Uttar Pradesh

StateCommission

A/2002/740

Vidyut Metallics Ltd. - Complainant(s)

Versus

Jyoti Prasad - Opp.Party(s)

Arun Tandan

27 Apr 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2002/740
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Vidyut Metallics Ltd.
Maharashtra
...........Appellant(s)
Versus
1. Jyoti Prasad
Agra
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या-740/2002

(सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, प्रथम आगरा द्वारा परिवाद संख्‍या- 322/1996 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 09-08-2001 के विरूद्ध)        

विद्युत मैटलिक्‍स  लिमिटेड वागले इन्‍डस्‍ट्रियल एस्‍टेट थाने महाराष्‍ट्रा, द्वारा मैनेजर।

                                             .अपीलार्थी/विपक्षी             

  बनाम

  1. ज्‍योति प्रसाद पुत्र पुरूषोत्‍तम शर्मा, निवासी- 317, सेक्‍टर-4, ट्रॉसपोर्ट  नगर, आगरा।
  2. सतीश कुमार एण्‍ड कम्‍पनी कुन्‍टा बाजार, आगरा, द्वारा श्री सुनील कुमार पार्टनर।     

                                     ..प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण

समक्ष:-

1-माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्‍य।

2-माननीय श्री राज कमल गुप्‍ता, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री अरूण टण्‍डन, विद्वान अधिवक्‍ता

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित  :  कोई नहीं।

दिनांक- 29-07-2015

माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्‍य, द्वारा उदघोषित

निर्णय

     अपीलकर्ता ने यह अपील जिला उपभोक्‍ता फोरम, प्रथम आगरा द्वारा परिवाद संख्‍या- 322/1996 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 09-08-2001 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई है, जिसमें जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा यह आदेश पारित किया गया है कि विपक्षी मेटाडोर 305 परिवादी को दे और एक हजार रूपये मानसिक, शारीरिक कष्‍ट के लिए क्षतिपूर्ति भी अदा करें करें और 12 प्रतिशत  ब्‍याज भी उक्‍त रकम पर अदा करें। उक्‍त आदेश में यह आदेश किया गया है कि परिवादी को निर्देशित किया जाता है कि सुपर मैक्‍स ब्‍लेड का रैपर एवं पैकेट विपक्षी के समक्ष प्रस्‍तुत करें।

      संक्षेप में केस के तथ्‍य इस प्रकार से हैं कि परिवादी ने परिवाद पत्र में कहा है कि विपक्षी सं0-1 कम्‍पनी है और बहुत सी वस्‍तुओं का उत्‍पादन करती है। वह सुपर मैक्‍स ब्‍लेड का भी उत्‍पादन करती है। परिवादी सुपर मैक्‍स ब्‍लेड का उपभोक्‍ता है। विपक्षी ने उक्‍त उत्‍पादन के समुचित प्रचार के लिए सुपर मैक्‍स पैकेट के साथ कुछ इनाम रखे और इन इनामों के कूपन इस ब्‍लेड के पै‍केट के साथ थे, जिसमें विभिन्‍न प्रकार के इनाम थे।

(2)

परिवादी ने इस ब्‍लेड का एक पैकेट माह सितम्‍बर 1995 में खरीदा और खोलने पर उसमें एक कूपन निकला, जिसमें इनाम के रूप में एक मैटाडोर विपक्षी द्वारा दिया जाना था। वह उक्‍त पैकेट मुन्‍नालाल की दुकान से खरीदा था। मुन्‍नालाल खोखे में दुकान करते थे। यह भी कहा गया है कि कूपन को लेकर परिवादी ने विपक्षी के स्‍थानीय वितरक विपक्षी सं0-2 से बात की तो उसने इनाम दिलाने के सम्‍बन्‍ध में कोई संतोषजनक उत्‍तर नहीं दिया। परिवादी ने अपने अधिवक्‍ता द्वारा एक नोटिस दिनांक 12-12-1995 को विपक्षी को दिलवाया, जो विपक्षी को प्राप्‍त हुआ, लेकिन उसका कोई उत्‍तर नहीं दिया। परिवादी ने पुन:  नोटिस दिनांक 23-01-1996 , 23-02-1996 विपक्षी के पास भेजा, लेकिन विपक्षी ने आज तक कोई उत्‍तर नहीं दिया। अत: परिवादी को विपक्षी से कूपन के अनुपालन में मैटाडोर दिलाये जाने हेतु डिक्री किया जावे।

      जिला उपभोक्‍ता फोरम के समक्ष प्रतिवादी सं0-1 ने प्रतिवाद पत्र दाखिल किया था, जिसमें कहा गया है कि इस बात से इंकार है कि प्रतिवादी सुपर मैक्‍स ब्‍लेड का विक्रेता है और इस बात से भी इंकार किया जाता है कि विपक्षी सं0-2 कम्‍पनी का डीलर है। विपक्षी सं0-1 ने कभी भी ऐसी स्‍कीम के सम्‍बन्‍ध में प्रकाशित नहीं किया और कोई कूपन किसी ब्‍लेड में नहीं डाला। कूपन पर आधारित बिल गलत है और झूठा आधार बनाने के लिए ऐसा किया गया है। इस प्रकार का ब्‍लेड पैकेट विपक्षी सं0-1 के द्वारा नहीं बेचा गया है और न ही मुन्‍नालाल को ऐसा पैकेट सप्‍लाई किया है। प्रतिवाद पत्र में परिवाद के सारे कथनों को इंकार किया गया है।

      इस सम्‍बन्‍ध में जिला उपभोक्‍ता फोरम के निर्णय/आदेश दिनांकित 09-08-2001 का भी अवलोकन किया गया। अपील के आधार का भी अवलोकन किया गया, जिसमें यह कहा गया है कि अपीलकर्ता ने इस प्रकार का कोई स्‍कीम न तो प्रकाशित किया और न घोषित किया और वादी ने मूल रैपर की फोटो कापी जो जाली बनाया गया है, उसको पेश नहीं किया गया। फोटो कापी साक्ष्‍य में शामिल नहीं है और जिला उपभोक्‍ता फोरम के निर्णय आने तक परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने मूल रैपर फोरम के समक्ष दाखिल नहीं किया था और जिला उपभोक्‍ता फोरम ने जो निर्णय पारित किया है, उसमें ब्‍लेड के पैकेट की मूल रैपर को अपीलकर्ता को देने के लिए कहा गया था और इस प्रकार का निर्णय विधि सम्‍मत् नहीं है और परिवादी द्वारा मूल रैपर अन्तिम सुनवाई तक दाखिल नहीं किया गया है और इस प्रकार से जिला उपभोक्‍ता फोरम ने जल्‍दबाजी में इस प्रकार का निर्णय

(3)

पारित कर दिया है। यह भी कहा गया है कि काउन्‍टर शपथ पत्र दिनांक 26-12-2000 अपीलकर्ता द्वारा जब दाखिल किया गया उसके बाद प्रतिवादी गैर हाजिर हो गया, जिसके आदेश पत्र की प्रमाणित प्रतिलिपि  दिनांक 05-06-1996 से 09-08-2001 अपील अपील आधार के साथ दाखिल किये गये है, जिससे स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी बहस की तिथि पर भी उपस्थित नहीं रहा था और उसने कोई बहस भी नहीं किया और जो रूलिंग अपीलकर्ता द्वारा शपथ पत्र में दिये गये थे, जो काउन्‍टर शपथ पत्र था, उसे इंकार नहीं किया जा सकता था। अपीलकर्ता द्वारा जो काउन्‍टर शपथ पत्र दिया गया था, उसे सही माना जाय और अपीलकर्ता की अपील स्‍वीकार की जाय।

      अपीलकर्ता के तरफ से रूलिंग । (2003) सी.पी.जे. 26 (एन.सी.) पंजाब बैकवर्ड क्‍लासेज लैंड डेव्‍लपमेंट एण्‍ड फाइनेंस कारपोरेशन बनाम कुलबीर सिंह एवं अन्‍य दाखिल किया, जिसमें कहा गया है कि:-

      Consumer Protection Act, 1986—Section 21- Consumer  Dispute- Photocopier machines for complainants purchased- Invice issued in financier’s name who won Ceilo car in lottery- State Commission held, complainants entitled to car as purchaser of machine – Hence  appeal – No Consumer dispute involve – order set aside.

      इस प्रकार से उपरोक्‍त तथ्‍यों से यह स्‍पष्‍ट है कि निर्णय में जिला उपभोक्‍ता फोरम ने स्‍वयं प‍रिवादी को अपने आदेश में निर्देश दिया है कि ब्‍लेड के पैकेट के रैपर को मूल रूप से विपक्षी को दें, लेकिन परिवादी द्वारा ऐसा नहीं  किया गया और अपील के आधार में भी इसी बात पर जोर दिया गया है और माननीय राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता आयोग के उपरोक्‍त रूलिंग को दृष्टिगत रखते हुए इस प्रकार की इनामी योजना में मैटाडोर दिलाये जाने का जो आदेश जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा किया गया है, वह विधि सम्‍मत् नहीं है, वह निरस्‍त किये जाने योग्‍य है। अपीलकर्ता की अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

 

 

(4)

आदेश

      अपीलकर्ता की अपील स्‍वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्‍ता फोरम, प्रथम आगरा द्वारा परिवाद संख्‍या- 322/1996 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 09-08-2001 को निरस्‍त किया जाता है।

      उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वयं वहन करें।

 

 (राम चरन चौधरी)                      ( राज कमल गुप्‍ता )

  पीठासीन सदस्‍य                            सदस्‍य

आर.सी. वर्मा, आशु.

कोर्ट नं0-5

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta]
MEMBER

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