Rajasthan

Jaipur-I

CC/879/2012

SALEEM - Complainant(s)

Versus

JVVNL - Opp.Party(s)

R.S. DUCHANIA

09 Jul 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/879/2012
 
1. SALEEM
B-23, AMRITPURI OPP. OF UNANI MAJIID, GHTGATE, NEAR OF R.A.C., JAIPUR
...........Complainant(s)
Versus
1. JVVNL
HEEDA KI MORI, NEAR POLICE CHOKI, JAIPUR
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MRS. Seema sharma PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. O.P. Rajoriya MEMBER
 
For the Complainant:R.S. DUCHANIA, Advocate
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर

समक्ष:    श्री महेन्द्र कुमार अग्रवाल - अध्यक्ष
          श्रीमती सीमा शर्मा - सदस्य
          श्री ओमप्रकाश राजौरिया - सदस्य

परिवाद सॅंख्या: 879/2012
सलीम पुत्र श्री कमरूद्दीन, उम्र 45 वर्ष, निवासी बी-23, अमृतपुरी यूनानी मस्जिद के सामने, घाटगेट, आर.ए.सी. के पास, जयपुर Û

                                              परिवादी
               ं     बनाम

1.    जयपुर विद्युत वितरण निगम लि0, हीदा की मोरी, पुलिस चैकी के पास, जयपुर जरिए सहायक अभियंता Û
2.    जयपुर विद्युत वितरण निगम लि., मुख्यालय विद्युत भवन, ज्योति नगर, जयपुर जरिए चैयरमैन
              विपक्षी

अधिवक्तागण :-
श्री आर.एस.डुचानिया - परिवादी
श्री संजय शर्मा - विपक्षी
                             परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक: 21.08.12

                       आदेश     दिनांक: 08.01.2015

परिवादी सलीम ने विपक्षीगण जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के विरूद्ध यह परिवाद धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत प्रस्तुत किया है । परिवाद में अंकित तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी से एक विद्युत कनेक्शन ले रखा है जिसका खाता नंबर 22150049 है । उक्त कनेक्शन के सम्बन्ध में अगस्त 2012 के बिल से पूर्व कोई बिल बकाया नहीं है इसके बावजूद विपक्षी सॅंख्या 1 ने अगस्त 2012 का बिल 780 यूनिट बताते हुए 4247/- रूपए का विद्युत खर्च जोड़कर बनाकर दिया और विपक्षी से इस बाबत पूछताछ करने पर कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया ना ही बिल दुरूस्त करके दिया । परिवादी का कथन है कि विपक्षी ने अधिक राशि के बिल को दुरूस्त भी नहीं किया जिससे उससे मानिसक संताप हुआ । परिवादी ने अगस्त 2012 के बिल राशि 4247/- को निरस्त कर पुन: जारी करने, मानसिक परेशानी के 10,000/- रूपए, परिवाद खर्च के 5000/- रूपए दिलवाए जाने व अगर विपक्षीगण द्वारा बिल राशि वसूल कर ली गई है तो मय ब्याज वापिस दिलवाई जावे और यदि कनेक्शन विच्छेद कर दिया गया है तो पुन: चालू करने पर हुआ खर्चा मय ब्याज वापिस दिलवाए जाने का निवेदन किया है ।
विपक्षीगण का जवाब है कि परिवादी ने जून 2012 की सम्पूर्ण बिल राशि जमा नहीं करवाई थी बल्कि 1547/- रूपए के पेटे आंशिक भुगतान के रूप में 1100/- रूपए जमा करवाए थे इसलिए माह अगस्त 2012 का बिल गत पठन 1180 रिडिग से वर्तमान पठन 1960 रिडिंग कुल विद्युत उपभोग 780 यूनिट का तथा पिछले बिल माह जून 12 की कम जमा कराई गई राशि को लेट पेमेंट सरचार्ज राशि सहित बिल में अंकित कर कुल बिल राशि 4247/- रूपए का नियमानुसार प्रेषित किया गया था ।  विपक्षी का कथन है कि परिवादी पत्र के नोटिस प्राप्त होने पर अगस्त 2012 के बिल के विवाद की जानकारी होने पर मीटर की जांच की तो पाया कि  मीटर में अंतिम रीडिंग 1398 पाई गई है परन्तु रीडिंग के अस्पष्ट पठन होने से बिल माह अगस्त 2012 का 1968 रीडिंग के अनुसार जारी हो गया था । अगस्त 2012 का बिल संशोधित करते हुए यूनिट 218 राशि 1606.78 रूपए का जारी कर दिया जिसा भुगतान परिवादी ने अक्टूबर 2012 के बिल के साथ किया है । विपक्षीगण ने परिवादी से कोई अधिक राशि वसूल नहीं की है । परिवादी को किसी प्रकार की कोई हानि नहीं हुई है इसलिए वह कोई क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है । अतः परिवाद पत्र मय हर्जा-खर्चा खारिज किया जावे ।
मंच द्वारा दोनों पक्षों को सुना गया एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया ।
इस सम्बन्ध में कोई विवाद नहीं है कि परिवादी विपक्षी विद्युत वितरण निगम लिमिटेड का घरेलू उपभोक्ता कनेक्शन का उपभोक्ता है जिसका खाता सॅंख्या 22150049 है ।
परिवादी का यह कथन है कि विपक्षी निगम से घरेलू विद्युत कनेक्शन लिए जाने के उपरांत उसके द्वारा बिल के भुगतान में कभी कोई देरी नहीं की गई और बिल का भुगतान सुचारू रूप से किया गया परन्तु विपक्षी सॅंख्या 1 ने अगस्त 2012 का बिल 780 यूनिट बताते हुए 4247/- रूपए का विद्युत खर्च जोड़कर बनाकर दिया और जब परिवादी ने विपक्षी से इस बारे में पूछताछ की तो कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया ना ही बिल दुरूस्त करके दिया । इसलिए अगस्त 2012 के बिल की राशि 4247/- रूपए निरस्त की जावे और शारीरिक, मानिसक संताप हेतु क्षतिपूर्ति व परिवाद व्यय दिलवाया जावे ।
विपक्षी निगम का यह कथन है कि परिवादी के उतारे गए मीटर की जांच करवाने पर मीटर में अंतिम रीडिंग 1398 पाई गई परन्तु रीडिंग के अस्पष्ट पठन होने से बिल माह अगस्त 2012 का 1968 रीडिंग के आधार पर जारी किया गया । तत्पश्चात विपक्षी निगम की जानकारी में आने पर बिल दुरूस्त कर संशोधित बिल माह अगस्त 2012 का 218 यूनिट का 1606.78 रूपए का जारी कर दिया और परिवादी द्वारा संशोधित बिल का भुगतान भी कर दिया गया है । इस प्रकार दोनों पक्षों के बीच किसी प्रकार का विवाद नहीं है । विपक्षी का तर्क है कि जो बिल 1398 यूनिट के स्थान पर 1968 यूनिट का जारी किया था वह एक सद्भाविक त्रुटि थी जिसे दुरूस्त कर दिया गया है इसलिए परिवाद सव्यय खारिज किया जावे ।
हमने उभय पक्षों के तर्को पर गंभीरतापूर्वक विचार किया एवं पत्रावली का अवलोकन किया ।
परिवादी ने मंच के समक्ष इस बात को स्वीकार किया है कि विपक्षी निगम द्वारा संशोधित बिल जारी कर दिया गया है जिसका भुगतान भी उसके द्वारा कर दिया गया है । अब दोनेां पक्षों के बीच बिल को लेकर कोई विवाद नहीं है । परिवादी के अधिवक्ता का कथन है कि विपक्षी निगम द्वारा बिल संशोधित उनके द्वारा परिवाद पेश करने के उपरांत किया गया है जिससे परिवादी को आर्थिक हानि उठानी पड़ी व मानसिक संताप झेलना पड़ा इसलिए विपक्षी निगम से क्षतिपूर्ति राशि दिलवाई जावें ।
विपक्षी निगम एक निगमित निकाय है जो लोगों के हितों में कार्य करती है तथा विपक्षी निगम ने परिवादी द्वारा उनकी त्रुटि ध्यान में लाए जाने के उपरांत उसे परिवाद का जवाब प्रस्तुत करने से पूर्व बिल संशोधित कर दुरूस्त कर दिया है और परिवादी ने बिल राशि का भुगतान कर दिया है । चूंकि विपक्षी निगम द्वारा अपनी गलती को स्वीकार कर संशोधित बिल जारी कर दिया है इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि विपक्षी निगम ने प्रश्नगत बिल जारी करने में कोई द्वेषता बरती हो । प्रकरण की परिस्थितियों में परिवादी को परिवाद व्यय दिलवाया जाना उचित प्रतीत होताहै।
              आदेश
अत: इस समस्त विवेचन के आधार पर परिवादी का यह परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार कर आदेश दिया जाता है कि  विपक्षी विद्युत वितरण निगम परिवादी को परिवाद व्यय 1500/- रूपए अक्षरे एक हजार पांच सौ रूपए अदा करेेेगा। आदेश की पालना आज से एक माह की अवधि में कर दी जावे । परिवादी का अन्य अनुतोष अस्वीकार किया जाता है।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                  
निर्णय आज दिनांक 08.01.2015 को लिखाकर सुनाया गया।


( ओ.पी.राजौरिया )   (श्रीमती सीमा शर्मा)  (महेन्द्र कुमार अग्रवाल)    
     सदस्य              सदस्य          अध्यक्ष      

 

 

 
 
[HON'BLE MRS. Seema sharma]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. O.P. Rajoriya]
MEMBER

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