Rajasthan

Sawai Madhopur

217/2014

Girraj - Complainant(s)

Versus

JVVNL - Opp.Party(s)

02 Feb 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 217/2014
 
1. Girraj
Gangapur city
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

                                                            जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, सवाई माधोपुर
समक्ष:-    श्री कैलाश चन्द्र शर्मा, अध्यक्ष
             श्री सौभाग्यमल जैन, सदस्य
         
परिवाद सं0:-217/2014                                                                                                                      परिवाद प्रस्तुति दिनांकः- 22.04.2014
गिर्राज पुत्र गैन्दा, जाति-पूर्विया राजपूत, आयु-55 साल,  निवासी-ग्राम उदेई कलाॅ, तहसील-गंगापुर सिटी जिला सवाई माधोपुर। 
                                                                                                                                                   परिवादी
विरुद्ध
सहायक अभियन्ता, जयपुर विधुत वितरण निगम लिमिटेड, गंगापुर सिटी।
                                                                                                                                                   विपक्षी
उपस्थिति:-
1.    श्री संतोष कुमार वर्मा अधिवक्ता परिवादी
2.    श्री बजरंग लाल जाट अधिवक्ता विपक्षीगण
द्वारा कैलाश चन्द्र शर्मा (अध्यक्ष)                                                                                                          दिनांक: 02 फरवरी, 2015
                                                                                          नि  र्ण  य
    परिवादी ने यह परिवाद संक्षेप में इन तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया है कि विपक्षी ने परिवादी को माह मार्च 2014 का विधुत उपभोग विपत्र को बढा चढा कर जारी किया गया जिसमें 1517 यूनिट बिजली का उपभोग होना बताया है। जबकि परिवादी को कभी भी इतनी अधिक यूनिट का बिल जारी नहीं किया गया है। परिवादी उक्त बिल को लेकर विपक्षी के पास गया तो विपक्षी ने उक्त बिल में संशोधन कर 8144 रूपये की राशि को जमा कराने के आदेश दिये। जिसे परिवादी ने दिनांक 18.03.2014 को विपक्षी विभाग में जमा करा दिये। विपक्षी विधुत विभाग के कर्मचारी श्री महेश मीना जब परिवादी के मकान के सामने से निकल रहा था तो परिवादी की पुत्रवधु ने परिवादी के घर में लाईट नहीं होने की बात कही तो विपक्षी का कर्मचारी महेश मीना नाराज हो गया और पुत्रवधु को गन्दी गन्दी गालियां देते हुये चला गया और कहा कि अब तो तुम्हारा विधुत सम्बन्ध कटवा कर ही रहूंगा। इस पर दूसर दिन महेश मीना, विपक्षी व विपक्षी के कर्मचारी दिनांक 27.3.14 को परिवादी के मकान पर आये और परिवादी का विधुत कनेक्शन काट दिया ओर जबरन विधुत मीटर खोलकर ले गये। विपक्षी के उक्त कृत्य के कारण परिवादी व उसके परिवारजन को काफी मानसिक व शारीरिक पीडा हुआ है तथा हो रही है। विपक्षी ने अपने उक्त कृत्य से परिवादी व उसके परिवारजन के सुखाधिकारों पर अतिक्रमण किया है जो न्याय हित में अवैध एवं अनैतिक है। इस प्रकार परिवादी ने परिवाद पत्र पेश कर निवेदन किया कि परिवादी का विधुत सम्बन्ध पुनः बहाल कराया जावे तथा शेष अनुतोष दिलाये जाने की प्रार्थना की।
    विपक्षी ने परिवाद का जवाब प्रस्तुत कर कथन किया है कि परिवादी को माह मार्च 2014 का 1517 उपभोग यूनिट का जिसमें वर्तमान पठन 5081 तथा गत पठन 3564 अर्थात 1517 यूनिट की राशि तथा पिछले बिल की बकाया राशि 13799 रूपये को सम्मिलित करते हुये नियत तिथि तक 21453/-रूपये का बिल जारी किया गया था। परिवादी ने दिनांक 19.2.2014 को जमा कराई गई राशि 13309 रूपये कम करते हुये शेषराशि 8144 रूपये का सही किया गया है। कम्प्यूटर द्वारा उक्त राशि की खतौनी खाता संख्या 17090837 पर कर दी गई थी। इस कारण परिवादी के खाते में राशि बकाया चल रही थी। बकाया राशि दर्शाये होने के कारण मार्च में वसूली अभियान के तहत दिनांक 27.03.2014 को परिवादी का कनेक्शन काटकर मीटर खोल लिया गया था। परिवादी का पुनः कनेक्शन जोडने बाबत आर सी नम्बर 12983/09 दिनांक 12.5.2014 जारी कर दिया गयाहै एवं दिनांक 15.5.14 को परिवादी का कनेक्शन जोड दिया गया है। एम सी ओर पर परिवादी के प्रतिनिधि शान्ति के हस्ताक्षर करवाये गये है। निगम के कर्मचारी श्री महेश मीना से पूछा गया तो महेश मीना ने अवगत कराया कि दिनांक 26.3.14 को राजस्व वसूली हेतु ग्राम उदेई कला में गया था। वहंा पर परिवादी के पुत्र सेठी द्वारा महेश मीना से मारपीट व छीना झपटी की गई तथा जाति सूचक शब्दों से अपमानित किया गया। जिसकी एक रिपोर्ट सदर थाना गंगापुर सिटी में दिनांक 27.3.14 को एफ आई आर संख्या 64/2014 दर्ज करवाई गई। उक्त रिपोर्ट में कानूनी कार्यवाही नही हो इसके ढर से मन गढन्त एवं फर्जी कहनी गढकर झुंठा मुकदमा किया है जिसमें सत्यता की कोई गुंजाईश नहीं है। अतः परिवादी का परिवाद विरूद्व विपक्षी मय हर्जा खर्चा के खारिज किये जाने का निवेदन किया।
    परिवादी ने अपने परिवाद के समर्थन में स्वयं का शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य में विधुत बिल की फोटो प्रति,  इस्तगासा धारा 190 सीआरपीसी की फोटो प्रति एवं बयान गवाह श्रीमती अनिता की फोटो प्रति पेश की है।  जबकि विपक्षी की ओर से न तो शपथ पत्र पेश किया गया है और न ही किसी प्रकार की कोई दस्तावेजी साक्ष्य पेश की गई है।
    बहस अंतिम उभय पक्षकारान की सुनी गई। पत्रावली का अध्योपान अध्ययन किया गया।
    प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी ने माह मार्च 2014 का बिल 8144/- रूपये दिनांक 18.03.2014 को विपक्षी विधुत विभाग को जमा करवा दिया था। उसके उपरान्त विपक्षी द्वारा परिवादी का बिल जमा करवाये जाने के पश्चात भी दिनांक 27.3.2014 का परिवादी का विधुत कनेक्शन काट दिया था। राशि जमा होने के पश्चात  विधुत कनेक्शन काटना सेवा दोष की श्रेणी में आता है। विपक्षी ने जवाब के विशेष विवेरण के पैरा संख्या 1 में यह कथन किया है कि कम्प्यूटर द्वारा राशि की कथौनी खाता संख्या 17090837 पर कर दी गई थी। इस कारण से परिवादी के खाते में राशि बकाया चल रही थी। बकाया होने के कारण मार्च में वसूली अभियान के दौरान दिनांक 27.03.2014 को परिवादी का कनेक्शन काट कर मीटर खोल लिया गया था। जब परिवादी द्वारामाह मार्च 2014 का बिल  दिनांक 18.3.14 को जमा करवा दिया गया था तो विपक्षी को कम्प्यूटर में सही प्रकार से इन्द्राज कर राशि जमा करनी चाहिए थी। राशि जमा होने क बावजूद 9 दिन बाद दिनांक 27.3.14 को बकाया के आधार पर विपक्षी द्वारा मीटर खोलकर ले जाना एवं विधुत कनेक्शन काटना सेवा दोष की श्रेणी में आता है। विपक्षी द्वारा परिवादी से नाजायज रूप से 200 रूपये की आरसी फीस भी जरिये रसीद संख्या 64 दिनांक 12.5.14 को वसूल किये गये है जो भी नियमानुसार लौटाये जाने योग्य है। अतः परिवादी का परिवाद स्वीकार कर विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी को आर सी फीस की राशि 200 रूपये एक माह में लौटावे। साथ ही  मानसिक संताप की राशि 2000 रूपये एवं परिवाद व्यय  की राशि 1500 रूपये परिवादी को एक माह में अदा करें अथवा आगामी विधुत बिलों में समायोजित करें।


                                                                                             आदेश
    अतः परिवादी का परिवाद स्वीकार कर विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी को आर सी फीस की राशि 200 रूपये एक माह में लौटावे। साथ ही  मानसिक संताप की राशि 2000 रूपये एवं परिवाद व्यय  की राशि 1500 रूपये परिवादी को एक माह में अदा करें अथवा आगामी विधुत बिलों में समायोजित करें।

    

सौभाग्यमल जैन                                                                                                                     कैलाश चन्द्र शर्मा
     सदस्य                                                                                                                                  अध्यक्ष

                                                          निर्णय आज दिनांक 02.02.2015 को खुले मंच में सुनाया गया।

सौभाग्यमल जैन                                                                                                                     कैलाश चन्द्र शर्मा
   सदस्य                                                                                                                                    अध्यक्ष
    

 

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