Rajasthan

Jaipur-I

CC/105/2012

PRABHUDAYAL - Complainant(s)

Versus

JVVNL - Opp.Party(s)

PRABHU DAYAL AHIR

14 Aug 2014

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर

समक्ष:    श्री राकेश कुमार माथुर - अध्यक्ष
          श्रीमती सीमा शर्मा - सदस्य

परिवाद सॅंख्या: 105/2012
प्रभू दयाल पुत्र श्री पन्ना राम, उम्र 61 वर्ष, जाति अहिर, निवासी ग्राम सान्दरसर वाया कालाडेरा, जिला जयपुर, राजस्थान Û

                                              परिवादी
               ं     बनाम

1.    जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड जरिए प्रबंध निदेशक, विद्युत भवन, ज्योति नगर, जयपुंर
2.    जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड जरिए सहायक अभियंता गोविन्दगढ, जिला जयपुर 
              विपक्षी

अधिवक्तागण :-
श्री डैनी मिश्रा - परिवादी
श्री धनश्याम व्यास - विपक्षी
                             परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक: 09.01.12 

                       आदेश     दिनांक: 03.12.2014

परिवाद में अंकित तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी विद्युत निगम से एक घरेलू श्रेणी का विद्युत कनेक्शन जिसका वर्तमान खाता सॅंख्या 15150122 ले रखा है । दिनांक 11.10.2010 को परिवादी का मीटर अचानक फाॅल्ट हो जाने से खराब हो गया जिसकी सूचना विपक्षी के लाईनमैन को 11.10.2010 को ही दे दी गई थी तथा विपक्षी सॅंख्या 2 के कार्यालय में नया मीटर लगाने के लिए दिनांक 11.10.2010 को 350/- रूपए भी जमा करवा दिए गए थे । परिवादी का कथन है कि संबंधित लाईनमेन ने परिवादी के निवास स्थान पर आकर बंद मीटर को हटाकर परिवादी के विद्युत सम्बन्ध को डायरेक्ट कर दिया और विद्युत लाईन चालू कर दी थी । परिवादी को एवरेज राशि का विद्युत बिल भेजते रहे जिसका वह नियमित रूप से भुगतान करता रहा ।  परिवादी का कथन है कि नया मीटर लगाने के लिए कई बार निवेदन किए जाने के बाद भी नहीं लगाया गया । दिनांक 15.06.2011 को विपक्षीगण का सतर्कता जांच दल परिवादी के निवास स्थान पर आया और परिवादी पर विद्युत चोरी का आरोप लगाकर गलत रूप से वी.सी.आर. भर ली । परिवादी का कथन है कि उसके द्वारा विद्युत चोरी नहीं की गई थी बल्कि विपक्षी के कर्मचारियों द्वारा विद्युत कनेक्शन डायरेक्ट किया गया था जिसमें परिवादी की कोई गलती नहीं है  । माह सितम्बर 2011 में 9150/- रूपए का विद्युत बिल भेजा गया जिससे संशोधित करने का परिवादी ने निवेदन किया परन्तु विपक्षी ने कोई कार्यवाही नहीं की है । दिनांक 05.12.2011 को विपक्षी द्वारा परिवादी को बकाया राशि जमा करवाने का नोटिस भेजा गया और न जमा करवाने पर 15 दिवस में विद्युत विच्छेद करने बाबत लिखा । परिवादी का कथन है कि इस प्रकार विपक्षीगण ने सेवादोष कारित किया है जिससे उसे मानसिक , शारीरिक व आर्थिक क्षति हुई है । परिवादी ने प्रश्नगत विद्युत बिल की राशि को वसूलने से रोकने व सम्बन्ध विच्छेद को रोकने का निवेदन किया है, शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति के हार्जाने के लिए 70,000/- रूपए, परिवाद व्यय 21000/- रूपए दिलवाए जाने का निवेदन किया है ।
विपक्षी की ओर से इस आशय का जवाब प्रस्तुत किया गया है कि परिवादी ने अपने स्तर पर विद्युत सम्बन्ध को डायरेक्ट करवा लिया था और अनाधिकृत तौर पर विद्युत का उपयोग कर रहा था जो विद्युत चोरी है और ऐसी स्थिति में परिवादी के निवास पर जांच करने पर विद्युत चोरी होना पाया गया जिस पर 15.06.2011 को सर्तकता जांच प्रतिवेदन तैयार किया जिसके लिए मौके पर परिवादी द्वारा किसी प्रकार की आपत्ति नहीं की गई और ना ही राशि जमा होने की रसीद दिखाई । परिवादी को नियमानुसार सही बिल दिया गया । विपक्षी का कथन है कि उनके द्वारा कोई सेवादोष कारित नहीं किया गया है । अत: परिवाद पत्र खारिज किया जावे ।
मंच द्वारा दोनों पक्षों की बहस सुनी गई एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया । 
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी ने सतर्कता जांच के आधार पर की जा रही वसूली को रूकवाने के लिए परिवाद दायर किया है । विपक्षी की ओर से यह कहा गया है कि परिवादी से जिस राशि की मांग की जा रही है वह सतर्कता जांच दल के प्रतिवेदन दिनंाक 15.06.2011 के आधार पर की जा रही है तथा ऐसी स्थिति में माननीय उच्चतम न्यायालय के निणर्य 2013 (2)WLC (S C)  सिविल 272 यू.पी.पावर काॅरपोरेशन लि0 एण्ड अदर्स बनाम अनिस अहमद के तहत ऐसे परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार इस मंच को प्राप्त नहीं है तथा ऐसे मामले विद्युत अधिनियम 2003 के तहत गठित विशिष्ठ न्यायालय ही सुन सकते हैं ।
माननीय उच्चतम न्यायालय के उक्त निणर्य में निर्धारित कानूनी सिद्धान्त के अनुसार जहां तक परिवादी के विरूद्ध विद्युत चोरी करने का आरोप है तथा विद्युत के अनाधिकृत उपयोग की राशि की मांग की गई है वहांॅ पर उपभोक्ता मंच को सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है । यदि वी.सी.आर. गलत भरी गई है तो उसकी भी जांच उपभोक्ता मंच द्वारा नहीं की जा सकती है केवल सक्षम न्यायालय द्वारा ही जांच की जा सकती है । परिणामस्वरूप यह परिवाद सारहीन होने के कारण खारिज किया जाता है । प्रकरण का खर्चा पक्षकारान अपना-अपना वहन करेंगे ।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                      
निर्णय आज दिनांक 03.12.2014 को लिखाकर सुनाया गया।


   (श्रीमती सीमा शर्मा)                   (राकेश कुमार माथुर)    
         सदस्य              अध्यक्ष      

 

 

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