Rajasthan

Sawai Madhopur

539/2014

Lokendra singh - Complainant(s)

Versus

JVVNL AI - Opp.Party(s)

sandeep trivadi

24 Mar 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 539/2014
 
1. Lokendra singh
Gangapur city
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

                            जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, सवाई माधोपुर
समक्ष:-    श्री कैलाश चन्द्र शर्मा, अध्यक्ष
               श्री सौभाग्यमल जैन, सदस्य
         
परिवाद सं0:-539/14                                                           परिवाद प्रस्तुति दिनांकः- 9.12.2014
लोकेन्द्र सिंह पुत्र मेघसिंह जाति जाटव निवासी हंसराज पंजाबी के मकान के पास महंूकला, गंगापुर सिटी जिला सवाई माधोपुर। 
                                                                                                                                       परिवादी
विरुद्ध
1.    अधिशाषी अभियन्ता जयपुर विधुत वितरण निगम लिमिटेड गंगापुर सिटी
2.    सहायक अभियन्ता जयपुर विधुत वितरण निगम लिमिटेड गंगापुर सिटी
3.    चैयरमेन, जयपुर विधुत वितरण निगम लिमिटेड ज्योति मार्ग विधुत भवन जयपुर।
                                                                                                                                   विपक्षीगण
उपस्थिति:-
1.    श्री सन्दीप ़ित्रवेदी अधिवक्ता परिवादी
2.    श्री वृद्वि चन्द शर्मा अधिवक्ता विपक्षीगण
द्वारा कैलाश चन्द्र शर्मा (अध्यक्ष)                                                             दिनांक:-24 मार्च, 2015
                                                                      नि  र्ण  य
    परिवादी ने यह परिवाद संक्षेप में इन कथनों के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने विपक्षीगण से अपने घरेलू उपयोग उपभोग हेतु एक विधुत कनेक्शन लिया हुआ है जिसका खाता संख्या 210322006532 है। परिवादी द्वारा नियमित रूप से विधुत बिलों का भुगतान विपक्षीगण को करता रहा है। विपक्षीगण द्वारा परिवादी को विधुत उपभोग का बिल माह नवम्बर 14 में 378 यूनिट रहा है जिसकी कुल राशि लगभग 2100 दर्शाई गई है जबकि विपक्षीगण द्वारा परिवादी को माह नवम्बर 2014 का विधुत बिल 17303 रूपये का भेजा गया है। परिवादी के पिता द्वारा उक्त विधुत बिल का समायोजन हेतु विपक्षी संख्या 1 व 2  से सम्पर्क किया गया तो विपक्षीगण द्वारा परिवादी के पिता को किसी प्रकार से कोई सन्तुष्टिपूर्ण जवाब नहीं दिया गया और ना ही उक्त बिल की राशि का समायोजन किया गया। परिवादी के पिता एक वृद्व सेवानिवृत कर्मचारी है जो उक्त विधुत बिल को लेकन विपक्षी संख्या 1 व 2  के यहंा अनेकों चक्कर लगा चुके हैं। जिससे परिवाद व परिवादी के पिता को काफी आर्थिक, शारीरिक व मानसिक कठिनाइयों का सामना करना पड रहा है।  अतः परिवादी का परिवाद स्वीकार फरमाया जाकर परिवाद में चाहे गये अनुतोष दिलाये जाने का निवेदन किया गया।
    विपक्षीगण ने परिवाद का जवाब प्रस्तुत कर कथन किया है कि परिवादी के विधुत कनेक्शन खाता संख्या 1605-0186 घरेलू की जिसका के नम्बर 210322006532 है । निगम के कनिष्ठ अभियन्ता कुलदीप जोशी ने जांच की तो जांच में पाया कि उक्त उपभोक्ता के कनेक्शन होते हुये भी अलग से आंकडे डालकर विधुत चोरी से उपभोग करता पाया गया। उक्त व्यक्ति का यह कृत्य भारतीय विधुत अधिनियम 2003 की धारा 135 के तहत विधुत चोरी का है जो दण्डनीय अपराध की श्रेणी में आता है। मौके पर डिजीटल कैमरे से फोटो लिये गये है। उक्त वीसीआर की कार्यवाही में नियमानुसार चार्जिंग कर नोटिस क्रमांक 5227 दिनांक 18.2.14 को रूपये 15803 की राशि जमा कराने हेतु भेजा गया था। जमा नहीं कराने पर माह नवम्बर 14 के बिल में उक्त राशि जोडकर बिल भेजा गया जिसे जमा कराने का परिवादी का पवित्र कत्र्तव्य है। अतः परिवादी का परिवाद मय हर्जे खर्चे के खारिज फरमाया जावे।
    परिवादी ने दस्तावेजी साक्ष्य में विधुत बिल माह अक्टुबर 14 एवं नवम्बर 2014 की फोटो प्रतियां पेश की है जबकि विपक्षीगण ने जवाब केे समर्थन में भगवान सहाय शर्मा सहायक अभियन्ता का शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य में नोटिस क्रमांक 5227, असेसमेन्ट शीट व वीसीआर संख्या 18482/50 की फोटो प्रतियां पेश की है। 
    उभय पक्षकारान की बहस अंतिम सुनी गई। पत्रावली का अध्योपान अध्ययन किया गया।
    प्रस्तुत प्रकरण भारतीय विधुत अधिनियम 2003 की धारा 135 के तहत विधुत चोरी से सम्बन्धित है तथा दण्डनीय अपराध है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय की अपील सं0 5466/2012 यूपी पाॅवर काॅर्पोरेशन लिमिटेड बनाम अन्य बनाम अनीस अहमद निर्णय दिनांक 01जुलाई-2013 के साथ अन्य कई प्रकरणों में विपक्षीगण को यह आदेश दिये कि ‘‘Complaint" against assessment under section 126 is not maintainable before the consurmer forum.The commission has already noticed that the offences referred to in Sections 135 to140 can be tried only by a special court constituted under section 153 of the Electricity Act,2003. In that view of the matter also the complaint against any action taken under Sections 135 to 140 of the Electricity Act,2003 is not maintainable before the consumer forum.
    इस प्रकार उपरोक्त न्यायिक दृष्टान्तों में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अभिनिर्धारित किये गये सिद्धान्तों के अनुसार विधुत चोरी के प्रकरणों को इस मंच में नहीं सुना जा सकता और इस सम्बन्ध में इस जिला मंच को क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है। ऐसी स्थिति में परिवादी सक्षम न्यायालय में इस सम्बन्ध में कार्यवाही करने के लिये स्वतंत्र होना पाया जाता है । इस आधार पर परिवाद परिवादी विरूद्ध विपक्षीगण निरस्त किये जाने योग्य है । 
                                                                    आदेश
    .. अतः परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद  माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अभिनिर्धारित किये गये सिद्धान्तों के अनुसार विधुत चोरी के प्रकरणों को इस मंच में नहीं सुना जा सकता और इस सम्बन्ध में इस जिला मंच को क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है। ऐसी स्थिति में परिवादी सक्षम न्यायालय में इस सम्बन्ध में कार्यवाही करने के लिये स्वतंत्र होना पाया जाता है । इस आधार पर परिवाद परिवादी विरूद्ध विपक्षीगण निरस्त किया जाता है । खर्चा परिवाद व्यय पक्षकारान स्वयं अपना अपना वहन करेगें।

 

सौभाग्यमल जैन                                                                                                कैलाश चन्द्र शर्मा
   सदस्य                                                                                                                अध्यक्ष   

                       निर्णय आज दिनांक 24.03.2015 को खुले मंच में सुनाया गया।

सौभाग्यमल जैन                                                                                                कैलाश चन्द्र शर्मा
  सदस्य                                                                                                                अध्यक्ष
 

 

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