Rajasthan

Sawai Madhopur

275/2010

Koshyla Devi - Complainant(s)

Versus

JVVNL - Opp.Party(s)

A.k.jain

13 Feb 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 275/2010
 
1. Koshyla Devi
sawai madhopur
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, सवाई माधोपुर
समक्ष:-    श्री कैलाश चन्द्र शर्मा, अध्यक्ष
             श्री सौभाग्यमल जैन, सदस्य
         
परिवाद सं0:-275/2010                    परिवाद प्रस्तुति दिनांक:- 03.09.2010
1.    श्रीमती कौशल्या देवी पत्नि वीरूमल उम्र-62 साल, निवासी- हनुमान नगर हाउसिंग बोर्ड के पास, सवाई माधोपुर। 
2.    शंकर लाल आत्मज वीरूमल उम्र-38 वर्ष, हनुमान नगर हाउसिंग बोर्ड के पास, सवाई माधोपुर।
                                                                                       परिवादी
विरुद्ध
1.    जयपुर विधुत वितरण निगम लिमिटेड जरिये सहायक अभियन्ता ए-1 शहरी, सवाई माधोपुर।
2.    जयपुर विधुत वितरण निगम लिमिटेड जरिये अधिशाषी अभियन्ता ए-1 शहरी, सवाई माधोपुर।
                                                                                   विपक्षीगण
उपस्थिति:-
1.    श्री आशीष जैन अधिवक्ता परिवादी
2.    श्री टी0 आर0 गोयल अधिवक्ता विपक्षीगण
द्वारा कैलाश चन्द्र शर्मा (अध्यक्ष)                      दिनांकः- 13 फरवरी, 2015 
                                                   नि  र्ण  य
        परिवादीगण ने यह परिवाद संक्षेप में इन तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया है कि परिवादी संख्या 1 ने विपक्षीगण से एक अघरेलू श्रेणी का विधुत कनेक्शन नियमानुसार प्राप्त कर रखा है जिसका खाता संख्या 2104/492 है। परिवादी संख्या 2 परिवादी संख्या 1 का पुत्र है। परिवादीगण विपक्षीगण द्वारा प्रदान की जाने वाली विधुत सेवा का उपभोग नियमानुसार कनेक्शन प्राप्त कर बिल राशि अदा करते चले आ रहे है। परिवादीगण उक्त मीटर से विधुत का उपभोग 19.7.2010 से पूर्व तकरीबन 10-11 माह से नहीं कर रहे थे और परिवादीगण का परिसर में कोल्ड स्टोरेज बन्द रहा था। इसी वजह से माह जुलाई 2010 से पूर्व 10-11 माह के बिल विपक्षीगण द्वारा एवरेज औसत (डोर लाॅक का अंकन कर) जारी किये गये थे जिनका भुगतान परिवादीगण द्वारा विपक्षीगण को कर दिया गया है। माह जुलाई 2010 से परिवादीगण द्वारा अपने उक्त विधुत मीटर से बिजली उपयोग आरम्भ करना चाहा तब विपक्षीगण का विधुत मीटर घटिया क्वालिटी का होने के कारण खराब हो गया था। 
        इसलिए परिवादीगण  द्वारा विपक्षीगण को नियमानुसार परिवादीगण का विधुत मीटर बदलने हेतु एम सी ओ संख्या 4324/54 दिनांकित 19.07.2010 के जरिये वांच्छित राशि 650 रूपये विपक्षीगण को अदा किये गये इस पर विपक्षीगण ने परिवादीगण का विधुत मीटर बदलकर नया विधुत मीटर संख्या 978336 दिनांक 19.07.2010 को स्थापित किया है। 
        विपक्षीगण द्वारा दिनांक 11.8.2010 को परिवादीगण की वीसीआर संख्या 10335 पूर्णतया गलत व बदयान्तीपूूूर्ण   भरी है और पूर्णतया गलत व मिथ्या वीसीआर की आड में विपक्षीगण परिवादीगण पर नाजायज दबाव बनाकर नाजायज राशि प्राप्त करने का इरादा बनाये हुए है और परिवादीगण को इस वीसीआर को आधार बनाकर 11,53,462 रूपये का तकाजा करते हुए एक बेबुनियाद व मिथ्या नोटिस दिनांकित 23.08.2010 क्रमांक 1213 भेजा है जो परिवादी का दिनांक 30.08.2010 को प्राप्त हुआ है। विपक्षीगण का यह कृत्य गंभीर सेवा दोष की तारीफ में आता है।  विपक्षीगण झॅूठी व Vague V.C.R. No. 10335 Dated 11.08.2010 की आड मंें परिवादीगण से 11,53,462/- रूपये इस आधार पर वसूल करना चाह रहे है कि परिवादी द्वारा स्वीकृत भार से ज्यादा भार उपयोग किया जा रहा है और वर्तमान उपभोग को आधार बनाकर बन्द अवधि (अर्थात विधुत का उपयोग नहीं किये जाने की अवधि) का गत एक वर्ष का मनमाना व गलत आंकलन करते हुए राशि वसूल किया जाना कानून सम्भव नहीं है और विपक्षीगण का ऐसा कृत्य गम्भीर सेवा दोष की तारीफ में आता है। अतः परिवादीगण का परिवाद स्वीकार फरमाया जाकर नोटिस क्रमांक 1213 दिनांक 23.8.10 एवं वी सी आर संख्या 10335 दिनांक 11.8.2010 को निरस्त किय जाने एवं  चाहा गया अनुतोष प्रदान किये जाने का निवेदन किया ।
        विपक्षीगण ने परिवाद का जवाब प्रस्तुत कर निवेदन किया कि विपक्षी विभाग में उपभोक्ता के विवाद के सम्बन्ध में समझौता समिति नियमानुसार बनी हुई है। कानून के अनुसार बिना समझौता समिति के समक्ष गए परिवादी को उक्त परिवाद पेश करने का अधिकार नहीं है। परिवादीगण ने विपक्षी से 20 किलो वाट का थ्री फेस कनेक्शन अघरेलू (कोल्ड स्टोरेज) हेतु दिनांक 16.03.2009 को प्राप्त किया हुआ है। जिसका खाता संख्या 2104/492 है। उस समय विधुत मीटर संख्या 808860 लगाया गया जो कि 7427 यूनिट पर लगा था। परिवादी के जब जब मीटर लगा तथा उस मीटर को परिवादी ने जला दिया जिसके कारण मीटर में रीडिंग नहीं आती थी। इसलिए परिवादी को माह अप्रेल 2009, जून 2009, अगस्त 2009 के बिल 0 रीडिंग के दिए गये । परिवादी के यहंा सर्वप्रथम मीटर संख्या 808860 लगा जो कि 7427 रीडिंग पर लगा था। उक्त मीटर को परिवादी ने जला दिया जिस पर मीटर संख्या 816847 दूसरा विधुत मीटर लगाया गया। उस दूसरे मीटर के जल जाने पर विपक्षी विभाग द्वारा माह फरवरी 2010 में तीसरा विधुत मीटर संख्या 913274 लगाया जो भी जल जाने पर (पूरी तरह नष्ट कर देने के कारण) परिवदी के यहंा चैथा मीटर संख्या 978336 दिनांक 19.7.2010 को लगाया गया जो कि 0 रीडिंग पर लगाया गया था। उक्त चैथा मीटर  संख्या 978336 दिनांक 19.7.10 को 0 रीडिंग पर लगाने के बाद कनिष्ठ अभियन्ता सीवीएस दिनांक 11.8.2010 को दिन के 2.25 बजे परिवादी के पुत्र शंकरलाल उपभोग कर्ता के समक्ष परिवादी के परिसर की जांच की तो परिवादी स्वीकृत भार 20 किलोवाट से बहुत अधिक भार 31.4 किलेावाट काम में लेता पाया गया। चैंकिग के समय परिवादी के यहंा रीडिंग 9408 थी। इस तरह परिवादी ने दिनांक 19.7.10 के 21 दिन में 9408 यूनिट उपभोग में ली। दिनांक 19.7.2010 को मीटर बदलने के पूर्व परिवादी के यहंा लगे मीटरों में रीडिंग कभी 100 यूनिट तो कभी 70 यूनिट आ रही थी जो कि 20 किलो वाट के कनेक्शन में आना सम्भव नहीं है। परिवादिया के यहंा नया मीटर 19.7.10 को बदलने केे बाद 9408 यूनिट थी जो कि 21 दिन का उपभोग है। अतः एक दिन की विधुत खपत करीबन 448 यूनिट रही अतः विपक्षी विधुत विभाग ने एक साल यानि की 365 दिन का उपभोग प्रतिदिन करीब 448 यूनिट मानते हुये असेसमेन्ट किया। असेसमेन्ट में पूर्व में जमा कराई राशि को कम करते हुये 11,53,462/- रूपये बकाया निकाले है जिसको जमा कराने हेतु विपक्षी ने परिवादी को नोटिस जारी किया है जो सही व नियमानुसार है। यह नोटिस जेपीआर 426 के अनुसार दिया गया है। उक्त मामला विधुत चोरी से सम्बन्धित है जो कि पूर्णतया साबित हैै। माननीय मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। अतः परिवाद का जवाब प्रस्तुत कर परिवादी का परिवाद मय हर्जा खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
    परिवादीगण ने परिवाद के समर्थन में परिवादिया स्वयं का एवं शंकर लाल का साक्ष्य में शपथ पत्र पेश किया और दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में असल विधुत बिल माह फरवरी 10, अगस्त 10, जून 10 एवं अगस्त 2009 व असल लिफाफा दिनांक 30.8.10, असल नोटिस दिनांकित 23.8.10,  व असल वीसीआर की प्रति दिनांकित 11.8.10 पेश किये है। परिवादिया की ओर से विपक्षीगण का विभागीय सर्कुलर जेपीआर 526 की फोटो प्रति पेश की गई है। जबकि विपक्षीगण की ओर से साक्ष्य में शपथ पत्र हंसराज बैरवा सहायक अभियन्ता, महेश सैनी कनिष्ट अभियन्ता का पेश किया गया एवं दस्तावेजी साक्ष्य में नोटिस दिनांकित 23.8.10, वीसीआर दिनांकित 11.8.10, असेसमेन्ट प्रति, एमसीओ दिनांकित 13.2.09, एमसीओ दिनांकित 15.4.09, एमसीओ दिनांकित 5.2.10, एमसीओ दिनांकित 19.7.10, प्रार्थना पत्र दिनांकित 19.7.10, लेजर प्रति, स्टेटमेन्ट आॅफ रेडी आॅफ बिलिंग की प्रति एवं जेपीआर 5-426 की फोटो प्रति पेश  की है।
    बहस अंतिम सुनी गई। पत्रावली का अध्योपान अध्ययन किया गया।
    प्रस्तुत प्रकरण में परिवादिया का यह आक्षेप है कि विपक्षीगण द्वारा उसके यहंा घटिया क्वालिटी के मीटर लगाये गये जबकि विपक्षीगण का यह प्रत्युत्तर है कि मीटरों को परिवादिया ने जलाया और उसके टुकडे-2 कर दिए। लेकिन इस सम्बन्ध में कोई लेबोरेट््री की जांच रिपोर्ट हमारे समक्ष पेश नहीं हुई है। यदि कोई व्यक्ति  सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाता है तो विभाग द्वारा उसके विरूद्व पुलिस कार्यवाही करने का विकल्प उपलब्ध रहता है। लेकिन विभाग द्वारा परिवादी के विरूद्व मीटल जलाने अथवा उसके टुकडे-2 करने बाबत सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने हेतु कोई विभागीय नोटिस या पुलिस कार्यवाही की गई हो, ऐसी कोई साक्ष्य हमारे समक्ष प्रस्तुत नहीं हुई है। अतः यह नहीं माना जा सकता है कि परिवादिया ने मीटरों को जानबूझकर जलाया है। वैसे भी 20 किलोवाट के कनेक्शन पर स्थापित विधुत मीटर को परिवादिया या उसका कोई आदमी कैसे खतरा उठाकर अपने हाथो से जला सकती हैै घ्  जिसमें आग लगने एवं जान माल का खतरा रहता है। प्रस्तुत प्रकरण में परिवादिया द्वारा समय समय पर उसे जारी किये गये सभी बिलों को जमा कराया है। दिनांक 19.7.10 को परिवादिया के यहंा नया मीटर संख्या 978336 दिनांक 19.7.2010 को लगाया गया है। उसके बाद जो बिल विपक्षीगण द्वारा दिनांक 16.8.10 को जारी किया गया है वह 9408 यूनिट की राशि परिवादिया द्वारा 49862 रूपये दिनांक 31 अगस्त 2010 को जमा करा दी गई है। विपक्षीगण द्वारा परिवादिया के विरूद्व वीसीआर संख्या 22/10335 दिनांक 11.8.10 को कनिष्ट अभियन्ता (सीवीएस) द्वारा भरी गई है। जिसमें यह अंकित है ’’सतर्कता जांच के दौरान उक्त व्यक्ति के कोल्ड स्टोरेज में जांच करने पर पाया कि उपभोक्ता ने स्वीकृत भार से अधिक पाया गया। नियमानुसार  कार्यवाही करते हुए  आवश्यक कार्यवाही करें’’। इस प्रकार यह वीसीआर स्वीकृत भार से अधिक एक्सेस लोड उपयोग में किए जाने को  आधार बनाकर भरी गई है। इस वीसीआर में विधुत चोरी का कोई आक्षेप नहीं लगाया गया है और इस वीसीआर में यह भी दर्ज नहीं है कि यह भारतीय विधुत अधिनियम की धारा 135 के तहत भरी गई है। अतः यह विधुत चोरी का नहीं बल्कि एक्सेस लोड के आधार पर बनाया गया मामला है। इस वीसीआर में 1 लगायत 4 विभिन्न उपकरण परिसर में लगे हुए दर्शाये गये है। हमारे द्वारा विपक्षीगण से परिवादिया की विधुत कनेक्शन की मूल फाईल तलब की गई और उसका अवलोकन किया गया, साथ ही वीसीआर के क्रं.सं. 1 पर दर्ज 9 गुणा 3 बराबर 27 किलो वाट को देखा गया। परिवादिया ने जो पत्रावली विधुत विभाग में कनेक्शन हेतु प्रस्तुत की है, उसमें एयर कण्डीशन 6 नग गुणा 1.5 टन बराबर 9 किलो वाट दर्शाया है जबकि वीसीआर में 9 नग गुणा 3 टन बराबर 27 किलो वाट दर्शाया है। माॅनीटरींग आॅफ वीसीआर पुस्तिका में स्पष्ट उल्लेख है कि मौके के फोटोग्राफ्स लिये जाने चाहिए, लेकिन हमारे समक्ष वीसीआर भरते समय मौके पर लिये गये कोई फोटोग्राफ्स पेश नहीं किये गये है।
    उक्त विवादित वीसीआर में यह भी नोट अंकित है कि दिनांक 8.8.10 को बिल जारी हुआ, जिसमें 100 यूनिट ’’डोर लाॅक’’ का बिल दिया गया। अब 9408 यूनिट बकाया पडी है। स्पाॅट बिलिंग करने वाले के खिलाफ कार्यवाही की जावे। परिवादिया द्वारा 9408 यूनिट उपयोग के बिल की राशि 49862 रूपये भी दिनांक 31.8.2010 को जमा करा दिये है। हमारे समक्ष विपक्षीगण द्वारा स्पाॅट बिलिंग करने वाले के खिलाफ क्या कार्यवाही की गई, वह भी प्रस्तुत नहीं की गई है। परिवादिया ने सशपथ  कथन किया है कि उसका कोल्ड स्टोरेज बन्द रहा, इसलिए उसे विपक्षीगण द्वारा ही डोर लाॅक के बिल दिये गये जो सभी बिल उसने जमा कराये है। विपक्षीगण द्वारा जो मीटर उसके यहंा लगाये गये वह भी स्वयं विपक्षीगण द्वारा ही लगाये गये है। विधुत मीटर यदि घटिया है और बार बार जल जाते है, तो उसमें परिवादिया का क्या दोष है। जब विपक्षीगण ने परिवादिया के परिसर में दिनांक 19.7.2010 को नया मीटर संख्या 978336 शून्य रीडिंग पर लगाया गया तब उसका कोल्ड स्टोरेज चालू किया गया था। जिसका बिल 9408 यूनिट का दिया गया था, जो उसने 9408 यूनिट के बिल की राशि 49862 रूपये दिनांक 31.8.2010 को जमा करा दिये थे। उससे 10-12 माह पहले तक कोल्ड स्टोरेज बन्द था।  इसलिए विपक्षीगण द्वारा डोर लाॅक के बिल दिए गये थे। जब सारे बिलों की राशि उसके द्वारा जमा करा दी गई है तो केवल मात्र कल्पना के आधार पर गलत ढंग से एक वर्ष की गणना कर गलत वीसीआर के आधार पर राशि डिमाण्ड करना विपक्षीगण का सेवादोष है। जबकि परिवादिया ने तो क्लीन हैण्ड से मीटर जल जाने पर स्वयं ने मीटर बदलने हेतु 650 रूपये विपक्षीगण को दिनांक 19.7.10 को जमा कराये हे तथा उसी दिन दिनांक 19.7.2010 को नया मीटर लग जाने पर कोल्ड स्टोरेज चालू किया गया था। दिनांक 19.7.10 के 21 दिन बाद ही दिनांक 11.8.10 को भरी गई वीसीआर के आधार पर ’’सीजन’’ के दिनों की खपत को आधार बनाकर 365 दिन की मनमानी राशि आरोपित कर डिमाण्ड करना नियम विरूद्व हेै। विपक्षीगण द्वारा दिनांक 19.7.10 से पूर्व एक वर्ष तक जो जो मीटर परिवादिया के परिसर में स्थित थे, उनकी भी कोई जांच रिपोर्ट हमारे समक्ष प्रस्तुत नहीं की है। विद्वान अधिवक्ता परिवादिया का यह भी तर्क है कि विपक्षीगण द्वारा जो वीसीआर भरी गई है वह विधुत आपूर्ति हेतु शर्ते एवं निबन्धन 2004 की शर्त संख्या 27 के भी विपरीत है। शर्त संख्या 28 के अनुसार उतारे गये मीटरों की मौके पर भी कोई जांच नहीं की गई है। विपक्षीगण द्वारा जो पूर्व के तीन बिल दिये गये थे वे सभी बिल डोर लाॅक के दिये गये है। जिनको परिवादिया ने जमा करा दिया। इससे यह स्वतः साबित है कि पूर्व में दिये गये तीनों बिलों के समयावधि में परिवादिया का कोल्ड स्टोरेज बन्द था। अब विपक्षीगण ’’सीजन’’ के दौरान कोल्ड स्टोरेज चालू होने पर केवल 21 दिन के उपयोग को आधार बनाकर 365 दिन की मनमानी राशि केवल कल्पना के आधार पर मांग रहे है जिसका कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। परिवादिया के परिसर में कोई अतिरिक्त उपकरण विधुत कनेक्शन लेने के बाद नहीं लगाया गया है बल्कि विपक्षीगण ने मौके पर लगे हुऐ एअर कण्डीशनर को 1.5 किलोवाट की बजाय वीसीआर  में 3 किलो वाट का दर्शाया है जो गलत है। विपक्षीगण द्वारा श्री हंसराज बैरवा सहायक अभियन्ता का शपथ पत्र पेश हुआ है जो अभी भ्रष्टाचार के प्रकरण में निलम्बित बताये जाते है। शपथ पत्र में यह मामला चोरी से सम्बन्धित बताया गया है लेकिन विवादित वीसीआर में यह प्रकरण भारतीय विधुत अधिनियम की धारा 135 का होने का कोई अंकन नहीं है। यह एक्सस लोड का मामला दर्शाया गया है। 
    जो आरोप वीसीआर में लगाया गया है। उससे यह एक्सेस लोड का मामला परिलक्षित होता है। विपक्षीगण द्वारा हमारे समक्ष सर्कुलर जेपीआर 5-426 नम्बर जेपीडी/सीई/(सी)/आइ/एफ.4 (261) पार्ट 7/डी2022 दिनांक 18.10.2007 पेश किया जिसका ससम्मान अवलोकन किया गया। इसके विपरीत परिवादी की ओर से हमारे समक्ष विपक्षीगण का सर्कुलर जेपीआर 5-526 No. JPD/CE (c ) /C.I/F.4 (346)/PT.III/D.39 Dt. 02.01.2009 प्रस्तुत किया गया है। जिसका भी ससम्मान अवलोकन किया गया। विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत सर्कुलर दिनांक 18.10.2007 का जारी  किया गया है। जबकि परिवादी द्वारा प्रस्तुत सर्कुलर पश्चातवर्ती दिनांक 2.1.2009 को जारी किया गया है। कोई भी सर्कुलर जो नया जारी होता है वह सर्कुलर ही प्रभावी रूप से मान्य होता है। विपक्षी के द्वारा जारी सर्कुलर जेपीआर 5-526 दिनांक 02.01.2009 में यह उल्लेखित है sub:- Guidelines for dealing/treating the cases in which the LT supply consumers exceed their contract demand above 50 KV A for more than twice in a flinancial year. In accordance with the existing tariff provisions, for contract demand up to 50 KVA, the entitled voltage of supply is LT and for contract demand above 50 KVA the entitled voltage of supply is 11 KV or above as the case may be. However, if the maximum demand above 50 KV A is caused twice in the same financial year, no action is required to be taken for levy of any surcharges i.e. the billing will be continued during the said two months under the category under which the connection was exisiting, Now , whenever the maximum demand above 50KV A is caused third time in the same financial year, a notice of one month would be issued by the concerned AEN. in a format prescribed hereunder. Insaid 3rd month, the billing would be continued under the exiting category, as here to. The notice of one month should be issued under the provisionsof sub-item 13 of item iii "General conditions of Application" of the "Tariff for supply of electricity 04".विद्वान अधिवक्ता परिवादी का यह तर्क है कि यदि लोड लगातार दो माह में बढता है तो विपक्षीगण का तीसरे महिने में एक माह का नोटिस सम्बन्धित सहायक अभियन्ता को लोड बढवाने हेतु  परिवादी को दिया जाना आवश्यक है जबकि  कभी भी  परिवादी के द्वारा 20 किलो वाट से अधिक लोड उपयोग में नहीं लिया गया। उपयोग में लिया गया लोड विधुत मीटर में गत 6 माह तक दर्ज रहता है । क्योंकि यह एक इलेक्ट््रोनिक मीटर है। विपक्षीगण कई बार मीटर में दर्ज गणना के आधार पर ही उपभोक्ताओं की एचएचटी मशीन से जांच करते है। विपक्षीगण द्वारा उसमें दर्ज उपयोग में लिये गये वास्तविक लोड को वीसीआर में दर्ज नहीं किया है और उक्त मीटर की आज दिनांक तक कोई जांच किसी भी अधिकृत लेबोरेट््री में नहीं कराई गई है जो Monitoring of V.C.R. के नियमों  के विपरीत है।
    उभय पक्षों की बहस सुने जाने एवं पत्रावली के अवलोकन के पश्चात हम उक्त वीसीआर को नियम विरूद्व एवं मनमानी मानते है तथा उक्त वीसीआर क्रमांक 10335 दिनांक 11.8.2010 तथा नोटिस क्रमांक 1213 दिनांक 23.8.2010 द्वारा मांगी गई राशि को निरस्त करते है। परिवादिया द्वारा इस वीसीआर के पेटे पूर्व में जमा कराई गई राशि विपक्षीगण उसे या तो एक माह में रिफण्ड करें अथवा आगामी विधुत उपभोग के बिलों में समायोजित करें साथ ही परिवाद व्यय के 2000/- रूपये भी एक माह में अदा करें या आगामी विधुत उपभोग के बिल में समायोजित करें।
आदेश
    अतः परिवादिया द्वारा प्रस्तुत परिवाद को स्वीकार किया जाकर विपक्षीगण द्वारा भरी गई वीसीआर क्रमांक 10335 दिनांक 11.8.2010 तथा नोटिस क्रमांक 1213 दिनांक 23.8.10 द्वारा मांगी गई राशि को निरस्त किया जाता है। परिवादिया द्वारा इस वीसीआर के पेटे पूर्व में जमा कराई गई राशि विपक्षीगण उसे या तो एक माह में रिफण्ड करें अथवा आगामी विधुत उपभोग के बिलों में समायोजित करें, साथ ही परिवाद व्यय के 2000/- रूपये भी एक माह में अदा करें या आगामी विधुत उपभोग के बिल में समायोजित करें।
 
        
सौभाग्यमल जैन                                                             कैलाश चन्द्र शर्मा
    सदस्य                                                                            अध्यक्ष 

               निर्णय आज दिनांक 13.02.2015  को खुले मंच में सुनाया गया।

सौभाग्यमल जैन                                                           कैलाश चन्द्र शर्मा
  सदस्य                                                                            अध्यक्ष

 

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