जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर
समक्ष: श्री मिथलेश कुमार शर्मा - अध्यक्ष
श्रीमती सीमा शर्मा - सदस्य
श्री ओमप्रकाश राजौरिया - सदस्य
परिवाद सॅंख्या: 844/2012
राजेन्द्र सिंह पुत्र श्री लाल सिंह, उम्र 33 वर्ष, जाति राजपूत, निवासी रघुनाथ काॅलोनी, मालपुरा रोड़, दूदू, जि. जयपुर, राज 300308 Û
परिवादी
ं बनाम
1. जयपुर विद्युत वितरण निगम लि0 ज्योति नगर, जयपुर
2. जयपुर विद्युत वितरण निगम लि0 दूदू, जिला जयपुर Û
विपक्षी
अधिवक्तागण :-
श्रीमती मीनाक्षी शर्मा - परिवादी
श्री अरविन्द यादव - विपक्षी निगम
परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक: 10.07.12
आदेश दिनांक: 29.01.2015
परिवाद ने यह परिवाद इस प्रार्थना के साथ पेश किया है कि अतिरिक्त बिल की राशि निरस्त की जावे । परिवादी को वास्तविक बिल भेजे जावें । बकाया बिल की पुनरावृतित न हो तथा मानसिक संताप एवं अन्य मद में मुआवजा दिलवाया जावे ।
2. विपक्षी की ओर से जवाब में जो आधार लिए हैं और उनके समर्थन में जो शपथ-पत्र पेश किया है उसमें मुख्य आधार यह है कि परिवादी का पिछले दो साल से मीटर बंद होने से औसत बिल दिया गया था । मीटर का डिसप्ले आउट था इस कारण सही उपभोग मीटर नहीं दर्शा सका । परिवादी कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है अत: परिवाद पत्र खारिज किया जावे ।
3. उपरोक्त तथ्यों पर दोनों पक्षों को सुना गया एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया ।
4. विद्वान अधिवक्ता परिवादी की दलील है कि जो तथ्य परिवाद मंे अंकित किए गए हैं उनका समर्थन परिवादी की ओर से प्रस्तुत शपथ-पत्र व दस्तावेज से होता है और परिवाद स्वीकार करने की दलील दी गई है ।
5. विद्वान अधिवक्ता विपक्षी की दलील है कि जो तथ्य जवाब में वर्णित किए गए हैं उनका समर्थन शपथ-पत्र व प्रस्तुत दस्तावेज से होता है और परिवाद खारिज करने की दलील दी गई है।
6. उपरोक्त दलीलों के संदर्भ में हमने पत्रावली का अवलोकन किया तो पाया कि परिवादी व विपक्षीगण के मध्य मुख्य विवाद बिल की राशि के भुगतान के सम्बन्ध में है । विपक्षीगण का कहना है कि मीटर का डिसप्ले आउट था इस कारण सही रीडिंग नहीं आ सकी जबकि परिवादी का कहना है कि जो रीडिंग आ रही थी वह सही थी ।
7. उभय पक्षों की ओर से प्रस्तुत किए गए अभिकथनों से यह भी साबित होता है कि परिवादी ने विपक्षी संस्था से विद्युत प्राप्त की है और उसका उपयोग किया है । जहां तक बिल राशि का प्रश्न है इस मंच के समक्ष तकनीकी आधार पर ऐसा कोई मापदण्ड किया जाना सम्भव नहीं है जिससे निश्चित राशि विद्युत उपभोग की विवादित बिलों को दृष्टिगत रखते हुए निश्चित की जा सके ।
8. अत: प्रकरण के तथ्य व परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए विवादित राशि का मामला समझौता समिति को निश्चित दिशा-निर्देश के साथ प्रेषित किया जाना उचित होगा और उपरोक्त विवेचन के अनुसार प्रकरण निर्णित किया जाना उचित है ।
आदेश
अत: विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि प्रकरण को समझौता समिति के समक्ष रख कर तीन माह मेें निस्तारण करें ।
समझौता समिति के समक्ष आरम्भ करने व निस्तारित करवाने की समस्त कार्यवाही विपक्षीगण के स्तर पर ही की जा सकेगी । समझौता समिति के लिए वांछित फीस प्रकरण निर्णित होने के पश्चात परिवादी को आगामी बिलों में जोड़कर प्रेषित की जाएगी ।
जो राशि इस मंच के आदेश दिनांक 22.05.2013 द्वारा विपक्षीगण के यहां जमा करवाई गई है वह समायोजित की जा कर यदि विपक्षीगण के स्तर पर कोई सूचना देने में विलम्ब हुआ है तो परिवादी से विलम्ब शुल्क की वसूली नहीं की जावे ।
परिवादी यदि समझौता समिति के निर्णय से सन्तुष्ट नहीं होता है तो पुन: परिवाद प्रस्तुत करने के लिए स्वतन्त्र रहेगा।
( ओ.पी.राजौरिया ) (श्रीमती सीमा शर्मा) (मिथलेश कुमार शर्मा)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 29.01.2015 को लिखाकर सुनाया गया।
( ओ.पी.राजौरिया ) (श्रीमती सीमा शर्मा (मिथलेश कुमार शर्मा)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष