Rajasthan

Jaipur-I

562/2008

SYOCHAND - Complainant(s)

Versus

JVVNL - Opp.Party(s)

PURUSHOTAM SHARMA

05 Jun 2014

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर

ंजिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर

समक्ष:    श्री राकेश कुमार माथुर - अध्यक्ष
          श्रीमती सीमा शर्मा - सदस्य
          श्री ओमप्रकाश राजौरिया - सदस्य

परिवाद सॅंख्या: 562/2008
श्योचन्द रामकुमार पुत्र श्री प्रताप यादव, जाति यादव, निवासी रामनाथपुरी, गोकूलपुरा, तहसील व जिला जयपुर (राज0)

                                              परिवादी
               ं     बनाम

1.    अधिशाषी अभियंता (सी.डी.सप्तम) जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, रोड नं. 5, विश्वकर्मा, सीकर रोड़, जयपुर Û
2.    अधीक्षण अभियन्ता (जी-4) जयपुर विद्युत वितरण निगम लि0, झोटवाड़ा, जयपुर Û
3.    सहायक अभियन्ता (जी-4) झोटवाडा, जयपुर विद्युत वितरण निगम लि0 झोटवाड़ा, जयपुर Û
              विपक्षी
अधिवक्तागण :-
श्री बृजेश कुमार शर्मा - परिवादी
सरिता शर्मा - विपक्षी निगम
                             परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक: 26.05.08

                       आदेश     दिनांक: 18.03.2015

परिवाद में अंकित तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने कृषि कार्य हेतु 10 एच.पी. का विद्युत कनेक्शन ले रखा था जिसको परिवादी के प्रार्थना-पत्र के आधार पर 5 एच.पी. का कर दिया गया और प्रथम बिल 08.07.2007 को जारी किया गया । परिवादी का कथन है कि निरीक्षण किए बिना दिनांक 10.09.2007 को एक वी.सी.आर. 17500/- रूपए की भर दी गई और परिवादी को राशि जमा करवाने के आदेश दिए गए ।  परिवादी के कनेक्शन को 5 एच. पी. के स्थान पर 10 एच.पी. का माना गया । विपक्षी के कार्यालय में सम्पर्क किया तो कहा गया कि एक बार राशि जमा करवाओ तथा समझोता समिति के अन्तर्गत प्रार्थना पत्र पेश करने पर आगे राशि को बिलों में समयोजित कर दिया जाएगा परन्तु आगे केे बिलों में राशि को समयोजित नहीं किया और 10 एच.पी. का ही बिल जारी करना प्रारम्भ कर दिया । अधीक्षण अभियंता के कार्यालय में प्रार्थना-पत्र दिनांक 09.01.2008 को वी.सी.आर. गलत भरने व 17500/- रूपए की राशि समझौता समिति में फैसला कर व विद्युत कनेक्शन को 5 एच.पी. का यथावत रखने के सम्बन्ध में दिया परन्तु उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई । दिनांक 10.04.2008 को काूननी नोटिस भी भिजवाया परन्तु उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई । परिवादी का कथन है कि विपक्षी के कृत्य से उसे आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक परेशानियां हुई हैं जो सेवादोष व अनुचित व्यापार की श्रेणी में आती है । परिवादी ने वी.सी.आर. की राशि 17500/- रूपए 18 प्रतिशत ब्याज सहित दिलवाने, 5 एच.पी. के स्थान पर 10 एच.पी. के हिसाब से प्राप्त की गई बिलों की राशि वापिस दिलाकर बिलों में संशोधन किया जावे, 5 एच.पी. का कनेक्शन जारी करने का आदेश दिया जावे, मानसिक व शारीरिक क्षति हेतु 50,000/- रूपए, परिवाद खर्च व वकील फीस के 15000/- रूपए दिलवाए जावें ।
विपक्षीगण की ओर से इस आशय का जवाब प्रस्तुत किया गया है कि 5 हार्स पावर का विद्युत सम्बन्ध जारी करते समय सलाह दी गई थी कि कृषि आबादी में 24 घंटे विद्युत सप्लाई है इसलिए मीटर लगाने की सलाह दी गई परन्तु परिवादी ने मीटर लगाने ही नहीं दिया । परिवादी का विद्युत सम्बन्ध दिनांक 24.07.2007 को कनिष्ठ अभियंता द्वारा चैक किया गया तो मीटर के एम्पीयर 15.6 परिवादी के सामने मापे गये तदनुसार मोटर 10 हार्स पावर की है इसलिए वी सी आर नंबर 3728/44 दिनांक 24.07.2007 को 3.50 पी.एम. पर तैयार की गई और 17500/- रूपए जमा करवाने के लिए कहा गया । विपक्षी की ओर से परिवाद खारिज किए जाने का निवेदन किया गया है ।
मंच द्वारा दोनों पक्षों की बहस सुनी गई एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया । 
परिवादी ने वी.सी.आर. की राशि 17500/- रूपए दिलवाने के लिए परिवाद दायर किया है । विपक्षी की ओर से यह कहा गया है कि परिवादी से जिस राशि की मांग की जा रही है वह सतर्कता जांच दल के प्रतिवेदन क्रमांक 3728/44 दिनंाक 24.07.2007 के आधार पर की जा रही है तथा ऐसी स्थिति में माननीय उच्चतम न्यायालय के निणर्य 2013 (2)ॅस्ब् ;ै ब्द्ध सिविल 272 यू.पी.पावर काॅरपोरेशन लि0 एण्ड अदर्स बनाम अनिस अहमद के तहत ऐसे परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार इस मंच को प्राप्त नहीं है तथा ऐसे मामले विद्युत अधिनियम 2003 के तहत गठित विशिष्ठ न्यायालय ही सुन सकते हैं ।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी के विरूद्ध विद्युत वितरण निगम के सतर्कता जांच दल ने जांच कर के परिवादी की ओर राशि निकाली है जिसकी मांग की गई थी । माननीय उच्चतम न्यायालय का निणर्य 2013 (2)ॅस्ब् ;ै ब्द्ध सिविल 272 यू.पी.पावर काॅरपोरेशन लि0 एण्ड अदर्स बनाम अनिस अहमद में निर्धारित कानूनी सिद्धान्त के अनुसार जहां पर परिवादी के विरूद्ध सतर्कता जांच दल द्वारा जांच करके बकाया निकाली गई है वहांॅ पर उपभोक्ता मंच को सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है । यदि वी.सी.आर. गलत भरी गई है तो उसकी भी जांच उपभोक्ता मंच द्वारा नहीं की जा सकती है केवल सक्षम न्यायालय द्वारा ही जांच की जा सकती है । परिणामस्वरूप यह परिवाद सारहीन होने के कारण खारिज किया जाता है । प्रकरण का खर्चा पक्षकारान अपना-अपना वहन करेंगे ।   
निर्णय आज दिनांक 18.03.2015 को लिखाकर सुनाया गया ।                                                                                                                                                                          
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                    


( ओ.पी.राजौरिया )   (श्रीमती सीमा शर्मा)    (राकेश कुमार माथुर)    
     सदस्य              सदस्य          अध्यक्ष      

 

 

 

 

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