013 के क्रए किए गए प्रष्नगत टेबलेट की क्रय राषि रू. 7900/- मय 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर सहित दिनांक 07.06.2014 से ताअदायगी  प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
            2)       प्रार्थी अप्रार्थी संख्या 2  से मानसिक क्षतिपूर्ति के पेटे रू. 5000/- एवं परिवाद व्यय के पेटे रू. 2500/- भी प्राप्त करने का  भी अधिकारी होगा । 
              (3)    क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी संख्या 2 प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।  
          आदेष दिनांक 24.05.2016  को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

                
(नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    
           

             
 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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