Rajasthan

Sawai Madhopur

303/2012

Mohan Lal - Complainant(s)

Versus

JVVNL AII - Opp.Party(s)

24 Mar 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 303/2012
 
1. Mohan Lal
Vajirpur Sawai MAdhopur
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

                                    जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, सवाई माधोपुर
समक्ष:-    श्री कैलाश चन्द्र शर्मा, अध्यक्ष
               श्री सौभाग्यमल जैन, सदस्य
         
परिवाद सं0:-303/2012                                                    परिवाद प्रस्तुति दिनांकः- 23.07.2012
मोहनलाल पुत्र रामजीलाल जाति प्रजापत निवासी ग्राम वजीरपुर उपतहसील वजीरपुर जिला सवाई माधोपुर। 
                                                                                                                                       परिवादी
विरुद्ध
1.    सहायक अभियन्ता ए-ाा जयपुर विधुत वितरण निगम लिमिटेड गंगापुर सिटी
2.    थानाधिकारी, विधुत चोरी निरोधक पुलिस थाना खैरदा सवाई माधोपुर।
                                                                                                                                  विपक्षीगण
उपस्थिति:-
1.    श्री प्रेम प्रकाश जोशी अधिवक्ता परिवादी
2.    श्री बजरंग लाल जाट अधिवक्ता विपक्षीगण
द्वारा कैलाश चन्द्र शर्मा (अध्यक्ष)                                                               दिनांक:-24मार्च, 2015
                                                                         नि  र्ण  य
    परिवादी ने यह परिवाद संक्षेप में इन कथनों के साथ प्रस्तुत किया है कि विपक्षी संख्या 1 ने जरिये नोटिस आरोप लगाया है कि आपके परिसर में दिनांक 25.1.12 को सतर्कता जांच करने पर आपके द्वारा विधुत अधिनियम 2003 के अन्तर्गत बिना वैध कनेक्शन के विधुत का अनाधिकृत उपभोग किया गया है। इस सम्बन्ध में सतर्कता जांच प्रतिवेदन संख्या 12527/34 दिनांक 25.1.12 तैयार किया गया है जो पूर्ण रूपेण अनुचित है। सहायक अभियन्ता गंगापुर सिटी नोटिस नम्बरी 1139 दिनांकित 9.3.12 परिवादी मोहनलाल केनाम प्रशमन रूपये 2000/- + 21839/- रूपये सहायक अभियन्ता के कार्यालय में जमा करवाने बाबत प्राप्त हुआ है, जो पूर्ण रूपेण अनुचित है। परिवादी का विधुत उपयोग कनेक्शन नियमित था। लेकिन उक्त मीटर में गलत रीडिंग आने की वजह से समय समय पर परिवादी द्वारा जयपुर विधुत वितरण निगम लिमिटेड में कार्यरत सहायक अभियन्ता, अधीक्षण अभियन्ता,  एवं लाइनमेन को बार बार अपनी समस्या बाबत निवेदन करता रहा लेकिन विपक्षी विभाग के किसी भी कर्मचारी ने परिवादी की समस्या पर ध्यान नहीं दिया बल्कि परिवादी की तरफ गैरवाजिब वीसीआर भरकर 21839$2000 का नोटिस जारी किया गया है जो निरस्त किये जाने योग्य है। विपक्षी विधुत विभाग से उक्त राशि के बारे में पूछताछ करने पर विपक्षी के कर्मचारियों ने बताया कि उक्त राशि तो आपके नियमित विधुत उपभोग बिल की बकाया राशि है। वीसीआर की कोई राशि नहीं है। जबकि जाब्ते में परिवादी को उक्त अमरी कोई नोटिस नहीं दिया बल्कि वीसीआर से सम्बन्धित नोटिस जारी किया गया है जो मूल परिवाद पत्र के साथ संलग्न है। विपक्षी विधुत विभाग की त्रुटि एवं टालमटोल नीति के कारण उक्त कनेक्शन से सम्बन्धित मीटर को सही करने/दूसरा मीटर बदलने की कहकर लाईनमेन खोलकर ले गया था जिसे आज दायरी परिवाद तक नहीं लगाया गया है। इसलिए उक्त कनेक्शन पर परिवादी के निवास स्थान पर दूसरा मीटर स्थापित किया जाना न्यायोचित एवं आवश्यक है एवं उक्त जारी शूदा नोटिस में वर्णित राशि निरस्त होने योग्य है। अतः परिवादी का परिवाद स्वीकार फरमाया जाकर परिवाद में चाहे गये अनुतोष दिलाये जाने का निवेदन किया ।
    विपक्षीगण न परिवाद का जवाब प्रस्तुत कर कथन किया है कि परिवादी निगम का उपभोक्ता नहीं है। परिवादी ने उक्त कनेक्शन को अपने नाम नहीं करवाया है और ना ही रामजी लाल का मृत्यु प्रमाण पत्र कार्यालय में प्रस्तुत किया है। विधुत कनेक्शन खाता संख्या 2209-0351 घरेलू रामजीलाल पुत्र श्री चैथमल के नाम जारी किया गया था, जो निगम की बकाया राशि जमा नहीं कराने के कारण 21839/- रूपये पर दिनांक 18.1.2012 को विधुत सम्बन्ध विच्छेद कर मीटर खोल लिया गया था। जिसकी वसूली की कार्यवाही इ.यू.डी.आर. के तहत की जा रही है। दिनांक 25.1.12 को निगम के अधिकारियों ने परिवादी के कनेक्शन की जांच की गयी, जांच के दौरान पाया गया कि उक्त व्यक्ति के परिसर में निगम से पूर्व में रामजीलाल पुत्र चैथमल प्रजापत के नाम से कनेक्शन जारी कर रखा था जो कि बकाया राशि 21839.00 रूपये पर काट दिया गया था। मौके पर श्री मोहनलाल पुत्र रामजीलाल ने रास्ते से गुजर रही निगम की एल.टी. लाईन पर आंकडे डालकर विधुत का अवैध रूप से उपभोग कर रहा है। मौके पर फोटो लेकर तारों को काटा गया है। अतः परिवादी का परिवाद मय हर्जे खर्चे के खारिज फरमाया जावे।
    परिवादी ने परिवाद के समर्थन में स्वयं का शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य में नोटिस दिनांकित 9.3.12 एवं प्रशमन नोटिस दिनांकित की प्रति पेश की है। जबकि विपक्षी ने जवाब के समर्थन में कैलाश चन्द्र गुप्ता का शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति एवं वीसीआर की प्रति पेश की है।
     उभय पक्षकारान की बहस अंतिम सुनी गई। पत्रावली का अध्योपान अध्ययन किया गया।
    प्रस्तुत प्रकरण भारतीय विधुत अधिनियम 2003 की धारा 135 के तहत विधुत चोरी से सम्बन्धित है तथा दण्डनीय अपराध है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय की अपील सं0 5466/2012 यूपी पाॅवर काॅर्पोरेशन लिमिटेड बनाम अन्य बनाम अनीस अहमद निर्णय दिनांक 01जुलाई-2013 के साथ अन्य कई प्रकरणों में विपक्षीगण को यह आदेश दिये कि ‘‘Complaint" against assessment under section 126 is not maintainable before the consurmer forum.The commission has already noticed that the offences referred to in Sections 135 to140 can be tried only by a special court constituted under section 153 of the Electricity Act,2003. In that view of the matter also the complaint against any action taken under Sections 135 to 140 of the Electricity Act,2003 is not maintainable before the consumer forum.
    इस प्रकार उपरोक्त न्यायिक दृष्टान्तों में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अभिनिर्धारित किये गये सिद्धान्तों के अनुसार विधुत चोरी के प्रकरणों को इस मंच में नहीं सुना जा सकता और इस सम्बन्ध में इस जिला मंच को क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है। ऐसी स्थिति में परिवादी सक्षम न्यायालय में इस सम्बन्ध में कार्यवाही करने के लिये स्वतंत्र होना पाया जाता है । इस आधार पर परिवाद परिवादी विरूद्ध विपक्षीगण निरस्त किये जाने योग्य है । 

                                                               आदेश
    अतः परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद  माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अभिनिर्धारित किये गये सिद्धान्तों के अनुसार विधुत चोरी के प्रकरणों को इस मंच में नहीं सुना जा सकता और इस सम्बन्ध में इस जिला मंच को क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है। ऐसी स्थिति में परिवादी सक्षम न्यायालय में इस सम्बन्ध में कार्यवाही करने के लिये स्वतंत्र होना पाया जाता है । इस आधार पर परिवाद परिवादी विरूद्ध विपक्षीगण निरस्त किया जाता है । खर्चा परिवाद व्यय पक्षकारान स्वयं अपना अपना वहन करेगें।

सौभाग्यमल जैन                                                                                                 कैलाश चन्द्र शर्मा
  सदस्य                                                                                                                  अध्यक्ष

                         निर्णय आज दिनांक  24. 03. 2015 को खुले मंच में सुनाया गया।

सौभाग्यमल जैन                                                                                                 कैलाश चन्द्र शर्मा
  सदस्य                                                                                                                 अध्यक्ष
  

 

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